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लखीमपुर कांड के विरोध में पश्चिमी से लेकर पूर्वांचल तक आंदोलन, धरना-प्रदर्शन
पीएम नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में संयुक्त किसान मोर्चा जमकर प्रदर्शन किया। किसानों को उपद्रवी करार देने पर बनारस से निकलने वाले अखबार की प्रतियां भी फूंकी। मोदी के गोद लिए गांव नागेपुर में किसानों ने मुंह पर काली पट्टी बांधकर मौन जुलूस निकाला।
विजय विनीत
04 Oct 2021
Purvanchal in protest against Lakhimpur incident
लखीमपुर कांड के विरोध में वाराणसी में पीएम नरेंद्र मोदी के गोद लिए गांव नागेपुर में भी प्रदर्शन हुआ।

नए कृषि कानून और केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय मिश्र टेनी द्वारा किसानों के खिलाफ की गई तल्ख टिप्पणी का विरोध कर रहे किसानों और मंत्री के बेटे के बीच हुई हिंसक झड़प में आठ लोगों की मौत के बाद उत्तर प्रदेश में हाहाकार मचा हुआ है। लखीमपुर खीरी हिंसा में मारे गए किसानों का शव सड़क पर रखकर प्रदर्शनकारी किसानों ने जाम लगाया और केंद्रीय गृहराज्य मंत्री अजय मिश्र की बर्खास्तगी और उनके बेटे की गिरफ्तारी की मांग की।

किसानों के आक्रोश को शांत करने के लिए केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय मिश्र टेनी के बेटे आशीष मिश्र के खिलाफ हत्या का केस दर्ज किया गया है। यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मृतकों के परिजनों को 45-45  लाख व सरकारी नौकरी और घायलों को 10-10 लाख रुपये की आर्थिक सहायता देने का ऐलान किया है। इसके बावजूद किसानों का गुस्सा शांत नहीं हुआ है। पूर्वांचल समेत समूचे उत्तर प्रदेश में आंदोलन-प्रदर्शन और चक्काजाम आंदोलन शुरू हो गया है।

पीएम नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में संयुक्त किसान मोर्चा जमकर प्रदर्शन किया और किसानों को उपद्रवी करार करने पर बनारस से निकलने वाले अखबार दैनिक जागरण की प्रतियां भी फूंकी। लखीमपुर की घटना को लेकर वाराणसी के नागेपुर में किसानों ने मुंह पर काली पट्टी बांधकर मौन जुलूस निकाला। मोदी ने इस गांव को गोद लिया है। मोदी द्वारा बनवाए गए नंदघर पर पहुंचकर किसानों ने जोरदार प्रदर्शन किया। वाराणसी मंडल के चंदौली, गाजीपुर के अलावा सोनभद्र, मिर्जापुर, बलिया, मऊ, देवरिया समेत समूचे पूर्वांचल में किसान सड़कों पर उतरे और भाजपा सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की।

पश्चिमी यूपी के किसान उग्र

पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर, बागपत, बुलंदशहर, मेरठ, नोएडा, गाजियाबाद, पीलीभीत समेत राज्य के सभी जिलों में किसान संगठनों जिला मुख्यालयों के अलावा तहसीलों में प्रदर्शन किया। लखीमपुर में शांतिपूर्वक प्रदर्शन कर रहे किसानों को गाड़ियों से रौदे जाने के विरोध में मोदी-योगी सरकार के खिलाफ नारेबाजी की। कई स्थानों पर जाम लगाकर विरोध उग्र प्रदर्शन किया गया। लखीमपुर खीरी मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए प्रशासन भारी पुलिस फोर्स तैनात किया है। कांग्रेस नेत्री प्रियंका गांधी को सीतापुर और लखनऊ में धरने पर बैठे सपा प्रमुख अखिलेश यादव को हिरासत में लिए जाने के बाद उत्तर प्रदेश की सियासत में उबाल आ गया।

लखीमपुर खीरी की घटना के बाद बनारस के कलेक्ट्रेट, कैंट रेलवे स्टेशन, रोडवेज बस अड्डों के अलावा काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के  गेट पर भारी फोर्स तैनात की गई थी। पुलिस के अलर्ट रहने के बावजूद संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर बड़ी तादाद में किसान कलेक्ट्रेट के नजदीक स्थित शास्त्री घाट पर पहुंच गए और जमकर प्रदर्शन किया। किसानों के साथ यहां जनअधिकार पार्टी, गोंडावाना गणतंत्र पार्टी, भारतीय सुहेलदेव पार्टी समेत कई छोटे दलों के कार्यकर्ताओं ने लखीमपुर खीरी में किसानों को गाड़ी से रौदे जाने पर नाराजगी व्यक्त की और काले कृषि कानूनों को खत्म करने तक आंदोलन जारी रखने का अल्टीमेटम दिया। घंटों चली नारेबाजी के बाद किसानों ने यहां धरना भी दिया।

