NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
झारखंड: एक विधायक की मां जीते जी नहीं दिला पायीं अपने पति के हत्यारों को सज़ा; शहादत वाले दिन ही चल बसीं महेंद्र सिंह की पत्नी
16 जनवरी 2005 को झारखंड स्थित बगोदर के तत्कालीन भाकपा माले विधायक महेंद्र सिंह की हत्या कर दी गई थी। 16 जनवरी को ही सुबह होने से पहले शांति देवी ने इस दुनिया को अलविदा कह दिया। उन्हें जीते जी तो इन्साफ़ नहीं मिला, देखना है कि आगे क्या होता है।
अनिल अंशुमन
17 Jan 2022
CPI-ML MLA Mahendra Singh

इसे विडंबना ही कहा जाएगा कि झारखंड प्रदेश के भगत सिंह कहे जाने वाले बेहद चर्चित जन नेता और कम्युनिस्ट विधायक महेंद्र सिंह के शहादत वाले दिन ही उनकी पत्नी शांति देवी का भी निधन होगया। जो इस दुनिया से जाते जाते भारतीय लोकतंत्र और न्याय व्यवस्था के चरित्र को भी उजागर कर गयीं क्योंकि झारखंड प्रदेश में हाल के समयों में यह पहली घटना कही जायेगी जब एक पत्नी द्वारा थाने जाकर अपने पति के हत्या में शामिल लोगों के खिलाफ एफ़आईआर दर्ज कराये जाने के बावजूद उसपर कोई संज्ञान नहीं लिया गया हो, वह भी तब जबकि उसका बेटा उस प्रदेश का सम्मानित विधायक हो।

ज्ञात हो कि 16 जनवरी 2005 को झारखंड स्थित बगोदर के तत्कालीन भाकपा माले विधायक महेंद्र सिंह की हत्या कर दी गई थी। जब वे प्रदेश में होनेवाले विधानसभा चुनाव के लिए अपना नामांकन कर अपने क्षेत्र के दुर्गी धवैया स्थित दलितों की बस्ती में गए हुए थे। 

एक गहरी साजिश बताते हुए महेंद्र सिंह जी की पत्नी शांति देवी ने उसी दिन स्थानीय थाने जाकर अपने पति की हत्या के लिए तत्कालीन गिरिडीह जिला एसपी दीपक वर्मा समेत कई अन्य लोगों को जिम्मेदार बताते हुए उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज़ कराया था। जिस पर कोई संज्ञान लिया जाना तो दूर तत्कालीन भाजपा गठबंधन सरकार और प्रशासन ने एक स्वर से दूसरा ही राग अलापते हुए इस काण्ड को माओवादी उग्रवादियों द्वारा किये जाने की घोषणा कर दी।

दूसरी ओर, झारखंड ही नहीं बल्कि देश की व्यापक लोकतंत्र पसंद ताक़तों ने महेंद्र सिंह की हत्या को एक राजनितिक षड़यंत्र करार देते हुए उच्च स्तरीय जांच और दोषियों को सज़ा देने की मांग उठायी थी। राजधानी रांची के कई सामाजिक जनसंगठनों व न्यायपसंद लोगों द्वारा गठित ‘महेंद्र सिंह हत्या प्रतिरोध’ मंच द्वारा काफी लंबा नागरिक अभियान चलाया गया। प्रदेश के राज्यपाल से लेकर सरकार को कई कई बार ज्ञापन भी दिए गए। लेकिन किसी का कोई सकारात्कम परिणाम नहीं निकला, गोया सभी को मामले की असलियत पता हो। बाद में व्यापक जन दबाव के कारण सरकार व पुलिस को जांच पड़ताल की रस्म अदायगी करनी पड़ी। लेकिन उनके बयानों में कोई अन्तर नहीं आया।

महेंद्र सिंह की हत्या के पीछे कौन सी राजनीति सक्रिय थी,  इसका कोई ठोस सबूत तो नहीं दिखलाया जा सकता है, लेकिन जब जब महेंद्र सिंह जी मूर्ति बगोदर बस स्टैंड परिसर में लगाने की कोशिश हुई है तो एकमात्र भाजपा और उसके लोगों ने पूरी ताक़त लगाकर विरोध किया है। पिछले रघुवर शासन काल में जब यहाँ से भाजपा का ही विधायक था, उन्होंने पूरा हथियारबंद प्रशासन उतारकर महेंद्र सिंह जी की मूर्ति नहीं लगाने दी थी। जबकि पूरे इलाके में ये स्थापित है कि यह बस स्टैंड परिसर और इसमें बने मार्केट कॉम्प्लेक्स को महेंद्र सिंह ने ही ‘जीटी रोड चौड़ीकरण; के समय राष्ट्रीय राजमार्ग विभाग से आन्दोलन कर बनवाया था। इसीलिए स्टैंड के सभी कर्मचारियों, छोटे वाहन मालिकों और उनके कर्मियों के साथ साथ पुरे बगोदर बाज़ार के लोगों की हार्दिक इच्छा रही है कि बस स्टैंड में महेंद्र सिंह जी आदमकद मूर्ति लगाई जाए। जिसके लिए सबों ने अपने अपने स्तर से चंदा भी जुटाया।

