NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
लॉकडाउन संकट : जन-संगठनों ने प्रधानमंत्री मोदी को भेजा माँगपत्र
पत्र में दिहाड़ी मज़दूरों, किसानों, महिलाओं और रोज़ कमाकर गुजर-बसर करने वाले लोगों पर इसके प्रतिकूल प्रभाव के संदर्भ में आवश्यक कदम उठाने की मांग की गई है।
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
17 Apr 2020
modi

देश में लॉकडाउन की अवधि को 3 मई तक बढ़ा दिया गया है। ऐसे में समाज के कई वर्गों के सामने अनेक चुनौतियां भी खड़ी हो गई हैं। इन तमाम समस्याओं के मद्देनज़र देश के मजदूर-युवा-महिला संगठनों के साथ ट्रेड यूनियन्स ने गुरुवार, 16 अप्रैल को लॉकडाउन के संबंध में अपनी महत्वपूर्ण मांगों को सूचीबद्ध करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक माँगपत्र भेजा है।

क्या है इस मांगपत्र में?

प्रधानमंत्री को ईमेल के जरिये भेजे इस पत्र में जन संगठनों ने कोरोना महामारी से निपटने के लिए सरकार द्वारा जारी रिलीफ़ पैकेज को बहुत कम बताया है। साथ ही इसे पहले से चल रही योजनाओं का ही री-पैकेजिंग करार दिया है। संगठनों ने केंद्र और राज्य सरकारों के तमाम दावों और वादों के बावजूद, अब तक कामगार मज़दूरों और गरीबों को पर्याप्त भोजन और अन्य सुविधाएं न मिलने पर भी अपनी चिंता ज़ाहिर की है।

देश में कोरोना के चलते लॉकडाउन लागू है। ऐसे में दिहाड़ी मज़दूरों, किसानों, रोज़ कमाकर गुजर-बसर करने वाले लोगों और महिलाओं पर इसका प्रतिकूल असर देखने को मिल रहा है। जन संगठनों का कहना है कि मीडिया रिपोर्टों से यह पता चलता है कि न केवल कामगारों, बल्कि गरीब किसानों, दलितों, आदिवासियों, खानाबदोश लोगों और सामान्य कामकाजी जनता पर भी लॉकडाउन का बुरा प्रभाव पड़ा है और विशेष रूप से बहुत लोगों को भुख-मरी जैसी परिस्थितियों का सामना करना पड़ रहा है। इसके अलावा ऐसी भी कई रिपोर्ट हैं जो बताती हैं कि स्वास्थ्यकर्मियों के लिए बहुत ही सीमित संख्या में सुरक्षा किट उपलब्ध है, जिसके कारण कई स्वास्थ्य-कर्मी रोगियों के इलाज के दौरान बीमारियों से संक्रमित हो रहे हैं। लॉकडाउन के दौरान किसानों, खेतिहर मजदूरों को काम बंद होने की वजह से परेशानी हो रही है।

इसे भी पढ़ें: लॉकडाउन: कोई जाकर किसानों का हाल भी पूछे, राहत पैकेज में भी नहीं दिखी उम्मीद

जन संगठनों ने पीएम मोदी से मांग की है कि अमीरों और अभिजात वर्गों पर टैक्स लगाया जाए, ताकि लॉकडाउन के दौरान आम लोगों की दुर्दशा को कम किया जा सके। क्योंकि इस कठिन परिस्थिति में जब आम जनता लॉकडाउन के बोझ में दबी है, वहीं देश का अभिजात वर्ग जरूरी सामानों को जमा कर आराम की जिंदगी जी रहा है।

इस मांगपत्र को यूनाइटेड नर्सेज़ ऑफ इंडिया, क्रांतिकारी युवा संगठन, मजदूर एकता केंद्र, सफाई कामगार यूनियन, संघर्षशील महिला केंद्र, ब्लाइंड वर्कर्स यूनियन, घरेलू कामगार यूनियन, नॉर्थ-ईस्ट फोरम फॉर इंटरनेशनल सोलीडेरिटी, आनंद पर्वत डेली हॉकर्स एसोसिएशन, दिल्ली मेट्रो कमिशनर्स एसोसिएशन, घर बचाओ मोर्चा के सदस्यों द्वारा संयुक्त रुप से लिखा गया है।

क्या हैं जन संगठनों की मुख्य मांगें?

