NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
राजनीति
अंतरराष्ट्रीय
जॉर्डन किंग ने नवंबर में होने वाले चुनावों के मद्देनज़र संसद को भंग किया
कोरोना वायरस महामारी और देश में तेज़ी से बिगड़ती आर्थिक स्थिति के बीच यहां चुनाव 10 नवंबर को होना निर्धारित है।
पीपल्स डिस्पैच
28 Sep 2020
जॉर्डन

जॉर्डन किंग अब्दुल्ला ने रविवार 27 सितंबर को देश के आगामी संसदीय चुनावों के मद्देनजर देश की संसद को भंग करने के लिए एक शाही फरमान जारी किया है। इस साल जुलाई महीने में जॉर्डन के चुनाव आयोग ने इस साल 10 नवंबर को चुनाव कराने की योजना की घोषणा की थी।

संसद के विघटन के बाद जॉर्डन की सरकार अब संवैधानिक रूप से एक सप्ताह के भीतर इस्तीफ़ा देने के लिए बाध्य है। यह नई सरकार के चुने जाने तक कार्यवाहक रुप में बनी रहेगी।

जॉर्डन की संसद में 130 सदस्य होते हैं जिनमें से अधिकांश पहले के सदस्य, राजशाही समर्थक और सरकारी अधिकारी समर्थक, प्रभावशाली व्यापारियों और जॉर्डन के सैन्य और खुफिया से जुड़े पूर्व उच्च पदस्थ अधिकारी हैं।

हालांकि ये सरकार कोई भी वास्तविक प्रशासनिक शक्ति का प्रयोग नहीं करती है क्योंकि जॉर्डन के संविधान के अनुसार अधिकांश राजनीतिक और प्रशासनिक अधिकार राजा द्वारा इस्तेमाल किए जाते हैं।

जॉर्डन के शासक वर्गों ने देश में किसी भी संगठित विपक्षी दल के उदय को जबरन रोक दिया है। केवल व्यवहार्य राजनीतिक विपक्ष मुस्लिम ब्रदरहुड देश की सर्वोच्च अदालत से सशक्त सरकारी दमन का सामना किया है। कोर्ट ऑफ कैसेशन ने हाल ही में इस संगठन को पूरी तरह से समाप्त करने के लिए फैसला सुनाया है।

जॉर्डन में सत्तारूढ़ संस्था जिसमें राजा और सरकार दोनों शामिल हैं वह वर्तमान में देश को प्रभावित करने वाले विभिन्न प्रकार के मुद्दे को निपटा रहे हैं जिनमें गंभीर दीर्घकालिक आर्थिक समस्याएं, बढ़ते राजनीतिक विरोध, सामाजिक अशांति के साथ COVID-19 महामारी के चलते भविष्य को लेकर देश में व्यापक अनिश्चितता और अत्यधिक अव्यवस्था और क्षति शामिल हैं जिसके कारण यह जार्डन के आम लोगों के जीवन को प्रभावित किया है।

Jordan
COVID-19
economic crises
Abdullah II
King of Jordan

Related Stories

आर्थिक रिकवरी के वहम का शिकार है मोदी सरकार

महामारी के दौर में बंपर कमाई करती रहीं फार्मा, ऑयल और टेक्नोलोजी की कंपनियां

विश्व खाद्य संकट: कारण, इसके नतीजे और समाधान

महामारी में लोग झेल रहे थे दर्द, बंपर कमाई करती रहीं- फार्मा, ऑयल और टेक्नोलोजी की कंपनियां

कोविड मौतों पर विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट पर मोदी सरकार का रवैया चिंताजनक

महंगाई की मार मजदूरी कर पेट भरने वालों पर सबसे ज्यादा 

जनवादी साहित्य-संस्कृति सम्मेलन: वंचित तबकों की मुक्ति के लिए एक सांस्कृतिक हस्तक्षेप

कोरोना अपडेट: देश में एक हफ्ते बाद कोरोना के तीन हज़ार से कम मामले दर्ज किए गए

दिल्लीः एलएचएमसी अस्पताल पहुंचे केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मंडाविया का ‘कोविड योद्धाओं’ ने किया विरोध

WHO और भारत सरकार की कोरोना रिपोर्ट में अंतर क्य़ों?


बाकी खबरें

  • सोनिया यादव
    सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक आदेश : सेक्स वर्कर्स भी सम्मान की हकदार, सेक्स वर्क भी एक पेशा
    27 May 2022
    सेक्स वर्कर्स को ज़्यादातर अपराधियों के रूप में देखा जाता है। समाज और पुलिस उनके साथ असंवेदशील व्यवहार करती है, उन्हें तिरस्कार तक का सामना करना पड़ता है। लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट के आदेश से लाखों सेक्स…
  • abhisar
    न्यूज़क्लिक टीम
    अब अजमेर शरीफ निशाने पर! खुदाई कब तक मोदी जी?
    27 May 2022
    बोल के लब आज़ाद हैं तेरे के इस एपिसोड में वरिष्ठ पत्रकार अभिसार शर्मा चर्चा कर रहे हैं हिंदुत्ववादी संगठन महाराणा प्रताप सेना के दावे की जिसमे उन्होंने कहा है कि अजमेर शरीफ भगवान शिव को समर्पित मंदिर…
  • पीपल्स डिस्पैच
    जॉर्ज फ्लॉय्ड की मौत के 2 साल बाद क्या अमेरिका में कुछ बदलाव आया?
    27 May 2022
    ब्लैक लाइव्स मैटर आंदोलन में प्राप्त हुई, फिर गवाईं गईं चीज़ें बताती हैं कि पूंजीवाद और अमेरिकी समाज के ताने-बाने में कितनी गहराई से नस्लभेद घुसा हुआ है।
  • सौम्यदीप चटर्जी
    भारत में संसदीय लोकतंत्र का लगातार पतन
    27 May 2022
    चूंकि भारत ‘अमृत महोत्सव' के साथ स्वतंत्रता के 75वें वर्ष का जश्न मना रहा है, ऐसे में एक निष्क्रिय संसद की स्पष्ट विडंबना को अब और नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है।
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    पूर्वोत्तर के 40% से अधिक छात्रों को महामारी के दौरान पढ़ाई के लिए गैजेट उपलब्ध नहीं रहा
    27 May 2022
    ये डिजिटल डिवाइड सबसे ज़्यादा असम, मणिपुर और मेघालय में रहा है, जहां 48 फ़ीसदी छात्रों के घर में कोई डिजिटल डिवाइस नहीं था। एनएएस 2021 का सर्वे तीसरी, पांचवीं, आठवीं व दसवीं कक्षा के लिए किया गया था।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License