आखिरकार इस बार भाजपा के तमाम तिकड़म व्यवधानों के बावजूद 16 जनवरी को बगोदर बस स्टैंड में महेंद्र सिंह की मूर्ति लग ही गयी। चार दिन पहले ही जब महेंद्र जी की आदमकद मूर्ति यहाँ लायी जा रही थी तो भजपा के ही इशारे पर स्थानीय ब्लॉक सीओ ने धारा 144 लागू कर मूर्ति लगाने के लिए अनुमति पत्र माँगा। गिरिडीह जिला परिषद इस स्थल पर मूर्ति लगाने संबधी अपनी लिखित अनुमति पहले ही दे चुकी थी जिसे सीओ समेत पूरा प्रशासन जानता था। बगोदर बाज़ार के भाजपा से ही जुड़े कई व्यवसायी और नागरिक समाज के लोगों ने नाम नहीं प्रकाशित करने की शर्त के साथ बताया कि महेंद्र सिंह जैसे जनप्रिय नेता की मूर्ति लगाने का भाजपा द्वारा किये जा रहे विरोध से वे सहमत नहीं हैं। क्योंकि वे एक पार्टी विशेष के विधयक होकर भी सच्चे अर्थों में व्यापक जनता की आवाज़ थे। जिन्हें सबों का मान सम्मान हासिल था। 

महेंद्र सिंह के निवास गाँव खंभरा के किसान और माले कार्यकर्त्ता रामबालक सिंह के अनुसार महेंद्र सिंह ने हमेशा से इस क्षेत्र के गरीबों,किसानों और आम लोगों को तंग तबाह करने वाली दबंग सामाजिक ताक़तों का सबसे आगे बढ़कर विरोध किया। सामंती-सूदखोरी शोषण उत्पीड़न और पुलिस ज़ुल्म के खिलाफ व्यापक ग्रामीण समाज को एकजुट कर मुखर बनाया। आज के समय में वही शोषणकारी ताक़तों की स्वाभाविक राजनितिक पार्टी भाजपा बनी हुई है। इसीलिए महेंद्रसिंह जी की मूर्ति लगाने का विरोध एकमात्र भाजपा ही कर रही है।  

महेंद्र सिंह जी के शहादत के 17 वर्ष बीत गए लेकिन न तो सरकार अथवा प्रशासन ने आज तक उनके किसी भी हत्यारे को पकड़ने काम किया है। सबसे बढ़कर यह कि उनकी पत्नी शांति देवी द्वारा दर्ज़ पुलिस एफ़आईआर को पूरी तरह से ठंढे बस्ते में डाला जा चुका है। बेटे विनोद सिंह जो बगोदर क्षेत्र से माले के वर्तमान विधायक भी हैं और सुनियोजित राजनीतिक साज़िश के तहत की गयी अपने पिता की हत्या मामला सरकार-प्रशासन के समक्ष निरंतर उठाते रहते हैं। राज्य की गैर भाजपा हेमंत सोरेन की सरकार ने भी इस मामले को लेकर आज तक कोई प्रभावकारी क़दम नहीं उठाया है। 


अब जबकि अपने पति के शहादत दिवस वाले दिन 16 जनवरी को सुबह होने से पहले ही रात दो बजे शांति देवी ने इस दुनिया को अलविदा कह दिया, उन्हें जीते जी तो इन्साफ नहीं ही मिला देखना है कि आगे क्या होता है।

फिलहाल थोड़ा सकूनदायी यही है कि महेंद्र सिंह की राजनीति से दुश्मनी की हद तक विरोध रखनेवाली भाजपा के हर तिकड़म और विरोध के बावजूद बगोदर बस स्टैंड परिसर में महेंद्र सिंह जी की आदमकद मूर्ति स्थापित हो गयी है।

