NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
आंदोलन
मज़दूर-किसान
भारत
राजनीति
और मज़बूत हुआ ग़ाज़ीपुर का किसान मोर्चा : टिकैत के समर्थन में लगातार पहुंच रहे हैं लोग
टिकैत के आंसुओं ने हलके पड़ते किसान आंदोलन में फूंकी जान। पूरे देश में समर्थन और सहानुभूति की लहर। हरियाणा और पश्चिम उत्तर प्रदेश से बड़ी संख्या में किसान ग़ाज़ीपुर बॉर्डर पहुंचे। मुज़फ़्फ़रनगर में किसान पंचायत।
मुकुंद झा, रवि कौशल
29 Jan 2021
और मजबूत हुआ ग़ाज़ीपुर का किसान मोर्चा : टिकैत के समर्थन में लगातार पहुंच रहे हैं लोग
शुक्रवार सुबह गाज़ीपुर बॉर्डर का दृश्य। फोटो साभार : सोशल मीडिया

गाजीपुर बॉर्डर पर एक बार फिर किसानों को हुजूम उमड़ा। पश्चिमी उत्तर प्रदेश और हरियाणा से किसान अपने ट्रैक्टर-ट्रॉली के साथ अंदोलन स्थल पर पहुंच रहे हैं। बीती रात लगातार ये सिलसिला चलता रहा और आज शुक्रवार सुबह आरएलडी नेता जयंत चौधरी और दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया भी राकेश टिकैत से मिलने ग़ाज़ीपुर बॉर्डर पहुंचे।

शुक्रवार की सुबह इस आन्दोलन में एक अलग ही उत्साह था। पूरी रात जागने के बाद भी किसी के भी जोश में कोई कमी नहीं है। बल्कि किसानों ने कहा अब उनकी एकता और जोश बढ़ा है । अब तक जो इस आन्दोलन का हिस्सा नहीं थे, वो भी अब इसमें जुड़ गए है।

मुजफ्फरनगर के किसान शुभम ने हमको बताया, "आंदोलन खत्म करने के लिए सरकार फूट डालो और राज करो की राजनीति अपना रही है, यह काले अंग्रेज हैं। हमें कुचला जा सकता है, पर मिटाया नहीं जा सकता है। यह देश का आंदोलन है, सर आंदोलन का खर्च इस देश का किसान वहन कर रहा है। बाहरी ताकतों का आंदोलन नहीं हैं। हम मिटने को तैयार हैं, पर एक कदम पीछे नहीं लेंगे। एक-एक बच्चों के आंखों में आज पानी है। अपने विधायक को और गुर्गों को भेज कर सरकार ने आज बदमाशी की है। उन्होंने सोच है कि वो झण्डा लहरा कर हमारी छवि खराब कर लेंगे। हमारे से ज्यादा यह तिरंगा दिखा लेंगे? एक-एक ट्रैक्टर पर 20-20 तिरंगा है यहाँ। आज हम किसानों से यह राष्ट्रवाद का सुबूत माँग रहे हैं।"

गुरुवार शाम से पुलिस प्रशासन के रुख़ से लग रहा था कि वो अंदोलन स्थल को किसी भी हाल में ख़ाली करा लेंगे। आरोप है कि बीजेपी के स्थानीय नेता अपने समर्थकों के साथ आंदोलन स्थल के पास आए और किसानों को धमकाने की कोशिश की। यही वो बिंदु था जिसने उदासी मे जाते किसान आंदोलन में जान फूंकने का काम किया। इन सबके बीच राकेश टिकैत ने एक भावुक अपील की जिसके बाद से ऐसा लगा जैसे किसानों मे एक अलग ही जोश आ गया।

image

रोहिदा जो रोहतक के किसान हैं, वो कहते हैं, "वहाँ से ट्रैक्टर चल चुके हैं। करीब 200 ट्रैक्टर वहाँ से निकले हैं। टिकैत जी एक-एक आंसू इतिहास में याद रखा जाएगा, उनके आंसू इस सरकार के ताबूत में आखरी कील साबित होगी। उनके आंसू का हिसाब लेने के किसान दूर दराज इलाकों से यहां पहुंच रहे हैं। "

गुरुवार रात दस बजे मुजफ्फरनगर से आए नौजवान किसानों के एक जत्थे ने कहा अब संघर्ष आर-पार का होगा। देर रात होते होते पुलिस बल को वापस बुला लिया गाय है। आपको बता दे किसान पिछले दो महीने से सड़कों पर प्रदर्शन कर रहे हैं। उनकी शुरआत से मांग रही है कि नए विवादित कृषि कानूनों को रद्द किया जाए और न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी दी जाए।

