NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
नज़रिया
भारत
राजनीति
ख़बरों के आगे-पीछे: राष्ट्रपति के नाम पर चर्चा से लेकर ख़ाली होते विदेशी मुद्रा भंडार तक
हर हफ़्ते की तरह एक बार फिर प्रमुख ख़बरों को लेकर हाज़िर हैं लेखक अनिल जैन
अनिल जैन
15 May 2022
President
फ़ाइल फ़ोटो- PTI

दो महीने बाद होने वाले राष्ट्रपति पद के चुनाव के लिए राजनीतिक गलियारों में सरगर्मी तेज हो चुकी है। चूंकि राष्ट्रपति चुनाव के लिए वोटों का गणित भाजपा के पक्ष में है, लिहाजा उसे अपनी पसंद का राष्ट्रपति चुनवाने में कोई दिक्कत नहीं आएगी। उसकी ओर से कौन उम्मीदवार होगा, इस बारे में अभी कोई फैसला नहीं हुआ है लेकिन मीडिया ने इस बारे में कयासो के घोड़े दौड़ाना शुरू कर दिए हैं। आधा दर्जन से भी ज्यादा नाम चर्चा में तैर रहे हैं। लगभग इतने ही नामों की चर्चा उप राष्ट्रपति पद के लिए भी हो रही है। उपराष्ट्रपति का चुनाव भी अगस्त में होना है। दोनों पदों के लिए जिन नामों की चर्चा है, उनमें से कुछ तो ऐसे हैं जिन्हें खुद भी अच्छी तरह मालूम है कि उनकी राजनीतिक पारी समाप्त हो चुकी है और उन्हें अब कुछ हासिल नहीं होना है। फिर भी वे खामख्वाह अपना नाम चलवा रहे हैं। वैसे इस सिलसिले में किसी भी नाम की अटकल लगाना बेमतलब है, क्योंकि मौजूदा सरकार में किसी भी पद के लिए किसी व्यक्ति के नाम का सही अंदाजा आज तक कोई नहीं लगा पाया है। रामनाथ कोविंद के बारे में किसने सोचा था कि वे राष्ट्रपति बनाए जाएंगे और लोकसभा अध्यक्ष के लिए भी ओम बिड़ला के नाम का किसी ने अनुमान नहीं लगाया था। कहा जा रहा है कि चूंकि मौजूदा राष्ट्रपति उत्तर भारत से और उप राष्ट्रपति दक्षिण भारत से हैं, इसलिए अगला राष्ट्रपति दक्षिण से होगा और उप राष्ट्रपति उत्तर भारत से। यह सही है कि परंपरा के मुताबिक ऐसा ही होना चाहिए। वैसे भी लंबे समय से राष्ट्रपति का पद दक्षिण भारत को नहीं मिला है। एपीजे अब्दुल कलाम दक्षिण से आखिरी राष्ट्रपति थे। लेकिन मोदी राज मे जब संवैधानिक प्रावधानों को ही कई मामलो मे ठेगा दिखाया जा रहा हो तो परंपरा की बात सरासर बेमतलब है। पिछले आठ साल के दौरान कई सुस्थापित परंपराएं टूटी हैं।

क्यों खाली हो रहा है भारत का विदेशी मुद्रा भंडार?

भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में पिछले छह महीने में बड़ी कमी आई है। पिछले साल सितंबर में भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 642 अरब डॉलर से ऊपर पहुंच गया था, लेकिन अब यह छह सौ अरब डॉलर से नीचे आ गया है। एक तरफ भारत का विदेशी मुद्रा भंडार घट रहा है और दूसरी ओर डॉलर के मुकाबले रुपए की कीमत ऐतिहासिक गिरावट पर है। पिछले महीने 29 अप्रैल को खत्म हुए कारोबारी हफ्ते में विदेशी मुद्रा भंडार 597 अरब डॉलर पर आ गया था और 13 मई को खत्म हुए कारोबारी हफ्ते में डॉलर की कीमत 77 रुपए से ऊपर पहुंच गई। बहरहाल, पिछले छह-सात महीने में भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 44.73 अरब डॉलर कम हुआ है। पिछले छह महीने में संस्थागत विदेशी निवेशकों ने 21.43 अरब डॉलर निकाले हैं। यानी कम हुई विदेशी मुद्रा में आधा हिस्सा संस्थागत विदेशी निवेशकों का है। इसका प्रत्यक्ष कारण तो यह दिख रहा है कि अमेरिका में फ़ेडरल रिजर्व ने ब्याज दरों में बढ़ोतरी का फैसला किया है। अमेरिका में मौद्रिक नीति में बदलाव से विदेशी निवेशक लौट रहे हैं। अकेले मार्च के महीने में विदेशी निवेशकों ने छह अरब डॉलर से ज्यादा निकाले। इसके अलावा रूस-यूक्रेन के युद्ध की वजह से तेल की कीमतें बढ़ी हैं, जिनके डॉलर में भुगतान की वजह से भारत के विदेशी मुद्रा भंडार पर दबाव बढ़ रहा है। शेयर बाजार का उतार-चढ़ाव भी लंबे समय में मुश्किल का कारण बन सकता है। इसका असर हाल में लांच हुए एलआईसी के शेयरों पर भी पड़ सकता है।

अंबानी से बग्गा तक का सफर!

आम आदमी पार्टी के सुप्रीमो और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने एक दशक पहले जब अपना राजनीतिक सफर शुरू किया था तब उन्होंने कहा था कि वे राजनीति बदलने के लिए राजनीति में आए हैं। उस समय उन्होंने प्रेस कांफ्रेंस करके देश के तमाम बड़े नेताओं की एक सूची जारी की थी। केजरीवाल ने उन सबको भ्रष्ट बताया था। हालांकि बाद में उन्होंने उनमें से कई नेताओं से माफी मांग ली। बाद में जब वे दिल्ली के मुख्यमंत्री बने तो उन्होंने दिल्ली सरकार के एंटी करप्शन ब्यूरो के जरिए देश के सबसे बड़े उद्योगपति और कई बड़े नेताओं के खिलाफ जांच के आदेश दिए थे। तब महज 49 दिन मुख्यमंत्री रहे केजरीवाल ने इस्तीफा देने से पहले फरवरी 2014 में गैस की कीमत दोगुनी करने के मामले मे मुकेश अंबानी, वीरप्पा मोईली, मुरली देवड़ा और वीके सिब्बल के खिलाफ एफआईआर के आदेश दिए थे। वह मामला तो आगे नहीं बढ़ा लेकिन मुकेश अंबानी, वीरप्पा मोईली और मुरली देवड़ा से शुरू करके केजरीवाल अब तेजिंदर बग्गा जैसे अदने नेता तक पहुंचे हैं। अब वे बड़े उद्योगपतियों और बड़े नेताओं के खिलाफ नहीं बोलते हैं, बल्कि सोशल मीडिया में उनके खिलाफ टिप्पणी करने वाले छुटभैया नेताओं और एक्टिविस्टों से लड़ते है। पंजाब की पुलिस हाथ में आते ही आम आदमी पार्टी की सरकार ने कुमार विश्वास, अलका लांबा, तेजिंदर बग्गा, प्रीति गांधी, नवीन कुमार जिंदल जैसे लोगों के खिलाफ मुकदमे किए हैं और उनको गिरफ्तार करने के लिए घूम रही है। कहां तो केजरीवाल शरद पवार, पी. चिदंबरम, नितिन गडकरी पर आरोप लगाते थे और मुकेश अंबानी पर मुकदमे करते थे और अब सोशल मीडिया के छुटभैया एक्टिविस्टों के पीछे पड़े हैं।

