NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
आंदोलन
भारत
राजनीति
जेएनयू : आरटीआई के बाद पुलिस की रिपोर्ट से भी जेएनयू प्रशासन का झूठ सामने आया!
दिल्ली पुलिस ने जानकारी दी है कि जेएनयू में पांच जनवरी की हिंसा से पहले पुलिस ने विश्वविद्यालय प्रशासन को कम से कम चार बार पत्र लिखकर जेएनयू छात्र संघ के साथ संवाद करने की पहल करने को कहा था।
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
22 Jan 2020
JNU

दिल्ली: जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के पूरे घटनाक्रम को लेकर कई खुलासे हो रहे हैं, जो प्रशासन की लापरवाही को और जानबूझकर अंदोलन को भड़काने की बात को ही उजागर कर रहे हैं। इसी कड़ी में दिल्ली पुलिस ने जानकारी दी है कि जेएनयू में पांच जनवरी की हिंसा से पहले दिल्ली पुलिस ने विश्वविद्यालय प्रशासन को कम से कम चार बार पत्र लिखकर जेएनयू छात्र संघ के साथ संवाद करने की पहल करने को कहा था। एक वरिष्ठ अधिकारी ने मंगलवार को बताया कि ये पत्र पिछले साल नवंबर और दिसंबर के बीच लिखे गए थे।
 

वसंत कुंज (उत्तर) थाने के प्रभारी ने 26 नवंबर को जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के रजिस्ट्रार को पत्र लिखकर कहा था कि छात्रावास शुल्क वृद्धि के खिलाफ 18 नवंबर को प्रदर्शन मार्च के दौरान पुलिस द्वारा दो बार छात्रों को रोका गया। इस दौरान कानून व्यवस्था का मुद्दा पैदा हो गया।
नौ नवंबर को छात्रों के एक और प्रदर्शन का हवाला देते हुए पत्र में कहा गया कि जेएनयू प्रशासन की ओर से छात्रों से मिलने कोई नहीं आया।

यही बात छात्र लंबे समय से कर रहे है कि कुलपति या प्रशासन का कोई भी अधिकारी उनकी समस्या को लेकर चर्चा करने को तैयार नहीं है। छात्रों के इन बताओ को अब दिल्ली पुलिस भी सत्यापित कर रही है।
पुलिस के लैटर का एक यह हिस्सा यहाँ देख सकते है कि पुलिस ने कैसे जेएनयू प्रशासन को छात्रों से मिलने को कहा लेकिन प्रशासन ने ऐसा नहीं किया।

JNU.jpg

इसके अलावा मंगलवार को एक आरटीआई ने हिंसा और प्रशासन के दावों को लकेर कई खुलासे किये। आरटीआई से खुलासा हुआ कि जेएनयू के सर्वर रूम में बायोमीट्रिक प्रणाली और सीसीटीवी संबंधी तोड़फोड़ जनवरी के पहले सप्ताह में नहीं हुई थी।विश्वविद्यालय ने यह बात एक आरटीआई आवेदन के जवाब में कही है।

यह विश्वविद्यालय प्रशासन के उन दावों के विपरीत है जिनमें कहा गया था कि छात्रों ने तीन जनवरी को बायोमीट्रिक प्रणाली और सीसीटीवी कैमरों को तोड़ दिया था।

नेशनल कैम्पेन फॉर पीपुल्स राइट टू इन्फॉर्मेशन के सदस्य सौरव दास ने आरटीआई के तहत आवेदन दायर कर यह जानकारी मांगी थी।

विश्वविद्यालय द्वारा दी गई जानकारी में कहा गया है कि सेंटर फॉर इन्फॉर्मेशन सिस्टम (सीआईएस) में जेएनयू का मुख्य सर्वर तीन जनवरी को बंद हुआ था और अगले दिन यह ‘‘विद्युत आपूर्ति में बाधा की वजह से’’ ठप हो गया।

जवाब में यह भी कहा गया है कि पांच जनवरी को अपराह्न तीन बजे से रात 11 बजे तक जेएनयू परिसर के उत्तरी/मुख्य द्वार पर लगे कैमरों की कोई पूरी सीसीटीवी फुटेज उपलब्ध नहीं है जिस दिन नकाबपोश लोगों ने परिसर में प्रवेश किया था और छात्रों तथा शिक्षकों पर हमला किया था।

