NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
फ़ैसले का सम्मान लेकिन संतुष्ट नहीं, पुनर्विचार याचिका पर विचार : मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड 
बोर्ड के सचिव एवं वकील जफरयाब जिलानी ने संवाददाताओं से कहा, '' फैसले के कुछ बिंदुओं खासकर ज़मीन देने की बात से हम अंसतुष्ट हैं। हम विचार करेंगे कि पुनर्विचार याचिका दायर करनी हैं या नहीं।''
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
09 Nov 2019
zafrayaab jilam
फोटो साभार : prokerala

अयोध्या मामले पर उच्चतम न्यायालय के फैसले के मद्देनजर ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने शनिवार को कहा कि वह विवादित ज़मीन को मंदिर के लिए देने से जुड़े फैसले का सम्मान करते हैं लेकिन वे इससे संतुष्ट नहीं है और इस मामले में पुनर्विचार याचिका दायर करने पर विचार किया जाएगा।

बोर्ड के सचिव एवं वकील जफरयाब जिलानी ने संवाददाताओं से कहा, '' फैसले के कुछ बिंदुओं खासकर ज़मीन देने की बात से हम अंसतुष्ट हैं। हम विचार करेंगे कि पुनर्विचार याचिका दायर करनी हैं या नहीं।''

उन्होंने मस्जिद के लिए पांच एकड़ की वैकल्पिक ज़मीन देने को लेकर कहा कि मस्जिद की कोई कीमत नहीं हो सकती। उन्होंने कहा कि मस्जिद का कोई बदल नहीं है। हम उसके मालिक नहीं है, इसलिए हम उसे किसी को नहीं दे सकते।

उन्होंने कहा कि कोर्ट ने कहा कि हम सूट नंबर-4 पार्टी डिक्री करते हैं लेकिन हमारी ज़मीन जो सूट नंबर 4 की थी वो पूरी की पूरी सूट नंबर-5  पार्टी को दे दी, जिससे हम असंतुष्ट हैं। उन्होंने कहा कि इसपर हम अपने सीनियर एडवोकेट राजीव धवन और अन्य से चर्चा करेंगे और उसके बाद तय करेंगे कि क्या करना है। 

एएसआई द्वारा जुटाए गए तथ्यों को सुबूत माने जाने पर जिलानी ने कहा कि हिन्दुओं का दावा था कि विक्रमादित्य काल यानी करीब 2000 साल पुराने मंदिर को तोड़कर मस्जिद बनाई गई। जबकि एएसआई ने 12वीं सदी के किसी मंदिर जैसे ढांचे का जिक्र किया है। लेकिन 12वीं सदी से 1528 तक 300 साल तक वहां क्या था, क्या नहीं, इस बारे में किसी को कुछ पता नहीं। अदालत ने मीर बाक़ी के ज़माने यानी 1528 में मस्जिद का निर्माण माना है, ये भी माना है कि 1857 के बाद नमाज़ पढ़ने के सुबूत तो मिलते हैं लेकिन इससे पहले के नहीं मिलते। मगर अदालत ने जिस यात्रा वृंतात के आधार पर हिन्दुओं के दावे पर विश्वास किया उसी के आधार पर मुसलमानों के दावे पर विश्वास नहीं किया।   

हालांकि जिलानी ने ये भी कहा कि यह मुकदमा किसी की जीत और हार नहीं है और सभी को शांति बनाए रखनी चाहिए। उन्होंने कहा कि हम फ़ैसले का सम्मान करते हैं और फ़ैसले के कुछ पहलू देश के धर्मनिरपेक्ष तानेबाने में सुधार लाने में मदद कर सकते हैं 

‘राम लला’ के वकील ने न्यायालय के फैसले का स्वागत किया

सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले के बाद कोर्ट परिसर में वकील ‘जय श्री राम’ के नारे लगाते देखे गए। 

मालिकाना हक मामले में राम लला के वकील वरिष्ठ अधिवक्ता सी एस वैद्यनाथन ने फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि यह लोगों की जीत है। 
उन्होंने कहा, “यह बेहद संतुलित फैसला है और यह भारत के लोगों की जीत है।”

फ़ैसले को चुनौती नहीं दूंगा : अंसारी

बाबरी मस्जिद-राम जन्मभूमि मामले के एक अन्य पक्षकार इकबाल अंसारी ने टेलीफोन पर 'भाषा' से बातचीत में कहा कि वह न्यायालय के फैसले से बहुत खुश हैं। उन्हें इस बात की सबसे ज्यादा खुशी है कि यह मसला सुलझ गया है।