यूपी में राज ठाकरे के विरोध का मतलब 

सब जानते हैं कि महाराष्ट्र में उग्र हिंदुत्ववादी तेवर अपनाते हुए शिव सेना और राज्य सरकार के खिलाफ जो मोर्चा खोल रखा है उसके पीछे भाजपा की मदद है। उन्होंने मस्जिदों पर से लाउड स्पीकर उतरवाने का अभियान छेड़ा रखा है और वे अजान के वक्त हनुमान चालीसा का पाठ करवा रहे हैं। उनके इस अभियान को भाजपा पूरा समर्थन दे रही है। इसीलिए जब यह खबर आई कि पांच जून की उनकी अयोध्या यात्रा का भाजपा के सांसद ब्रजभूषण शरण सिंह विरोध कर रहे है तो हैरानी हुई। लेकिन यह विरोध भी भाजपा का दांव है। ब्रजभूषण शरण सिंह कह रहे है कि उत्तर भारतीयों और हिंदी भाषियों पर राज ठाकरे ने जो हमले करवाए हैं, उनके लिए राज ठाकरे माफी मांगेंगे तब ही उनको अयोध्या मे घुसने दिया जाएगा। गोंडा के सांसद ब्रजभूषण शरण सिंह का यह दांव भाजपा की ही रणनीति का हिस्सा है। भाजपा को पता है कि महाराष्ट्र में शिव सेना की असली ताकत कट्टर हिंदू नहीं, बल्कि मराठी मानुष है। वह हमेशा मराठी अस्मिता की बात करती है। ऐसे में सिर्फ कट्टर हिंदू के वोट की राजनीति से शिव सेना को नुकसान नहीं पहुंचाया जा सकता है। लेकिन अगर मराठी मानुष के वोट में सेंध लगे तो उसको दिक्कत होगी। इसीलिए राज ठाकरे की उत्तर भारतीय विरोधी नेता की छवि को चमकाया जा रहा है। इससे मराठी मानुष का उनके प्रति रूझान बढ़ेगा। अगर थोड़ा बहुत वोट भी वे काटते हैं तो भाजपा के लिए काफी फायदेमंद होगा। 

भाजपा विरोधी दलित नेताओं पर शिकंजा

ऐसा लग रहा है कि पिछले कुछ सालों की राजनीति मे ब्रांड बन कर उभरे दलित समुदाय के नेता भाजपा की आंखों में बुरी तरह चुभ रहे हैं। इसलिए वह अपने दलित नेताओं का एक ब्रांड बना रही है, लेकिन वे ब्रांड तभी बन पाएंगे, जब पुराने या हाल के समय में तेजी से उभरे दलित नेताओं का महत्व कम होगा या वे परेशान होंगे। इसीलिए हाल के दिनों में भाजपा विरोधी कई दलित नेता अलग-अलग कारणों से मुश्किल में फंसे हैं या उन्हें फंसाया गया है। एक तरफ भाजपा ने विजय सांपला से लेकर संजय पासवान, बेबी रानी मौर्य और असीम अरुण को आगे किया है तो दूसरी ओर जिग्नेश मेवाणी, चंद्रशेखर आजाद, चिराग पासवान, चरणजीत सिह चन्नी आदि पर शिकंजा कसा है। गुजरात मे दलित आईकॉन के तौर पर उभरे जिग्नेश मेवाणी को असम पुलिस ने सबक सिखाया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आलोचना वाले एक ट्वीट के खिलाफ दर्ज मुकदमे की वजह से असम पुलिस ने मेवाणी को गिरफ्तार किया और कई दिन तक उन्हें हिरासत में रखा। यही नहीं, उनके खिलाफ महिला पुलिसकर्मी से बदतमीजी का मुकदमा भी अलग दर्ज कर दिया गया। यह और बात है कि असम पुलिस को इसके लिए अदालत से कड़ी फटकार सुनना पडी। उत्तर प्रदेश के पिछले विधानसभा चुनाव में गोरखपुर से चुनाव लड़ने वाले चंद्रशेखर आजाद पर भी अनेक मुकदमे हैं और वे भी काफी समय जेल मे रहे हैं। इसी तरह रामविलास पासवान के बेटे चिराग पासवान से सरकार ने 12, जनपथ का बंगला जबरदस्ती खाली करा लिया। उनका खुद को नरेंद्र मोदी का हनुमान बताना भी काम नहीं आया। पंजाब में मुख्यमंत्री बनने के बाद दलित चेहरे के तौर पर तेजी से उभरे चरणजीत सिंह चन्नी की मुश्किलें भी कई गुना बढ़ी हैं। उनके भांजे के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय की कार्रवाई की आंच कभी भी उन तक पहुंच सकती है। गौरतलब है कि उनके मुख्यमंत्री बनने के तीन महीने के अंदर उनके भांजे पर कार्रवाई हुई थी और कई करोड़ रुपए बरामद हुए थे।

