NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
आंदोलन
मज़दूर-किसान
भारत
राजनीति
किसान आंदोलन : संयुक्त किसान मोर्चा ने किसानों से भाजपा को वोट न देने का किया अनुरोध
एसकेएम ने 5 चुनाव वाले राज्यों के किसानों के लिए एक अपील पत्र जारी किया है। जिसमें राज्य के किसानों से भाजपा को वोट नहीं देने का आग्रह किया गया है। मोर्चा ने पत्र में कहा कि चुनाव में हार से केंद्र सरकार कृषि कानूनों को रद्द करने के लिए मजबूर होगी।
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
13 Mar 2021
संयुक्त किसान मोर्चा

विभिन्न किसान संघों के संगठन संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने शुक्रवार को पश्चिम बंगाल के किसानों और अन्य लोगों से आगामी विधानसभा चुनाव में भाजपा को वोट नहीं देने का अनुरोध किया। जबकि किसानों का आंदोलन सौं से अधिक दिनों से दिल्ली की सीमाओं पर जारी है। दूसरी तरफ देशभर में बड़ी-बड़ी किसान महपंचायते हो रही हैं जिनमें लाखों की भीड़ उमड़ रही है। इन सबके बाद भी सरकार किसानों की मांग पर ध्यान नहीं दे रही है। उलटे आंदोलन कर रहे किसानों को सत्ताधारी दल के लोग अलग नामों से पुकार रहे हैं और आंदोलन को बदनाम करने की पूरी कोशिश भी हो रही है। इन सबके बीच किसान नेताओं ने फैसला किया है कि वो अब चुनावी राज्यों में जाकर बीजेपी का खुला विरोध करेंगे और बताएंगे कि वो किसान और आम जनता दोनों के खिलाफ हैं। हालांकि उन्होंने स्पष्ट किया इस दौरन वो किसी भी दल का समर्थन नहीं करेंगे।

मोर्चा ने कहा कि चुनावी हार ही केंद्र की बीजेपी सरकार को तीनों नए कृषि कानूनों को वापस लेने के लिए मजबूर करेगी।

राजस्थान के जोधपुर के पीपाड़ में किसानों की महापंचायत को संबोधित करते हुए भाकियू नेता ने केंद्र में भाजपा नेतृत्व वाली सरकार को ‘‘दो लोगों की सरकार’’ बताया जो किसी की नहीं सुनती। उन्होंने युवाओं की और भागीदारी का आह्वान करते हुए कहा कि तीनों कृषि कानूनों के खिलाफ फिलहाल आंदोलन नवंबर तक जारी रहेगा।

सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर ने भाजपा पर ‘‘देश को कॉरपोरेटों को बेचने" की कोशिश करने का आरोप लगाया और लोगों से अपने मताधिकार का प्रयोग सावधानीपूर्वक करने का आग्रह किया।

किसानों के आंदोलन को "अपमानित’’करने के लिए केंद्र की निंदा करते हुए पाटकर ने आरोप लगाया कि ब्रिटिश शासकों ने भी ऐसे कृत्यों का सहारा नहीं लिया जैसा वर्तमान सरकार कर रही है।

उन्होंने पश्चिम बंगाल विधानसभा में कृषि कानूनों के खिलाफ प्रस्ताव पारित किए जाने का स्वागत किया।

‘संयुक्त किसान मोर्चा’ ने बिजली संशोधन विधेयक 2021 को ससंद में पेश करने के भारत सरकार के कदम का विरोध किया है और मांग की है कि सरकार संसद के चालू सत्र में सारणीकरण के लिए सूचीबद्ध विधेयक के मसौदे को सार्वजनिक करे। विद्युत अधिनियम में कोई भी संशोधन केंद्र सरकार द्वारा किसान संगठनों को अपना मसौदा विधेयक वापस लेने के लिए की गई प्रतिबद्धता का स्पष्ट रूप से उल्लंघन है।

‘सयुंक्त किसान मोर्चा’ ने तमिलनाडु पुलिस के रवैये को अलोकतांत्रिक व दमनकारी कहा और बताया कि कन्याकुमारी में किसानों के समर्थन में निकल रही साइकिल रैली को रोक दिया गया है। ‘सयुंक्त किसान मोर्चा’ ने इसकी कड़ी निंदा की।

