NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
आंदोलन
भारत
राजनीति
झारखंड: शासन की उपेक्षा के शिकार सामाजिक सुरक्षा पेंशन के हक़दारों ने उठाई आवाज़!
सरकारी आकलन के अनुसार झारखंड में ज़रूरतमन्द बुज़ुरगों की अनुमानित संख्या 1,35,3669 है और इसमें से 65% को ही पेंशन सुविधा मिल पाती है। कमोवेश विधवा और विकलांग जनों के मामले में भी यही स्थिति बनी हुई है।
अनिल अंशुमन
22 Feb 2021
झारखंड

चूंकि आदमी एक इंसान है / हाड़ मांस का पुतला / चाहिए होगी उसको रोजी रोटी / भारत नहीं उसका पेट जुमलों से / क्योंकि जुमला कोई भोजन नहीं है… ब्रेख्त लिखित इन पंक्तियों के ज़रिए युवा सामाजिक एक्टिविस्ट धीरज कुमार इन दिनों अक्सर ऐसे पोस्ट वायरल कर समाज के सबसे नीचले पायदान पर धकेल दिए गए बुजुर्ग–विधवा–विकलांग और एकल महिलाओं की दुर्दशाजनित जीवन स्थितियों पर सबका ध्यान दिलाने की कोशिश कर रहें हैं। झारखंड प्रदेश के लातेहार ज़िला स्थित बरवाडीह इलाके में सामाजिक संगठन के सदस्य के रूप में वे पिछले कई वर्षों से जमीनी स्तर पर सक्रिय रहकर क्षेत्र के बुजुर्गों–विधवाओं–विकलांगों और एकल महिलाओं के सवालों पर आवाज़ उठाते रहें हैं।

उनके अनुसार पिछले पांच महीनों से इस क्षेत्र के लोगों को सामाजिक सुरक्षा पेंशन योजनाओं का लाभ नहीं मिलने से इन लोगों को दो जून की रोटियों के लाले पड़ जाने जैसी अमानवीय स्थितियों के वे खुद गवाह हैं। इनके अनुसार कमोवेश यही स्थितियां पूरे झारखंड में बनी हुई हैं जहां ग्रामीण बुजुर्गों, विधवाओं-निराश्रित एकल महिलाओं और विकलांग जनों के जीवनयापन का एकमात्र सहारा राष्ट्रीय सामाजिक सुरक्षा पेंशन का भुगतान पिछले पाँच महीनों से बंद पड़ा है ।

धीरज जी के अनुसार ग्रामीण गरीबों की इन दारुण स्थितियों से भी सत्ता राजनीति किए जाने का अमानवीय सत्य सामने आया है जिसमें प्रशासन द्वारा बताया जा रहा कि चूंकि लॉकडाउन के दौरान ने मोदी जी ने सभी ग्रामीण गरीबों को अपनी ओर से जो दो बार 1000 रु. का भुगतान करवाया है। दरअसल में वह राशि प्रधान मंत्री जी की ओर से नहीं बल्कि पूर्व से चल रही इन्हीं गरीबों के पेंशन मद की ही राशि थी जिसके लिए गोदी मीडिया व सरकार ने मोदी जी की रहमदिली बताकर घनघोर प्रचार भी किया। अब चूंकि वह राशि पहले ही निकाली जा चुकी थी इसलिए उस मद में पैसा नहीं होने से गरीबों का पेंशन पाँच महीनों तक बंद रही।

धीरज व उनके संगठन ने 29 जनवरी को बरवाडीह में वरिष्ठ अर्थशास्त्री एक्टिविस्टज्यां ज्यां ड्रेज की उपस्थिति में उक्त पेंशन भुगतान से वंचित इलाके के बुजुर्ग–विधवा व विकलांग जनों को लेकर प्रखण्ड कार्यालय के समक्ष आक्रोश प्रदर्शन किया। फलतः दो–तीन दिनों बाद ही जिला प्रशासन ने संज्ञान लेकर पेंशन भुगतान की रुकी हुई प्रक्रिया को चालू कर दिया। लेकिन बाकी इलाकों में कमोवेश एक ही यथास्थिति बनी हुई है।