गलत परंपरा को आगे बढ़ा रही है पुलिस

एक राज्य की पुलिस को दूसरे राज्य में जाकर किसी आरोपी को गिरफ्तार करने के लिए दो बातें जरूरी है। अगर पुलिस आरोपी का पीछा करते हुए किसी दूसरे राज्य की सीमा में घुस जाए तो अलग बात है अन्यथा उसे पहले वारंट लेना होता है या संबंधित राज्य की पुलिस को सूचना देनी होती है। पिछले दिनों पंजाब पुलिस ने दिल्ली में भाजपा के एक नेता तेजिदर बग्गा को गिरफ्तार किया तो उसने सक्षम प्राधिकारी से गिरफ्तारी का वारंट नहीं लिया था और दिल्ली पुलिस के मुताबिक पंजाब पुलिस ने उसे सूचना भी नहीं थी। हालांकि पंजाब पुलिस कह रही है कि उसने सूचना दी थी। वस्तुस्थिति जो भी हो लेकिन यह तय है कि पंजाब पुलिस ने पिछले कुछ सालों में शुरू हुई गलत परंपरा को ही आगे बढ़ाया है। पिछले कई सालों से भाजपा शासित राज्यों की पुलिस दूसरे राज्य में जाकर गिरफ्तारियां कर रही है। चूंकि ज्यादातर राज्यों में भाजपा या उसकी सहयोगी पार्टियों की सरकारें हैं, इसलिए वैसे विवाद कम हुए, जैसा अभी तेजिंदर बग्गा के मामले में हुआ है। इससे पहले असम की पुलिस ने गुजरात जाकर आधी रात को विधायक जिग्नेश मेवानी को गिरफ्तार किया था और असम ले गई थी, जिस पर काफी विवाद हुआ था और अदालत ने असम पुलिस को कड़ी फटकार लगाई थी। इसी तरह दिल्ली पुलिस ने किसान आंदोलन के समय बेंगलुरू जाकर दिशा रवि को गिरफ्तार किया था। उससे पहले उत्तर प्रदेश पुलिस ने बिना दिल्ली पुलिस को बताए जेएनयू के छात्र संदीप सिंह को गिरफ्तार किया था और उससे बहुत पहले रमन सिंह की सरकार के समय छत्तीसगढ़ की पुलिस पत्रकार विनोद वर्मा को गाजियाबाद से गिरफ्तार करके ले गई थी।

गांगुली पर फिर डोरे डाल रही है भाजपा 

भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान और भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड के अध्यक्ष सौरव गांगुली पश्चिम बंगाल के सबसे बड़े जीवित आईकॉन माने जाते है। इसलिए भाजपा अभी भी उन पर डोरे डाल रही है। पिछले कई सालों से कोशिश की जा रही है कि वे भाजपा में शामिल होकर पश्चिम बंगाल में पार्टी का चेहरा बन जाएं। इस कोशिश की शुरूआत तब से चल रही है जब नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बने थे। लेकिन गांगुली ने पार्टी को निराश किया था। फिर 2019 के लोकसभा चुनाव के समय कोशिश शुरू हुई जो अब भी जारी है। इसी कोशिश के तहत गृह मंत्री अमित शाह हाल ही में दो दिन के बंगाल दौरे पर गए तो वे सौरव गांगुली से भी मिले और उनके घर पर उनके परिवार के साथ भोजन किया। असल में शाह की यह कवायद अगले लोकसभा चुनाव से पहले की भाजपा की तैयारियों का हिस्सा है। भाजपा को पता है कि इस बार ममता बनर्जी जिस अंदाज में विधानसभा चुनाव जीती हैं और अगले लोकसभा चुनाव की वे जैसी तैयारी कर रही हैं, उसमें भाजपा के लिए अपनी जीती हुई 18 सीटें बचाने में मुश्किल आएगी। भाजपा अपनी सीटें तभी बचा पाएगी, जब वह बंगाली अस्मिता का ममता से बड़ा दांव खेले। वह दांव सिर्फ सौरव गांगुली का चेहरा हो सकता है। पिछले साल विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा ने बड़ी कोशिश की थी कि वे पार्टी मे शामिल हो जाएं। लेकिन वे इससे बचते रहे। अब नए सिरे से भाजपा यह प्रयास कर रही है। गांगुली का पहला प्यार क्रिकेट है। वे उसे नहीं छोड़ना चाहते। राजनीति में भी उनके और उनके परिवार की पसंद सीपीएम रही है। उनके सक्रिय राजनीति में आने से ममता बनर्जी से उनका टकराव होगा और यह भी उनका परिवार नहीं चाहता है।

