NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
राजनीति
अंतरराष्ट्रीय
इराकः छह महीने तक चली राजनीतिक उठापटक के बाद मुस्तफ़ा अल-कदीमी को संसद की मंज़ूरी
कार्यवाहक प्रधानमंत्री आदेल अब्दुल महदी की जगह नए प्रधानमंत्री लेंगे। महदी को जन दबाव के चलते पिछले साल इस्तीफ़ा देना पड़ा था।
पीपल्स डिस्पैच
07 May 2020
 मुस्तफ़ा अल-कदीमी

पूर्व पत्रकार और खुफिया प्रमुख मुस्तफा अल-कदीमी को बुधवार 6 मई को क़रीब छह महीने तक चली राजनीतिक उठापटक के बाद इराकी संसद की मंज़ूरी मिल गई। इराकी संसद ने कुछ नामों को ख़ारिज करते हुए उनके अधिकांश कैबिनेट सहयोगियों को भी मंज़ूरी दे दी।

पिछले साल नवंबर में आदेल अब्दुल महदी के इस्तीफ़े के बाद से इराक़ में प्रधानमंत्री का पद ख़ाली था। अक्टूबर में नौकरियों की मांग और अपनी आर्थिक परेशानियों को ख़त्म करने के लिए सड़कों पर उतरे आम इराकियों का विश्वास जीतने में विफल रहने के बाद महदी ने इस्तीफ़ा दे दिया था। प्रदर्शनकारियों ने व्यापक भ्रष्टाचार के लिए इराक में सत्तारूढ़ विशिष्ट वर्ग को दोषी ठहराया और देश की राजनीतिक व्यवस्था में परिवर्तन की मांग की।

महदी तब से कार्यवाहक प्रधानमंत्री के रूप में कार्य कर रहे हैं। उनकी जगह लेने के लिए दो अन्य उम्मीदवारों (तौफीक अल्लावी और अदनान अल जुरफी) को राष्ट्रपति बारहाम सलेह द्वारा मनोनित किया गया था, जिन्हें संसद के भीतर समर्थन की कमी के कारण संसद की मंज़ूरी प्राप्त करने के लिए अपने अभियान को छोड़ने के लिए मजबूर किया गया था।

कादिमी ने कहा है कि वह देश में कोरोना वायरस महामारी से निपटने को प्राथमिकता देंगे और विरोध प्रदर्शनों के दौरान मारे गए प्रदर्शनकारियों के लिए न्याय की भी मांग करेंगे। पिछले कुछ महीनों में सुरक्षा बलों द्वारा 500 से अधिक प्रदर्शनकारियों को मार दिया गया है।

इराक में अब तक COVID-19 संक्रमण के 2400 से अधिक मामले सामने आए हैं जिसमें 102 लोगों की मौत हो गई है। इराक में संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए अप्रैल महीने में रात के समय कर्फ्यू के साथ सभी प्रकार की सभाओं पर प्रतिबंध लगा दिया है।

संसद द्वारा मंज़ूर किए गए कदिमी के कैबिनेट में 15 सदस्य हैं जिनमें एक महिला सदस्य हैं। 4 अन्य नामों को संसद ने ख़ारिज कर दिया है।

कादिमी के सामने चुनौतीपूर्ण कार्य होंगे। अमेरिका द्वारा इस साल जनवरी महीने में ईरानी शीर्ष जनरल क़ासिम सुलेमानी और अबू महदी अल-मुहंदिस की हत्या से पैदा हुई स्थिति ने इराकी संसद को देश से विदेशी सैनिकों की वापसी की मांग के लिए एक प्रस्ताव पारित करने को मजबूर किया।

COVID-19 के चलते लॉकडाउन के कारण और विश्व बाज़ार में तेल और गैस की क़ीमतों में गिरावट के कारण इराकी अर्थव्यवस्था जो पहले से ही दबाव में है यह विश्व बैंक के अनुसार लगभग 10% तक कम हो सकती है। इराक ऊर्जा संसाधनों के मुख्य उत्पादकों और आपूर्तिकर्ताओं में से एक है और इसकी अर्थव्यवस्था इस पर बहुत अधिक निर्भर है।

अन्य प्रमुख मुद्दे देश में आईएसआईएस के पुनरुत्थान और बढ़ती बेरोज़गारी व ग़रीबी है।

