NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
कृषि
मज़दूर-किसान
भारत
राजनीति
कोलकाता : लेफ़्ट और सेक्युलर पार्टियां किसानों के समर्थन में हुईं एकजुट, 5 घंटे का धरना प्रदर्शन आयोजित
पश्चिम बंगाल में यह पहली बार है जब लेफ़्ट फ़्रंट और कांग्रेस समेत 17 राजनीतिक संगठनों ने आकर किसानों की मांगों और उनके मुद्दों का समर्थन किया है।
संदीप चक्रवर्ती
31 Dec 2020
कोलकाता

कोलकाता: पश्चिम बंगाल में कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ़ इंडिया (मार्क्सिस्ट) और कांग्रेस समेत 17 वामपंथी और सेकुलर राजनीतिक संगठनों ने पांच घंटे का धरना आयोजित किया है। कोलकाता के बेहद चहल-पहल भरे इलाके 'एस्पेलानाडे' में दिया गया यह धरना, कृषि क़ानूनों का विरोध कर रहे किसानों के समर्थन मे आयोजित किया गया था।

कई विख्यात वामपंथी और कांग्रेस नेताओं समेत 'इंडियन पीपल्स थिएटर एसोसिएशन (इप्टा)' के कलाकारों ने इस कार्यक्रम में हिस्सा लिया। कार्यक्रम की अध्यक्षता लेफ़्ट फ़्रंट के अध्यक्ष बिमन बसु ने की। धरना स्थल पर नेताओं ने दिल्ली में पिछले 33 दिन से विरोध प्रदर्शन कर रहे किसानों के पक्ष में अपनी बात रखी।

राज्य में यह पहली बार है जब इतने सारे राजनीतिक संगठनों ने सार्वजनिक तौर पर किसानों के मुद्दों पर समर्थन दिया है।

रानी रश्मनी एवेन्यू पर यह धरना दोपहर के साढ़े बार बजे शुरू हुआ था, जो शाम के साढ़े पांच बजे तक चलता रहा। प्रदर्शन स्थल पर किसानों की दुर्दशा बताने वाले बैनरों और झंडों की लंबी कतारें लगी हुई थीं। IPTA के 25 से ज़्यादा कलाकारों ने कार्यक्रम में अपनी प्रस्तुति दी। 

इस दौरान लेफ़्ट फ़्रंट के चेयरमैन बिमन बसु ने दिल्ली में हो रहे किसान प्रदर्शन में पिछले 33 दिनों में 33 किसानों की शहादत का मुद्दा उठाया। उन्होंने अपने भाषण में कहा कि दिल्ली की बेइंतहां ठंड किसानों की सेहत पर बुरा असर डाल रही है। इसके बावजूद वे लोग संघर्ष कर रहे हैं, यहां तक कि किसान अपना जीवन भी इस संघर्ष में दांव पर लगा रहे हैं।

बसु के मुताबिक़, पहले बेहद क्रूरता के साथ प्रदर्शनकारी किसानों पर पानी की बौछारों का इस्तेमाल किया गया। लेकिन जब बाद में सरकार को समझ आ गया कि प्रदर्शन को इस तरीके से ख़त्म नहीं किया जा सकता, तो "उन्होंने हार मान ली।"

अपने भाषण में बसु ने कहा, "यह सिर्फ़ पंजाब ही नहीं, बल्कि पूरे देश के किसानों का प्रदर्शन है। क्योंकि यह मुद्दा हर किसान परिवार और कृषि उत्पाद के उपभोक्ताओं को प्रभावित करता है। इन कृषि क़ानूनों के ज़रिए यहां कॉरपोरेट के हितों को उपभोक्ता और कृषि हितों के ऊपर रखा जा रहा है।" बसु ने ध्यान दिलाया कि देश में बेरोज़गारों की संख्या 40 करोड़ पहुंच चुकी है, अब इस समस्या का समाधान इन लोगों की मांगों के साथ आंदोलन खड़ा करना ही है।

