NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
SC ST OBC
भारत
राजनीति
जम्मू: सार्वजनिक कुएं से पानी निकालने पर ऊंची जातियों के लोगों पर दलित परिवार की पिटाई करने का आरोप
दो साल पहले अत्याचार रोकथाम अधिनियम का क्षेत्राधिकार केंद्र शासित प्रदेशों तक कर दिया गया था, लेकिन ज़मीन पर अब भी इसे लागू नहीं किया गया है।
सागरिका किस्सू
19 Jun 2021
जम्मू: सार्वजनिक कुएं से पानी निकालने पर ऊंची जातियों के लोगों पर दलित परिवार की पिटाई करने का आरोप
'प्रतीकात्मक फ़ोटो'

जम्मू-कश्मीर के ऊधमपुर जिले में ऊंची जातियों के लोगों द्वारा एक दलित परिवार की पिटाई करने का आरोप लगा है। यह घटना 10 जून को एक महिला के सार्वजनिक कुएं से पानी भरने के बाद हुई। पीड़ित परिवार के सदस्यों के मुताबिक़, चूंकि क्षेत्र में पानी की आपूर्ति नहीं थी, ऐसे में परिवार की महिलाएं सार्वजनिक कुएं से पानी भरने चली गईं। वहां उनके ऊपर जातिगत टिप्पणियां और उनके साथ गाली-गलौज हुई। 

पवन कुमार कहते हैं, "मेरी भाभी और चाची पानी भरने गई थीं, लेकिन उन्हें पानी नहीं भरने दिया गया। उनसे जबरदस्ती पानी की बाल्टी छीन ली गई।" पवन के मुताबिक़, रात 11 बजे के आसपास, 15 आदमी लाठी-डंडों के साथ जबरदस्ती उनके घर में घुसे और उन्होंने सभी लोगों की पिटाई शुरू कर दी। 

पवन कहते हैं, "सभी को मारा गया। मेरे भतीजे को भी। मेरे भाई और भतीजे को गंभीर चोटें आई हैं। हमलावर लगातार कहते रहे 'अब इन *** (जातिगत गालीगलौज) की हिम्मत बढ़ चुकी है।"

पीड़ितों की पहचान सोमराज (42), देवराज (28), अमित कुमार (22) और पूरनचंद (35) के तौर पर हुई है। इन लोगों को तुरंत ऊधमपुर में सरकारी अस्पताल पहुंचाया गया। कुछ दिन बाद कई लोगों ने प्रदर्शन किया और मांग रखी कि आरोपियों के खिलाफ़ SC-ST एक्ट के तहत मामला दर्ज किया जाए। लेकिन अबतक केस दर्ज नहीं किया गया है। 

अनुच्छेद 370 के खात्मे के बाद सभी केंद्रीय कानून जम्मू-कश्मीर राज्य पर लागू हो गए थे। ST-SC एक्ट को अनुसूचित जातियों और जनजातियों के लोगों के साथ भेदभाव रोकने, उनके खिलाफ़ होने वाले अत्याचार और घृणा आधारित अपराधों को ख़त्म करने के लिए लागू किया गया था। अब इस कानून को केंद्र शासित प्रदेश में मान्यता मिले हुए दो साल हो चुके हैं, लेकिन इसे ज़मीन पर लागू किया जाना अभी बाकी है। 

सामाजिक कार्यकर्ताओं के मुताबिक़, उन्हें दलितों के खिलाफ़ होने वाले अपराधों को इस अधिनियम के तहत दर्ज करवाने में बहुत मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। अनुच्छेद 370 को हटाए जाने के पहले, दलितों के खिलाफ़ होने वाले अत्याचारों में जांच करने के लिए कोई विशेष अधिनियम नहीं था। सामाजिक कार्यकर्ता इस स्थिति के लिए तत्कालीन सरकारों को ज़िम्मेदार बताते हैं।

SC/ST/OBC संगठनों के अखिल भारतीय संघ के प्रदेश अध्यक्ष आर के कलसोत्रा कहते हैं, "जिस प्रशासन के पास मामले से जुड़े अधिकार थे, उन्होंने पुलिस को जातिगत अत्याचार का केस दर्ज करने का आदेश नहीं दिया। इसलिए इस तरह के मामलों में कमी नहीं आ रही है। मामला दर्ज करने के बजाए पुलिस 'विवाद' का निपटारा करने की कोशिश करती है। यह बहुत डराने वाला है।"

मल्हार के लोगों के भीतर बहुत चिंता घर कर चुकी है। मल्हार में करीब़ 25 दलित परिवार रहते हैं। एक परिवार के पड़ोसी सुभाष चंदर कहते हैं कि यह पहली बार नहीं है जब इस तरह की घटना हुई है। वह कहते हैं, "इलाके के दलितों को आए दिन दमन का शिकार होना पड़ता है। अगर कोई दलित व्यक्ति किसी के पास से गुजर रहा हो, तो वह चिल्लाते हुए कहता है 'ओये म***ऐ, बड़े अच्छे कपड़े पहने हैं',"

पुलिस के मुताबिक़ मामले की जांच चल रही है, जब एक बार साबित हो जाएगा तो अत्याचार रोकथाम अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया जाएगा। ऊधमपुर के DC इंदु कंवल चिब कहते हैं, "जांच अब भी जारी है। जब तक हम पुख़्ता जांच नहीं कर लेते, तब तक हम अत्याचार रोकथाम अधिनियम के तहत मामला दर्ज नहीं कर सकते। हम केस पर नज़र रखे हुए हैं। मुझे कल पता चल जाएगा कि यह जातिगत अत्याचार का मामला है या नहीं। तब हम अधिनियम के तहत मामला दर्ज करेंगे।"

