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पिछले साल 3,05,000 से अधिक श्रमिकों ने म्यांमार से पलायन किया
श्रम, आव्रजन और जनसंख्या मंत्रालय द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के अनुसार साल 2019 में 3,05,000 से अधिक श्रमिक पलायन कर गए।
पीपल्स डिस्पैच
18 Jan 2020
myanmar
Courtesy: Zarni Phyo/The Myanmar Times

जब से रोहिंग्या संकट म्यांमार में गहराया है तब से देश की सामाजिक-आर्थिक स्थिति सबसे बुरी तरह प्रभावित हुई है। पिछले साल श्रमिकों का एक बड़ा हिस्सा काम के लिए विदेशों में चला गया। श्रम, आव्रजन और जनसंख्या मंत्रालय द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के अनुसार 2019 में 3,05,000 से अधिक लोग पलायन कर गए।

पलायन करने वाले इन लोगों में बड़ी संख्या थाईलैंड पहुंची है जबकि मलेशिया मंत्रालय के अनुसार इन लोगों का दूसरा पसंदीदा देश मलेशिया है। हालांकि, सरकारी अधिकारी यह कह रहे हैं कि वर्तमान में म्यांमार के चार मिलियन से अधिक श्रमिक विदेशों में काम कर रहे हैं। मंत्रालय ने दावा किया कि कुछ प्रतिशत श्रमिक सीमाओं को पार करने के लिए अनौपचारिक तरीके से जोखिम उठाते रहते हैं। इस आंकड़े के मुताबिक ये श्रमिक ज्यादातर मलेशिया, थाईलैंड, सिंगापुर, कोरिया, जापान, यूएई, जॉर्डन, कतर और मकाओ जाते हैं।

प्रवासन के बाद श्रमिकों के अधिकांश या तो उद्योगों और समुद्री क्षेत्रों या थाईलैंड में कृषि व्यवसायों में नौकरी करते हैं जहां एक बहुत बड़ा हिस्सा म्यांमार के श्रमिक रहते हैं। मई 2019 में अंतर्राष्ट्रीय श्रम दिवस पर म्यांमार के प्रवासी श्रमिकों के साथ-साथ थाईलैंड के समूहों ने एक बयान में अधिक से अधिक "न्यूनतम मजदूरी, काम की सुरक्षा, बेहतर सामाजिक सुरक्षा और सुचारू कार्य परमिट और वीजा विस्तार आवेदन प्रक्रियाओं पर जोर दिया।"

म्यांमार श्रमिक संगठनों ने इस बात पर प्रकाश डाला है कि म्यांमार से आने वाले मज़दूरों की एक बड़ी संख्या ग्रामीण क्षेत्रों से आती है। 2 जनवरी को थाईलैंड ने थाई-म्यांमार सीमा पर तीन प्रमुख सीमाओं के माध्यम से 74,731 बिना दस्तावेज वाले म्यांमार श्रमिकों को म्यांमार के अधिकारियों को सौंप दिया है। श्रमिकों के साथ किया गया ये व्यवहार बेहतर नहीं है।

अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन के सर्वेक्षण 'म्यांमार लेबर इसू फ्रॉम द पर्सपेक्टिव ऑफ द इंटरप्राइजेज' के अनुसार इस देश का अभी भी एशिया के सबसे ग़रीब देशों में शुमार होता है और इसे सबसे कम विकसित देश के रूप में बताया गया है। इस स्टडी में उल्लेख किया गया है, "इसकी अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से कृषि प्रधान है, जिसकी उत्पादकता कम है और अविकसित ढ़ांचा और वित्तीय प्रणालियों से बाधित है।“

वर्तमान में, अनौपचारिक क्षेत्र गरीबी में जीने वाले अधिकांश अनौपचारिक श्रमिकों के रोजगार के लिए म्यांमार की रीढ़ है। इस तरह मौजूदा बिगड़ी हुई स्थिति इन श्रमिकों को काम के लिए अपने देश से पलायन करने के लिए मजबूर करती है।

साभार : पीपल्स डिस्पैच

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Social-Economical
Myanmar Labor Organizations
International Labor Organization

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