18 फरवरी को कोल्हान क्षेत्र के चाईबासा में विभिन्न सामाजिक संगठनों द्वारा भी पेंशन भुगतान की समस्याओं को लेकर ग्रामीण पीड़ितों की जनसुनवाई आयोजित की गयी। जूरी मण्डल के सदस्य के रूप में ज्यां द्रेज़ यहाँ भी उपस्थित थे और उनकी दारुण स्थितियों के प्रति सरकार–प्रशासन की संवेदनहीनता से काफी क्षुब्ध और मंत्री–नेता–अफसरों के बड़े-बड़े वायदों के बावजूद समाज के हाशिये से भी बाहर धकेल दिये गए बुजुर्ग–विधवा और विकलांग जनों को उनके निर्धारित पेंशन से वंचित किए जाने पर चिंता भी जताई। जन सुनवाई में 18 प्रखंडों के सामाजिक सुरक्षा पेंशन से वंचित सैकड़ों बुजुर्ग महिला–पुरुष, विधवाएँ और विकलांग जन शामिल होकर सबको अपनी व्यथा सुनाई। 1364 लंबित आवेदनों और पेंशन के 648 लंबित मामलों पर जूरी मण्डल ने सुनवाई की। सरकारी कुशासन के संवेदहीन रवैये को रेखांकित करते हुए बताया कि किस प्रकार से आवेदन देने के बावजूद असहाय बुजुर्ग–विधवा और विकलांग जनों को आवश्यक प्रामाण पत्र के लिए अस्पताल-ब्लॉक–बैंक का चक्कर लगाते हुए महीनों बीत जाते हैं।

जनसुनवाई में आए मामलों का मुख्य कारण पेंशन कोटा का ज़रूरत से काफी कम होना और पेंशन मामलों के प्रति प्रशासन का असंवेदनशील रवैया साफ तौर से पाया गया। बाद में जनसुनवाइ की ओर से सरकार व प्रशासन को प्रेषित करते हुए मांग की गयी कि:

बिना प्रतिबंध के सार्वभौमिक पेंशन लागू कि जाए ताकि सभी ज़रूरतमन्द बुजुर्ग–विधवा व विकलांग जनों को समुचित आर्थिक सहायता मिल सके।

  • पेंशन राशि बढ़ाकर 3000 रु. प्रतिमाह कर मुद्रस्थिति से जोड़ा जाए। 
  • पेंशन भुगतान प्रक्रिया में आधार की अनिवार्यता समाप्त की जाए।
  • सर्वोच्च न्यायालय के आदेशनुसार पेंशन भुगतान माह के सात दिनों के भीतर किया जाए
  • किसी भी कारण से जिनके पेंशन बंद हो गए हैं, उन्हें तत्काल चालू कर बकाए का भी भुगतान किया जाए।
  • मृत्यु प्रमाणपत्र के एफ़िडेविट अनिवार्यता समाप्त कर स्थानीय पंचायती वार्ड सदस्यों के सत्यापन से हो।
  • विकलांगता प्रमाणपत्र के लिए सदर अस्पताल की बजाए स्थानीय प्रखण्ड से ही निर्गत किया जाए। 
  • पेंशन संबंधी शिकायतों के लिए अगल से शासकीय निकाय बनाया जाए।

