NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
नज़रिया
स्वास्थ्य
भारत
राजनीति
लॉकडाउन : लोकतंत्र का अंतिम क्षण है...
शासक वर्ग जिस समय किसी घटना या बीमारी को ‘अभूतपूर्व संकट’ बताता है और उससे निपटने के लिए ‘अभूतपूर्व, कड़े क़दम’ उठाने की बात करता है, वह समय जनता के लोकतंत्र के लिए भी अभूतपूर्व संकट का समय होता है।
अजय सिंह
07 Apr 2020
lockdown
Image courtesy: The National

दिखायी दे रहा है कि कोरोना वायरस बीमारी (कोविड-19) और देशव्यापी लॉकडाउन (देश बंद-घर बंद-जनता बंद) की आड़ में भारत बर्बर तानाशाही व निरंकुश सर्वसत्तावाद की ओर बढ़ रहा है। राजनीतिक सत्ता का डरावने ढंग से अत्यधिक केंद्रीकरण हो रहा है। एक व्यक्ति-केंद्रित और एक राजनीतिक पार्टी-केंद्रित शासन व्यवस्था लगातार ज़ोर पकड़ रही है। यह भारत-जैसे बहुलतावादी और विविधतावादी देश के लिए किसी दुःस्वप्न से कम नहीं।

समूचा देश जैसे पुलिस राज्य (पुलिस स्टेट) में तब्दील हो गया है। कार्यपालिका को, जो पुलिस के बल पर अपने हुक्म व फ़रमान लागू कराती है, पूरी व बेलगाम छूट मिली हुई है। भारत विशाल क़ैदख़ाना बन गया है। न्यायपालिका दब्बू और घुटना-टेकू बन गयी है। पार्लियामेंट की जो हालत हो गयी है, उसे देखते हुए लेनिन का इस्तेमाल किया हुआ शब्द ‘सूअरबाड़ा’ ज़्यादा सटीक बैठता है। संविधान को रद्दी काग़ज़ों का पुलिंदा बना दिया गया है।

कश्मीर में क़ैदख़ाना फ़ार्मूला लागू करने के बाद अब उसे बाक़ी देश में लागू किया गया है। 5 अगस्त 2019 से कश्मीर घाटी की लगभग 80 लाख आबादी स्थायी कर्फ़्यू व लॉकडाउन की स्थिति में रह रही है। कश्मीर को क़ैदखाना बने 5 अप्रैल 2020 को 245 दिन पूरे हो गये हैं। इस कैद से कश्मीर को आज़ादी कब मिलेगी, कहना मुश्किल है। कश्मीर से बाहर हमलोगों को तो अभी सिर्फ़ 21 दिनों (25 मार्च-14 अप्रैल) के ही लॉकडाउन का ‘तोहफा’ मिला है! हमारी स्वतंत्रता का अपहरण आगे भी जारी रह सकता है।

कोरोना-कोरोना के कानफाड़ू, अनियंत्रित शोर व घटाटोप में विचार, बहस, विरोध व जन कार्रवाई के सभी सार्वजनिक मंच और सार्वजनिक जगहें ख़त्म कर दी गयी हैं। हमारे दिमाग़ व विचार को लगातार नियंत्रित किया जा रहा है, उन पर निगाह रखी जा रही है, और उनका अनुकूलन किया जा रहा है। जनता की ज्वलंत समस्याएं, जीवन व आजीविका से जुड़े अहम मसले, मानव गरिमा से जुड़े ज़रूरी सवाल, लोकतांत्रिक स्वतंत्रता व मानवाधिकार, संदेह करने व असुविधाजनक सवाल पूछने और बहस करने की आज़ादी, असहमत होने व सत्ता को कठघरे में खड़ा करने का नैसर्गिक अधिकार, सड़क पर उतरकर विरोध करने का हमारा बुनियादी हक़—इन सब को दमन तंत्र के बल पर दबा दिया गया है।

इन मुद्दों को कोरोना वायरस बीमारी के मद्देनज़र ‘बेकार की बात’ और ‘बौद्धिक विलासिता की चीज़ें’ कहकर किनारे कर दिया गया है। कहा जा रहा है कि ‘देश इस समय अभूतपूर्व संकट से गुज़र रहा है’ और लोगों को ‘राजनीति से ऊपर उठकर सरकार का साथ देना चाहिए।’ ऐसा कहकर केंद्र में हिंदुत्व फ़ासीवादी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पक्ष में सबको एकराय-एकमत बनाने की कोशिश की जा रही है। इस काम में भाजपा सरकार व मोदी को काफ़ी हद तक सफलता मिल चुकी है, क्योंकि राजनीतिक विपक्ष ने मैदान छोड़ दिया है।