किसान मजदूर परिषद के चौधरी राजेंद्र ने किसानों को संबोधित करते हुए लखीमपुर कांड के बारे में विस्तार से जानकारी दी। कहा, " किसानों पर हमले तब किए गए जब वे अपने घरों के लिए लौट रहे थे। केंद्र गृहराज्य मंत्री का बेटा तीन गाड़ियों के काफिले के साथ पहुंचा किसानों को कुचल दिया। एक किसान की मौके पर ही मौत हो गई। मंत्री का बेटा कार में था। कार की चपेट में आने से चार किसानों की मौत हो गई और छह अन्य घायल हो गए। गंभीर रूप से घायल संयुक्त किसान मोर्चा के नेता तेजिंदर एस विरक की हालत चिंताजनक बनी हुई है।" 

रामराज के लिफाफे में गुंडाराज

समाजवादी जन परिषद के महासचिव अफलातून ने कहा, " उत्तर प्रदेश में कोई लॉ-ऑर्डर नहीं है। यहां तानाशाही चल रही है। किसानों का मर्डर हुआ है जो अहिंसक तरीके से आंदोलन कर रहे थे। हम यह तानाशाही नहीं चलने देंगे।" विद्यार्थी युवजन सभा की प्रज्ञा सिंह ने कहा, "यूपी में रामराज के लिफाफे से गुंडाराज निकल रहा है। न्याय की इस अहिंसक लड़ाई में हम देश के अन्नदाता को जिता कर रहेंगे।" सभा में किसान मजदूर परिषद के ललित मौर्य, भारतीय किसान यूनियन लक्ष्मण मौर्य, एपवा की नूर फातिमा, भगत सिंह छात्र मोर्चा के विनय सिंह, अखिल भारत किसान सभा के जयशंकर सिंह, श्यामलाल, जय किसान आंदोलन के रामजन्म, जन आंदोलनों के राष्ट्रीय समन्वय के सतीश सिंह, बहुजन मोर्चा के अनूप श्रमिक ने  मोदी-योगी सरकार की किसान विरोधी नीतियों की जमकर आलोचना की।

सभा की अध्यक्षता करते हुए भाकपा माले की कृपा वर्मा ने कहा, " काले कृषि कानून और जुल्म-ज्यादती के खिलाफ बनारस में विशाल मौन जुलूस निकाला जाएगा। अन्नदाताओं के हितों के लिए आर-पार की लड़ाई लड़ी जाएगी। किसानों के लिए  गाली सूचक शब्द इस्तेमाल किए जाने से क्षुब्ध किसानों ने यहां दैनिक जागरण अखबार की प्रतियां भी फूंकी। सरकार के पक्ष में एकतरफा की जा रही रिपोर्टिंग पर इस अखबार को लेकर उत्तर प्रदेश के किसान भारी गुस्से में हैं।

मोदी के गांव नागेपुर में मौन जुलूस

लखीमपुर खीरी की घटना के विरोध में किसानों ने पीएम नरेंद्र मोदी के दुलारा गांव नागेपुर में मौन जुलूस निकाला। जुलूस में शामिल किसान अपने मुंह पर काली पट्टी बांधे हुए थे। लोकसेवा समित के बैनरतले नागेपुर के नंदघर पर किसानों ने प्रदर्शन के बाद श्रद्धांजलि सभा आयोजित की। आंदोलन में शहादत देने वाले किसानों को यहां श्रद्धासुमन अर्पित किया गया। बनारस के लंका थाना क्षेत्र के सीरगोवद्धनपुर में गहमा-गहमी रही। यहां सपाइयों ने सरकार के खिलाफ नारेबाजी की।

पूर्वांचल में सोनभद्र के घोरावल, गाजीपुर के जमानिया, मिर्जापुर, चंदौली, मुगलसराय समेत कई स्थानों पर सरकार के विरोध में प्रदर्शन किए गए। चंदौली के जंगली इलाके नौगढ़ के भैसौड़ा गांव में आईपीएफ और मजदूर मंच ने लखीमपुर कांड के विरोध में नारेबाजी की। किसान नेता अजय राय ने कहा, " किसानों की हत्यारी योगी की सरकार कुछ ही दिनों की मेहमान है। अबकी चुनाव में किसान और मजदूर मिलकर इस जालिम सरकार को विदा कर देंगे।"

