NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
अटल प्रोग्रेस वे से कई किसान होंगे विस्थापित, चम्बल घाटी का भी बदल जाएगा भूगोल : किसान सभा
"सरकार अपनी इस योजना और उसके असर को छुपाने की कोशिश में है। ना तो प्रभावित होने वाले किसानों को, ना ही उजड़ने और विस्थापित होने वाले परिवारों को विधिवत व्यक्तिगत नोटिस दिए गए हैं। पुनर्वास की कोई योजना नहीं है और मुआवजे तथा क्षतिपूर्ति के मामले में भूमि अधिग्रहण क़ानून 2013 का भी पालन नहीं हो रहा है। पर्यावरण पर पड़ने वाले प्रभाव का कोई अध्ययन नहीं हुआ है।"
बादल सरोज
01 Mar 2022
 Atal Progress Way
'प्रतीकात्मक फ़ोटो'

अटल प्रोग्रेस वे के नाम पर कोई 404 किलोमीटर लंबी "उत्कृष्ट सड़क" बनाई जाना प्रस्तावित है। यह सड़क मध्यप्रदेश के भिण्ड जिले में अटेर से शुरू होगी और मुरैना से गुजरते हुए श्योपुर कलां होकर कोटा तक जाएगी। भारत माला फेस वन के अंतर्गत बताई जाने वाली यह योजना यदि इसके मौजूदा स्वरुप में ही लागू हो गयी तो यह चम्बल के इस इलाके का जीवन, भूगोल, पर्यावरण सहित सब कुछ नकारात्मक तरीके से बदल कर रख देगी। अखिल भारतीय किसान सभा से संबंधित मध्य प्रदेश किसान सभा ने इस पूरी योजना को विनाशकारी और सदियों पुरानी बसाहटों को उजाड़ने वाला बताया है और प्रोग्रेस वे के नाम पर चम्बल पर कारपोरेट कंपनियों के कब्जे कराने की इस योजना के खिलाफ  भिण्ड, मुरैना, श्योपुर कलां के किसानों को संगठित कर आंदोलन छेड़ने की घोषणा की है।  
 
किसान सभा ने अपनी प्रेस विज्ञप्ति में कहा है कि, "इस योजना के तहत चंबल के बीहड़ में लगभग 10 हजार किसान परिवारों की भूमि स्वामी स्वत्व की जमीन अधिग्रहित की जा रही है। पहले उन्हें जमीन के बदले दोगुनी जमीन देने की घोषणा की गई थी। बाद में आंदोलन के दबाव में जो किसान जमीन नहीं लेना चाहते हैं, उन्हें दोगुना मुआवजा देने की घोषणा भी मुख्यमंत्री ने की। परंतु वास्तविक रूप से प्रभावित किसान सिर्फ इतने ही नहीं है।  इनके अलावा  लगभग 30 हजार किसान परिवार और हैं, जिन्होंने पिछली कई दशकों में बीहड़ की भूमि को खेती योग्य बनाकर अपनी कई पीढ़ियां खर्च की हैं।  इनके पास न तो भूमि स्वामी स्वत्व है और न ही उनका कब्जा ही इंदराज किया गया है। वे पीढ़ियों से बीहड़ की जमीन को समतल बनाकर खेती कर रहे हैं। ये सभी तकनीकी रूप से जमीन के बदले जमीन और दोगुने मुआवजे की सीमा से बाहर रह गए हैं।"
 
