NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
आंदोलन
मज़दूर-किसान
भारत
राजनीति
देश में एक साथ उठ खड़े हुए 500 से ज़्यादा महिला, LGBTQIA, छात्र-शिक्षक, किसान-मज़दूर संगठन
#IfWeDoNotRise #हमअगरउट्ठेनहींतो के तहत एक तरफ जहाँ लगभग 500 महिला संगठनों और LGBTQIA समुदाय और मानव अधिकार संगठन ने मोदी सरकार के ख़िलाफ़ आंदोलन किया। वहीं किसान-मज़दूर, स्कीम वर्कर, शिक्षक और छात्र-नौजवानों ने भी अपना विरोध जताया।
मुकुंद झा
05 Sep 2020
 किसान-मज़दूर संगठन

आज से ठीक 3 साल पहले 5 सितंबर, 2017 में पत्रकार गौरी लंकेश की हत्या हुई थी। आज उनकी तीसरी बरसी पर देश में किसान-मज़दूर, छात्र-नौजवान, शिक्षक से लेकर महिला, LGBTQIA और समाज के पिछड़े तबके के लोग अलग-अलग तरीके से अपना विरोध ज़ाहिर कर रहे हैं। ये सभी लोग लोकतांत्रिक अधिकारों और संविधान पर हो रहे हमले के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं।

एक तरफ जहाँ लगभग 500 महिला संगठनों और LGBTQIA समुदाय और मानव अधिकार संगठन ने मोदी सरकार के खिलाफ आंदोलन किया। वहीं दूसरी तरफ़ किसान मज़दूर और स्कीम वर्कर भी अपनी मांगो को लेकर सड़कों पर रहे। इसके साथ ही नौजवान कई दिनों से रोजगार की मांग को लेकर अपना विरोध जाता रहे हैं। छात्र भी ऑनलाइन एग्जाम और माहमारी में जेईई और नीट के एग्जाम के खिलाफ है। आज शिक्षक दिवस भी है, देश में सभी लोग शिक्षकों को बधाई दे रहे है,जबकि सच्चाई यह है की शिक्षक भी अपने वेतन सहित अन्य मांग को लेकर धरना प्रदर्शन कर रहे हैं। इन सभी आंदोलनों में लोग सरकार की नीतियों की आलोचना कर रहे है। साथ ही सरकार पर तानाशाही रवैये से काम करने और पूंजीपति के हित में काम करने का आरोप लगा रहे है। आइए देखते हैं इन आंदोलनों की झलकी

हम अगर उट्ठे नहीं तो

5 सिंतबर को देशभर में एडवा, ऐपवा, अनहद, NAPM सहित 400 से ज्यादा महिला संगठन, LGBTQIA समुदाय और मानव अधिकार संगठनों ने ‘हम अगर उट्ठे नहीं तो... (If we do not rise…)’ आंदोलन का आह्वान किया था। इसमें बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए।

500 से ज़्यादा संगठनों का एक साथ आना अपने आप में ऐतिहसिक है। संगठनों ने अपने आंदोलन में महिला और LGBTQIA समुदाय के अधिकारों के साथ ही धारा 370 हटाए जाने, सीएए और एनआरसी जैसे प्रबंधनों को लेकर भी आवाज़ बुलंद की और सरकार पर सांप्रदायिक क़ानून बनाने के आरोप लगाए।

118808719_3574235495942726_6840638458856914039_n.jpg

लोगों ने छोटे समूहों में प्रदर्शन किए। कई जगह लोगों ने अपने पारंपरिक नृत्यों और गानों के माध्यम से अपना विरोध किया। सभी संगठन के लोगों ने सोशल मीडिया पर ‘हम अगर उट्ठे नहीं तो... (If we do not rise…)’ के नारे के साथ वीडियो डाल कर अपना विरोध जताया।

सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटेकर ने अपने वीडियो संदेश में महिलाओं को संपत्ति और ज़मीन में अधिकार और महिला अत्यचारों को लेकर भी सवाल किया और कहा कि आज भी महिलाओं को ज़मीन में मालिकान हक़ नहीं मिलता है जबकि उनकी भागीदारी भी होती है, इसके साथ ही उन्होंने कहा निर्भया केस के बाद सरकार ने वर्मा कमेटी बनाई थी परन्तु उसके बाद भी आजतक सभी कार्यलय में विशाखा कमेटी की गाइडलाइंस का पालन नहीं होता है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि आज महिलाए सिर्फ अपने अधिकार के लिए नहीं बल्कि जनतंत्र के लिए लड़ रही हैं।

