NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
आंदोलन
भारत
राजनीति
जामिया : पुलिस हेडक्वार्टर के बाहर रहा रात भर जागरण, तड़के हुई छात्रों की रिहाई
जेएनयू, डीयू के छात्रों, सिविल सोसाएटी और कुछ राजनीतिक दलों के नेताओं की सक्रियता और एकजुटता काम आई और हिंसा के आरोप में पकड़े गए जामिया के छात्रों को सोमवार तड़के पुलिस ने छोड़ दिया।
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
16 Dec 2019
jamia protest

दिल्ली: रविवार-सोमवार की दरमियानी रात दिल्ली बहुत देर तक जागी। कुछ लोग आईटीओ स्थित पुलिस हेडक्वार्टर पर जमा थे तो बहुत लोग टीवी स्क्रीन और फेसबुक, व्हाट्सएप पर नज़र जमाए थे। जहां हर पल का अपडेट हो रहा था। मामला वही था, नागरिकता का नया विवादित कानून और उसके विरोध में जामिया का प्रदर्शन। हालांकि रविवार को जामिया विश्वविद्यालय की ओर से प्रदर्शन की कोई CALL (आह्वान) नहीं था और जामिया के बाहर व अन्य इलाकों से प्रदर्शन शुरू हुए, लेकिन अंतत: इसकी चपेट में जामिया के ही छात्र-छात्राएं आईं 

हालांकि बाद में दिल्ली के अन्य छात्रों, सिविल सोसाएटी और कुछ राजनीतिक दलों के नेताओं की सक्रियता और हस्तक्षेप काम आया और हिंसा के आरोप में पकड़े गए जामिया के छात्रों को सोमवार तड़के पुलिस ने छोड़ दिया। हालांकि  पुलिस ने साफ कर दिया है कि वो जांच करेगी और उपद्रव में किसी भी छात्र के शामिल होने के अगर सबूत मिले तो फिर छात्रों को हिरासत में लिया जाएगा। उधर, छात्रों का कहना है कि हिंसा और आगज़नी पुलिस की तरफ़ से की गई है, उनकी तरफ से नहीं।

IMG-20191216-WA0012.jpg

आपको बता दें कि राजधानी दिल्ली में रविवार को नागरिकता संसोधन कानून के विरोध में जामिया इलाके में किया जा रहा प्रदर्शन उग्र हो गया था। कथित तौर प्रदर्शनकारियों ने तीन बसों और कुछ गाड़ियों में आग लगा दी। इसके बाद पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर भारी बल प्रयोग किया। पुलिस जामिया कैंपस में भी घुस गई और कई छात्रों को हिरासत में ले लिया।

ये ख़बर जैसे ही सोशल मीडिया और अन्य समाचार माध्यमों से फैली, तमाम छात्र संगठनों और अन्य लोगों ने आईटीओ स्थित पुलिस हेडक्वार्टर का रुख किया और फिर वहां जो जमावड़ा हुआ वो सुबह छात्रों की रिहाई के साथ ही ख़त्म हुआ।

दिल्ली पुलिस के पीआरओ एमएस रंधावा ने बताया कि हिरासत में लिए गए सभी छात्रों को छोड़ दिया गया है। इन छात्रों को कालकाजी और न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी के थाना में रखा गया था। इसके बाद तकरीबन सुबह साढ़े तीन बजे प्रदर्शनकरी पुलिस मुख्यालय से हटे। लेकिन देश के तमाम हिस्सों में प्रदर्शन जारी है।

रविवार को पुलिस मुख्यालय पर प्रदर्शन में सीपीआई के डी. राजा, सी.पी.एम. की वृंदा करात ,आम आदमी पार्टी के नेता इमरान हुसैन ,कांग्रेस के उदित राज और भीम आर्मी के चंद्रशेखर आजाद मौके पर मौजूद रहे।

