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नहीं पूरा हुआ वयस्कों के पूर्ण टीकाकरण का लक्ष्य, केवल 63% को लगा कोरोना टीका
पहले केंद्र ने दिसंबर 2021 के अंत तक भारत में सभी वयस्क आबादी के पूर्ण टीकाकरण के लक्ष्य को हासिल कर लेने का लक्ष्य घोषित किया था। जबकि हकीकत यह है कि करीब 9.73 करोड़ वयस्कों को अभी भी दोनों खुराक दी जानी शेष है।
ऋचा चिंतन
03 Jan 2022
covid
प्रतीकात्मक तस्वीर। | चित्र साभार: एनडीटीवी 

30 दिसंबर, 2021 तक भारत ने अपनी तकरीबन 63% वयस्क आबादी का टीकाकरण पूरा कर लिया था। हालाँकि करीब एक वर्ष की छोटी अवधि में इसे हासिल कर पाना कोई छोटी उपलब्धि नहीं कही जा सकती है, किंतु यह उपलब्धि उस लक्ष्य से कम है जिसे केंद्र सरकार ने स्वयं ही अपने लिए निर्धारित किया था। पहले केंद्र ने दिसंबर 2021 के अंत तक भारत में सभी वयस्क आबादी के पूर्ण टीकाकरण के लक्ष्य को हासिल कर लेने का लक्ष्य घोषित किया था। जबकि हकीकत यह है कि करीब 9.73 करोड़ वयस्कों को अभी भी दोनों खुराक दी जानी शेष है और करीब 24.49 करोड़ लोगों को अपनी दूसरी खुराक मिलनी बाकी है, यानी लक्ष्य से करीब 43.96 करोड़ डोज कम दी जा सकी है।

जैसा कि सरकार ने 3 जनवरी, 2022 से 15 से 18 वर्ष के आयु वर्ग के लिए टीकाकरण की शुरुआत कर दी है और साथ ही पहचान की गई कमजोर श्रेणियों (स्वास्थ्य कर्मियों एवं फ्रंटलाइन वर्कर्स सहित सह-रुग्ण 60+ समूह) के लिए भी एहतियाती खुराक को मंजूरी दी है, ऐसे में टीकों की आवश्यकता में बढ़ोत्तरी होना तय है।

इसके साथ ही इस समय कुल आवश्यकता में शामिल होने वालों में –

1. 15-18 वर्ष के आयु वर्ग में लगभग 9.9 करोड़ लाभार्थी शामिल हैं, जिन्हें (2 खुराक) देने के लिए करीब 19.8 करोड़ खुराक की जरूरत पड़ेगी।
2. स्वास्थ्य कर्मियों एवं फ्रंटलाइन कर्मियों के लिए तकरीबन 3 करोड़ एहतियाती डोज की जरूरत पड़ेगी।
3. 60+ उम्र की आबादी के लिए करीब 14.2 करोड़ एहतियाती खुराक की जरूरत है।
4. शेष वयस्क आबादी के लिए लगभग 43.96 करोड़ डोज की जरूरत अभी भी बनी हुई है।
इसका अर्थ है कि आने वाले कुछ महीनों में तकरीबन 81 करोड़ डोज की कुल आवश्यकता है।

उत्पादन क्षमता - घरेलू एवं निर्यात 

केंद्र ने 14 दिसंबर को राज्यसभा को सूचित किया था कि वर्तमान में कोविशिल्ड की मासिक उत्पादन क्षमता करीब 25-27.5 करोड़ डोज की है वहीं कोवैक्सिन की लगभग 5 से 6 करोड़ डोज की है। ये दोनों कंपनियां- सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ़ इंडिया (एसआईआई) और भारत बायोटेक- अपनी वर्तमान उत्पादन क्षमता के 90% पर कार्य कर रही हैं, सरकार ने इसे आधिकारिक रूप से माना है कि भारत में वयस्क आबादी का टीकाकरण करने के लिए पर्याप्त मात्रा में टीकों का निर्माण किया जा रहा है।

