NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
आंदोलन
शिक्षा
भारत
राजनीति
जेएनयू: हॉस्टल फीस में भारी वृद्धि, छात्रों में भारी नाराज़गी
दिल्ली के जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के छात्र इंटर हॉस्टल कमेटी की तरफ से लिए गए फैसलों के विरोध में है। इसमें हॉस्टल फीस में इजाफे समेत तमाम बदलाव किए गए हैं।
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
31 Oct 2019
JNU

'अगर सरकार हॉस्टल और अन्य शुल्क बढ़ाती है तो मुझे क्या करना चाहिए? क्या मेरे पास कोई विकल्प है। जो फीस अभी है वहीं मेरा परिवार मुश्किल से दे पा रहा है।' ये जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में राजनीति विज्ञान में एमए के एक छात्र के शब्द थे। उनके ये शब्द आर्थिक रूप से बहुत ही कमजोर पृष्ठभूमि से आने वाले कई छात्रों की भावनाओं को व्यक्त कर रहे हैं। ये सभी छात्र हॉस्टल में जबरदस्त फीस बढ़ोतरी और अन्य बढ़ोतरी के खिलाफ विरोध कर रहे हैं। आपको बता दें कि एक बंद कमरे में इंटर-हॉल एडमिनिस्ट्रेशन की बैठक में जेएनयू प्रशासन ने नए हॉस्टल मैनुअल को अपनी मंजूरी दी, जिसे कई छात्रों ने बहिष्करण यानि उन्हें हॉस्टल से बेदखल करना कहा है।

नए पारित प्रावधानों के तहत, हॉस्टल शुल्क को कथित रूप से 10 रुपये से बढ़ाकर 1,500 रुपये प्रति माह कर दिया गया है। इसके अतिरिक्त उनसे बिजली और पानी बिल लिया जाएगा। इसी तरह मेस शुल्क भी बढ़ाया गया है। इसको लेकर कई छात्रों ने कहा कि यह कदम ऐसा है जिससे उन्हें पढ़ाई छोड़नी पड़ेगी।

शुभोजित, रिएजनल डेवलपमेंट स्टडीज में पीएचडी के छात्र हैं। उन्होंने न्यूज़क्लिक को बताया कि विश्वविद्यालय में अधिकतम छात्र निम्न मध्यम वर्ग के परिवारों से आते हैं। उनके लिए लगातार महंगी होती शिक्षा हासिल करना आसान नहीं होगा।  

उन्होंने कहा, 'मैंने विश्वविद्यालय की पिछले वर्षों की वार्षिक रिपोर्ट देखी। एक रिपोर्ट में, विश्वविद्यालय ने स्वीकार किया है कि लगभग 60% छात्र प्रतिवर्ष 1 लाख रुपये से कम आय वाले परिवारों से हैं। इस स्थिति में प्रशासन छात्रों को प्रति माह लगभग 4,200 रुपये का भुगतान करना होता है। यदि हम इसे 12 से गुणा करते हैं, तो हम पाते हैं कि एक छात्र को प्रति वर्ष 50,400 रुपये का भुगतान करना होगा। क्या यह परिवार इस राशि को वहन कर सकते हैं?'

वहीं, एक अन्य छात्र ने कहा, 'मेरे पिता पश्चिम बंगाल में बीरभूम जिले में एक साप्ताहिक हाट (बाजार) में कपड़े बेचते हैं और हमारे परिवार का गुजार करने के लिए मुश्किल से 500-700 रुपये कमाते हैं। मैं इस आश्वासन के साथ विश्वविद्यालय आया था कि मैं उनसे अपनी पढ़ाई के लिए पैसे नहीं मांगूगा। यानि छात्रवृत्ति के सहारे अपनी पढ़ाई पूरी करूँगा। अब, इस बढ़े फीस के बाद मैं अपनी पढ़ाई कैसे जारी रखूंगा?'

लेकिन छात्रों का संघर्ष केवल फीस वृद्धि तक ही सीमित नहीं है। नए दिशानिर्देशों के अनुसार  11:00 बजे के बाद किसी भी छात्र को हॉस्टल से बाहर जाने की अनुमति नहीं है।    

इसी तरह, यह पुरुषों के छात्रावासों में महिला छात्रों के प्रवेश पर भी प्रतिबंध लगाता है। क्लॉज 2.5.5 में कहा गया है, "पुरुष छात्रों या मेहमानों सहित पुरुष को लड़कियों/ महिला छात्रावासों में जाने की अनुमति नहीं दी जाएगी, सिवाय इसके की बोनफाइड पुरुष मेहमानों को गर्ल्स हॉस्टल के डाइनिंग हॉल में मेस वार्डन द्वारा अनुमति दी जा सकती है। इसी तरह, महिला छात्रों को मेन्स हॉस्टल के डाइनिंग हॉल में अनुमति नहीं दी जा सकती है।'

इन बदलावों पर टिप्पणी करते हुए जेएनयू छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष एन साई बालाजी ने कहा कि परिवर्तन विश्वविद्यालय के चरित्र को बदल देगा। उन्होंने कहा, 'जेएनयू को अब निजीकरण की ओर धकेला जा रहा है। इसका खामियाजा अनुसूचित जाति (अनुसूचित जाति), अनुसूचित जनजाति (अनुसूचित जनजाति) और ओबीसी (अन्य पिछड़े वर्ग) समुदायों के छात्रों के अलावा अन्य लोग पर भी पड़ेगा। उदाहरण के लिए, वर्तमान हॉस्टल मैनुअल की धारा 2.2.5, जिसमें आरक्षण की संवैधानिक रूप से अनिवार्य योजना शामिल है, साथ ही अनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजाति के छात्रों को प्राथमिकता वाले छात्रावास आवंटन की नीति पूरी तरह से खत्म कर दी गई हैं।'