भीड़ बढ़ती देख पुलिस मुख्यालय पर भारी तादाद में पुलिस बल तैनात कर दिया गया था। आईटीओ से लक्ष्मीनगर की ओर जाने वाला विकास मार्ग प्रदर्शनकारियों से भर गया था। इस प्रदर्शन में दिल्ली के छात्रों ,शिक्षकों के अलावा आम लोगों ने भी बड़ी संख्या में भाग लिया।
IMG-20191216-WA0011.jpg
ऐसे एक आम व्यक्ति शहाबुद्दीन थे जिनकी उम्र लगभग 55 वर्ष है और वो दरियागंज में मैकिनक का काम करते हैं। वो अपने पूरे परिवार के साथ पुलिस हेडक्वार्टर पहुंचे। वे अपने साथ बिस्कुट ,नमकीन और पानी की बोतल लेकर आये थे। उन्होंने वहां प्रदर्शन कर रहे छात्रों व अन्य लोगों को पानी और बिस्कुट-नमकीन दिए। उनकी साथ आईं फ़ातिमा बेगम ने कहा कि ये बच्चे देश के भविष्य के लिए सड़कों पर हैं, तो हम कैसे घरों में सो सकते हैं। पुलिस ने जिस तरह से बच्चों को मारा है वो दिल दहलाने वाला है। जब वो हमसे बात कर रही थी तो उनके आँखों में छात्रों के प्रति लगाव और पुलिस के खिलाफ गुस्सा साफ दिख रहा था। इसी तरह का गुस्सा लिए हज़ारों की संख्या में दिल्ली का नागरिक समाज रविवार पूरी रात पुलिस मुख्यालय पर डटा रहा।

इसके बाद हमने जामिया के उन छात्रों से भी बात की जिन्हें पुलिस ने रविवार शाम को हिरासत में लिया था।

"पुलिस ने बर्बर लाठीचार्ज किया, सांप्रदायिक गालियां दी और हाथ ऊपर उठाकर कैंपस से बाहर निकालकर घुमाया" - यह सब अब्दुल रहमान ने बताया जब उनसे  इस पूरे प्रकरण के बारे में पूछा गया। जामिया में बी.टेक के छात्र अब्दुल रविवार शाम को हिरासत में लिए गए छात्रों में से एक थे। उनके बाएं हाथ की हड्डी टूटी है। वह विश्वविद्यालय के पुस्तकालय में पढ़ रहे थे, जब पुलिस के साथ सीआरपीएफ के जवानों ने अंदर प्रवेश किया।

IMG-6556.PNG

अब्दुल के अनुसार, कई छात्रों ने पुस्तकालय में शरण ली क्योंकि पुलिस ने प्रदर्शनकारी छात्रों के खिलाफ सड़कों पर आंसू गैस चला रही थी और कई लोगों के लिए ऑक्सीजन की सांस लेना मुश्किल हो गया।

हिरासत में लिए गए छात्रों ने न्यूज़क्लिक को बताया, जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय में रविवार को विरोध प्रदर्शन के दौरान सुरक्षा बलों द्वारा की गई कार्रवाई में बड़ी संख्या में लोग घायल हुए। इसके साथ 50 से अधिक छात्रों को  हिरासत में लिया गया था। उन सभी को विश्वविद्यालय के पुस्तकालय से बाहर निकाल दिया गया और जबकि "वे विरोध प्रदर्शन का हिस्सा नहीं थे"।

IMG-6555.PNG

बीएससी (ऑनर्स) के छात्र अंजुम हुसैन को भी हिरासत में लिया गया था। उन्होंने कहा कि “छात्रों का विरोध बाहर हो रहा था। पुलिस ने विश्वविद्यालय परिसर में प्रवेश किया और छात्राओं सहित पुस्तकालय में बैठे छात्रों पर लाठी मारना शुरू कर दिया । उन्होंने कैंपस की संपत्ति को भी नुकसान पहुँचाया।”

जामिया के एक अन्य छात्र शाहरुख ने कहा, "कैंपस लाइब्रेरी से बाहर निकलने का एक ही रास्ता था और उस गेट पर भी सीआरपीएफ के लोगों ने कब्जा कर लिया था।" वह उस समय पुस्तकालय की दूसरी मंजिल पर बैठे थे, जब वो नीचे जाने लगे तो उनके अनुसार "उनमें से 20 से अधिक लोगों ने सीढ़ी पर उनके साथ मारपीट की, मैं एक बार सीढ़ियों से नीचे भागते हुए गिर गया।" उन्होंने कहा, "हालांकि, उन्होंने मुझे मारना बंद नहीं किया। किसी तरह, मैंने खुद को बचाया और मस्जिद के निकास द्वार की ओर दौड़ना शुरू किया। लेकिन वहां मौजूद पुलिसकर्मियों ने मुझे पकड़ लिया।

छात्र दानिश खुर्शीद ने न्यूज़क्लिक को बताया "हम नहीं जानते थे कि पुलिस केंद्रीय विश्वविद्यालय में प्रवेश करेगी। सीसीटीवी फुटेज में हमारे ऊपर होने वाली सभी अमानवीयता को देखा जा सकता है।"