जेएनयू प्रशासन ने तीन जनवरी को दावा किया था कि नक़ाब पहने छात्रों के एक समूह ने सीआईएस में जबरन प्रवेश किया और विद्युत आपूर्ति बंद कर दी जिससे सर्वर, सीसीटीवी निगरानी, बायोमीट्रिक उपस्थिति और इंटरनेट सेवाएं निष्क्रिय हो गईं।

आरटीआई आवेदन के जवाब में कहा गया, ‘‘जेएनयू का मुख्य सर्वर तीन जनवरी को बंद हुआ और अगले दिन विद्युत आपूर्ति ठप होने से ठप हो गया।’’

इसमें कहा गया, ‘‘30 दिसंबर 2019 से आठ जनवरी 2020 के बीच कोई सीसीटीवी कैमरा नहीं टूटा।’’

जवाब में यह भी कहा गया कि चार जनवरी को दोपहर एक बजे 17 फाइबर ऑप्टीकल केबल नष्ट हुईं। 30 दिसंबर 2019 से आठ जनवरी 2020 के बीच कोई बायोमीट्रिक प्रणाली नहीं टूटी।

आरटीआई आवेदन में यह भी पूछा गया कि क्या जेएनयू परिसर में सीआईएस कार्यालय के भीतर या आसपास सीसीटीवी कैमरों के सर्वर हैं।

इसके जवाब में कहा गया कि सीसीटीवी कैमरों के सर्वर डेटा सेंटर में हैं, न कि सीआईएस कार्यालय में। इसमें यह भी कहा गया, ‘‘सीसीटीवी कैमरों की अवस्थिति का विवरण सुरक्षा कारणों से उपलब्ध नहीं कराया जा सकता।’’

आवेदन में यह भी पूछा गया कि 25 दिसंबर 2019 से आठ जनवरी 2020 तक तकनीकी खामी या समस्या की वजह से जेएनयू की वेबसाइट कितनी बार बंद हुई।

इसके जवाब में कहा गया कि इस अवधि में वेबसाइट वैकल्पिक बैकअप प्रबंधों की वजह से लगातार चलती रही।

हालाँकि 5 जनवरी की हिंसा के बाद, जेएनयू प्रशासन ने दावा किया था कि इस महीने की पहली और चौथी तारीख को जेएनयू में हमला हुआ था, जिसमें 4 जनवरी को विश्वविद्यालय के डेटा सेंटर को निशाना बनाया गया था। इसी तरह, प्रशासन ने कहा था कि इस हमले का नेतृत्व छात्रसंघ के लोगों ने किया था।

जेएनयू छात्र संघ के अध्यक्ष आइशी घोष ने कहा कि यह सब खुलासे हमारे पुराने रुख की पुष्टि करते हैं कि हिंसा पूर्व नियोजित थी। हमले से पहले साबरमती हॉस्टल में साजिश के तहत रोशनी बंद की गई थी,यह कोई एक संयोग नहीं था।

न्यूज़क्लिक से बात करते हुए, घोष ने कहा कि आरटीआई हिंसा की तस्वीर कई तरीकों से साफ़ करता है। उन्होंने कहा, "वीसी द्वारा लगाए गए झूठे आरोप 5 तारीख को हुई घटना से ध्यान हटाने का एक जानबूझकर किया गया प्रयास है ... वीडियो सबूत हैं कि एबीवीपी ने कैसे स्कूल ऑफ बायोटेक्नोलॉजी के पास वास्तविक में हिंसा की थी।" पंजीकरण प्रभावित करने के मुद्दे पर प्रशासन झूठ बोल रहा है।

विश्वविद्यालय से इस बारे में तत्काल कोई टिप्पणी उपलब्ध नहीं हुई है।
अगर हम इस पूरे घटनाक्रम और अब जो नए खुलासे जो हो रहे हैं। उन्हें देखें, चाहे वो पुलिस की चिट्ठी हो या फिर आरटीआई के माध्यम से जो जानकरी मिली है। वो जेएनयू प्रशासन पर कई गंभीर सवाल खड़ा करते हैं कि क्या प्रशासन नहीं चाहता था की छात्रों और जेएनयू प्रशासन के बीच का गतिरोध खत्म हो। क्योंकि अगर वो ऐसा चाहता था तो फिर प्रशासन का कोई भी अधिकारी छात्रों से मिलकर बात क्यों नहीं कर रहा था। इस बात की पुष्टि दिल्ली पुलिस ने खुद की है की उन्होंने चार बार प्रशासन से अनुरोध किया की वो छात्रों के साथ मिलाकर बात करे लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया। क्यों ? इसके पीछे उनकी क्या मंशा थी। इसका जवाब प्रशासन को देना है।

(समाचार एजेंसी भाषा इनपुट के साथ)

JNU
JNUSU
delhi police
JNU VC
RTI

Related Stories

जेएनयू: अर्जित वेतन के लिए कर्मचारियों की हड़ताल जारी, आंदोलन का साथ देने पर छात्रसंघ की पूर्व अध्यक्ष की एंट्री बैन!