कादिमी ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर लिखा, "इराक की संप्रभुता, सुरक्षा, स्थिरता और समृद्धि ही हमारा मार्ग है।"

साभार : पीपल्स डिस्पैच 

Iraq
Mustafa al-Qadimi
journalist
Adil Abdul-Mahdi

Related Stories

नागरिकों से बदले पर उतारू सरकार, बलिया-पत्रकार एकता दिखाती राह

बलिया पेपर लीक मामला: ज़मानत पर रिहा पत्रकारों का जगह-जगह स्वागत, लेकिन लड़ाई अभी बाक़ी है

जीत गया बलिया के पत्रकारों का 'संघर्ष', संगीन धाराएं हटाई गई, सभी ज़मानत पर छूटे

बलिया: पत्रकारों की रिहाई के लिए आंदोलन तेज़, कलेक्ट्रेट घेरने आज़मगढ़-बनारस तक से पहुंचे पत्रकार व समाजसेवी

पत्रकारों के समर्थन में बलिया में ऐतिहासिक बंद, पूरे ज़िले में जुलूस-प्रदर्शन

तिरछी नज़र: कुछ भी मत छापो, श..श..श… देश में सब गोपनीय है

सीधी प्रकरण: अस्वीकार्य है कला, संस्कृति और पत्रकारिता पर अमानवीयता

पेपर लीक प्रकरणः ख़बर लिखने पर जेल भेजे गए पत्रकारों की रिहाई के लिए बलिया में जुलूस-प्रदर्शन, कलेक्ट्रेट का घेराव

यूपी बोर्डः पेपर लीक प्रकरण में "अमर उजाला" ने जेल जाने वाले अपने ही पत्रकारों से क्यों झाड़ लिया पल्ला?

उत्तर प्रदेश: पेपर लीक की रिपोर्ट करने वाले पत्रकार गिरफ्तार


बाकी खबरें

  • शारिब अहमद खान
    ईरानी नागरिक एक बार फिर सड़कों पर, आम ज़रूरत की वस्तुओं के दामों में अचानक 300% की वृद्धि
    28 May 2022
    ईरान एक बार फिर से आंदोलन की राह पर है, इस बार वजह सरकार द्वारा आम ज़रूरत की चीजों पर मिलने वाली सब्सिडी का खात्मा है। सब्सिडी खत्म होने के कारण रातों-रात कई वस्तुओं के दामों मे 300% से भी अधिक की…
  • डॉ. राजू पाण्डेय
    विचार: सांप्रदायिकता से संघर्ष को स्थगित रखना घातक
    28 May 2022
    हिंसा का अंत नहीं होता। घात-प्रतिघात, आक्रमण-प्रत्याक्रमण, अत्याचार-प्रतिशोध - यह सारे शब्द युग्म हिंसा को अंतहीन बना देते हैं। यह नाभिकीय विखंडन की चेन रिएक्शन की तरह होती है। सर्वनाश ही इसका अंत है।
  • सत्यम् तिवारी
    अजमेर : ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ की दरगाह के मायने और उन्हें बदनाम करने की साज़िश
    27 May 2022
    दरगाह अजमेर शरीफ़ के नीचे मंदिर होने के दावे पर सलमान चिश्ती कहते हैं, "यह कोई भूल से उठाया क़दम नहीं है बल्कि एक साज़िश है जिससे कोई मसला बने और देश को नुकसान हो। दरगाह अजमेर शरीफ़ 'लिविंग हिस्ट्री' है…
  • अजय सिंह
    यासीन मलिक को उम्रक़ैद : कश्मीरियों का अलगाव और बढ़ेगा
    27 May 2022
    यासीन मलिक ऐसे कश्मीरी नेता हैं, जिनसे भारत के दो भूतपूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और मनमोहन सिंह मिलते रहे हैं और कश्मीर के मसले पर विचार-विमर्श करते रहे हैं। सवाल है, अगर यासीन मलिक इतने ही…
  • रवि शंकर दुबे
    प. बंगाल : अब राज्यपाल नहीं मुख्यमंत्री होंगे विश्वविद्यालयों के कुलपति
    27 May 2022
    प. बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बड़ा फ़ैसला लेते हुए राज्यपाल की शक्तियों को कम किया है। उन्होंने ऐलान किया कि अब विश्वविद्यालयों में राज्यपाल की जगह मुख्यमंत्री संभालेगा कुलपति पद का कार्यभार।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License