81 करोड़ डोज को प्राप्त करने और घोषित लक्षित समूहों एवं शेष वयस्क आबादी को इसमें कवर करने के लिए, यदि मौजूदा उत्पादन लक्ष्यों के साथ और बाकी सभी चीजें जैसी अभी हैं यदि वैसे ही बनी रहती हैं तो सरकार को करीब तीन-चार महीनों का समय लग सकता है। किंतु स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा जारी दिशा-निर्देश के मुताबिक 15 से 18 आयु वर्ग के लिए कोवैक्सिन के अनिवार्य उपयोग के साथ ही एहतियाती खुराक को अनिवार्य तौर पर दूसरी डोज दिए जाने के नौ महीने पूरे हो जाने पर ही दिए जाने की आवश्यकता को निर्धारित किये जाने की वजह से इस समय सीमा में और बढ़ोत्तरी किये जाने की संभावना नजर आती है।

असल में, एसआईआई ने 26 नवंबर को अंतर्राष्ट्रीय टीका साझाकरण कार्यक्रम कोवाक्स के तहत निर्यात को फिर से शुरू करने की घोषणा की थी। इससे पहले, एसआईआई को अन्य देशों एवं कोवाक्स के तहत सभी आपूर्ति को तब बंद कर देना पड़ा था, जब भारत ने 2021 के दूसरी तिमाही के दौरान भारत में मामलों में वृद्धि होने पर टीके के निर्यात पर प्रतिबन्ध लगा दिया था।

अब जबकि आपूर्ति पक्ष की बाधाओं को कुछ हद तक दूर कर दिया गया है, किंतु धीमी टीकाकरण की दर अभी भी एक चुनौती बनी हुई है।

चित्र 1: प्रबंधित मासिक खुराक (करोड़ में) स्रोत: पीआईबी रिलीज

सितंबर 2021 (चित्र 1) के बाद से लगाये गए कुल खुराक की मासिक दर में गिरावट को देखते हुए, टीकाकरण लक्ष्यों को दोबारा से निर्धारित करने की जरूरत है और सरकार को इसके लिए उचित नीतिगत उपाय अपनाने होंगे।

नीतिगत स्तर पर कुप्रबंधन 

हम सभी वयस्क आबादी के टीकाकरण के लक्ष्य को हासिल कर पाने में विफल क्यों रहे? विशेषज्ञों ने लगातार बार-बार केंद्र की त्रुटिपूर्ण टीकाकरण नीति की ओर इशारा किया है। निजी क्षेत्र को इसमें शामिल करने की भी आलोचना की गई है।

जबकि जनवरी से अप्रैल 2021 तक, मॉडल यह था कि केंद्र के द्वारा निर्माताओं से टीके की खरीद की गई और इसे राज्यों को वितरित किया गया। 1 मई से, ‘उदारीकृत एवं त्वरित नीति’ को अपनाया गया, जिसमें केंद्र द्वारा 50% हिस्से की खरीद की गई थी और शेष 50% हिस्से को निर्माताओं द्वारा सीधे राज्यों और निजी प्रदाताओं को बेचने की छूट हासिल थी। जिसके परिणामस्वरूप, राज्यों को टीके के लिए वैश्विक निविदाएं जारी करने के लिए बाध्य होना पड़ा, जिस पर दवा निर्माता कंपनियों ने कोई ख़ास तवज्जो नहीं दी। इस नीति की पूर्ण विफलता के साथ-साथ बढ़ते असंतोष और सर्वोच्च न्यायालय से मिली फटकार के बीच, केंद्र को इस नीति को वापस लेने के लिए मजबूर होना पड़ा। 21 जून से केंद्र के द्वारा कुल 75% टीकों की खरीद की जानी थी और राज्यों को वितरित किये जाने थे और शेष 25% की खरीद निजी क्षेत्र के लिए उपलब्ध थी।

