NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
राजनीति
अंतरराष्ट्रीय
ओपन लेटर में पत्रकारों ने फ़िलिस्तीन और इज़रायली क़ब्ज़े के निष्पक्ष कवरेज का आह्वान किया
इस पत्र में मीडिया पर इज़रायली रंगभेद, नस्लीय हिंसा और युद्ध अपराधों को कवर करने की प्रक्रिया में सच दिखाने और शक्तिशाली लोगों को जवाबदेह ठहराने के अपने कर्तव्य को पूरा करने में विफल रहने का आरोप लगाया गया।
पीपल्स डिस्पैच
11 Jun 2021
ओपन लेटर में पत्रकारों ने फ़िलिस्तीन और इज़रायली क़ब्ज़े के निष्पक्ष कवरेज का आह्वान किया

फिलिस्तीन और इजरायल के सैन्य कब्जे में अत्याचारों पर सटीक रिपोर्टिंग करने का आह्वान करते हुए कई प्रमुख अंतरराष्ट्रीय समाचार संगठनों के 250 से अधिक पत्रकारों ने 9 जून को एक ओपन लेटर प्रकाशित किया। ये ओपन लेटर फिलिस्तीन को लेकर मुख्यधारा की मीडिया रिपोर्ट को अनुचित और इजरायल के पक्ष में विशेष रूप से अमेरिका का भारी पक्षपाती बताते हुए आलोचना करता है। यह इस तरह से उद्योग-व्यापी सुधार का आह्वान करता है कि इजरायल के कब्जे और फिलिस्तीनियों के उत्पीड़न का मुख्यधारा की मीडिया में रिपोर्ट हो।

साथी पत्रकारों को संबोधित ये पत्र, उन्हें "बिना किसी भय या पक्ष के पूर्ण, प्रासंगिक सत्य पर भरोसा करने के लिए कहता है ताकि पहचाना जाए कि उलझन में डालने वाले फिलिस्तीनियों का इज़रायली उत्पीड़न इस उद्योग के अपने उद्देश्यपूर्ण मानकों को विफल करता है।"

प्रतिष्ठित समाचार संगठनों जैसे वाशिंगटन पोस्ट, वॉल स्ट्रीट जर्नल, न्यू यॉर्कर, वाइस न्यूज, द इंटरसेप्ट, जेविश करेंट्स, एसोसिएटेड प्रेस, द लॉस एंजिल्स टाइम्स, सीएनएन, अल जज़ीरा इंग्लिश, द नेशन, प्रोपब्लिका, मिडिल ईस्ट आई, वॉयस ऑफ अमेरिका, हफिंगटन पोस्ट और एबीसी न्यूज के पत्रकारों ने इस पत्र पर हस्ताक्षर किए हैं। इनमें से कई ने अपनी पहचान गोपनीय रखा है।

यह पत्र इज़रायल और फिलिस्तीन के कवरेज में विसंगतियों की ओर इशारा करता है। पत्र में इसे "पत्रकारिता कदाचार" और "सत्य की अस्पष्टता" कहा गया है।

यह कई उदाहरणों का हवाला देता है, जैसे कि कब्जे वाले पूर्वी येरुशेलम में शेख जर्राह से फिलिस्तीनी परिवारों के जबरन बेदखली को लेकर पक्षपाती विवरण, जिसे एक इजरायली अदालत के आदेश के बाद संपत्ति विवाद के के रूप में चित्रित किया गया है। यह कब्जे वाले क्षेत्रों में फिलिस्तीनियों का जबरन कब्जा करना और विस्थापन करना युद्ध अपराध है और अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत रोक है।

इस पत्र में अल-अक्सा मस्जिद परिसर में हिंसा को फिलीस्तीनियों और चरमपंथी इजरायली सेटलर्स व सुरक्षा बलों के बीच एक 'संघर्ष' के रूप में मीडिया के वर्णन की भी आलोचना की गई है। इसमें कहा गया है कि इस तथ्य की अनदेखी की गई है कि इजरायली पुलिस ने बड़े समूहों में मौजूद सेटलर्स के साथ मस्जिद पर हमला किया था और फिलिस्तीनी नमाजियों पर हमला किया था।

इस पत्र में कहा गया है कि मीडिया इजरायल और फिलिस्तीनी समूहों के बीच शक्ति के बड़े पैमाने पर असंतुलन के साथ-साथ गाजा के 14 वर्षीय इजरायली नाकाबंदी के दुष्प्रभावों को परिप्रेक्ष्य में रखने में पूरी तरह विफल रहा है। इस नाकाबंदी के परिणामस्वरूप दुनिया का सबसे खराब मानवीय संकट पैदा हो गया है।

