लंदन स्थित मानवाधिकार समूह द्वारा मंगलवार 23 फरवरी को प्रकाशित एक रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले साल जून में इजरायल की सेनाओं द्वारा अहमद इरेकट की हत्या एक्स्ट्रा ज्यूडिशयल एक्जेक्यूशन थी क्योंकि इरेकट से इजरायल की सेना या संपत्ति को कोई खतरा नहीं था। यही दावा फिलिस्तीनी प्राधिकरण और मृतक अहमद इरेकट के परिवार द्वारा किया गया था।
27 वर्षीय अहमद इरेकट की हत्या 23 जून 2020 को इज़रायली सैनिकों द्वारा कब्जे वाले वेस्ट बैंक में बेथलहम के एक चेकपॉइंट पर उस समय की गई थी जब वह अपनी बहन की शादी के दिन एक ब्यूटी सैलून से अपनी मां और बहनों को लेने जा रहा था।
उसे गोली मारने के बाद इजरायली सैनिकों ने रेड क्रिसेंट एम्बुलेंस को अहमद को इलाज करने से लगभग एक घंटे तक रोक दिया था जिससे उसकी मौत हो गई थी।
मंगलवार को प्रकाशित फॉरेंसिक सबूत और वीडियो फुटेज के आधार पर इस रिपोर्ट के अनुसार अहमद को जब गोली मारी गई तो उस समय उससे सैनिकों को कोई खतरा नहीं था। रिपोर्ट में कहा गया है कि गोली लगने के बाद जख्म के निशान दिखाने के बावजूद उसे इलाज से रोक दिया गया था। इस रिपोर्ट में इस बात से इनकार किया गया है कि अहमद को वाहन रोकने के लिए कहा जाने के बाद भी उसने अपने वाहन को तेज कर दिया और दावा किया कि गोली मारने के समय वाहन की गति 15 किलोमीटर / घंटा थी।
इजरायल की सेना ने दावा किया था कि अहमद ने गोली लगने से पहले अपनी कार को चौकी के एक सेना पर चढ़ाने का प्रयास किया था।
फिलिस्तीनी अधिकारियों और अहमद के परिवार ने इज़रायली सेना के दावों पर आपत्ति जताते हुए उन पर नृशंस हत्या का आरोप लगाया था।
इस रिपोर्ट के प्रकाशित होने के बाद परिवार ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से अपील की है कि वह इरेकट के शव को देने के लिए इजरायल पर दबाव डाले जो कि उसकी हत्या के 8 महीने से अधिक समय बाद भी इजरायली अधिकारियों के कब्जे में है।
वर्षों से इजरायल सुरक्षा के नाम पर फिलिस्तीनियों की एक्स्ट्रा ज्यूडिशियल किलिंग में शामिल रहा है। B'Tselem के अनुसार, पिछले साल ही इजरायल ने कब्जे वाले क्षेत्रों में कम से कम 27 फिलिस्तीनियों को मार डाला था। जांच में पता चला है कि मारे गए ज्यादातर मामलों में इजरायल की सेना को कोई खतरा नहीं था।