किसान सभा के एक नेता ने जानकारी देते हुए कहा कि, "सरकार अपनी इस योजना और उसके असर को छुपाने की कोशिश में है। ना तो प्रभावित होने वाले किसानों को, ना ही उजड़ने और विस्थापित होने वाले परिवारों को विधिवत व्यक्तिगत नोटिस दिए गए हैं। ना ही नियमानुसार प्रमुख अखबारों में ही कोई सार्वजनिक सूचना जारी की गयी है। बार-बार मांगने पर भी प्रशासन कोई जानकारी देने के लिए तैयार नहीं है- यहां तक कि डीपीआर (डिटेल्ड प्रोजेक्ट रिपोर्ट) को भी अत्यंत गोपनीय बनाकर रखा गया है।  पुनर्वास की कोई योजना नहीं है और मुआवजे तथा क्षतिपूर्ति के मामले में भूमि अधिग्रहण क़ानून 2013 का भी पालन नहीं हो रहा है। पर्यावरण पर पड़ने वाले प्रभाव का कोई अध्ययन नहीं हुआ है।  एक्सप्रेस वे के दोनों ओर एक-एक किलोमीटर के कॉरिडोर में कंपनियों को जमीन आवंटित किये जाने की तैयारी है और इस तरह पिछली बीसेक वर्षों से जारी चम्बल की जमीन के कारपोरेटीकरण के काम को इस नाम पर किये जाने की तैयारी है।  ध्यान रहे कि पहले घड़ियाल अभयारण्य, उसके बाद अमरीकी कंपनी मैक्सबर्थ और उसके बाद एक तेल कारोबारिये को 50  हजार बीघा (10 हजार हैक्टेयर) जमीन दी गयी थी - लेकिन अखिल भारतीय किसान सभा ने तीनों बार इलाके में सशक्त आंदोलन विकसित करके इन चम्बल विरोधी आवंटनों को रद्द करवा दिया था। अब उसी साजिश को नया चोला पहनाकर लाया गया है।  इस पूरे 404 किलोमीटर के रास्ते में इसे पार करने के लिए सिर्फ सात स्थानों पर रास्ते दिए गए हैं - इसका व्यावहारिक अर्थ यह होगा कि यह हाईवे चीन की दीवार की तरह पूरी बसाहट को भी एक दूसरे से अलग कर देगा।"
 
एआईकेएस से संबद्ध मध्य प्रदेश किसान सभा ने इस परियोजना को अनावश्यक और खर्चीली, किसान तथा खेती विरोधी परियोजना बताते हुए उसके मौजूदा स्वरुप के खिलाफ आंदोलन छेड़ा हुआ है।  किसान सभा आंदोलन के अगले चरण में के रूप में  11 मार्च से 6 स्थानों से तीन दिवसीय बाइक जत्थे निकालने की तैयारी कर रही है। इस बाइक जत्था यात्रा के बाद 14 मार्च को अटेर, अंबाह, मुरैना, जौरा, सबलगढ़, श्योपुर कलां में प्रदर्शन कर मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन दिए जाएंगे। तत्पश्चात आगामी आंदोलन की रूपरेखा भी तय की जाएगी। इस आंदोलन के समन्वय के लिए भिंड, मुरैना, श्योपुर कलां जिलों के किसान नेताओं की एक समन्वय समिति गठित की गयी है जिसके संयोजक कैलारस नगरपालिका के पूर्व चेयरमैन, मध्य प्रदेश किसान सभा के उपाध्यक्ष अशोक तिवारी बनाये गए हैं।
 
इस आंदोलन की मांगों में;  

भूमि अधिग्रहण के मामले में पुनः नए सिरे से नोटिफिकेशन जारी कर, समुचित प्रचार-प्रसार कर, दावे आपत्ति लिए जाने; पीढ़ियों से जो किसान शासकीय बीहड़ की भूमि पर काबिज होकर काश्तकारी कर रहे हैं, उनका कब्जा इंद्राज कर, उन्हें भी जमीन दिए जाने; जो किसान दोगुनी जमीन नहीं लेना चाहते हैं, उन्हें भूमि अधिग्रहण कानून 2013 के अनुसार बाजार मूल्य से 3 गुने से 5 गुना मुआवजा दिए जाने;  एक्सप्रेस वे के दोनों ओर एक-एक किलोमीटर के कॉरिडोर में कंपनियों के बजाय किसानों को जमीन आवंटित किये जाने और कृषि आधारित उद्योग लगाए जाने, एक्सप्रेस वे पर प्रवेश के लिए बड़े-बड़े गांवों के पास प्रवेश स्थल (कट) दिए जाने,  जो किसान जमीन के बदले दोगुनी जमीन ले रहे हैं, उन्हें जमीन को कृषि योग्य बनाने के लिए, खाद बीज कृषि उपकरण आदि लागत के लिए ₹1 लाख प्रति बीघा आर्थिक सहायता दिए जाने आदि मांगें शामिल हैं।

लेखक अखिल भारतीय किसान सभा के संयुक्त सचिव हैं। व्यक्त विचार निजी हैं।

Madhya Pradesh
Atal Progress Way
Chambal Progress Way
Atal Bihari Vajpayee
Shivraj Singh Chouhan
land acquisition
Land Acquisition Act
Land Exchange Policy

Related Stories

परिक्रमा वासियों की नज़र से नर्मदा

कड़ी मेहनत से तेंदूपत्ता तोड़ने के बावजूद नहीं मिलता वाजिब दाम!  