पुलिस से झड़प

लखीमपुर खीरी में हुई घटना के विरोध में भारतीय किसान यूनियन के कार्यकर्ताओं ने खुर्जा के जेवर हवाई अड्डा चौराहे पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का पुतला फूंकने की कोशिश की। इस बीच थाना कोतवाली से सादी वर्दी में पहुंचे एक सिपाही ने पुतला छीन लिया, जिसे लेकर झड़प हुई। लखीमपुर कांड के विरोध में मेरठ कमिश्नरी में बड़ी संख्या में किसान धरने पर बैठे। सैकड़ों किसानों ने मेरठ कलेक्ट्रेट पर प्रदर्शन किया। भाकियू कार्यकर्ताओं को डीएम दफ्तर में घुसने से रोका गया तो पुलिस और किसानों के बीच झड़पें हुईं। बाद में नारेबाजी करते हुए किसान यहां भी धरने पर बैठ गए। बड़ौत के पास हाईवे पर वाहनों की आवाजाही रोके से जाने से लंबी कतारें लगी रहीं।

बुलंदशहर के गुलावठी बाईपास पर किसानों ने प्रदर्शन किया। मुजफ्फरनगर के कलेक्ट्रेट दफ्तर पर किसानों ने केंद्रीय मंत्री अजय मिश्र टेनी की गिरफ्तारी की मांग की। गाजियाबाद में किसानों और सपा कार्यकर्ताओं ने कलेक्टर के दफ्तर में घुसने की कोशिश की तो उनकी पुलिस से तीखी झड़प और धक्का-मुक्की हुईं। भाकियू के आह्वान पर बिजनौर के किसान भी धरने पर बैठ गए। सपा मुखिया अखिलेश यादव की रिहाई की मांग को लेकर अमरोहा कलक्ट्रेट पहुंचे सपाइयों ने किसानों के धरने में शामिल होने की कोशिश की, तभी भाकियू नेताओं ने राजनीतिक दलों को दूर रहने की हिदायत देते हुए उन्हें बैरंग लौटा दिया।

झांसी और ललितपुर में भी किसान और सपा नेता सड़क पर उतर आए। झांसी के इलाइट चौराहे पर सपा नेताओं ने प्रदर्शन किया। इस दौरान पुलिस ने दर्जनों सपा कार्यकर्ताओं और नेताओं को गिरफ्तार कर लिया। इन्हें पुलिस लाइन ले जाया गया। यहां पुलिस और किसानों के बीच तीखी नोक-झोंक हुई। आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ताओं ने भी पुलिसलाइन में प्रदर्शन किया। कांग्रेस नेत्री प्रियंका गांधी की गिरफ्तारी को लेकर कांग्रेस नेताओं ने भी प्रदर्शन किया। उधर, ललितपुर में किसानों की मौत को लेकर घंटाघर पर सपा नेताओं ने प्रदर्शन किया।

सियासी दलों के नेताओं को रोका

राष्ट्रीय लोकदल के राष्ट्रीय अध्यक्ष जयंत चौधरी के संभल आने की सूचना पर जिला पुलिस प्रशासन अलर्ट हो गया। जयंत चौधरी अमरोहा से मुरादाबाद होते हुए लखीमपुर के लिए निकले, लेकिन उन्हें अमरोहा के असगरीपुर गांव में जोया थाना पुलिस ने रोक लिया और उन्हें आगे नहीं बढ़ने दिया।

दोपहर करीब बारह बजे कलक्ट्रेट परिसर में भारतीय किसान यूनियन टिकैत गुट का धरना चल रहा था। तभी एमएलसी परवेज अली के नेतृत्व में तमाम सफाई कलक्ट्रेट पहुंच गए और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की रिहाई की मांग करते हुए किसानों के धरने में शामिल होने लगे। इससे पहले सपा कार्यकर्ता किसानों के बीच बैठते, किसानों नेताओं ने स्पष्ट कह दिया कि राजनीतिक दल किसानों से दूर रहें। अगर उन्हें धरना देना है तो वह दूर बैठ जाएं।

पत्रकार समेत आठ की मौत

लखीमपुर में रविवार को हुई हिंसा में घायल एक खबरिया चैनल के पत्रकार रमन कश्यप (35) की भी मौत हो गई। पिता रामदुलारे ने पोस्टमॉर्टम हाउस पहुंचकर बेटे के शव की पहचान की। तेज रफ्तार गाड़ी ने किसानों के साथ इन्हें भी रौंद दिया था, जिसके बाद प्रदर्शनकारी भड़क उठे।

