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भारत
राजनीति
बनारस में किसान न्याय रैली: यूपी में असली विपक्ष बनने की कोशिश में कांग्रेस
उत्तर प्रदेश में विपक्ष के किसी राजनीतिक दल ने किसानों के सवाल पर पूर्वांचल में कोई रैली और सभा नहीं की थी। कांग्रेस ने रैली की तो प्रियंका गांधी ने अपने 26 मिनट के भाषण में आसमान छूती महंगाई, बेरोज़गारी के साथ खेती-किसानी के अलावा छुट्टा पशुओं के मुद्दे को भी प्रमुखता से उठाया।
विजय विनीत
11 Oct 2021
priyanka

उत्तर प्रदेश के वाराणसी में कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी की किसान रैली ने सूबे में जमीन पर गिरी कांग्रेस को खड़ी कर दिया। उनके निशाने पर यूपी के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी थे तो उनके पूंजीपति दोस्त भी। वह दोस्त जिनकी पूंजी में हर रोज अरबों का मुनाफा जुड़ रहा है। मोदी के गढ़ बनारस में कांग्रेस के मंच से पहली मर्तबा पूंजीवाद और पीएम के कॉरपोरेट प्रेम के खिलाफ मुखर आवाज उठी।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गढ़ में आयोजित कांग्रेस की किसान न्याय रैली में उमड़े अपार जनसमूह ने अस्सी के दशक में बेनियाबाग के मैदान में इंदिरा गांधी की रैली की याद दिला दी। विपक्ष की किसी रैली में पहली बार इतनी भीड़ दिखी। रैली में मौजूद कांग्रेस युवा नेता प्रवीण सिंह बबलू ने कहा, " जो लोग ताना मारा करते थे कि कांग्रेस वातानुकूलित संस्कृति की शिकार हो गई है, उन्हें प्रियंका गांधी ने करारा जवाब दे दिया है। साथ ही यह भी बता दिया है कि कि कांग्रेस पूर्वांचल में कहीं भी और कभी भी सड़क गर्म कर सकती है।"

यूपी में विपक्ष बनने के मूड में कांग्रेस 

लखीमपुर खीरी की घटना के बाद वाराणसी में कांग्रेस की सफल किसान न्याय रैली से यह बात साफ हो गई कि साल 2014 के बाद जो कांग्रेस जमीन पर गिर पड़ी थी, वह अब तनकर खड़ी हो गई है। प्रियंका गांधी ने रैली में कुछ बड़ी बातें कहीं। मसलन, "हमें जेल में डाल दो...। मार दो...। किसानों, मजदूरों, आदिवासियों, दलितों और नौजवानों को न्याय मिलने तक हम लड़ते रहेंगे। यह वक्त सरकार बनाने का नहीं, देश बचाने का है।" प्रियंका ने जो संकेत दिया उससे यह स्पष्ट हो गया कि यूपी में कांग्रेस अब लंबी लड़ाई और असली विपक्ष बनने के मूड में है।

कांग्रेस ने 10 अक्टूबर को वाराणसी के जगतपुर डिग्री कालेज के मैदान में ‘किसान न्याय रैली’ आयोजित की थी, जिमें कई गंभीर सवाल खड़े हुए। प्रियंका गांधी ने महंगाई, बेरोजगारी, बर्बाद हो रही खेती-किसानी के साथ पूंजीवाद पर जोरदार हमला बोला तो लगा कि कांग्रेस केचुल छोड़कर नए विचारों को आत्मसात कर रही है।

निजीकरण का प्रखर विरोध करते हुए प्रियंका गांधी ने मोदी सरकार को बुरी तरह घेरा और कहा, "देश और प्रदेश त्रस्त है। किसी को भी मारा जा रहा है। देश में कोई भी सुरक्षित नहीं है। सुरक्षित हैं तो मोदी जी और उनके खरबपति दोस्त। सरकार ने देश को चंद कॉरपोरेटरों के हाथ में गिरवी रख दिया है। किसानों की फसलों की कीमत अब खरबपति तय कर रहे हैं। पीएम मोदी ने गंगा मां के आशीर्वाद से खेतों में फसल लहलहाने वाले करोड़ों गंगा पुत्रों का अपमान किया है।"

