NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
समाज
भारत
देश को गोल्ड दिलाने वाली नसरीन, लॉकडाउन में खाने के लिए कर रहीं हैं संघर्ष!
नसरीन का परिवार इस समय आर्थिक तंगी से गुजर रहा है। वो कहती हैं, “मैंने देश के लिए कई गोल्ड जीते लेकिन सरकार हमारी ओर ध्यान नहीं दे रही है।”
सोनिया यादव
22 Apr 2020
फाइल फोटो
फोटो साभार : दैनिक भास्कर

“मैंने अपने खेल से देश के लिए कई गोल्ड मेडल जीते, लेकिन आज लॉकडाउन में मुझे अपनी डाइट तक के लिए भी संघर्ष करना पड़ रहा है।”

ये दर्द भारतीय महिला खो-खो टीम की कैप्टन नसरीन का है। नसरीन के पिता मो. गफूर शेख दिल्ली के बाज़ारों में पटरी पर बर्तन की दुकान लगाते हैं, लेकिन लॉकडाउन के कारण उनकी दुकान बंद है और परिवार के खर्चे पहले की तरह ही चालू हैं। नसरीन इस वक्त अपने परिवार के साथ गुजर-बसर के लिए संघर्ष कर रही हैं, उन्हें सरकारों से मदद की आस है ताकि वो इस मुश्किल हालात से जल्दी बाहर निकल सकें।

21 साल की नसरीन का नाम उस समय सुर्खियों में आया जब साल 2019 में हुए दक्षिण एशियाई खेलों में उनकी कप्तानी में भारत ने गोल्ड मेडल जीता। अबतक नसरीन लगभग 35 नेशनल और दो इंटरनेशनल खेलों में शिरकत कर चुकी हैं। इसके अलावा एशियन गेम्स 2016 तथा 2018 में भी नसरीन शामिल थीं। फिलहाल नसरीन भारत सरकार के एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया में कार्यरत हैं। 

दिल्ली के शकूरपुर निवासी नसरीन ने न्यूज़क्लिक से बातचीत में कहा, “मेरे परिवार में मां-बाप समेत 13 लोग हैं। वह भाई-बहनों में पांचवें नंबर पर हैं। बड़े भाई की शादी हो गई है और वे अलग रहते हैं। बाकी सब भाई-बहन माता-पिता के साथ दो कमरे के किराए के मकान में रहते हैं।”

नसरीन बताती हैं, “लॉकडाउन से कुछ दिन पहले ही मेरे पापा के बर्तन की दुकान पुलिस ने बंद करवा दी थी। कुछ दिनों तक जैसे-तैसे काम चल गया, लेकिन अब हम आर्थिक तंगी से गुजर रहे हैं। परिवार की माली हालत खराब है। मेरी नौकरी भी कोई स्थायी नहीं है। तीन-तीन महीने में सैलरी मिलती है वो भी 26 हज़ार। अन्य भाई-बहन घर में ही रहकर लिफाफे बनाते हैं और स्कूल जाते हैं। लेकिन अब सारा ही काम बंद है। बड़ी बहन की तबीयत ठीक नहीं है और मैं अपनी सही डाइट तक नहीं ले पा रही हूं, जिसके चलते आगे मेरे खेल पर भी असर पड़ेगा।”

नसरीन आगे कहती हैं कि सरकार से जो मदद उन्हें मिलनी चाहिए, वो अभी तक नहीं मिल पाई है वो निराश होकर बताती हैं, “मैंने देश के लिए कई गोल्ड जीते लेकिन सरकार हमारी ओर ध्यान नहीं दे रही है।”

नसरीन के अनुसार खो-खो फेडरेशन ऑफ इंडिया और कुछ गैर सरकारी संस्थानों ने उनकी सहायता ज़रूर की है, लेकिन उन्हें इस कठिन दौर से निकलने के लिए और सरकारी मदद की दरकार है।

नसरीन का संघर्ष

नसरीन के अनुसार उनके जीवन में गरीबी के साथ एक बड़ी समस्या मुस्लिम होना भी रही। जब नसरीन ने खो-खो खेलने की इच्छा जाहिर की, तब पिता मो. गफूर शेख अपनी आर्थिक तंगी से परेशान थे। बावजूद इसके पिता ने बेटी के हौसलों को उड़ान दी और नसरीन को खो-खो की ट्रेनिंग दिलाना शुरू करवा दिया।

नसरीन कहती हैं कि कई बार आस-पड़ोस के लोगों ने कपड़ों को लेकर बातें बनाई। यहां तक कहा कि ‘एक मुस्लिम लड़की शार्ट्स कैसे पहन सकती है’ लेकिन नसरीन के परिवार ने कभी बेटी के आगे दूसरों की नहीं सुनी।

दिल्ली में खो-खो के गुरु अश्विन शर्मा के मार्गदर्शन और एमएस त्यागी के सानिध्य में रहकर नसरीन ने खो-खो के तकनीकी गुर सीखे। इसके बाद अपनी कड़ी मेहनत और कठिन परिश्रम से 2016 में इंदौर में हुई खो-खो चैंपियनशिप के लिए चुनी गईं। इसमें दस देशों के खिलाड़ियों ने हिस्सा लिया था। 2018 में लंदन में हुई खो-खो चैंपियनशिप में नसरीन पहली भारतीय खो-खो खिलाड़ी के रूप में चयनित हुईं। नसरीन पहले दिल्ली खो-खो टीम की कप्तान बनी और फिर उन्होंने भारतीय टीम की कमान संभाली।