मई 2021 में, केंद्र ने अगस्त से लेकर दिसंबर 2021 तक की अवधि के लिए करीब 217 करोड़ टीकों की उपलब्धता का अनुमान लगाया था। हालाँकि, जून 2021 में, इस अनुमान को घटाकर 135 करोड़ डोज तक कर दिया गया था, जैसा कि केंद्र द्वारा सर्वोच्च न्यायालय में अपने हलफनामे में प्रस्तुत किया गया था।

बड़े स्वीकृत पूल के बावजूद सिर्फ 3 टीकों का इस्तेमाल 

हाल ही में ओरल ड्रग- मोलनुपिरवीर (मर्क) सहित दो और टीकों – कॉर्बेवैक्स (बायोलॉजिकल ई/बायलर कॉलेज ऑफ़ मेडिसिन) और कोवोवैक्स (एसआईआई/नोवावैक्स) को आपातकालीन इस्तेमाल के लिए मंजूरी मिल गई है। इससे पहले भारत में छह टीका उम्मीदवारों को मंजूरी दी जा चुकी थी।

स्रोत: कोविड-19 वैक्सीन ट्रैकर

हाल ही में पिछले दो टीकों और ओरल पिल को मंजूरी मिलने से पहले छह टीका उम्मीदवारों को मंजूरी देने के बावजूद, टीकाकरण अभियान काफी हद तक एसआईआई के कोविशिल्ड पर ही निर्भर बना हुआ है।

30 दिसंबर तक, जबकि कुल टीकाकरण में कोविशिल्ड टीके की हिस्सेदारी 89% है, वहीं भारत बायोटेक के द्वारा स्वदेशी रूप से विकसित टीके, कोवैक्सीन की कुल टीकाकरण में हिस्सेदारी मात्र 11% के आसपास ही है (चित्र 2)।

चित्र 2: भारत में प्रशासित खुराक – 3 टीका उम्मीदवार (करोड़ में) (30 दिसंबर तक)| स्रोत: InCovid.org 

15 से 18 वर्ष के आयु वर्ग के लिए 3 जनवरी, 2022 से आरंभ किये गये नए चरण और चिन्हित कमजोर वर्गों के लिए एहतियातन खुराक प्रदान करने के लिए सरकार ने सिर्फ कोवैक्सीन के उपयोग को अनिवार्य कर रखा है।

कोवैक्सीन की 4.5 करोड़ डोज की मासिक आपूर्ति क्षमता की उम्मीद के साथ, क्या समय पर 15 से 18 वर्ष के आयु वर्ग के लिए 19.8 करोड़ डोज की मात्रा की आपूर्ति को संभव बनाया जा सकता है, विशेषकर भारत में तीसरी लहर के बढ़ते खतरे के मद्देनजर, इसे देखा जाना अभी शेष है।

वर्तमान में, भारतीय सरकार ने अपना सारा ध्यान सिर्फ कोवैक्सीन के घरेलू उत्पादन क्षमता को बढ़ाने पर केंद्रित कर रखा है। इसके द्वारा इंडियन इम्यूनोलॉजिकल्स लिमिटेड, हैदराबाद, भारत इम्यूनोलॉजिकल्स एंड बायोलॉजिकल्स कारपोरेशन लिमिटेड, बुलंदशहर, हैफ़काइन बायोफार्मास्यूटिकल कारपोरेशन लिमिटेड, मुंबई और गुजरात कोविड वैक्सीन कंसोर्टियम- इन सभी कोवैक्सीन के उत्पादन में लगे केन्द्रों को कुछ सुविधायें मुहैय्या की जा रही हैं; और इसीलिये, 15 से 15 वर्ष के आयु वर्ग के लिए कोवैक्सीन को अनिवार्य किया गया है।