सरकार विज्ञापित जानकारियों के अनुसार भारत सरकार के ग्रामीण विकास विभाग द्वारा 15 अगस्त 1995 को गरीब परिवारों को सामाजिक सहायता प्रदान करने के उद्धेश्य से संविधान के अनुच्छेद 41 और 42 में अंतर्निहित राज्य के नीति निर्देशक तत्वों की प्राप्ति हेतु राष्ट्रीय सामाजिक सहायता कार्यक्रम के अंतर्गत (NSPA), राष्ट्रीय वृद्धावस्था पेंशन योजना (NOAPS) व राष्ट्रीय पारिवारिक लाभ योजना की शुरुआत की गई।

कालांतर में 19.11.2009 को राष्ट्रीय वृद्धावस्था पेंशन योजना को इन्दिरा गांधी वृद्धावस्था पेंशन योजना के नाम से परिभाषित किया गया। 1 फरवरी 2009 से इन्दिरा गांधी विधवा और विकलांग पेंशन योजनाओं की शुरुआत की गयी। उक्त राष्ट्रीय पेंशन योजनाओं के लागू होने के बाद बचे हुए ग्रामीण असहाय गरीबों एवं उपेक्षितों के सहायतार्थ राज्यों द्वारा भी पेंशन योजनाएँ शुरू कारवाई गईं।

सरकारी आकलन के अनुसार झारखंड में ज़रूरतमन्द बुजुर्गों की अनुमानित संख्या 1,35,3669 है और इसमें से 65% को ही पेंशन सुविधा मिल पाती है। कमोवेश विधवा और विकलांग जनों के मामले में भी यही स्थिति बनी हुई है।

सामाजिक संगठन और ऐक्टिविस्ट हेमंत सरकार से इस बाबत अपने चुनावी वायदों को जल्द से जल्द पूरा करने की मांग ज़ोर-शोर से उठाने लगे हैं। जानकारों के मुताबिक पिछली केंद्र सरकारों के बजट में इसके लिए अच्छी ख़ासी राशि आवंटित होती थी। लेकिन मोदी सरकार ने इसमें कटौती कर कई दूसरे नामों से गरीब कल्याण की योजनाएँ शुरू कर दी। जिससे पूर्व से चली आ रही समस्याएँ घटने की बजाए और भी बढ़ती ही जा रहीं हैं। 

19 फरवरी को रांची में आयोजित विभिन्न सामाजिक संगठनों की संगोष्ठी को संबोधित करते हुए ज्यां द्रेज़ ने कहा कई शोधों से ये तथ्य सामने आया हैं कि लॉकडाउन के बाद से गरीबों के रोजगार और मजदूरी आधी हो चुकी है। साथ ही कोविड की वजह से भूख–कुपोषण में बेतहाशा वृद्धि हुई है। जिसके मद्देनजर केंद्र सरकार का मौजूदा बजट जन विरोधी है। गरीबों के सहायतार्थ 2015–16 के बजट में सामाजिक सुरक्षा के लिए जो राशि घाटा दी गई थी, इस बार उसमें और भी कटौती कर दी गयी है जिससे इन सात सालों में स्थिति निरंतर भयावह हुई है।

शायद इन्हीं हालातों को देखकर धीरज कुमार भी सोशल मीडिया के जरिए सबको धीरज दिलाने के लिए अपने पोस्ट में यह भी कह रहें हैं कि मजबूर बुढ़ापा जब सूनी राहों की धूल न फांकेगा, मासूम लड़कपन जब गंदी गलियों में भीख न मांगेगा...वो सुबह कभी तो आएगी!    

Jharkhand
old age pension
pension
social organisation
Hemant Soren
Hemant Sarkar

Related Stories

झारखंड : नफ़रत और कॉर्पोरेट संस्कृति के विरुद्ध लेखक-कलाकारों का सम्मलेन! 

‘मैं कोई मूक दर्शक नहीं हूँ’, फ़ादर स्टैन स्वामी लिखित पुस्तक का हुआ लोकार्पण

झारखंड: केंद्र सरकार की मज़दूर-विरोधी नीतियों और निजीकरण के ख़िलाफ़ मज़दूर-कर्मचारी सड़कों पर उतरे!