इसी तरह इनके फेसबुक पेज हम अगर उट्ठे नहीं तो... (If we do not rise…) पर सैकड़ो की संख्या में महिलाओं, मानव अधिकार संगठनों और समाज के बुद्धजीवियों ने वीडियो संदेश जारी किये।

मज़दूरों-किसानो का एक्शन डे

मज़दूर संगठन सीटू, अखिल भारतीय किसान सभा और ऑल इंडिया फेडरेशन ऑफ़ आंगनवाड़ी वर्कर्स एंड हेल्पर्स के आह्वान पर केंद्र व राज्य सरकारों की मजदूर व किसान विरोधी नीतियों के खिलाफ देशभर हज़ारों मजदूरों व किसानों ने अपने कार्यस्थलों, ब्लॉक व जिला मुख्यालयों पर केंद्र सरकार की मजदूर व किसान विरोधी नीतियों के खिलाफ प्रदर्शन किए।

Capture 1_1.PNG

देश भर में हुए प्रदर्शनों में श्रम कानूनों में मजदूर विरोधी परिवर्तन की प्रक्रिया पर रोक लगाने, मजदूरों का वेतन 21 हज़ार रुपये घोषित करने,सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों को बेचने पर रोक लगाने, किसान विरोधी अध्यादेशों को वापस लेने,मजदूरों को कोरोना काल के पांच महीनों का वेतन देने,उनकी छंटनी पर रोक लगाने,किसानों की फसलों का उचित दाम देने,कर्ज़ा मुक्ति, मनरेगा के तहत दो सौ दिन का रोज़गार,कॉरपोरेट खेती पर रोक लगाने,आंगनबाड़ी,मिड डे मील व आशा वर्करज़ को नियमित कर्मचारी घोषित करने,फिक्स टर्म रोज़गार पर रोक लगाने,हर व्यक्ति को महीने का दस किलो मुफ्त राशन देने व 7500 रुपये देने की मांग की गई।

IMG-20200905-WA0018.jpg

मज़दूर नेताओं ने सरकारों को चेताया है कि वह मजदूर व किसान विरोधी कदमों से हाथ पीछे खींचें अन्यथा मजदूर व किसान आंदोलन तेज होगा। उन्होंने कहा है कि कोरोना महामारी के इस संकट काल को भी शासक वर्ग व सरकारें मजदूरों व किसानों का खून चूसने व उनके शोषण को तेज करने के लिए इस्तेमाल कर रही हैं। हिमाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, गुजरात, हरियाणा, महाराष्ट्र, राजस्थान में श्रम कानूनों में बदलाव इसी प्रक्रिया का हिस्सा है। केंद्र सरकार द्वारा 3 जून 2020 को कृषि उपज,वाणिज्य एवम व्यापार (संवर्धन एवं सुविधा) अध्यादेश 2020,मूल्य आश्वासन (बन्दोबस्ती और सुरक्षा) समझौता कृषि सेवा अध्यादेश 2020 व आवश्यक वस्तु अधिनियम (संशोधन) 2020 आदि तीन किसान विरोधी अध्यादेश जारी करके किसानों का गला घोंटने का कार्य किया गया है।

इसके साथ ही श्रम कानूनों में बदलाव करके मज़दूरों के अधिकारों पर भी हमला कर रही है। जिससे जहां एक ओर अपनी मांगों को लेकर की जाने वाली मजदूरों की हड़ताल पर अंकुश लगेगा वहीं दूसरी ओर मजदूरों की छंटनी की प्रक्रिया आसान हो जाएगी व उन्हें छंटनी भत्ता से भी वंचित होना पड़ेगा। तालाबंदी,छंटनी व ले ऑफ की प्रक्रिया भी मालिकों के पक्ष में हो जाएगी। मॉडल स्टेंडिंग ऑर्डरज़ में तब्दीली करके फिक्स टर्म रोज़गार को लागू करने व मेंटेनेंस ऑफ रिकोर्डज़ को कमज़ोर करने से श्रमिकों की पूरी सामाजिक सुरक्षा खत्म हो जाएगी। उन्होंने मजदूर व किसान विरोधी कदमों व श्रम कानूनों में मजदूर विरोधी बदलावों पर रोक लगाने की मांग की है। उन्होंने सरकार को चेताया है कि अगर पूंजीपतियों, औद्योगिक घरानों व उद्योगपतियों को फायदा पहुंचाकर मजदूरों-किसानों के शोषण को रोका न गया तो मजदूर-किसान सड़कों पर उतरकर सरकार का प्रतिरोध करेंगे।