किसान नेताओं का सरकार पर गंभीर आरोप

‘सयुंक्त किसान मोर्चा’ ने कहा, “सरकार किसानों की मांगें मानने की बजाय किसानों का समर्थन करने वालों को लगातार परेशान कर रही है। सुखपाल सिंह खैरा पर असंवैधानिक व अमानवीय रूप से ED की रेड द्वारा तंग किया जा रहा है, जिसकी ‘सयुंक्त किसान मोर्चा’ कड़ी निंदा करता है। 26 जनवरी की पुलिस की गोली से शहीद हुए नवरीत की मौत की जांच की लगातार मांग करने वाले सुखपाल खैरा की किसान आंदोलन में सक्रियता के चलते सरकार उन्हें परेशान कर रही है।”

वहीं किसानों के आंदोलन के समर्थन में पूरे भारत में नियमित रूप से रैलियां और विरोध प्रदर्शन किए जा रहे हैं। ऐसी ही एक रैली जहानाबाद में स्वामी सहजानंद सरस्वती की 123 वीं जयंती के अवसर पर आयोजित की गई थी। 18 मार्च 2021 को विधान सभा मार्च से पहले 7 “किसान यात्रा” बिहार के लगभग सभी जिलों में यात्रा कर रही हैं।

उत्तरप्रदेश के बांदा में आज किसान महापंचायत आयोजित की गई। प्रशासन ने 7 दिन पहले पंचायत की अनुमति स्वयं दी थी, लेकिन कल रात 11 बजे पुलिस-प्रशासन ने बलपूर्वक पंडाल उखाड़ दिया एवम किसानों को बाँदा में पहुंचने से रोकने के लिए भारी पुलिसबल तैनात किया गया। उसके बावजूद बाँदा में कलेक्टर आफिस के सामने बड़ी संख्या में किसानों ने इकट्ठे होकर महापंचायत की और बुंदेलखंड के सभी जिलों में जाकर कृषि कानूनों एवम MSP गारंटी कानून पर किसानों को जागरूक करने का प्रण लिया।

एसकेएम ने 5 चुनाव वाले राज्यों के किसानों के लिए एक अपील पत्र जारी की है। जिसमें राज्य के किसानों से भाजपा को वोट नहीं देने का आग्रह किया गया है। मोर्चा ने पत्र में कहा कि चुनाव में हार से केंद्र सरकार कृषि कानूनों को रद्द करने के लिए मजबूर होगी।

एसकेएम की किसानों से अपील

एसकेएम ने अपील में कहा “पिछले 105 दिनों से, लाखों किसान अपने गांवों और खेती को छोड़कर ट्रैक्टर-ट्रॉलियों और टेंटों में दिल्ली के दरवाजे पर डेरा डाले हुए हैं। यहां, किसानों ने दिल्ली की हड्डियों को ठंडा करने वाली क्रूर सर्दी का सामना किया है। अब, एक चिलचिलाती गर्मी की शुरुआत हो रही है। हालाँकि, किसानों का वापस घर जाने का कोई इरादा नहीं है। वे यहां अपने मूल अधिकारों के संरक्षण के लिए लड़ रहे है। विरोध करने वाले किसान सिर्फ अपने अधिकारों के लिए नहीं, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए भी भारत की खेती को बचाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। वे यहां देश में किसानों की गरिमा संरक्षित करने के लिए संघर्षरत हैं। इस संघर्ष में अब तक लगभग 290 किसानों को अपने प्राणों की आहुति देनी पड़ी है- कुछ अत्यधिक ठंड की वजह से, कुछ बीमारियों की वजह से, कुछ दुर्घटनाओं में और कुछ जिन्होंने खुद अपनी जान लेने का चरम कदम उठाया।”

आगे अपील करते हुए एसकेएम ने कहा-

हम केंद्र और उन राज्यों में भाजपा सरकार की कठोर सच्चाई को आपके संज्ञान में लाना चाहेंगे जहां यह सत्ता में है:

भाजपा सरकार तीन किसान विरोधी कानून लेकर आई, जो गरीब किसानों और उपभोक्ताओं के लिए सरकार से किसी भी प्रकार के संरक्षण को समाप्त कर देते हैं, और साथ ही कॉरपोरेट और बड़े पूँजीवादियों के विस्तार की सुविधा प्रदान करते है। उन्होंने किसानों से बिना पूछे किसानों के लिए इस तरह के फैसले लिए हैं। ये ऐसे कानून हैं जो हमारे भविष्य के साथ-साथ हमारी आने वाली पीढ़ियों को भी नष्ट कर देंगे।

भाजपा सरकार ने इन कानूनों के खिलाफ आंदोलन शुरू करने वाले किसानों को बदनाम किया। उन्हें राजनीतिक दलों के एजेंट के रूप में, चरमपंथियों और राष्ट्र-विरोधी के रूप में पेश किया गया और लगातार अपमान किया गया।

भाजपा सरकार के मंत्रियों ने किसान नेताओं के साथ कई दौर की बातचीत करने का दिखावा किया लेकिन वास्तव में किसानों ने जो कहा उसे ध्यान से नहीं सुना। भाजपा सरकारों ने प्रदर्शनकारी किसानों पर आंसू गैस के गोले, वाटर केनन चलाने, लाठीचार्ज करने और यहां तक कि झूठे मामले दर्ज करने और निर्दोष किसानों को गिरफ्तार करने के आदेश दिए। भाजपा के सदस्य किसानों के विरोध स्थलों में किसानों पर पथराव की हिंसक घटनाओं में शामिल थे। किसानों के खिलाफ इस अपमान और हमले का जवाब देने के लिए, हम अब आपकी मदद चाहते हैं। कुछ दिनों में, आपके राज्यों में, आप सभी राज्य विधानसभाओं के लिए अपने चुनावों में मतदान करेंगे। हम समझ चुके हैं कि मोदी सरकार संवैधानिक मूल्यों, सत्यता, भलाई, न्याय आदि की भाषा नहीं समझती है। ये वोट, सीट और सत्ता की भाषा समझते हैं। आप सब में इनमें सेंध लगाने की शक्ति है।

भाजपा दक्षिणी राज्यों में अतिक्रमण करने को लेकर बहुत उत्साहित है और सहयोगी दलों के साथ मिलकर ये काम करेगी। यह वह समय है जब असम, केरल, पुडुचेरी, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल में किसान सत्ता की भूखी और किसान विरोधी भाजपा को अच्छा सबक सिखा सकते हैं। बीजेपी को सबक सीखना चाहिए कि भारत के किसानों के खिलाफ खुद को खड़ा करना कोई समझदारी नहीं है। यदि आप उन्हें यह सबक सिखाने का यत्न करते हैं, तो इस पार्टी का अहंकार टूट सकता है, और हम चल रहे किसानों के आंदोलन की मांगों को इस सरकार से मनवा सकते हैं।

‘संयुक्त किसान मोर्चा’ आपको यह बताने की कोशिश नहीं करता है कि आपको किसे वोट देना चाहिए, लेकिन आपसे केवल भाजपा को वोट नहीं देने के लिए कह रहा है। हम किसी पार्टी विशेष की वकालत नहीं कर रहे हैं। हमारी केवल एक अपील है- कमल के निशान को गलती से भी वोट न दें।

पिछले साढे महीनों से किसान दिल्ली के आसपास धरना स्थलों से वापस घर नहीं गए हैं। दिल्ली की सीमाओं पर संघर्ष कर रहे प्रदर्शनकारी किसान अपने परिवारों से कब मिलेंगे, यह आपके हाथों में है। एक किसान ही दूसरे किसान के दर्द और पीड़ा को समझेगा।

असम, केरल, पुडुचेरी, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल में किसानों के संघर्ष व लड़ने की भावना सर्वविदित है, और हमें विश्वास है कि आप हमारे इस आह्वान का सकारात्मक जवाब देंगे। हमें यकीन है कि आप वोट डालते समय यह अपील याद रखेंगे।

farmers protest
Farm Bills
Samyukt Kisan Morcha
BJP
Modi government

Related Stories

गैर-लोकतांत्रिक शिक्षानीति का बढ़ता विरोध: कर्नाटक के बुद्धिजीवियों ने रास्ता दिखाया

मूसेवाला की हत्या को लेकर ग्रामीणों ने किया प्रदर्शन, कांग्रेस ने इसे ‘राजनीतिक हत्या’ बताया

बिहार : नीतीश सरकार के ‘बुलडोज़र राज’ के खिलाफ गरीबों ने खोला मोर्चा!   