ये भी पढ़ें: ख़बरों के आगे-पीछे: केजरीवाल के ‘गुजरात प्लान’ से लेकर रिजर्व बैंक तक

President of India
Arvind Kejriwal
RBI (2787
forex reserves
Raj Thackeray

Related Stories

PM की इतनी बेअदबी क्यों कर रहे हैं CM? आख़िर कौन है ज़िम्मेदार?

ख़बरों के आगे-पीछे: MCD के बाद क्या ख़त्म हो सकती है दिल्ली विधानसभा?

ख़बरों के आगे-पीछे: पंजाब पुलिस का दिल्ली में इस्तेमाल करते केजरीवाल

अब राज ठाकरे के जरिये ‘लाउडस्पीकर’ की राजनीति

ख़बरों के आगे-पीछे: राष्ट्रीय पार्टी के दर्ज़े के पास पहुँची आप पार्टी से लेकर मोदी की ‘भगवा टोपी’ तक

ख़बरों के आगे-पीछे: केजरीवाल मॉडल ऑफ़ गवर्नेंस से लेकर पंजाब के नए राजनीतिक युग तक

ख़बरों के आगे-पीछे: 23 हज़ार करोड़ के बैंकिंग घोटाले से लेकर केजरीवाल के सर्वे तक..

ख़बरों के आगे पीछे: हिंदुत्व की प्रयोगशाला से लेकर देशभक्ति सिलेबस तक

नज़रिया: किन वजह से याद रखी जाएगी राष्ट्रपति की उत्तर प्रदेश यात्रा

दिल्ली की स्वास्थ्य सेवाएं और संरचनाएं: 2013 से कितना आगे बढ़े हम


बाकी खबरें

  • blast
    न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    हापुड़ अग्निकांड: कम से कम 13 लोगों की मौत, किसान-मजदूर संघ ने किया प्रदर्शन
    05 Jun 2022
    हापुड़ में एक ब्लायलर फैक्ट्री में ब्लास्ट के कारण करीब 13 मज़दूरों की मौत हो गई, जिसके बाद से लगातार किसान और मज़दूर संघ ग़ैर कानूनी फैक्ट्रियों को बंद कराने के लिए सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर रही…
  • Adhar
    अनिल जैन
    ख़बरों के आगे-पीछे: आधार पर अब खुली सरकार की नींद
    05 Jun 2022
    हर हफ़्ते की तरह इस सप्ताह की जरूरी ख़बरों को लेकर फिर हाज़िर हैं लेखक अनिल जैन
  • डॉ. द्रोण कुमार शर्मा
    तिरछी नज़र: सरकार जी के आठ वर्ष
    05 Jun 2022
    हमारे वर्तमान सरकार जी पिछले आठ वर्षों से हमारे सरकार जी हैं। ऐसा नहीं है कि सरकार जी भविष्य में सिर्फ अपने पहनावे और खान-पान को लेकर ही जाने जाएंगे। वे तो अपने कथनों (quotes) के लिए भी याद किए…
  • न्यूज़क्लिक डेस्क
    इतवार की कविता : एरिन हेंसन की कविता 'नॉट' का तर्जुमा
    05 Jun 2022
    इतवार की कविता में आज पढ़िये ऑस्ट्रेलियाई कवयित्री एरिन हेंसन की कविता 'नॉट' जिसका हिंदी तर्जुमा किया है योगेंद्र दत्त त्यागी ने।
  • राजेंद्र शर्मा
    कटाक्ष: मोदी जी का राज और कश्मीरी पंडित
    04 Jun 2022
    देशभक्तों ने कहां सोचा था कि कश्मीरी पंडित इतने स्वार्थी हो जाएंगे। मोदी जी के डाइरेक्ट राज में भी कश्मीर में असुरक्षा का शोर मचाएंगे।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License