कोरोना वायरस बीमारी से निपटने में मोदी सरकार की अपराधपूर्ण, अक्षम्य लापरवाही रही है—जिसका ख़ामियाजा देश की करोड़ों-करोड़ ग़रीब जनता को भुगतना पड़ा है। इस पर असुविधाजनक सवाल न पूछे जायें, न मोदी सरकार को कठघरे में खड़ा कर उसकी जवाबदेही तय की जाये—इस पर आम राय बना दी गयी है। लगभग समूचे राजनीतिक विपक्ष ने कोरोना और लॉकडाउन के मुद्दे पर मोदी सरकार के आगे समर्पण कर दिया है, कुछ मामूली किंतु-परंतु के साथ। इस मुद्दे पर विपक्ष की भाषा व आख्यान वही है, जो मोदी सरकार ने उसे थमा रखा है। ज़रूरत इस समय नागरिक अवज्ञा की है, लेकिन विपक्ष आज्ञाकारी बच्चा बना हुआ है।

याद कीजिये, पुलवामा हमले की घटना (2019) के समय भी कमोबेश ऐसा ही हुआ था। उस समय भी राजनीतिक विपक्ष ने मोदी सरकार के आगे इसी तरह समर्पण कर दिया था। उसने इस घटना को लेकर सरकार की जवाबदेही तय करने और उसके ख़िलाफ़ आक्रामक रुख़ अपनाने से इनकार कर दिया था। इस मौके पर विपक्ष सरकार के साथ खड़ा हो गया था। इसका भरपूर फ़ायदा भाजपा व मोदी को उसी साल हुए लोकसभा चुनाव में मिला—वे और भी ज़्यादा वोट प्रतिशत व सीटों के साथ केंद्र की सत्ता में दोबारा लौटे। पुलवामा हमला बड़े मौक़े पर हुआ था, और उसने विपक्ष को लुंज-पुंज कर दिया था।

शासक वर्ग जिस समय किसी घटना या बीमारी को ‘अभूतपूर्व संकट’ बताता है और उससे निपटने के लिए ‘अभूतपूर्व, कड़े क़दम’ उठाने की बात करता है, वह समय जनता के लोकतंत्र के लिए भी अभूतपूर्व संकट का समय होता है। ऐसे वक़्त में लोकतंत्र का तेज़ी से क्षरण व ह्रास होने लगता है। उसे ‘ग़ैर-ज़रूरी’ व ‘विलासिता की चीज़’ बताया जाने लगता है। ऐसे ही वक़्त में बर्बर तानाशाही व निरंकुश सर्वसत्तावाद को राजनीतिक विकल्प के रूप में पेश किया जाने लगता है। इसके पक्ष में जनमत बनाने की फैक्टरी चालू कर दी जाती है, जो दिन-रात काम करती है। मुसोलिनी व हिटलर के समय में क्रमशः इटली व जर्मनी में यही हुआ था। कोरोना वायरस बीमारी नरेंद्र मोदी सरकार के लिए बिन मांगे वरदान की तरह आयी है। इसका भरपूर राजनीतिक फ़ायदा उठाया जा रहा है।

अब तो इस बीमारी को आड़ बनाकर मुसलमानों को निशाना बनाने का काम शुरू कर दिया गया है। इसने इस्लामोफ़ोबिया (इस्लाम व मुसलमान से तीखी नफ़रत व ख़ौफ़ की भावना) का रूप ले लिया है। दिल्ली में पिछले दिनों तबलीग़ी जमात के सालाना जलसे को लेकर भाजपा व उसकी नियंत्रक संस्था राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ की शह पर जिस तरह मुसलमानों के ख़िलाफ़ आक्रामक व कुत्सित प्रचार युद्ध छेड़ दिया गया, उससे एक बात समझ में आती है। वह यह कि भारत को हिंदू राष्ट्र बनाने की दिशा में, जो संघ परिवार का आख़िरी लक्ष्य है, कोरोना वायरस बीमारी का भी इस्तेमाल ज़हरीले तौर पर किया जा सकता है। बीमारी की भी पॉलिटिक्स होती है और उससे निपटने के तौर-तरीक़े भी पॉलिटिकल होते हैं।

भारत में बचा-खुचा लोकतंत्र गंभीर संकट के दौर से गुज़र रहा है।

(लेखक वरिष्ठ कवि व राजनीतिक विश्लेषक हैं। विचार व्यक्तिगत हैं।)

Lockdown
Coronavirus
Coronavirus lockdown
COVID-19
democracy
BJP
Narendra modi

Related Stories

PM की इतनी बेअदबी क्यों कर रहे हैं CM? आख़िर कौन है ज़िम्मेदार?