जनअदालत बन गई रैली

कांग्रेस की किसान न्याय रैली प्रियंका गांधी की जन-अदालत बन गई। उन्होंने भीड़ से पूछा क्या आपकी आमदनी बढ़ी है? जवाब मिला, "नहीं"। क्या आपके दरवाजे पर विकास आया है? फिर जवाब मिला, "नहीं"। क्या जिंदगी पहले से बेहतर हुई है? वही जवाब मिला, "नहीं"। तब प्रियंका ने कहा, "आमदनी बढ़ी है प्रधानमंत्री के कारपोरेट दोस्तों की। इनकी आमदनी इतनी बढ़ गई है कि वो एक-एक दिन में करोड़ों-करोड़ों रुपये कमा रहे हैं।"

मोदी पर हमला तेज करते हुए प्रियंका ने फिर पूछा, "प्रधानमंत्री ने अपने लिए जो जहाज खरीदा है वह कितने का है?" भीड़ ने जवाब दिया, "आठ हजार करोड़।" तब प्रियंका ने कहा, "प्रधानमंत्री ने अपने लिए 16000 करोड़ से दो नए जहाज खरीदे और सस्ता हवाई सफर मुहैया कराने वाले इंडियन एयरलाइंस के सारे विमानों और मूलभूत ढांचे को अपने पूंजीपति दोस्तों को सिर्फ 18000 करोड़ रुपये में बेच दिया। इस स्थिति को समझना होगा। जागरूक नहीं हुए तो न देश बचेगा, न आप बचेंगे।"

बढ़ती महंगाई को लेकर प्रियंका गांधी ने कहा कि पेट्रोल सौ रुपये के पार पहुंच गया है। डीजल 90 रुपये और रसोई गैस 900 रुपये में मिल रही है। तब भीड़ ने कहा, "रसोई गैस एक हजार रुपये में मिल रही है।" तब प्रियंका ने कहा, "अपने अंतर्मन में झांकिए, एक सवाल पूछिए क्या इन सात सालों में आपके जीवन में तरक्की आई, विकास आपके दरवाजे पर आया। अगर सवालों का जवाब नहीं है तो आइए मेरे साथ कंधे से कंधा मिलाकर सरकार को बदलिए।"

किसानों की आवाज़ बने कांग्रेस के मुद्दे

उत्तर प्रदेश में विपक्ष के किसी राजनीतिक दल ने किसानों के सवाल पर पूर्वांचल में कोई रैली और सभा नहीं की थी। कांग्रेस ने रैली की तो प्रियंका गांधी ने अपने 26 मिनट के भाषण में आसमान छूती महंगाई, बेरोजगारी के साथ खेती-किसानी के अलावा छुट्टा पशुओं के मुद्दे को भी प्रमुखता से उठाया। कहा, "यूपी में हम जिस रास्ते पर निकलते हैं, सिर्फ छुट्टा और आवारा पशु ही नजर आते हैं। किसानों की खेती बर्बाद हो रही है। दुर्घटनाएं बढ़ रही हैं। सरकार को कोई चिंता नहीं है।" प्रियंका गांधी भीड़ को यह समझाने में कामयाब दिखीं कि यूपी के किसान मुश्किल हैं।

किसानों की दुखती रगों पर मरहम लगाते हुए प्रियंका गांधी ने पीएम मोदी के खिलाफ न सिर्फ मुखर होकर बोला, बल्कि यह संकल्प भी दोहराया कि हम किसानों के लिए लड़ते रहेंगे। लखीमपुर खीरी की घटना में गाड़ियों से कुचले गए शहीद किसानों का नाम लेकर उन्होंने कहा, "उनके परिवारों के लोग फौज में हैं। वो देश की सुरक्षा कर रहे हैं और भाजपा के लोग उन्हें आतंकवादी व अपराधी बता रहे हैं। प्रधानमंत्री दुनिया के कोने-कोने तक प्रधानमंत्री घूम सकते हैं। देश-देश भ्रमण कर सकते हैं, लेकिन अपने देश के किसानों से भेंट करने नहीं जा सकते। किसानों को वो आंदोलनजीवी और पता नहीं क्या-क्या कहते हैं। वह यह भूल गए हैं कि किसान ही देश की आत्मा हैं। आजादी भी किसानों के बल पर मिली है। इस देश के गृह मंत्री के बेटे ने अपनी कार के नीचे छह किसानों को बेरहमी से कुचल दिया और सभी परिवारों का कहना है कि हमें न्याय चाहिए मुआवजा नहीं, लेकिन यह सरकार हमारे साथ न्याय करती नहीं दिख रही है। मैंने लखीमपुर जाने की कोशिश की तो हर तरफ पुलिस की घेराबंदी थी, लेकिन अपराधी को पकड़ने के लिए कोई नहीं निकला।"