उन्होंने कहा कि वह अदालत के निर्णय को अपनी तरफ से कोई चुनौती नहीं देंगे।

अंसारी ने कहा कि न्यायालय ने सरकार को आदेश दिया है कि वह अयोध्या में किसी और स्थान पर मस्जिद के निर्माण के लिये ज़मीन दे। यह एक तरह से मुसलमानों की जीत है। अब यह सरकार की जिम्मेदारी है कि वह अयोध्या में किसी जगह मस्जिद के लिये ज़मीन दे।

गौरतलब है कि न्यायालय ने अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण का रास्ता साफ करते हुए अपने फैसले में सरकार को निर्देश दिया कि वह

अयोध्या में मस्जिद निर्माण के लिये किसी प्रमुख स्थान पर पांच एकड़ ज़मीन दे।

न्यायालय ने केंद्र को मंदिर निर्माण के लिये तीन महीने में योजना तैयार करने और न्यास बनाने का निर्देश दिया।

(समाचार एजेंसी भाषा के इनपुट के साथ)

Ayodhya Case
Supreme Court
All India Muslim Personal Law Board
Land title dispute
Central Government
Ayodhya verdict
Babri Masjid-Ram Mandir
hindu-muslim
Zafaryab Jilani

Related Stories

ज्ञानवापी मस्जिद के ख़िलाफ़ दाख़िल सभी याचिकाएं एक दूसरे की कॉपी-पेस्ट!

आर्य समाज द्वारा जारी विवाह प्रमाणपत्र क़ानूनी मान्य नहीं: सुप्रीम कोर्ट

समलैंगिक साथ रहने के लिए 'आज़ाद’, केरल हाई कोर्ट का फैसला एक मिसाल

मायके और ससुराल दोनों घरों में महिलाओं को रहने का पूरा अधिकार

जब "आतंक" पर क्लीनचिट, तो उमर खालिद जेल में क्यों ?

विचार: सांप्रदायिकता से संघर्ष को स्थगित रखना घातक

सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक आदेश : सेक्स वर्कर्स भी सम्मान की हकदार, सेक्स वर्क भी एक पेशा

तेलंगाना एनकाउंटर की गुत्थी तो सुलझ गई लेकिन अब दोषियों पर कार्रवाई कब होगी?

मलियाना कांडः 72 मौतें, क्रूर व्यवस्था से न्याय की आस हारते 35 साल

क्या ज्ञानवापी के बाद ख़त्म हो जाएगा मंदिर-मस्जिद का विवाद?


बाकी खबरें

  • सोनिया यादव
    सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक आदेश : सेक्स वर्कर्स भी सम्मान की हकदार, सेक्स वर्क भी एक पेशा
    27 May 2022
    सेक्स वर्कर्स को ज़्यादातर अपराधियों के रूप में देखा जाता है। समाज और पुलिस उनके साथ असंवेदशील व्यवहार करती है, उन्हें तिरस्कार तक का सामना करना पड़ता है। लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट के आदेश से लाखों सेक्स…
  • abhisar
    न्यूज़क्लिक टीम
    अब अजमेर शरीफ निशाने पर! खुदाई कब तक मोदी जी?
    27 May 2022
    बोल के लब आज़ाद हैं तेरे के इस एपिसोड में वरिष्ठ पत्रकार अभिसार शर्मा चर्चा कर रहे हैं हिंदुत्ववादी संगठन महाराणा प्रताप सेना के दावे की जिसमे उन्होंने कहा है कि अजमेर शरीफ भगवान शिव को समर्पित मंदिर…
  • पीपल्स डिस्पैच
    जॉर्ज फ्लॉय्ड की मौत के 2 साल बाद क्या अमेरिका में कुछ बदलाव आया?
    27 May 2022
    ब्लैक लाइव्स मैटर आंदोलन में प्राप्त हुई, फिर गवाईं गईं चीज़ें बताती हैं कि पूंजीवाद और अमेरिकी समाज के ताने-बाने में कितनी गहराई से नस्लभेद घुसा हुआ है।
  • सौम्यदीप चटर्जी
    भारत में संसदीय लोकतंत्र का लगातार पतन
    27 May 2022
    चूंकि भारत ‘अमृत महोत्सव' के साथ स्वतंत्रता के 75वें वर्ष का जश्न मना रहा है, ऐसे में एक निष्क्रिय संसद की स्पष्ट विडंबना को अब और नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है।
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    पूर्वोत्तर के 40% से अधिक छात्रों को महामारी के दौरान पढ़ाई के लिए गैजेट उपलब्ध नहीं रहा
    27 May 2022
    ये डिजिटल डिवाइड सबसे ज़्यादा असम, मणिपुर और मेघालय में रहा है, जहां 48 फ़ीसदी छात्रों के घर में कोई डिजिटल डिवाइस नहीं था। एनएएस 2021 का सर्वे तीसरी, पांचवीं, आठवीं व दसवीं कक्षा के लिए किया गया था।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License