Capture_36.PNG

किसानों ने मांग की है कि केंद्र सरकार कोरोना काल में सभी किसानों का रबी फसल का कर्ज माफ करे व खरीफ फसल के लिए केसीसी जारी करे। किसानों की पूर्ण कर्ज माफी की जाए। किसानों को फसल का सी-2 लागत से 50 फीसद अधिक दाम दिया जाए। किसानों के लिए "वन नेशन-वन मार्किट" नहीं बल्कि "वन नेशन-वन एमएसपी" की नीति लागू की जाए। किसानों व आदिवासियों की खेती की ज़मीन कम्पनियों को देने व कॉरपोरेट खेती पर रोक लगाई जाए।

जबकि आशा और आगनबाड़ी कर्मचारियों ने भी अपने स्थाई रोजगार और पूर्ण वेतन और सुरक्षा की मांग की।

शिक्षकों का प्रदर्शन

आज हमारे देश के कई राज्यों में नियोजित /गेस्ट / शिक्षा मित्र और एडहॉक शिक्षक हैं। वास्तव में ये सिर्फ शिक्षक हैं लेकिन सरकारों और व्यस्थाओं ने इन्हे ये अलग नाम दिये है। जिन्हे न समय पर वेतन मिलता है और न ही कोई अन्य सुविधा आज के समय केवल ये दिहाड़ी मज़दूर बनकर रह गए हैं। देश की राजधनी दिल्ली और देश के सबसे प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय में से एक केंद्रीय विश्वविद्यालय है दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) परन्तु आज शिक्षक दिवस के दिन वहां के शिक्षकों ने अपने वेतन की मांग को लेकर प्रदर्शन किया। लेकिन जैसे ही प्रदर्शन शुरू हुआ पुलिस ने सभी प्रदर्शनकारियों को हिरासत में ले लिया ।

4934e1fb-ae29-4930-bb15-e1bca4f4db94.jpg

इस माहमारी में डीयू के 12 कालेजों के शिक्षकों को पिछले कई महीनो से वेतन नहीं मिला है। इसके खिलाफ शिक्षकों ने थाली के साथ आर्ट्स फैकल्टी पर प्रदर्शन किया। ये हाल है केंद्रीय विश्वविद्यालय का बाकी राज्यों के हाल का अंदाज़ा लगाना मुश्किल नहीं है। इसी तरह नगर निगम के शिक्षक भी लगातर प्रदर्शन कर रहे हैं। उन्हें भी कई कई महीनो से वेतन नहीं मिला है।

छात्र-नौजवानों का प्रदर्शन

छात्र और नौजवान सरकार के ख़िलाफ़ गुस्से में है और इनके गुस्से का शिकार प्रधानमंत्री मोदी भी हो चुके है। पिछले कुछ दिनों से इन्होंने मोदी और भाजपा के खिलाफ यूट्यूब और बाकी सोशल मीडिया पर जंग छेड़ रखी है। प्रधानमंत्री मोदी का कोई भी वीडियो यूट्यूब पर उपलोड हो रहा है उसपर जाकर छत्र और नौजवान अपना गुस्सा दिख रहे हैं, उन्होंने प्रधानमंत्री के वीडियोज पर डिसलाइक करके उनके आईटी सेल के नाक में दम कर दिया है उन्हें भी समझ नहीं आ रहा इसका सामना कैसे किया जाए।

छात्र, नौजवानों के गुस्से का मुख्य कारण पिछले छह सालों में सरकारी भर्तियों का न होना है, जो कुछ मामूली भर्ती हुई है उनमें भी धांधली की शिकायते हैं। इसके साथ ही देश में लगातर बेरोजगारी नए रिकॉर्ड बना रही है। परन्तु मोदी ने इसपर चुप्पी साधी हुई है और वो अपने मन की बात में देशी नस्ल के कुत्ते पालने और खिलौने बनाने की सलाह दे रहे हैं। जो नौजवानो के गुस्से को और बढ़ा रही है। इसके साथ ही छात्र इस माहमारी में परीक्षा कराने का भी विरोध कर रहे है। इसी कड़ी में आज कई छात्र संगठनों ने सड़को पर उतरकर विरोध प्रदर्शन किया

Capture 3_1.PNG

जबकि कई संगठनों ने पांच बजे थाली बजाकर अपना विरोध दर्ज कराया ,इसके साथ ही #5बजे5मिनिट हैशटैग भी आज टॉप ट्रेंड में रहा  । 

gauri lankesh
Gauri Lankesh murder
#5बजे5मिनिट
Women protest
Student Protests
teacher protest
LGBTQIA
#IfWeDoNotRise
AIDWA
AIPWA
NAPM
farmer-laborers organizations
CITU