इस हिंसा में कुल आठ लोग मारे गए। इनमें दलजीत सिंह (32), गुरविंदर सिंह (20), नानपारा-बहराइच, लवप्रीत सिंह (24) निवासी चौखड़ा फार्म मझगाई, खीरी, नछत्तर सिंह (60), रामनगर लहबड़ी (खीरी) के अलावा हरिओम, परसेहरा फरधान (खीरी), श्याम सुंदर- सिंघहाकला सिंगाही (खीरी), शुभम मिश्र-शिवपुरी (खीरी) और अमन कश्यप निवासी निघासन (खीरी) शामिल हैं। इस हादसे में जो लोग घायल हुए हैं उनमें गुरुनाम सिंह, मेजर सिंह, साहब सिंह- नानपारा,बहराइच, संदीप सिंह, मांझा फार्म, प्रभजीत चौखडा फार्म, शमशेर सिंह निवासी बैरिया फार्म और तजिंदर सिंह निवासी तराई किसान संगठन शामिल हैं।

कौन है आशीष मिश्रा?

खुद को किसान और व्‍यवसायी कहने वाले केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय मिश्रा टेनी के पुत्र आशीष मिश्रा पर आरोप है कि उसने ही किसानों को गाड़ियों से रौंदवाया। आशीष, अजय मिश्रा का छोटा बेटा है। साल 2012 में पिता को एमएलए चुनाव का टिकट मिलने के बाद से ही वह राजनीति में सक्रिय है। वह पिता के पेट्रोल पंप, राइस मिल और अन्‍य व्‍यवसायों को संभालते रहा है। आशीष सोशल मीडिया पर भी खासा सक्रिय रहा। इधर सियासत में उसकी सक्रियता काफी बढ़ गई थी। बताया जाता है कि अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में वह निघासन सीट पर विधायकी के टिकट के लिए अपना दावा पेश करना चाहता था।

हासिल जानकारी के मुताबिक, "लखीमपुर में मंत्री के विवादित बयान से आक्रोश की चिंगारी भड़की। यहां तिकुनिया के बनवीरपुर गांव में तीन अक्टूबर का दिन हर साल ही खास होता है। इस दिन यहां के मूल निवासी केंद्रीय गृह राज्यमंत्री व सांसद अजय कुमार मिश्रा टेनी के पिता स्व. अंबिका प्रसाद की स्मृति में बड़ा दंगल आयोजित होता है, जिसमें कई प्रदेशों के पहलवान अपने दांव-पेच के जौहर दिखाते हैं। इस बार बतौर मुख्य अतिथि सूबे के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य को बुलाया गया था। सुबह से सारी तैयारियां मुकम्मल होने के बाद दंगल शुरू भी हो गया, पर इसमें अमंगल का काम किया सांसद के ही कथित विवादित बयान ने, जो उन्होंने बीती 26 सितंबर को संपूर्णानगर में दिया था। इसी बयान से अक्रोशित किसानों ने डिप्टी सीएम को काले झंडे दिखाने का मन बनाया, जिसके बाद बड़ा बवाल हुआ और दंगल नहीं हो सका।

दर्ज हुआ हत्‍या का मुकदमा

आशीष के खिलाफ लखीमपुर के तिकुनिया थाने में हत्या, आपराधिक साजिश, दुर्घटना और बलवा की धाराओं में एफआईआर दर्ज की गई है। यह एफआईआर बहराइच नानपारा के जगजीत सिंह की तहरीर पर दर्ज की गई है। बेटे पर लगे आरोपों को लेकर मंत्री अजय मिश्रा ने सफाई दी है, "किसानों के बीच छुपे हुए कुछ उपद्रवी तत्वों ने उनकी गाड़ियों पर पथराव किया और लाठी-डंडे से वार करने शुरू किए। फिर उन्हें खींचकर लाठी-डंडों से मारा-पीटा और तलवारों हमला किया। गाड़ियों में आग लगा दी और तोड़फोड़ किया गया। मेरा बेटा मौके पर होता तो उसकी पीटकर हत्या कर दी गई होती।" इस बीच आशीष मिश्रा ने अपनी सफाई में कहा, "वह सुबह नौ बजे से कार्यक्रम खत्‍म होने तक बनवारीपुर में ही थे। मेरे ऊपर लगे सभी आरोप निराधार हैं।"

हालांकि पिता-पुत्र के दावों के ख़िलाफ़ कई गवाहियां सामने आ रही हैं। जिसमें कहा जा रहा है कि आशीष मिश्रा ने ही किसानों पर गाड़ी चढ़ाई। ख़ैर, अब देखिए कि सरकार न्यायिक जांच और गिरफ़्तारी के अपने वादे पर कब और कहां तक खरी उतरती है।

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