उन्होंने आगे कहा, 'विश्वविद्यालय नियामवली के III, IV, V, VI, VII, X, और XI जिसमें ओबीसी और शारीरिक रूप से विकलांग / नेत्रहीन विकलांग छात्रों के लिए आरक्षण नीति के आवेदन का विशिष्ट विवरण है, उन्हें पूरी तरह से हटा दिया गया है। अभी, ये छात्र कहां जाएंगे क्योंकि कैंपस पहले से ही हॉस्टल की कमी से जूझ रहा है। जाहिर है, प्रशासन के पास कोई जवाब नहीं है।'

JNU
JNUSU
New Hostel Manual
JNU Students Protest
JNU Hostels
Inter Hall Administration JNU
Fee Hike in Universities
DU fee hike

Related Stories

जेएनयू: अर्जित वेतन के लिए कर्मचारियों की हड़ताल जारी, आंदोलन का साथ देने पर छात्रसंघ की पूर्व अध्यक्ष की एंट्री बैन!

‘जेएनयू छात्रों पर हिंसा बर्दाश्त नहीं, पुलिस फ़ौरन कार्रवाई करे’ बोले DU, AUD के छात्र

जेएनयू हिंसा: प्रदर्शनकारियों ने कहा- कोई भी हमें यह नहीं बता सकता कि हमें क्या खाना चाहिए

JNU में खाने की नहीं सांस्कृतिक विविधता बचाने और जीने की आज़ादी की लड़ाई

नौजवान आत्मघात नहीं, रोज़गार और लोकतंत्र के लिए संयुक्त संघर्ष के रास्ते पर आगे बढ़ें

प्रत्यक्ष कक्षाओं की बहाली को लेकर छात्र संगठनों का रोष प्रदर्शन, जेएनयू, डीयू और जामिया करेंगे  बैठक में जल्द निर्णय

दिल्ली : विश्वविद्यालयों को खोलने की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे छात्रों को पुलिस ने हिरासत में  लिया

2020 : जेएनयू हिंसा, दंगों, सीएए-एनआरसी और किसान आंदोलन पर पुलिस का रवैया सवालों के घेरे में!

"क्या ख़ता है मेरी?" उमर ख़ालिद का गिरफ़्तारी से ठीक पहले का वीडियो

अंबेडकर विश्वविद्यालय: फ़ीस माफ़ी खत्म करने की योजना के ख़िलाफ़ छात्रों का प्रदर्शन


बाकी खबरें

  • maliyana
    न्यूज़क्लिक टीम
    मलियाना कांडः 72 मौतें, क्रूर व्यवस्था से न्याय की आस हारते 35 साल
    23 May 2022
    ग्राउंड रिपोर्ट में वरिष्ठ पत्रकार भाषा सिंह न्यूज़क्लिक की टीम के साथ पहुंची उत्तर प्रदेश के मेरठ ज़िले के मलियाना इलाके में, जहां 35 साल पहले 72 से अधिक मुसलमानों को पीएसी और दंगाइयों ने मार डाला…
  • न्यूजक्लिक रिपोर्ट
    बनारस : गंगा में नाव पलटने से छह लोग डूबे, दो लापता, दो लोगों को बचाया गया
    23 May 2022
    अचानक नाव में छेद हो गया और उसमें पानी भरने लगा। इससे पहले कि लोग कुछ समझ पाते नाव अनियंत्रित होकर गंगा में पलट गई। नाविक ने किसी सैलानी को लाइफ जैकेट नहीं पहनाया था।
  • न्यूजक्लिक रिपोर्ट
    ज्ञानवापी अपडेटः जिला जज ने सुनवाई के बाद सुरक्षित रखा अपना फैसला, हिन्दू पक्ष देखना चाहता है वीडियो फुटेज
    23 May 2022
    सोमवार को अपराह्न दो बजे जनपद न्यायाधीश अजय विश्वेसा की कोर्ट ने सुनवाई पूरी कर ली। हिंदू और मुस्लिम पक्ष की चार याचिकाओं पर जिला जज ने दलीलें सुनी और फैसला सुरक्षित रख लिया।
  • अशोक कुमार पाण्डेय
    क्यों अराजकता की ओर बढ़ता नज़र आ रहा है कश्मीर?
    23 May 2022
    2019 के बाद से जो प्रक्रियाएं अपनाई जा रही हैं, उनसे ना तो कश्मीरियों को फ़ायदा हो रहा है ना ही पंडित समुदाय को, इससे सिर्फ़ बीजेपी को लाभ मिल रहा है। बल्कि अब तो पंडित समुदाय भी बेहद कठोर ढंग से…
  • राज वाल्मीकि
    सीवर कर्मचारियों के जीवन में सुधार के लिए ज़रूरी है ठेकेदारी प्रथा का ख़ात्मा
    23 May 2022
    सीवर, संघर्ष और आजीविक सीवर कर्मचारियों के मुद्दे पर कन्वेन्शन के इस नाम से एक कार्यक्रम 21 मई 2022 को नई दिल्ली के कॉन्स्टिट्यूशन क्लब ऑफ़ इंडिया मे हुआ।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License