देश में ‘पॉपुलर और नॉन पॉपुलर खेलों की त्रासदी

आपने समाचारों में पीएम केयर्स में दान देने वाले बड़े-बड़े खिलाड़ियों की सुर्खियां बनते देखा और सुना होगा। भारतीय क्रिकेटर्स विराट कोहली, सुरेश रैना, सचिन तेंदुलकर, सौरभ गांगुली समेत कई खिलाड़ियों ने इस बीमारी से निपटने के लिए लाखों, करोड़ों रुपये दान दिए हैं लेकिन ये हमारे समाज की कड़वी सच्चाई ही है कि जहां कोरोना काल के लिए ‘पॉपुलर खेलों’ के अमीर खिलाड़ी लाखों का दान दे रहे हैं वहीं नसरीन जैसे खिलाड़ियों को अपनी रोज़मर्रा की बुनियादी जरूरतों के लिए भी संघर्ष करना पड़ रहा है। नसरीन ने अपनी व्यथा खेल मंत्रालय, दिल्ली सरकार और केंद्र सरकार को भी ट्विटर के जरिये बताई लेकिन अभी तक कोई मदद नहीं मिली। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या सरकार कुछ पॉपुलर खेलों के खिलाड़ियों को ही तवज्जों दे रही है, क्या हमारे बाकी खिलाड़ी संसाधनों के आभाव और गुमनामी में जीवन बीताने को मज़बूर हैं?

गौरतलब है कि लॉकडाउन के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सचिन तेंदुलकर, सौरव गांगुली, बैडमिंटन खिलाड़ी पीवी सिंधु समेत देश के अलग-अलग खेलों से जुड़े 40 खिलाड़ियों से वीडियो कांफ्रेंसिंग के ज़रिए बातचीत की थी। पीएम मोदी ने इन खिलाड़ियों से कहा था कि वे लॉकडाउन में नियमों के पालन के लिए जागरुकता वीडियो बनाएं और सोशल मीडिया पर साझा करें। ऐसे में एक गौर करने वाली बात ये है कि खेल मंत्रालय और पीएमओ ने नसरीन जैसे खिलाड़ियों पर ध्यान क्यों नहीं दिया, आखिर नॉन पॉपुलर खिलाड़ियों को इस कांफ्रेंस में जगह क्यों नहीं मिली।

Indian Kho-Kho Team
Nasreen
Indian Women's Kho-Kho Team Captain
Lockdown
sports ministry
women in sports
delhi government
Modi government
Airport Authority of India
Effect of Coronavirus

Related Stories

​गत 5 वर्षों में पदों में कटौती से सरकारी नौकरियों पर छाए असुरक्षा के बादल

हम भारत के लोग : इंडिया@75 और देश का बदलता माहौल

हम भारत के लोग : हम कहां-से-कहां पहुंच गये हैं

संविधान पर संकट: भारतीयकरण या ब्राह्मणीकरण

झंझावातों के बीच भारतीय गणतंत्र की यात्रा: एक विहंगम दृष्टि

आज़ादी के अमृत महोत्सव वर्ष में हमारा गणतंत्र एक चौराहे पर खड़ा है

हम भारत के लोग: झूठी आज़ादी का गणतंत्र!

हम भारत के लोग:  एक नई विचार श्रृंखला

कैसे भाजपा की डबल इंजन सरकार में बार-बार छले गए नौजवान!

कोरोना अपडेट: देश के 14 राज्यों में ओमिक्रॉन फैला, अब तक 220 लोग संक्रमित


बाकी खबरें

  • डॉ. द्रोण कुमार शर्मा
    'राम का नाम बदनाम ना करो'
    17 Apr 2022
    यह आराधना करने का नया तरीका है जो भक्तों ने, राम भक्तों ने नहीं, सरकार जी के भक्तों ने, योगी जी के भक्तों ने, बीजेपी के भक्तों ने ईजाद किया है।
  • फ़ाइल फ़ोटो- PTI
    अनिल जैन
    ख़बरों के आगे-पीछे: क्या अब दोबारा आ गया है LIC बेचने का वक्त?
    17 Apr 2022
    हर हफ़्ते की कुछ ज़रूरी ख़बरों को लेकर फिर हाज़िर हैं लेखक अनिल जैन..
  • hate
    न्यूज़क्लिक टीम
    नफ़रत देश, संविधान सब ख़त्म कर देगी- बोला नागरिक समाज
    16 Apr 2022
    देश भर में राम नवमी के मौक़े पर हुई सांप्रदायिक हिंसा के बाद जगह जगह प्रदर्शन हुए. इसी कड़ी में दिल्ली में जंतर मंतर पर नागरिक समाज के कई लोग इकट्ठा हुए. प्रदर्शनकारियों की माँग थी कि सरकार हिंसा और…
  • hafte ki baaat
    न्यूज़क्लिक टीम
    अखिलेश भाजपा से क्यों नहीं लड़ सकते और उप-चुनाव के नतीजे
    16 Apr 2022
    भाजपा उत्तर प्रदेश को लेकर क्यों इस कदर आश्वस्त है? क्या अखिलेश यादव भी मायावती जी की तरह अब भाजपा से निकट भविष्य में कभी लड़ नहींं सकते? किस बात से वह भाजपा से खुलकर भिडना नहीं चाहते?
  • EVM
    रवि शंकर दुबे
    लोकसभा और विधानसभा उपचुनावों में औंधे मुंह गिरी भाजपा
    16 Apr 2022
    देश में एक लोकसभा और चार विधानसभा चुनावों के नतीजे नए संकेत दे रहे हैं। चार अलग-अलग राज्यों में हुए उपचुनावों में भाजपा एक भी सीट जीतने में सफल नहीं हुई है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License