आशा कार्यकर्ताओं को मिला 'ग्लोबल हेल्थ लीडर्स अवार्ड’  लेकिन उचित वेतन कब मिलेगा?

दिल्ली : पांच महीने से वेतन व पेंशन न मिलने से आर्थिक तंगी से जूझ रहे शिक्षकों ने किया प्रदर्शन

राम सेना और बजरंग दल को आतंकी संगठन घोषित करने की किसान संगठनों की मांग

विशाखापट्टनम इस्पात संयंत्र के निजीकरण के खिलाफ़ श्रमिकों का संघर्ष जारी, 15 महीने से कर रहे प्रदर्शन

आईपीओ लॉन्च के विरोध में एलआईसी कर्मचारियों ने की हड़ताल

जहाँगीरपुरी हिंसा : "हिंदुस्तान के भाईचारे पर बुलडोज़र" के ख़िलाफ़ वाम दलों का प्रदर्शन

दिल्ली: सांप्रदायिक और बुलडोजर राजनीति के ख़िलाफ़ वाम दलों का प्रदर्शन


बाकी खबरें

  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    दिल्ली उच्च न्यायालय ने क़ुतुब मीनार परिसर के पास मस्जिद में नमाज़ रोकने के ख़िलाफ़ याचिका को तत्काल सूचीबद्ध करने से इनकार किया
    06 Jun 2022
    वक्फ की ओर से प्रस्तुत अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि यह एक जीवंत मस्जिद है, जो कि एक राजपत्रित वक्फ संपत्ति भी है, जहां लोग नियमित रूप से नमाज अदा कर रहे थे। हालांकि, अचानक 15 मई को भारतीय पुरातत्व…
  • भाषा
    उत्तरकाशी हादसा: मध्य प्रदेश के 26 श्रद्धालुओं की मौत,  वायुसेना के विमान से पहुंचाए जाएंगे मृतकों के शव
    06 Jun 2022
    घटनास्थल का निरीक्षण करने के बाद शिवराज ने कहा कि मृतकों के शव जल्दी उनके घर पहुंचाने के लिए उन्होंने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से वायुसेना का विमान उपलब्ध कराने का अनुरोध किया था, जो स्वीकार कर लिया…
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    आजमगढ़ उप-चुनाव: भाजपा के निरहुआ के सामने होंगे धर्मेंद्र यादव
    06 Jun 2022
    23 जून को उपचुनाव होने हैं, ऐसे में तमाम नामों की अटकलों के बाद समाजवादी पार्टी ने धर्मेंद्र यादव पर फाइनल मुहर लगा दी है। वहीं धर्मेंद्र के सामने भोजपुरी सुपरस्टार भाजपा के टिकट पर मैदान में हैं।
  • भाषा
    ब्रिटेन के प्रधानमंत्री जॉनसन ‘पार्टीगेट’ मामले को लेकर अविश्वास प्रस्ताव का करेंगे सामना
    06 Jun 2022
    समिति द्वारा प्राप्त अविश्वास संबंधी पत्रों के प्रभारी सर ग्राहम ब्रैडी ने बताया कि ‘टोरी’ संसदीय दल के 54 सांसद (15 प्रतिशत) इसकी मांग कर रहे हैं और सोमवार शाम ‘हाउस ऑफ कॉमन्स’ में इसे रखा जाएगा।
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    कोरोना अपडेट: देश में कोरोना ने फिर पकड़ी रफ़्तार, 24 घंटों में 4,518 दर्ज़ किए गए 
    06 Jun 2022
    देश में कोरोना के मामलों में आज क़रीब 6 फ़ीसदी की बढ़ोतरी हुई है और क़रीब ढाई महीने बाद एक्टिव मामलों की संख्या बढ़कर 25 हज़ार से ज़्यादा 25,782 हो गयी है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License