  • सरकार नये राहत पैकेज की घोषणा करे।
  • स्वास्थ्यकर्मियों, मजदूरों, सफाई कामगारों, किसानों के लिए ज़रूरी कदम उठाए जाएं।
  • सभी गिरफ्तार कामगारों को तुरंत रिहा कर, उन पर लगे सभी आरोप हटाए जाएं।
  • खेत एवं मनरेगा मजदूरों सहित देश के सभी मजदूरों को न्यूनतम मजदूरी दी जाए।
  • सफाईकर्मियों को नियमित किया जाए साथ ही उन्हें महामारी भत्ता भी मिले।
  • निशक्तों और वृद्ध जनों को राहत सामग्री मुहैया कराने पर विशेष ध्यान दिया जाए।
  • उद्योगपतियों और अमीर भारतीयों पर महामारी टैक्स लागू हो।
  • मीडिया द्वारा वैश्विक महामारी को सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश पर रोक लगे।

इस संबंध में क्रांतिकारी युवा संगठन के हरीश गौतम ने न्यूज़क्लिक से कहा, “सरकार अगर विदेशों से आये लगभग 15 लाख लोगों की हवाई अड्डों पर पहले ही ठीक से जाँच करती और उन्हें आइसोलेशन में डालकर निगरानी पर रखती तो इन कुछ लोगों की गलतियों का परिणाम देश की 138 करोड़ जनता को नहीं भुगतना पड़ता। लॉकडाउन के बाद से बड़ी संख्या में प्रवासी मजदूर बेरोजगार और बेघर हो गए हैं, भूखे रहने को मजबूर हैं।”

इसे भी पढ़ें: करोना संकट: “हां सुना है कि सरकार हमें पैसे देने जा रही है, लेकिन ये पैसे कब और कैसे मिलेंगे?”

उन्होंने आगे बताया, “हम मांग करते हैं कि काम बंद होने व काम से निकाल दिए गये सभी मजदूरों को (संगठित, असंगठित क्षेत्र) भारत सरकार या प्रदेश सरकार द्वारा न्यूनतम आय की दर या उनके प्रतिदिन के वेतन की दर के आधार पर मासिक भत्ता दिया जाए। इसके लिए सरकार अध्यादेश जारी करे और साथ ही यह भी सुनिश्चित करे की सभी मजदूरों तक यह राशि पहुँचे।

बकौल हरीश मौजूद हालात में ज़रुरतमंदों की मूलभूत जरूरतों जैसे रोटी, कपड़ा, इलाज, निवास को पूरा किया जाना बेहद आवश्यक है। इसलिए हम माँग करते हैं कि सकल घरेलू उत्पाद (GDP) की कम से कम 5% राशि राहत पैकेज के तौर पर दी जाए।  

मालूम हो कि देशभर में एक के बाद एक कई डॉक्टरों और नर्सों ने सोशल मीडिया पर लचर स्वास्थ्य व्यवस्था की पोल खोल दी है। हाल ही में स्वास्थ्यकर्मियों के सुविधाओं की अनदेखी को लेकर हाल ही में यूनाइटेड नर्सेस एसोसिएशन ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दाखिल कर कहा था कि भारत सरकार डब्ल्यूएचओ के मानकों का पालन नहीं कर रही है। देश में अभी तक राष्ट्रीय प्रोटोकॉल तक तैयार नहीं किया जा सका है। उसके बाद निजी सुरक्षा उपकरण की मांग को लेकर दिल्ली नर्स यूनियन ने काम रोकने की चेतावनी दे दी।

यूनियन का कहना था कि पीपीई किट और मास्क की कमी जल्द दूर की जाए, एक ही हॉल में बेड लगाकर सभी नर्सों को रुकने का इंतज़ाम करने की बजाय उन्हें अलग कमरे दिए जाएं नहीं तो नर्से काम बंद कर देंगी।

इसे भी पढ़ें: दिल्ली नर्स यूनियन ने दी काम रोकने की चेतावनी, क्या ऐसे कोरोना से जीतेगा देश?