प्रियंका ने रैली में उमड़े हुजूम को समझाया, "यह देश प्रधानमंत्री की जागीर नहीं है, आपका देश है। जागरूक और समझदार नहीं बनेंगे तो ना खुद को बचा पाएंगे और न देश को। आपकी मेहनत ने इस देश को बनाया है। आपको आतंकवादी कहने वालों को न्याय देने के लिए विवश कीजिए। मुझे जेल में डाल दीजिए, जब तक गृह राज्यमंत्री इस्तीफा नहीं देगा, हम लड़ते रहेंगे।"

कांग्रेस महासिचव प्रियंका गांधी ने इशारों-इशारों में समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव पर भी निशाना साधा। उन्होंने भीड़ से सवाल किया, "हम किसके साथ रहेंगे? लड़ने वालों के साथ रहेंगे या फिर कमरे में बैठकर ट्विटर पर राजनीति करने वालों के साथ?" भीड़ की ओर से जवाब आया, "कांग्रेस के साथ।"

गायब रहा औरंगाबाद हाउस

आजादी के बाद बनारस में कांग्रेस की यह पहली रैली थी जिसमें औरंगाबाद हाउस गायब था। कमलापति त्रिपाठी के कुनबे से रैली में कोई नहीं आया। न कोई सदस्य और न ही समर्थक। रैली में बोलने का मौका भी सिर्फ पूर्व विधायक अजय राय और पूर्व सांसद राजेश मिश्र को ही मिला।

किसान रैली में यह बात भी साफ हो गई कि औरंगाबाद हाउस के कांग्रेस से जुदा होने के बाद बनारस मंडल में सिर्फ दो ध्रुव-अजय और राजेश ही रहेंगे। तीसरा कोई नहीं होगा। मंच पर प्रियंका गांधी के लिए जो कुर्सियां लगाई गई थीं, उसके अगल-बगल अजय राय और राजेश मिश्र ही बैठाए गए थे।

कांग्रेस की किसान न्याय रैली में पहले की तरह बूढ़े लोगों का जत्था नहीं दिखा। पहली बार 25 से 40 साल उम्र के युवक और महिलाओं की तादाद ज्यादा दिखी। वरिष्ठ पत्रकार प्रदीप कुमार ने युवाओं की अपार भीड़ की ओर इशारा करते हुए कहा, "लगता है कांग्रेस अपनी संस्कृति बदल रही है। प्रियंका का भाषण सुनने से पता चलता है कि कांग्रेस का जोर अब समाजवाद और वामपंथ की ओर ज्यादा है। लोहिया ने जेल, वोट और फावड़े पर जोर दिया था। लगता है कि कांग्रेस भी उसी तरफ कदम बढ़ा रही है। आर्थिक सुधार और वैश्वीकरण जैसे शब्दों को गढ़ने वाली कांग्रेस पहली बार पूंजीवादी सोच पर हमला करती हुई दिख दिख रही है। कांग्रेस के विमर्श के केंद्र में पहली मर्तबा गरीब, किसान-मजदूर, नौजवान और आदिवासी रहे।"

प्रदीप ने कहा, "हाल के दिनों में यह देखा जा रहा है कि बीजेपी कई मोर्चों पर विफल रही है। लोकतंत्र ख़तरे में है। कोरोना, बदहाल अर्थव्यवस्था, बेरोज़गारी, भ्रष्टाचार बढ़ा है। प्रियंका अकेली नेता हैं जो जनता के मुद्दों पर सड़क पर आई हैं। उनकी आवाज़ बनी हैं। छह बार हिरासत में ली गईं। दर्जनों बार उन्हें पकड़ा गया। कई बार उनसे धक्कामुक्की की गई। सोनभद्र में आदिवासियों पर हमला हो, इलाहाबाद में मछुआरों की बात हो, हाथरस की बेटी का मामला हो या किसानों का मुद्दा हो, ऐसे सभी मामलों में वह जनता के साथ खड़ी दिखाई देती हैं। प्रियंका के लिए यह अच्छा मौक़ा है कि वह देश को एक नई दिशा दिखाएं।"