ये पत्र दुनिया भर के पत्रकारों और समाचार संगठनों को याद दिलाता है कि सही जानकारी के बिना आम जनता कभी भी इजरायल के कब्जे और फिलिस्तीनियों के उत्पीड़न की सच्चाई को नहीं जान पाएगी। इसके बजाय यह केवल इजरायल के कब्जे को समाप्त करने के लिए एक शांतिपूर्ण और न्यायसंगत संकल्प की संभावनाओं को कम करता है क्योंकि सरकारों को केवल जानकारी रखने वाली जनता के दबाव में कार्रवाई करने के लिए मजबूर किया जाएगा।

Israel
Palestine
israel-palestine conflict
journalist
Press freedom

Related Stories

फ़िनलैंड-स्वीडन का नेटो भर्ती का सपना हुआ फेल, फ़िलिस्तीनी पत्रकार शीरीन की शहादत के मायने

न नकबा कभी ख़त्म हुआ, न फ़िलिस्तीनी प्रतिरोध

धनकुबेरों के हाथों में अख़बार और टीवी चैनल, वैकल्पिक मीडिया का गला घोंटती सरकार! 

दिल्ली : फ़िलिस्तीनी पत्रकार शिरीन की हत्या के ख़िलाफ़ ऑल इंडिया पीस एंड सॉलिडेरिटी ऑर्गेनाइज़ेशन का प्रदर्शन

इज़रायल को फिलिस्तीनी पत्रकारों और लोगों पर जानलेवा हमले बंद करने होंगे

अल-जज़ीरा की वरिष्ठ पत्रकार शिरीन अबु अकलेह की क़ब्ज़े वाले फ़िलिस्तीन में इज़रायली सुरक्षाबलों ने हत्या की

भारत को मध्ययुग में ले जाने का राष्ट्रीय अभियान चल रहा है!

भारत में ‘वेंटिलेटर पर रखी प्रेस स्वतंत्रता’, क्या कहते हैं वैकल्पिक मीडिया के पत्रकार?

प्रेस स्वतंत्रता पर अंकुश को लेकर पश्चिम में भारत की छवि बिगड़ी

Press Freedom Index में 150वें नंबर पर भारत,अब तक का सबसे निचला स्तर


बाकी खबरें

  • अनीस ज़रगर
    जम्मू-कश्मीर: अधिकारियों ने जामिया मस्जिद में महत्वपूर्ण रमज़ान की नमाज़ को रोक दिया
    29 Apr 2022
    प्रशासन का कहना है कि प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा जामिया में इबादत गुजारों के लिए व्यवस्था की समीक्षा करने के बाद सामूहिक इबादत को रोकने का ये निर्णय लिया गया है।
  • लाल बहादुर सिंह
    किधर जाएगा भारत— फ़ासीवाद या लोकतंत्र : रोज़गार-संकट से जूझते युवाओं की भूमिका अहम
    29 Apr 2022
    गहराता रोज़गार संकट और कठिन होती जीवन-स्थितियां भारत में फ़ासीवाद के राज्यारोहण का सबसे पक्का नुस्खा है। लेकिन तमाम फ़ासीवाद-विरोधी ताकतें एकताबद्ध प्रतिरोध में उतर पड़ें तो यही संकट समाज को रैडिकल…
  • ज़ाहिद खान
    इरफ़ान ख़ान : अदाकारी की इब्तिदा और इंतिहा
    29 Apr 2022
    29 अप्रैल 2020 को हमसे जिस्मानी तौर पर जुदा हुए इरफ़ान ख़ान अपनी लासानी अदाकारी से अपने चाहने वालों के दिलो ज़ेहन में हमेशा ज़िंदा रहेंगे।
  • एजाज़ अशरफ़
    क्यों धार्मिक जुलूस विदेशी भूमि को फ़तह करने वाले सैनिकों जैसे लगते हैं
    29 Apr 2022
    इस तरह के जुलूस, मुसलमानों पर हिंदुओं का मनोवैज्ञानिक प्रभुत्व स्थापित करने और उन्हें अपने अधीन करने के मक़सद से निकाले जा रहे हैं।
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    कोरोना अपडेट: देश में 24 घंटों में कोरोना के 3,377 नए मामले, 60 मरीज़ों की मौत
    29 Apr 2022
    दिल्ली में आज फिर कोरोना के मामलों में बढ़ोतरी हुई, दिल्ली में पिछले 24 घंटों में कोरोना के 1,490 नए मामले दर्ज़ किए गए |
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License