बता दें कि इससे पहले लॉकडाउन में बढ़ती घरेलू हिंसा और महिलाओं की समस्या पर सरकार की अनदेखी को लेकर अखिल भारतीय प्रगतिशील महिला एसोसिएशन (ऐपवा) ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र लिखा था। पत्र के माध्यम से ऐपवा ने लॉकडाउन के बीच देशभर में महिलाओं पर बढ़ती यौन हिंसा पर रोक लगाने की मांग की।

गौरतलब है कि कोरोना महामारी के साथ ही भारत की अन्य समस्याओं से भी जूझ रहा है। कामबंदी के चलते अर्थव्यवस्था, उद्योग, गरीब किसान-मजदूर समेत पूरी समाजिक प्रक्रिया चरमरा सी गई है। सरकार लगातार गरिबों और जरूरतमंदों की मदद का आश्वासन दे रही है लेकिन वास्तव में अभी भी समाज के वंचित तबकों के कई लोग इस वादे और दावे की पहुंच से कोसो दूर हैं।

इसे भी पढ़ें: लॉकडाउन में महिलाओं की अनदेखी पर ऐपवा ने प्रधानमंत्री को लिखा पत्र

Lockdown
Lockdown crisis
People's organizations
Letter to Modi
Narendra modi
Daily Wage Workers
peasants
women security
Epidemic corona Virus

Related Stories

तिरछी नज़र: सरकार जी के आठ वर्ष

कटाक्ष: मोदी जी का राज और कश्मीरी पंडित

ग्राउंड रिपोर्टः पीएम मोदी का ‘क्योटो’, जहां कब्रिस्तान में सिसक रहीं कई फटेहाल ज़िंदगियां

भारत के निर्यात प्रतिबंध को लेकर चल रही राजनीति

गैर-लोकतांत्रिक शिक्षानीति का बढ़ता विरोध: कर्नाटक के बुद्धिजीवियों ने रास्ता दिखाया

बॉलीवुड को हथियार की तरह इस्तेमाल कर रही है बीजेपी !

PM की इतनी बेअदबी क्यों कर रहे हैं CM? आख़िर कौन है ज़िम्मेदार?

छात्र संसद: "नई शिक्षा नीति आधुनिक युग में एकलव्य बनाने वाला दस्तावेज़"

भाजपा के लिए सिर्फ़ वोट बैंक है मुसलमान?... संसद भेजने से करती है परहेज़

हिमाचल में हाती समूह को आदिवासी समूह घोषित करने की तैयारी, क्या हैं इसके नुक़सान? 


बाकी खबरें

  • एजाज़ अशरफ़
    दलितों में वे भी शामिल हैं जो जाति के बावजूद असमानता का विरोध करते हैं : मार्टिन मैकवान
    12 May 2022
    जाने-माने एक्टिविस्ट बताते हैं कि कैसे वे इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं कि किसी दलित को जाति से नहीं बल्कि उसके कर्म और आस्था से परिभाषित किया जाना चाहिए।
  • न्यूज़क्लिक टीम
    कोरोना अपडेट: देश में 24 घंटों में 2,827 नए मामले, 24 मरीज़ों की मौत
    12 May 2022
    देश की राजधानी दिल्ली में आज कोरोना के एक हज़ार से कम यानी 970 नए मामले दर्ज किए गए है, जबकि इस दौरान 1,230 लोगों की ठीक किया जा चूका है |
  • सबरंग इंडिया
    सिवनी मॉब लिंचिंग के खिलाफ सड़कों पर उतरे आदिवासी, गरमाई राजनीति, दाहोद में गरजे राहुल
    12 May 2022
    सिवनी मॉब लिंचिंग के खिलाफ एमपी के आदिवासी सड़कों पर उतर आए और कलेक्टर कार्यालय के घेराव के साथ निर्णायक आंदोलन का आगाज करते हुए, आरोपियों के घरों पर बुलडोजर चलाए जाने की मांग की।
  • Buldozer
    महेश कुमार
    बागपत: भड़ल गांव में दलितों की चमड़ा इकाइयों पर चला बुलडोज़र, मुआवज़ा और कार्रवाई की मांग
    11 May 2022
    जब दलित समुदाय के लोगों ने कार्रवाई का विरोध किया तो पुलिस ने उन पर लाठीचार्ज कर दिया। प्रशासन की इस कार्रवाई से इलाके के दलित समुदाय में गुस्सा है।
  • Professor Ravikant
    न्यूज़क्लिक टीम
    संघियों के निशाने पर प्रोफेसर: वजह बता रहे हैं स्वयं डा. रविकांत
    11 May 2022
    लखनऊ यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर रविकांत के खिलाफ आरएसएस से सम्बद्ध अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) के कार्यकर्ता हाथ धोकर क्यों पड़े हैं? विश्वविद्यालय परिसरों, मीडिया और समाज में लोगों की…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License