CPI(M) के राज्य सचिव डॉ सूर्यकांत मिश्रा ने राज्य और केंद्र सरकार को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी केंद्रीय योजनाओं के नामकरण से संबंधित कार्यक्रम पर ही लड़ रहे हैं। जबकि यह योजनाएं किसी की संपत्ति नहीं, बल्कि इन्हें करदाताओं के पैसे से चलाया जाता है। मिश्रा ने कहा, "इनमें से कोई इस चीज पर भी विचार करने के लिए तैयार नहीं है कि आखिर किसानों को उनके उत्पाद का सही मूल्य क्यों नहीं मिल पा रहा है? पश्चिम बंगाल और भारत अब अकाल की ओर मुड़ रहे हैं। हालिया रिपोर्टों के मुताबिक़, राज्य में आर्थिक स्थिति के चलते 6 लोगों में से एक शख़्स को एक दिन में एक वक़्त का खाना छोड़ना पड़ता है।" 

मिश्रा ने आगे कहा कि पश्चिम बंगाल ने 2014 में "कृषि विपणन क़ानून" लागू किया अब विधानसभा का विशेष सत्र बुलाकर इस क़ानून को रद्द करवाया जाना चाहिए। मिश्रा ने कहा कि मुख्यमंत्री बड़ी सार्वजनिक बैठक की अपील करती हैं, लेकिन पता नहीं किन वज़हों से बनर्जी विधानसभा का सत्र नहीं बुला रही हैं। इसके लिए मुख्यमंत्री गैर-वाजिब ढंग से महामारी को वज़ह बता रही हैं। उन्होंने कहा, "हम बीजेपी या टीएमसी को खुद से मात नहीं दे सकते। इसलिए हम इन ताकतों को हराने के लिए एकजुट हुए हैं।"

पूर्व सांसद और CPI(M) पोलित ब्यूरो के सदस्य मोहम्मद सलीम ने कहा कि अब देश की संसद एक थिएटर में बदल चुकी है, जहां क़ानूनों का उल्लंघन किया जाता है और किसान मुद्दों की तरह के मुद्दों को पटल पर उठाने नहीं दिया जाता। सलीम के मुताबिक़, "जब ऐसी स्थिति बनती है, तब सड़कों पर उतरना ही जवाब बनता है, बिलकुल वैसे ही जैसे पंजाब और दूसरे राज्य के किसान अपनी मांगों को बुलंद करने के लिए दिल्ली आ गए हैं।"

पश्चिम बंगाल में विपक्ष के नेता और कांग्रेस के सदस्य अब्दुल मन्नान ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री ने अपने भाषणों में झूठे दावे किए थे, जिनकी शुरुआत सभी के खातों में 15 लाख रुपये के हस्तांतरण के वायदे से हुई थी। इसी तरह पश्चिम बंगाल में मुख्यमंत्री कहती हैं कि वे नई दिल्ली में प्रदर्शन कर रहे किसानों का समर्थन करती हैं, लेकिन जब किसानों के पक्ष में रैली का आह्वान किया जाता है, तो वे इसे रोकने के लिए पुलिस को बुला लेती हैं।"  

कांग्रेस के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष और सांसद प्रदीप भट्टाचार्य ने कहा, "कृषि क्षेत्र को अडानी और अंबानी समूह के लिए खोलकर कॉरपोरेट हितों की पूर्ति की जा रही है।"

कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (सीपीआई) के राज्य सचिव स्वप्न बनर्जी, रेवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी (आरएसपी) के प्रदेश के नेता मृणमॉय सेनगुप्ता, फॉरवर्ड ब्लॉक के राज्य सचिव हाफ़िज़ आलम सैरानी, सीपीआई(माले) लिबरेशन के नेता कार्तिक पाल, कांग्रेस के मनोज चक्रबर्ती ने भी धरना स्थल पर अपनी बात रखी। दूसरे वक्ताओं में बर्नाली मुखर्जी (सीपीबी), मिहिर बैने (आरसीपीआई), बेचु डोली (पीडीएस), आशीष चक्रबर्ती (एमएफ़बी), शोमा नंदी (एलजेडी) और नज़रूल इस्लाम (डीएसपी) के अलावा दूसरे लोग शामिल थे।