छात्रों ने बताया कि हिरासत में लिए गए छात्रों को परिसर की जगह से बाहर निकलते समय, पुलिस बलों ने गुस्साई भीड़ के खिलाफ विश्वविद्यालय के छात्रों को "मानव ढाल" के रूप में भी इस्तेमाल किया। 

Jamia Milia Islamia
Jamia Protest
Lathicharge in Jamia
CAA
CAB
Policepolice Headquarters Delhi
ito
Delhi University
JNU

Related Stories

जेएनयू: अर्जित वेतन के लिए कर्मचारियों की हड़ताल जारी, आंदोलन का साथ देने पर छात्रसंघ की पूर्व अध्यक्ष की एंट्री बैन!

CAA आंदोलनकारियों को फिर निशाना बनाती यूपी सरकार, प्रदर्शनकारी बोले- बिना दोषी साबित हुए अपराधियों सा सुलूक किया जा रहा

‘जेएनयू छात्रों पर हिंसा बर्दाश्त नहीं, पुलिस फ़ौरन कार्रवाई करे’ बोले DU, AUD के छात्र

जेएनयू हिंसा: प्रदर्शनकारियों ने कहा- कोई भी हमें यह नहीं बता सकता कि हमें क्या खाना चाहिए

JNU में खाने की नहीं सांस्कृतिक विविधता बचाने और जीने की आज़ादी की लड़ाई

नौजवान आत्मघात नहीं, रोज़गार और लोकतंत्र के लिए संयुक्त संघर्ष के रास्ते पर आगे बढ़ें

SFI ने किया चक्का जाम, अब होगी "सड़क पर कक्षा": एसएफआई

देश बड़े छात्र-युवा उभार और राष्ट्रीय आंदोलन की ओर बढ़ रहा है

डीयू के छात्रों का केरल के अंडरग्रेजुएट के ख़िलाफ़ प्रोफ़ेसर की टिप्पणी पर विरोध

दिल्ली पुलिस की 2020 दंगों की जांच: बद से बदतर होती भ्रांतियां


बाकी खबरें

  • संदीपन तालुकदार
    वैज्ञानिकों ने कहा- धरती के 44% हिस्से को बायोडायवर्सिटी और इकोसिस्टम के की सुरक्षा के लिए संरक्षण की आवश्यकता है
    04 Jun 2022
    यह अध्ययन अत्यंत महत्वपूर्ण है क्योंकि दुनिया भर की सरकारें जैव विविधता संरक्षण के लिए अपने  लक्ष्य निर्धारित करना शुरू कर चुकी हैं, जो विशेषज्ञों को लगता है कि अगले दशक के लिए एजेंडा बनाएगा।
  • सोनिया यादव
    हैदराबाद : मर्सिडीज़ गैंगरेप को क्या राजनीतिक कारणों से दबाया जा रहा है?
    04 Jun 2022
    17 साल की नाबालिग़ से कथित गैंगरेप का मामला हाई-प्रोफ़ाइल होने की वजह से प्रदेश में एक राजनीतिक विवाद का कारण बन गया है।
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    छत्तीसगढ़ : दो सूत्रीय मांगों को लेकर बड़ी संख्या में मनरेगा कर्मियों ने इस्तीफ़ा दिया
    04 Jun 2022
    राज्य में बड़ी संख्या में मनरेगा कर्मियों ने इस्तीफ़ा दे दिया है। दो दिन पहले इन कर्मियों के महासंघ की ओर से मांग न मानने पर सामूहिक इस्तीफ़े का ऐलान किया गया था।
  • bulldozer politics
    न्यूज़क्लिक टीम
    वे डरते हैं...तमाम गोला-बारूद पुलिस-फ़ौज और बुलडोज़र के बावजूद!
    04 Jun 2022
    बुलडोज़र क्या है? सत्ता का यंत्र… ताक़त का नशा, जो कुचल देता है ग़रीबों के आशियाने... और यह कोई यह ऐरा-गैरा बुलडोज़र नहीं यह हिंदुत्व फ़ासीवादी बुलडोज़र है, इस्लामोफ़ोबिया के मंत्र से यह चलता है……
  • आज का कार्टून
    कार्टून क्लिक: उनकी ‘शाखा’, उनके ‘पौधे’
    04 Jun 2022
    यूं तो आरएसएस पौधे नहीं ‘शाखा’ लगाता है, लेकिन उसके छात्र संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) ने एक करोड़ पौधे लगाने का ऐलान किया है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License