Related Stories

मुंडका अग्निकांड: 'दोषी मालिक, अधिकारियों को सजा दो'

मुंडका अग्निकांड: ट्रेड यूनियनों का दिल्ली में प्रदर्शन, CM केजरीवाल से की मुआवज़ा बढ़ाने की मांग

झारखंड-बिहार : महंगाई के ख़िलाफ़ सभी वाम दलों ने शुरू किया अभियान

आशा कार्यकर्ताओं को मिला 'ग्लोबल हेल्थ लीडर्स अवार्ड’  लेकिन उचित वेतन कब मिलेगा?

मुंडका अग्निकांड: सरकारी लापरवाही का आरोप लगाते हुए ट्रेड यूनियनों ने डिप्टी सीएम सिसोदिया के इस्तीफे की मांग उठाई

बिहार: 6 दलित बच्चियों के ज़हर खाने का मुद्दा ऐपवा ने उठाया, अंबेडकर जयंती पर राज्यव्यापी विरोध दिवस मनाया

सार्वजनिक संपदा को बचाने के लिए पूर्वांचल में दूसरे दिन भी सड़क पर उतरे श्रमिक और बैंक-बीमा कर्मचारी

झारखंड: केंद्र सरकार की मज़दूर-विरोधी नीतियों और निजीकरण के ख़िलाफ़ मज़दूर-कर्मचारी सड़कों पर उतरे!

दो दिवसीय देशव्यापी हड़ताल को मिला व्यापक जनसमर्थन, मज़दूरों के साथ किसान-छात्र-महिलाओं ने भी किया प्रदर्शन

देशव्यापी हड़ताल का दूसरा दिन, जगह-जगह धरना-प्रदर्शन


बाकी खबरें

  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    दिल्ली उच्च न्यायालय ने क़ुतुब मीनार परिसर के पास मस्जिद में नमाज़ रोकने के ख़िलाफ़ याचिका को तत्काल सूचीबद्ध करने से इनकार किया
    06 Jun 2022
    वक्फ की ओर से प्रस्तुत अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि यह एक जीवंत मस्जिद है, जो कि एक राजपत्रित वक्फ संपत्ति भी है, जहां लोग नियमित रूप से नमाज अदा कर रहे थे। हालांकि, अचानक 15 मई को भारतीय पुरातत्व…
  • भाषा
    उत्तरकाशी हादसा: मध्य प्रदेश के 26 श्रद्धालुओं की मौत,  वायुसेना के विमान से पहुंचाए जाएंगे मृतकों के शव
    06 Jun 2022
    घटनास्थल का निरीक्षण करने के बाद शिवराज ने कहा कि मृतकों के शव जल्दी उनके घर पहुंचाने के लिए उन्होंने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से वायुसेना का विमान उपलब्ध कराने का अनुरोध किया था, जो स्वीकार कर लिया…
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    आजमगढ़ उप-चुनाव: भाजपा के निरहुआ के सामने होंगे धर्मेंद्र यादव
    06 Jun 2022
    23 जून को उपचुनाव होने हैं, ऐसे में तमाम नामों की अटकलों के बाद समाजवादी पार्टी ने धर्मेंद्र यादव पर फाइनल मुहर लगा दी है। वहीं धर्मेंद्र के सामने भोजपुरी सुपरस्टार भाजपा के टिकट पर मैदान में हैं।
  • भाषा
    ब्रिटेन के प्रधानमंत्री जॉनसन ‘पार्टीगेट’ मामले को लेकर अविश्वास प्रस्ताव का करेंगे सामना
    06 Jun 2022
    समिति द्वारा प्राप्त अविश्वास संबंधी पत्रों के प्रभारी सर ग्राहम ब्रैडी ने बताया कि ‘टोरी’ संसदीय दल के 54 सांसद (15 प्रतिशत) इसकी मांग कर रहे हैं और सोमवार शाम ‘हाउस ऑफ कॉमन्स’ में इसे रखा जाएगा।
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    कोरोना अपडेट: देश में कोरोना ने फिर पकड़ी रफ़्तार, 24 घंटों में 4,518 दर्ज़ किए गए 
    06 Jun 2022
    देश में कोरोना के मामलों में आज क़रीब 6 फ़ीसदी की बढ़ोतरी हुई है और क़रीब ढाई महीने बाद एक्टिव मामलों की संख्या बढ़कर 25 हज़ार से ज़्यादा 25,782 हो गयी है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License