इस लेख को मूल अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें।

Left and Secular Parties Unite in Kolkata in Support of Farmers, Hold 5-hour Dharna

Kolkata Dharna
farmers protest
Left Front
Congress
CPIM
Biman Basu
mamata banerjee
BJP
TMC

Related Stories

युद्ध, खाद्यान्न और औपनिवेशीकरण

आख़िर किसानों की जायज़ मांगों के आगे झुकी शिवराज सरकार

किसान-आंदोलन के पुनर्जीवन की तैयारियां तेज़

किसान आंदोलन: मुस्तैदी से करनी होगी अपनी 'जीत' की रक्षा

यूपी चुनाव: पूर्वी क्षेत्र में विकल्पों की तलाश में दलित

राजस्थान: अलग कृषि बजट किसानों के संघर्ष की जीत है या फिर चुनावी हथियार?

यूपी चुनाव: किसान-आंदोलन के गढ़ से चली परिवर्तन की पछुआ बयार

उप्र चुनाव: उर्वरकों की कमी, एमएसपी पर 'खोखला' वादा घटा सकता है भाजपा का जनाधार

केंद्र सरकार को अपना वायदा याद दिलाने के लिए देशभर में सड़कों पर उतरे किसान

यूपी चुनाव: आलू की कीमतों में भारी गिरावट ने उत्तर प्रदेश के किसानों की बढ़ाईं मुश्किलें


बाकी खबरें

  • aaj ki baat
    न्यूज़क्लिक टीम
    धर्म के नाम पर काशी-मथुरा का शुद्ध सियासी-प्रपंच और कानून का कोण
    19 May 2022
    ज्ञानवापी विवाद के बाद मथुरा को भी गरमाने की कोशिश शुरू हो गयी है. क्या यह धर्म भावना है? क्या यह धार्मिक मांग है या शुद्ध राजनीतिक अभियान है? सन् 1991 के धर्मस्थल विशेष प्रोविजन कानून के रहते क्या…
  • hemant soren
    अनिल अंशुमन
    झारखंड: भाजपा काल में हुए भवन निर्माण घोटालों की ‘न्यायिक जांच’ कराएगी हेमंत सोरेन सरकार
    18 May 2022
    एक ओर, राज्यपाल द्वारा हेमंत सोरेन सरकार के कई अहम फैसलों पर मुहर नहीं लगाई गई है, वहीं दूसरी ओर, हेमंत सोरेन सरकार ने पिछली भाजपा सरकार में हुए कथित भ्रष्टाचार-घोटाला मामलों की न्यायिक जांच के आदेश…
  • सोनिया यादव
    असम में बाढ़ का कहर जारी, नियति बनती आपदा की क्या है वजह?
    18 May 2022
    असम में हर साल बाढ़ के कारण भारी तबाही होती है। प्रशासन बाढ़ की रोकथाम के लिए मौजूद सरकारी योजनाओं को समय पर लागू तक नहीं कर पाता, जिससे आम जन को ख़ासी दिक़्क़तों का सामना करना पड़ता है।
  • mundka
    न्यूज़क्लिक टीम
    मुंडका अग्निकांड : क्या मज़दूरों की जान की कोई क़ीमत नहीं?
    18 May 2022
    मुंडका, अनाज मंडी, करोल बाग़ और दिल्ली के तमाम इलाकों में बनी ग़ैरकानूनी फ़ैक्टरियों में काम कर रहे मज़दूर एक दिन अचानक लगी आग का शिकार हो जाते हैं और उनकी जान चली जाती है। न्यूज़क्लिक के इस वीडियो में…
  • inflation
    न्यूज़क्लिक टीम
    जब 'ज्ञानवापी' पर हो चर्चा, तब महंगाई की किसको परवाह?
    18 May 2022
    बोल के लब आज़ाद हैं तेरे के इस एपिसोड में अभिसार शर्मा सवाल उठा रहे हैं कि क्या सरकार के पास महंगाई रोकने का कोई ज़रिया नहीं है जो देश को धार्मिक बटवारे की तरफ धकेला जा रहा है?
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License