मुस्लिम विरोधी हिंसा के ख़िलाफ़ अमन का संदेश देने के लिए एकजुट हुए दिल्ली के नागरिक

‘जेएनयू छात्रों पर हिंसा बर्दाश्त नहीं, पुलिस फ़ौरन कार्रवाई करे’ बोले DU, AUD के छात्र

जेएनयू हिंसा: प्रदर्शनकारियों ने कहा- कोई भी हमें यह नहीं बता सकता कि हमें क्या खाना चाहिए

JNU में खाने की नहीं सांस्कृतिक विविधता बचाने और जीने की आज़ादी की लड़ाई

नौजवान आत्मघात नहीं, रोज़गार और लोकतंत्र के लिए संयुक्त संघर्ष के रास्ते पर आगे बढ़ें

दिल्ली दंगों के दो साल: इंसाफ़ के लिए भटकते पीड़ित, तारीख़ पर मिलती तारीख़

दिल्ली: प्रदर्शन कर रहे डॉक्टरों पर पुलिस का बल प्रयोग, नाराज़ डॉक्टरों ने काम बंद का किया ऐलान

किसान आंदोलन@378 : कब, क्या और कैसे… पूरे 13 महीने का ब्योरा

दिल्ली: ऐक्टू ने किया निर्माण मज़दूरों के सवालों पर प्रदर्शन


बाकी खबरें

  • संदीपन तालुकदार
    वैज्ञानिकों ने कहा- धरती के 44% हिस्से को बायोडायवर्सिटी और इकोसिस्टम के की सुरक्षा के लिए संरक्षण की आवश्यकता है
    04 Jun 2022
    यह अध्ययन अत्यंत महत्वपूर्ण है क्योंकि दुनिया भर की सरकारें जैव विविधता संरक्षण के लिए अपने  लक्ष्य निर्धारित करना शुरू कर चुकी हैं, जो विशेषज्ञों को लगता है कि अगले दशक के लिए एजेंडा बनाएगा।
  • सोनिया यादव
    हैदराबाद : मर्सिडीज़ गैंगरेप को क्या राजनीतिक कारणों से दबाया जा रहा है?
    04 Jun 2022
    17 साल की नाबालिग़ से कथित गैंगरेप का मामला हाई-प्रोफ़ाइल होने की वजह से प्रदेश में एक राजनीतिक विवाद का कारण बन गया है।
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    छत्तीसगढ़ : दो सूत्रीय मांगों को लेकर बड़ी संख्या में मनरेगा कर्मियों ने इस्तीफ़ा दिया
    04 Jun 2022
    राज्य में बड़ी संख्या में मनरेगा कर्मियों ने इस्तीफ़ा दे दिया है। दो दिन पहले इन कर्मियों के महासंघ की ओर से मांग न मानने पर सामूहिक इस्तीफ़े का ऐलान किया गया था।
  • bulldozer politics
    न्यूज़क्लिक टीम
    वे डरते हैं...तमाम गोला-बारूद पुलिस-फ़ौज और बुलडोज़र के बावजूद!
    04 Jun 2022
    बुलडोज़र क्या है? सत्ता का यंत्र… ताक़त का नशा, जो कुचल देता है ग़रीबों के आशियाने... और यह कोई यह ऐरा-गैरा बुलडोज़र नहीं यह हिंदुत्व फ़ासीवादी बुलडोज़र है, इस्लामोफ़ोबिया के मंत्र से यह चलता है……
  • आज का कार्टून
    कार्टून क्लिक: उनकी ‘शाखा’, उनके ‘पौधे’
    04 Jun 2022
    यूं तो आरएसएस पौधे नहीं ‘शाखा’ लगाता है, लेकिन उसके छात्र संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) ने एक करोड़ पौधे लगाने का ऐलान किया है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License