16 जनवरी के ही दिन झारखंड में भी कोरोना संक्रमण की तीसरी लहर के मद्देनज़र लगाए गए नागरिक प्रतिबंधों के कारण बेहद कम लोगों की उपस्थिति में भाकपा माले के राष्ट्रीय महासचिव ने मूर्ति का अनावरण किया।

महेंद्र सिंह जी की मूर्ति लगाए जाने को अभी की चालू ‘मूर्ति-राजनीति’ से जोड़कर कर देखना सही नहीं होगा। क्योंकि लाखों लाख न्यायपसंद लोगों की नज़रों में महेंद्र सिंह आज भी जन अधिकारों के संघर्ष के जीवंत प्रतीक बने हुए हैं। जिनके विचारों को मिटाने के लिए हत्यारों नेउन्हें ही मिटा डाला। 

Jharkhand
CPI-ML
Mahendra Singh
CPI-ML MLA Mahendra Singh

Related Stories

बिहार : नीतीश सरकार के ‘बुलडोज़र राज’ के खिलाफ गरीबों ने खोला मोर्चा!   

झारखंड: बोर्ड एग्जाम की 70 कॉपी प्रतिदिन चेक करने का आदेश, अध्यापकों ने किया विरोध

झारखंड : नफ़रत और कॉर्पोरेट संस्कृति के विरुद्ध लेखक-कलाकारों का सम्मलेन! 

झारखंड की खान सचिव पूजा सिंघल जेल भेजी गयीं

झारखंडः आईएएस पूजा सिंघल के ठिकानों पर छापेमारी दूसरे दिन भी जारी, क़रीबी सीए के घर से 19.31 करोड़ कैश बरामद

खबरों के आगे-पीछे: अंदरुनी कलह तो भाजपा में भी कम नहीं

आदिवासियों के विकास के लिए अलग धर्म संहिता की ज़रूरत- जनगणना के पहले जनजातीय नेता

बिना अनुमति जुलूस और भड़काऊ नारों से भड़का दंगा

‘मैं कोई मूक दर्शक नहीं हूँ’, फ़ादर स्टैन स्वामी लिखित पुस्तक का हुआ लोकार्पण

झारखंड: पंचायत चुनावों को लेकर आदिवासी संगठनों का विरोध, जानिए क्या है पूरा मामला


बाकी खबरें

  • न्यूज़क्लिक डेस्क
    महाशय, आपके पास क्या मेरे लिए कोई काम है?
    05 May 2022
    वैज्ञानिक समाजवाद के प्रणेता, साम्यवाद के सिद्धांतकार कार्ल मार्क्स की आज जयंती है। उन्होंने हमें सिर्फ़ कम्युनिस्ट घोषणापत्र और दास कैपिटल जैसी किताब ही नहीं दी बल्कि कुछ ऐसी कविताएं भी दी हैं, जो…
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    कोरोना अपडेट: देश में एक्टिव मामलों की संख्या 20 हज़ार के क़रीब पहुंची 
    05 May 2022
    देश में पिछले 24 घंटों में कोरोना के 3,275 नए मामले सामने आए हैं | देश में अब एक्टिव मामलों की संख्या बढ़कर 19 हज़ार 719 हो गयी है।
  • Bharat Ek Mauj
    न्यूज़क्लिक टीम
    भारत एक मौज: बॉलीवुड जनता की हिंदी पार्टी
    05 May 2022
    भारत एक मौज के इस एपिसोड में आज संजय सवाल उठा रहे हैं कि देश में जनता के मुद्दों को उठाने के बजाए हमेशा ध्यान भटकाने वाले मुद्दे ही क्यों उठाए जाते हैं।
  • VOILENCE
    रवि शंकर दुबे
    चुनावी राज्यों में क्रमवार दंगे... संयोग या प्रयोग!
    05 May 2022
    ईद वाले दिन राजस्थान में हुई हिंसा ये बताने के लिए काफी है कि आगे आने वाले चुनावों में मुद्दे क्या होंगे। इतना तो तय है कि विकास की बात भूल जाइए।
  • urmilesh
    न्यूज़क्लिक टीम
    प्रेस फ्रीडम सूचकांक में भारत 150वे स्थान पर क्यों पहुंचा
    04 May 2022
    रिपोर्टर्स विदाउट बार्डर्स के वैश्विक प्रेस फ्रीडम सूचकांक में इस बार भारत पिछले साल के मुकाबले आठ अंक और नीचे गिरा और 180 देशो की सूची में 150 वे पर आ गया. पिछले दिनो भारत डेमोक्रेसी के वैश्विक…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License