ख़बरों के आगे-पीछे: मोदी और शी जिनपिंग के “निज़ी” रिश्तों से लेकर विदेशी कंपनियों के भारत छोड़ने तक

ख़बरों के आगे-पीछे: केजरीवाल के ‘गुजरात प्लान’ से लेकर रिजर्व बैंक तक

यूपी में संघ-भाजपा की बदलती रणनीति : लोकतांत्रिक ताकतों की बढ़ती चुनौती

बात बोलेगी: मुंह को लगा नफ़रत का ख़ून

इस आग को किसी भी तरह बुझाना ही होगा - क्योंकि, यह सब की बात है दो चार दस की बात नहीं

ख़बरों के आगे-पीछे: क्या अब दोबारा आ गया है LIC बेचने का वक्त?

ख़बरों के आगे-पीछे: भाजपा में नंबर दो की लड़ाई से लेकर दिल्ली के सरकारी बंगलों की राजनीति

बहस: क्यों यादवों को मुसलमानों के पक्ष में डटा रहना चाहिए!

ख़बरों के आगे-पीछे: गुजरात में मोदी के चुनावी प्रचार से लेकर यूपी में मायावती-भाजपा की दोस्ती पर..


बाकी खबरें

  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    दिल्ली उच्च न्यायालय ने क़ुतुब मीनार परिसर के पास मस्जिद में नमाज़ रोकने के ख़िलाफ़ याचिका को तत्काल सूचीबद्ध करने से इनकार किया
    06 Jun 2022
    वक्फ की ओर से प्रस्तुत अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि यह एक जीवंत मस्जिद है, जो कि एक राजपत्रित वक्फ संपत्ति भी है, जहां लोग नियमित रूप से नमाज अदा कर रहे थे। हालांकि, अचानक 15 मई को भारतीय पुरातत्व…
  • भाषा
    उत्तरकाशी हादसा: मध्य प्रदेश के 26 श्रद्धालुओं की मौत,  वायुसेना के विमान से पहुंचाए जाएंगे मृतकों के शव
    06 Jun 2022
    घटनास्थल का निरीक्षण करने के बाद शिवराज ने कहा कि मृतकों के शव जल्दी उनके घर पहुंचाने के लिए उन्होंने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से वायुसेना का विमान उपलब्ध कराने का अनुरोध किया था, जो स्वीकार कर लिया…
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    आजमगढ़ उप-चुनाव: भाजपा के निरहुआ के सामने होंगे धर्मेंद्र यादव
    06 Jun 2022
    23 जून को उपचुनाव होने हैं, ऐसे में तमाम नामों की अटकलों के बाद समाजवादी पार्टी ने धर्मेंद्र यादव पर फाइनल मुहर लगा दी है। वहीं धर्मेंद्र के सामने भोजपुरी सुपरस्टार भाजपा के टिकट पर मैदान में हैं।
  • भाषा
    ब्रिटेन के प्रधानमंत्री जॉनसन ‘पार्टीगेट’ मामले को लेकर अविश्वास प्रस्ताव का करेंगे सामना
    06 Jun 2022
    समिति द्वारा प्राप्त अविश्वास संबंधी पत्रों के प्रभारी सर ग्राहम ब्रैडी ने बताया कि ‘टोरी’ संसदीय दल के 54 सांसद (15 प्रतिशत) इसकी मांग कर रहे हैं और सोमवार शाम ‘हाउस ऑफ कॉमन्स’ में इसे रखा जाएगा।
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    कोरोना अपडेट: देश में कोरोना ने फिर पकड़ी रफ़्तार, 24 घंटों में 4,518 दर्ज़ किए गए 
    06 Jun 2022
    देश में कोरोना के मामलों में आज क़रीब 6 फ़ीसदी की बढ़ोतरी हुई है और क़रीब ढाई महीने बाद एक्टिव मामलों की संख्या बढ़कर 25 हज़ार से ज़्यादा 25,782 हो गयी है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License