प्रियंका ने खोज ली भाजपा की काट

वरिष्ठ पत्रकार असद कमाल लारी ने कहा "निजीकरण और पूंजीवाद का इतना प्रखर विरोध पहले कभी भी कांग्रेस की सभाओं में देखने को नहीं मिलाता था। जिस रास्ते से भाजपा ने यूपी में अपनी पैठ बनाई, लगता है उसकी काट अब प्रियंका गांधी ने भी खोज ली है। उन्होंने अपने भाषण की शुरुआत दुर्गा स्तुति से की और यह जताने का प्रयास किया कि कांग्रेस पर हिन्दू विरोधी होने के जो आरोप लगते रहे हैं वह पूरी तरह गलत हैं।"

"किसान न्याय रैली की शुरुआत शंखनाद, हर-हर महादेव और गुरुवाणी और कुरान की आयतों से करके यह संदेश देने का प्रयास किया गया कि उनके लिए सभी धर्म-संप्रदाय एक हैं। पहली बार यह बात भी सामने आई कि नवरात्र में प्रियंका लगातार नौ दिनों तक व्रत भी रखती हैं। हिन्दू धर्म में अगाध श्रद्धा और आस्था के चलते वह दुर्गा मंदिर गईं और काशी विश्वनाथ मंदिर व अन्नपूर्णा माता मंदिर में पूजा-अर्चना की।"

लारी यह भी कहते हैं, "प्रियंका गांधी के पास नई सोच और नया नज़रिया है। वो लोगों को प्रेरणा देती हैं। उनमें हुनर है, क्षमता है और लड़ने का मद्दा भी। वो अच्छा बोलती भी हैं। लोगों से उनका व्यवहार और रिश्ता बहुत अच्छा है। प्रचार भी अच्छा करती हैं। लगता है कि वह कांग्रेस के लिए वह बड़ा ट्रंप कार्ड साबित हो सकती हैं।"

इसे रैली कहें या जनविद्रोह की शुरुआत

प्रियंका गांधी की किसान न्याय रैली पर सधी हुई प्रतिक्रिया देते हुए साहित्यकार रामजी यादव कहते हैं, "यह जनविद्रोह की शुरुआत है। पिछले दस महीने से कृषि कानूनों के नाम पर किसानों को धोखा दिया जा रहा है। उन पर लगातार जुल्म ज्यादतियां हो रही हैं। लखीमपुर खीरी की घटना से पूरे देश में गुस्सा है। पूर्वांचल के किसान अभी तक बोल नहीं रहे थे, लेकिन सबके मन में बीजेपी सरकार के प्रति जबर्दस्त आक्रोश है। मानना चाहिए कि बड़ी घटना के बाद की प्रतिक्रिया है। किसानों का मुद्दा इस समय देश में सबसे बड़ा मुद्दा है। अगर कोई किसानों के मुद्दे पर लीड करता है तो लोग उसके साथ जाएंगे। पूंजीवाद और कारपोरेटरीकरण के खिलाफ तो लड़ाई बढ़नी ही चाहिए। जो भी सियासी दल किसानों के मुद्दों पर रैली और सभाएं करेंगे, भीड़ उसमें जुटेगी ही। इसे पाजिटिव साइन के रूप में देखना चाहिए कि किसानों के मुद्दे पर लोग जुटे।"

रामजी कहते हैं, " दिल्ली के बाद पश्चिमी उत्तर प्रदेश में घूम रहा किसान आंदोलन अब पूर्वांचल में दस्तक दे रहा है। इस समय जो भी सियासी दल किसानों के हितों की बात करेंगे, वो अपने विचारों को वोट में बदलने की रणनीति में जरूर सफल होंगे। मोदी के कारपोरेट प्रेम के खिलाफ सिर्फ प्रियंका गांधी नहीं, बहुत से लोग बोल रहे हैं, लेकिन किसी राष्ट्रीय पार्टी के दिग्गज नेता का पूंजीपतियों के खिलाफ मंच से बोल देना ही बड़ी बात है।"

(विजय विनीत बनारस स्थित वरिष्ठ पत्रकार हैं।)

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