झारखंड: नेतरहाट फील्ड फायरिंग रेंज विरोधी जन सत्याग्रह जारी, संकल्प दिवस में शामिल हुए राकेश टिकैत

क्या हैं पुरानी पेंशन बहाली के रास्ते में अड़चनें?

झारखंड: हेमंत सरकार की वादाख़िलाफ़ी के विरोध में, भूख हड़ताल पर पोषण सखी

झारखंड: राज्य के युवा मांग रहे स्थानीय नीति और रोज़गार, सियासी दलों को वोट बैंक की दरकार

झारखंड : ‘भाषाई अतिक्रमण’ के खिलाफ सड़कों पर उतरा जनसैलाब, मगही-भोजपुरी-अंगिका को स्थानीय भाषा का दर्जा देने का किया विरोध

कोरोना काल में भी वेतन के लिए जूझते रहे डॉक्टरों ने चेन्नई में किया विरोध प्रदर्शन

झारखंड: केंद्रीय उद्योग मंत्री ने एचईसी को बचाने की जवाबदेही से किया इंकार, मज़दूरों ने किया आरपार लड़ाई का ऐलान


बाकी खबरें

  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    दिल्ली उच्च न्यायालय ने क़ुतुब मीनार परिसर के पास मस्जिद में नमाज़ रोकने के ख़िलाफ़ याचिका को तत्काल सूचीबद्ध करने से इनकार किया
    06 Jun 2022
    वक्फ की ओर से प्रस्तुत अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि यह एक जीवंत मस्जिद है, जो कि एक राजपत्रित वक्फ संपत्ति भी है, जहां लोग नियमित रूप से नमाज अदा कर रहे थे। हालांकि, अचानक 15 मई को भारतीय पुरातत्व…
  • भाषा
    उत्तरकाशी हादसा: मध्य प्रदेश के 26 श्रद्धालुओं की मौत,  वायुसेना के विमान से पहुंचाए जाएंगे मृतकों के शव
    06 Jun 2022
    घटनास्थल का निरीक्षण करने के बाद शिवराज ने कहा कि मृतकों के शव जल्दी उनके घर पहुंचाने के लिए उन्होंने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से वायुसेना का विमान उपलब्ध कराने का अनुरोध किया था, जो स्वीकार कर लिया…
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    आजमगढ़ उप-चुनाव: भाजपा के निरहुआ के सामने होंगे धर्मेंद्र यादव
    06 Jun 2022
    23 जून को उपचुनाव होने हैं, ऐसे में तमाम नामों की अटकलों के बाद समाजवादी पार्टी ने धर्मेंद्र यादव पर फाइनल मुहर लगा दी है। वहीं धर्मेंद्र के सामने भोजपुरी सुपरस्टार भाजपा के टिकट पर मैदान में हैं।
  • भाषा
    ब्रिटेन के प्रधानमंत्री जॉनसन ‘पार्टीगेट’ मामले को लेकर अविश्वास प्रस्ताव का करेंगे सामना
    06 Jun 2022
    समिति द्वारा प्राप्त अविश्वास संबंधी पत्रों के प्रभारी सर ग्राहम ब्रैडी ने बताया कि ‘टोरी’ संसदीय दल के 54 सांसद (15 प्रतिशत) इसकी मांग कर रहे हैं और सोमवार शाम ‘हाउस ऑफ कॉमन्स’ में इसे रखा जाएगा।
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    कोरोना अपडेट: देश में कोरोना ने फिर पकड़ी रफ़्तार, 24 घंटों में 4,518 दर्ज़ किए गए 
    06 Jun 2022
    देश में कोरोना के मामलों में आज क़रीब 6 फ़ीसदी की बढ़ोतरी हुई है और क़रीब ढाई महीने बाद एक्टिव मामलों की संख्या बढ़कर 25 हज़ार से ज़्यादा 25,782 हो गयी है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License