सार्वजनिक क्षेत्र टीका प्राप्ति का शक्तिशाली निर्माण 

कोविड-19 के अनुभव ने एक बार फिर से दिखा दिया है कि स्वास्थ्य सेवाओं को मुहैय्या कराने में सार्वजनिक क्षेत्र की भूमिका कितनी महत्वपूर्ण है। वास्तव में, जब कभी भी टीकाकरण अभियान जैसी निवारक सेवाओं की बारी आती है तो निजी क्षेत्र की निरर्थकता खुलकर स्पष्ट हो जाती है। इसके अलावा, महामारी के दौरान संकट से निपटने में निजी क्षेत्र काफी हद तक अप्रभावी साबित हुआ। इसके लाभ कमाने से प्रेरित उदाहरणों को देखते हुए केंद्र और कुछ राज्य सरकारों को राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन अधिनियम और राज्य महामारी अधिनियमों के तहत अपनी शक्तियों को अमल में लाना पड़ा था और अधिकतम कीमत की सीमा तय करनी पड़ी।

जून 2021 में सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष अपने हलफनामे में केंद्र ने कोविड टीकाकरण अभियान में निजी क्षेत्र को शामिल करने के लिए मजबूत मामला बनाया था। इस हलफनामे में कहा गया था – “...किसी भी सार्वजनिक स्वास्थ्य कार्यक्रम में – वो चाहे टीकाकरण हो या अन्य में, निजी अस्पतालों की भागीदारी हमेशा वांछनीय पाई गई है।” अपने उदारीकृत मूल्य निर्धारण एवं त्वरित राष्ट्रीय कोविड-19 टीकाकरण रणनीति के तहत, केंद्र ने निजी क्षेत्र को सीधे निर्माताओं से 25% टीकों की खरीद को अनुमति दी थी।

7 दिसंबर 2021 तक, सरकारी कोविड टीकाकरण केन्द्रों (सीवीसीज) से करीब 96.3% (या 108.5 करोड़ डोज) को प्रशासित किया गया था, जबकि निजी सीवीसी से 3.7% (4.1 करोड़ डोज) को ही प्रशासित किया जा सका था।

जैसा कि एक सार्वजनिक नीति एवं स्वास्थ्य प्रणाली विशेषज्ञ, चद्रकांत लहरिया बताते हैं: “जब कभी भी निवारक और प्रोत्साहन सेवाओं की बात आती है, तो निजी क्षेत्र का योगदान अपेक्षाकृत कम होता है। भारत के तकरीबन चार दशक पुराने सार्वभौमिक टीकाकरण कार्यक्रम में, निजी क्षेत्र के द्वारा कुल टीकों का 10% से 15% का योगदान रहा है। जापानीज इंसेफेलाइटिस, पोलियो, खसरा आदि जैसे बड़े पैमाने पर टीकाकरण अभियानों में निजी क्षेत्र की हिस्सेदारी इससे भी कम देखने को मिली है।”

कर्नाटक जैसे राज्यों में निजी क्षेत्र के कुछ अस्पताल चिंतित हैं और मियाद खत्म होने से पहले अपने पास मौजूद टीके के स्टॉक को खत्म करना चाहते हैं। खबरों के मुताबिक, इसके लिए वे कोविशिल्ड और कोवैक्सीन दोनों को मुफ्त में लगाने के लिए निःशुल्क टीकाकरण शिविर तक का आयोजन कर रहे हैं।

जैसा कि 2022 का आगाज एक बार फिर से महामारी के बढ़ने के डर के बीच शुरू हो रहा है, नए सार्स-सीओवी2 वैरिएंट, जैसे कि ओमीक्रोन, और इसके साथ ही पांच राज्यों में आगामी विधानसभा चुनावों के लिए बड़ी चुनावी रैलियों का आयोजन किया जा रहा है। ऐसे में हर किसी को इस बात की उम्मीद है कि पिछली बार की तरह इस बार भी केंद्र सरकार हालात को नहीं बिगड़ने देगी।

अंग्रेज़ी में प्रकाशित इस मूल लेख को पढ़ने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें: 

Short of Year-end Target, Only 63% Adults Fully Vaccinated in India

Omicron
India Vaccination
Vaccination Target
COVID-19
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Booster Dose

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