भारत को राजमार्ग विस्तार की मानवीय और पारिस्थितिक लागतों का हिसाब लगाना चाहिए

मनासा में "जागे हिन्दू" ने एक जैन हमेशा के लिए सुलाया

‘’तेरा नाम मोहम्मद है’’?... फिर पीट-पीटकर मार डाला!

कॉर्पोरेटी मुनाफ़े के यज्ञ कुंड में आहुति देते 'मनु' के हाथों स्वाहा होते आदिवासी

एमपी ग़ज़ब है: अब दहेज ग़ैर क़ानूनी और वर्जित शब्द नहीं रह गया

मध्यप्रदेशः सागर की एग्रो प्रोडक्ट कंपनी से कई गांव प्रभावित, बीमारी और ज़मीन बंजर होने की शिकायत

सिवनी मॉब लिंचिंग के खिलाफ सड़कों पर उतरे आदिवासी, गरमाई राजनीति, दाहोद में गरजे राहुल

मध्यप्रदेश: गौकशी के नाम पर आदिवासियों की हत्या का विरोध, पूरी तरह बंद रहा सिवनी


बाकी खबरें

  • MGNREGA
    सरोजिनी बिष्ट
    ग्राउंड रिपोर्ट: जल के अभाव में खुद प्यासे दिखे- ‘आदर्श तालाब’
    27 Apr 2022
    मनरेगा में बनाये गए तलाबों की स्थिति का जायजा लेने के लिए जब हम लखनऊ से सटे कुछ गाँवों में पहुँचे तो ‘आदर्श’ के नाम पर तालाबों की स्थिति कुछ और ही बयाँ कर रही थी।
  • kashmir
    सुहैल भट्ट
    कश्मीर में ज़मीनी स्तर पर राजनीतिक कार्यकर्ता सुरक्षा और मानदेय के लिए संघर्ष कर रहे हैं
    27 Apr 2022
    सरपंचों का आरोप है कि उग्रवादी हमलों ने पंचायती सिस्टम को अपंग कर दिया है क्योंकि वे ग्राम सभाएं करने में लाचार हो गए हैं, जो कि जमीनी स्तर पर लोगों की लोकतंत्र में भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए…
  • THUMBNAIL
    विजय विनीत
    बीएचयू: अंबेडकर जयंती मनाने वाले छात्रों पर लगातार हमले, लेकिन पुलिस और कुलपति ख़ामोश!
    27 Apr 2022
    "जाति-पात तोड़ने का नारा दे रहे जनवादी प्रगतिशील छात्रों पर मनुवादियों का हमला इस बात की पुष्टि कर रहा है कि समाज को विशेष ध्यान देने और मज़बूती के साथ लामबंद होने की ज़रूरत है।"
  • सातवें साल भी लगातार बढ़ा वैश्विक सैन्य ख़र्च: SIPRI रिपोर्ट
    पीपल्स डिस्पैच
    सातवें साल भी लगातार बढ़ा वैश्विक सैन्य ख़र्च: SIPRI रिपोर्ट
    27 Apr 2022
    रक्षा पर सबसे ज़्यादा ख़र्च करने वाले 10 देशों में से 4 नाटो के सदस्य हैं। 2021 में उन्होंने कुल वैश्विक खर्च का लगभग आधा हिस्सा खर्च किया।
  • picture
    ट्राईकोंटिनेंटल : सामाजिक शोध संस्थान
    डूबती अर्थव्यवस्था को बचाने के लिए अर्जेंटीना ने लिया 45 अरब डॉलर का कर्ज
    27 Apr 2022
    अर्जेंटीना की सरकार ने अपने देश की डूबती अर्थव्यवस्था को बचाने के लिए अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ़) के साथ 45 अरब डॉलर की डील पर समझौता किया। 
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License