लेकिन सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि अगर आवाज़ें नहीं उठाई जातीं, तो पुलिस कार्रवाई ही नहीं करती। आंबेडकर युवा संगठन के अध्यक्ष सतीश विद्रोही कहते हैं, "हमने प्रदर्शन किए और अपनी आवाज उठाई। इस मुद्दे पर सोशल मीडिया पर लिखा। इसके चलते ही प्रशासन मामले की पूरी जांच करने को राजी हुआ है।"

ऊधमपुर में हुई घटना ने एक बार फिर जम्मू क्षेत्र में दलितों के खिलाफ़ होने वाले भेदभाव से जुड़े सवालों को सामने रखा है। कलसोत्रा के मुताबिक़, यह मानना कि 'दलितों के खिलाफ़ जम्मू और कश्मीर में कोई अपराध नहीं होता', यह गलत अवधारणा है। वह कहते हैं, "जम्मू में दलितों के खिलाफ़ अपराध होते हैं। मैं ऐसे कुछ मामले गिना सकता हूं। लेकिन सभी मामलों को अधिनियम के तहत दर्ज नहीं किया जाता।"

इस लेख को मूल अंग्रेजी में पढ़ने के लिए नीचे दिए लिंक पर क्लिक करें।

Jammu: Dalit Family Allegedly Beaten up For Drawing Water from a Public Well

Jammu
Udhampur
jammu kashmir
Dalits
SC/ST Act
POA
Atrocities Act
Caste crime

Related Stories

विचारों की लड़ाई: पीतल से बना अंबेडकर सिक्का बनाम लोहे से बना स्टैच्यू ऑफ़ यूनिटी

दलितों पर बढ़ते अत्याचार, मोदी सरकार का न्यू नॉर्मल!

बच्चों को कौन बता रहा है दलित और सवर्ण में अंतर?

मुद्दा: आख़िर कब तक मरते रहेंगे सीवरों में हम सफ़ाई कर्मचारी?

#Stop Killing Us : सफ़ाई कर्मचारी आंदोलन का मैला प्रथा के ख़िलाफ़ अभियान

सिवनी मॉब लिंचिंग के खिलाफ सड़कों पर उतरे आदिवासी, गरमाई राजनीति, दाहोद में गरजे राहुल

बागपत: भड़ल गांव में दलितों की चमड़ा इकाइयों पर चला बुलडोज़र, मुआवज़ा और कार्रवाई की मांग

मेरे लेखन का उद्देश्य मूलरूप से दलित और स्त्री विमर्श है: सुशीला टाकभौरे

गुजरात: मेहसाणा कोर्ट ने विधायक जिग्नेश मेवानी और 11 अन्य लोगों को 2017 में ग़ैर-क़ानूनी सभा करने का दोषी ठहराया

मध्यप्रदेश के कुछ इलाकों में सैलून वाले आज भी नहीं काटते दलितों के बाल!


बाकी खबरें

  • covid
    न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    कोरोना अपडेट: देश में आज फिर कोरोना के मामलों में क़रीब 27 फीसदी की बढ़ोतरी
    25 May 2022
    देश में पिछले 24 घंटों में कोरोना के 2,124 नए मामले सामने आए हैं। वहीं देश की राजधानी दिल्ली में एक दिन के भीतर कोरोना के मामले में 56 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है।
  • weat
    नंटू बनर्जी
    भारत में गेहूं की बढ़ती क़ीमतों से किसे फ़ायदा?
    25 May 2022
    अनुभव को देखते हुए, केंद्र का निर्यात प्रतिबंध अस्थायी हो सकता है। हाल के महीनों में भारत से निर्यात रिकॉर्ड तोड़ रहा है।
  • bulldozer
    ब्रह्म प्रकाश
    हिंदुत्व सपाट है और बुलडोज़र इसका प्रतीक है
    25 May 2022
    लेखक एक बुलडोज़र के प्रतीक में अर्थों की तलाश इसलिए करते हैं, क्योंकि ये बुलडोज़र अपने रास्ते में पड़ने वाले सभी चीज़ों को ध्वस्त करने के लिए भारत की सड़कों पर उतारे जा रहे हैं।
  • rp
    अजय कुमार
    कोरोना में जब दुनिया दर्द से कराह रही थी, तब अरबपतियों ने जमकर कमाई की
    25 May 2022
    वर्ल्ड इकॉनोमिक फोरम की वार्षिक बैठक में ऑक्सफैम इंटरनेशनल ने " प्रोफिटिंग फ्रॉम पेन" नाम से रिपोर्ट पेश की। इस रिपोर्ट में उन ब्यौरे का जिक्र है कि जहां कोरोना महामारी के दौरान लोग दर्द से कराह रहे…
  • प्रभात पटनायक
    एक ‘अंतर्राष्ट्रीय’ मध्यवर्ग के उदय की प्रवृत्ति
    25 May 2022
    एक खास क्षेत्र जिसमें ‘मध्य वर्ग’ और मेहनतकशों के बीच की खाई को अभिव्यक्ति मिली है, वह है तीसरी दुनिया के देशों में मीडिया का रुख। बेशक, बड़े पूंजीपतियों के स्वामित्व में तथा उनके द्वारा नियंत्रित…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License