गोरखपुर से आए किसान प्रबल प्रताप ने न्यूजक्लिक से बातचीत में कहा, "कल शाम से जब राकेश टिकैत की अगुवाई में पुलिस-प्रशासन से बात कर रहे थे, तभी भाजपा के मौजूदा विधायक अपने समर्थकों के साथ किसानों को अपमानित करने का प्रयास किया, यह बहुत निंदनीय है। भारतीय संस्कृति का वाहक किसान और गाँव हैं, और इनका अपमान करना, भारतीय संस्कृति का अपमान है। यह भाजपा के लोग आज संविधान और कानून से बड़े हो गए हैं। जब पुलिस-प्रशासन यहाँ मौजूद है बात करने के लिए, तो इनकी बात क्यों सुनी जाए जो आधी दुनिया को राष्ट्रभक्ति का सर्टिफिकेट बांटते घूम रहे हैं।  यह तीनों कानून सरकार को वापस लेने होंगे, और न्यूनतम समर्थन मूल के कानून को बनाना होगा। और जिस तरह से इन्होंने किसानों का अपमान किया, आज देखो लोगों की भावनाएं और जमीन से जुड़ा हुआ आंदोलन फिर वापस उठ खाद्य हुआ है। आज फिर जनमानस वापस आ रहा है। जो 26 जनवरी बना कर वापस गए थे, वो एक बार फिर बड़ी तादाद में प्रदर्शन स्थल पर लौट रहे हैं।" 

आइए आपको तस्वीरों और वीडियो के माध्यम से दिखाते हैं गुरुवार रात से लेकर शुक्रवार सुबह तक का नज़ारा

rakesh tikait
farmers protest
Farm bills 2020
Ghazipur protest site
farmers protest update

Related Stories

राम सेना और बजरंग दल को आतंकी संगठन घोषित करने की किसान संगठनों की मांग

झारखंड: नेतरहाट फील्ड फायरिंग रेंज विरोधी जन सत्याग्रह जारी, संकल्प दिवस में शामिल हुए राकेश टिकैत

यूपी चुनाव: किसान-आंदोलन के गढ़ से चली परिवर्तन की पछुआ बयार

किसानों को आंदोलन और राजनीति दोनों को साधना होगा

किसानों ने 2021 में जो उम्मीद जगाई है, आशा है 2022 में वे इसे नयी ऊंचाई पर ले जाएंगे

ऐतिहासिक किसान विरोध में महिला किसानों की भागीदारी और भारत में महिलाओं का सवाल

पंजाब : किसानों को सीएम चन्नी ने दिया आश्वासन, आंदोलन पर 24 दिसंबर को फ़ैसला

लखीमपुर कांड की पूरी कहानी: नहीं छुप सका किसानों को रौंदने का सच- ''ये हत्या की साज़िश थी'’

इतवार की कविता : 'ईश्वर को किसान होना चाहिये...

किसान आंदोलन@378 : कब, क्या और कैसे… पूरे 13 महीने का ब्योरा


बाकी खबरें

  • संदीपन तालुकदार
    वैज्ञानिकों ने कहा- धरती के 44% हिस्से को बायोडायवर्सिटी और इकोसिस्टम के की सुरक्षा के लिए संरक्षण की आवश्यकता है
    04 Jun 2022
    यह अध्ययन अत्यंत महत्वपूर्ण है क्योंकि दुनिया भर की सरकारें जैव विविधता संरक्षण के लिए अपने  लक्ष्य निर्धारित करना शुरू कर चुकी हैं, जो विशेषज्ञों को लगता है कि अगले दशक के लिए एजेंडा बनाएगा।
  • सोनिया यादव
    हैदराबाद : मर्सिडीज़ गैंगरेप को क्या राजनीतिक कारणों से दबाया जा रहा है?
    04 Jun 2022
    17 साल की नाबालिग़ से कथित गैंगरेप का मामला हाई-प्रोफ़ाइल होने की वजह से प्रदेश में एक राजनीतिक विवाद का कारण बन गया है।
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    छत्तीसगढ़ : दो सूत्रीय मांगों को लेकर बड़ी संख्या में मनरेगा कर्मियों ने इस्तीफ़ा दिया
    04 Jun 2022
    राज्य में बड़ी संख्या में मनरेगा कर्मियों ने इस्तीफ़ा दे दिया है। दो दिन पहले इन कर्मियों के महासंघ की ओर से मांग न मानने पर सामूहिक इस्तीफ़े का ऐलान किया गया था।
  • bulldozer politics
    न्यूज़क्लिक टीम
    वे डरते हैं...तमाम गोला-बारूद पुलिस-फ़ौज और बुलडोज़र के बावजूद!
    04 Jun 2022
    बुलडोज़र क्या है? सत्ता का यंत्र… ताक़त का नशा, जो कुचल देता है ग़रीबों के आशियाने... और यह कोई यह ऐरा-गैरा बुलडोज़र नहीं यह हिंदुत्व फ़ासीवादी बुलडोज़र है, इस्लामोफ़ोबिया के मंत्र से यह चलता है……
  • आज का कार्टून
    कार्टून क्लिक: उनकी ‘शाखा’, उनके ‘पौधे’
    04 Jun 2022
    यूं तो आरएसएस पौधे नहीं ‘शाखा’ लगाता है, लेकिन उसके छात्र संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) ने एक करोड़ पौधे लगाने का ऐलान किया है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License