NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
कला
भारत
नीर भरी दुख की बदली : चित्रकार कुमुद शर्मा 
एक स्मृति : कुमुद शर्मा  बिहार की प्रथम महिला चित्रकार थीं । जिन्होने आधुनिक कला शैली में बहुत सारे चित्र बनाए। उन्हें कई पुरस्कार मिले। उनका साहस और संघर्ष प्रेरक है।
डॉ. मंजु प्रसाद
27 Dec 2020
चित्रकार कुमुद शर्मा 

आदरणीय कुमुद शर्मा का नाम आते ही स्मृति मुझे मेरे छात्र जीवन में ले जाती है। उजली साड़ी में एक शालीन ममतामयी चित्रकार। अक्सर कला एवं शिल्प महाविद्यालय पटना में होने वाले आयोजनों में जरूर मौजूद रहती थीं  । उनके कला संबंधी वक्तव्य में अक्सर यह दुख उद्घाटित होता था कि एक समय में  इसी कला महाविद्यालय में उनका दाखिला नहीं हुआ था।

भारतीय समाज में  शुरू  से ही लड़कियों में बचपन से ही सुरूचि सम्पन्न,, कला प्रवीण,संगीत एवं काव्य अनुरागी  होने की आकांक्षा डाली जाती थी ।जिसका  मुख्य प्रयोजन उनके विवाह की योग्यता से जुड़ा हुआ होता   है। अतः  घरों में ही वे आलंकारिक और उपयोगी कला सृजन करती थीं। शिल्पकार ,चित्रकार पुरूष ही होते थे। वस्त्र आदि पर अलंकरण ज्यादातर पुरूष ही करते थे। महिलायें सहायक  के तौर  पर  काम करती थीं । अतः पटना शिल्प महाविद्यालय में भी शुरुआत में  लड़कियों का दाखिला नहीं होता था। 

कुमुद शर्मा का जन्म 1926 में पटना में हुआ था । उस समय जबकि लड़कियों को ज्यादा पढ़ाया नहीं जाता था ।कुमुद शर्मा इंटरमीडिएट थीं। प्रबल इच्छा के बावजूद वे ललित कला में अकादमिक शिक्षा नहीं ले पाईं । जबकि शांति निकेतन में  लड़कियां भी कला शिक्षा लेतीं थीं। इसके बावजूद उन्होंने पटना कलम के बड़े चित्रकार ईश्वरी प्रसाद से चित्रकला सीखी । वे बड़े कलाकारों जैसे राजा रवि वर्मा और पटना कलम  के चित्रों का अनुकरण करने लगीं।

1941 में  हिन्दी के प्रसिद्ध साहित्यकार नलिन विलोचन शर्मा से उनकी शादी हुई। घर में साहित्यकारों  का जमावड़ा लगा रहता था ।

हिन्दी साहित्य में ‘नकेन के प्रपद्य’ नाम से चर्चित  एक काव्य आंदोलन शुरू हुआ । जिसमें मुख्य रूप से नरेश मेहता,केसरी प्रसाद और नलिन विलोचन शर्मा स्वयं थे।यह एक प्रकार से छंद मुक्त  शैली में प्रबंध काव्य एवं आख्यान काव्य, पद्य माध्यम में लिखने     हेतु,पद्धति के रूप में किया गया । नरेश   मेहता का ‘महा प्रस्थान’ काव्य संग्रह इस प्रपद्य श्रृंखला का सर्वोत्कृष्ट उदाहरण है । 

कुमुद शर्मा को साहित्य संगत तो मिला परन्तु पारिवारिक दायित्वों के कारण उनका कला सृजन निरंतर कायम नहीं रह पाया था। एक बार नन्द लाल बोस उनके घर आये थे,जिन्हें कुमुद शर्मा द्वारा बनाए बुद्ध के जीवन से संबंधित लघुचित्र बहुत पसन्द आये।

नलिन विलोचन का साथ उन्हें बहुत समय तक नहीं मिल पाया ।दुर्भाग्यवश 1961 में नलिन विलोचन की मृत्यु हो गई । कुमुद जी का जीवन दुखमय हो गया। उनकी कला ने ही उन्हें इस सदमें से उबारा। लंबे समय बाद कुमुद जी  पुन:कला की ओर उन्मुख हुईं।

चित्रकला कुमुद जी के दुख-सुख की अभिव्यक्ति का माध्यम बन गया । उनके चित्रों के मुख्य विषय भी समाज में  महिलाओं की उपेक्षित स्थिति, उनपर होने वाले अत्याचार और उनकी गहन पीड़ा एवं  दुख पर आधारित हो गये। 

 उनके चित्रों की कई एकल और समूह प्रदर्शनी हुई । जैसे श्रीधराणी आर्ट गैलरी; नई दिल्ली , पटना ,नेपाल आदि जगहों पर उनके चित्र प्रदर्शित हुए।  वे एक सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में भी जानी गईं ।  बच्चों से उन्हें विशेष लगाव था। रत्नावली  विद्या मंदिर की वे प्राचार्या थीं । उन्होंने बच्चों के कई नाटकों का लेखन व मंचन भी किया ।   जिसमें से कई  आकाशवाणी  से प्रसारित हुए ।

 वे युवा कलाकारों के प्रति भी संवेदनशील थी । तभी तो बिहार के कई कलाकारों  को आर्थिक मदद की और उन्हें स्टूडियो सुविधा दी।

 परंतु हमारे समाज की विडंबना यही है की कलाकार जबतक जीवित रहते हैं  उसकी कलाकृतियां और वह ज्यादातर हाशिए पर ही रहते हैं। आज कुमुद  शर्मा के नाम पर बिहार की कलाकार पुरस्कृत होती रहती हैं । लेकिन कुमुद शर्मा जीते जी, ‘’मैं नीर भरी दुख की बदली बनी रहीं।“

कुमुद शर्मा के दुख का अंदाजा मुझे तब हुआ जब मैं बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय में चित्रकला से स्नातकोत्तर की शिक्षा ले रही थी।    

 पटना की ब्रिटिश लायब्रेरी (जो अब बंद हो चुकी है )की एक विथिका में उनके चित्रों की एकल प्रदर्शनी चल रही थी ।अखबार में पढ़कर मैं प्रदर्शनी में पहुंची। अब  तक कला पुस्तकों के अध्ययन से मुझे कला संबंधी जानकारी थोड़ी बहुत हो गई थी।मुझे उनके सभी चित्र बहुत सुन्दर और बहुत प्रभावपूर्ण लगें ।  खासकर एक भू दृश्य चित्र जो तैल रंगों में था । वह कुछ प्रभाववादी शैली में था और उसमें कला संबंधी सभी नियमों का पालन था और चित्रकार की मौलिकता भी बरकरार थी। कुमुद जी स्वयं वहां मौजूद थीं। मुझे रहा नहीं गया मैं उनके पास गई। मैंने उनसे कहा आपके चित्र बहुत सुन्दर हैं । वे व्यथित होकर बोलीं ।‘अभी -अभी एक युवा कलाकार जिसे मैंने अपने घर शरण दिया था मुझे डांट कर गया कि आपको पेंटिंग नहीं बनाने आती’। यह बहुत खराब बर्ताव था एक बुजुर्ग महिला कलाकार के प्रति ।  (जिसकी  मैंने भी समूह में भर्त्सना की )

मैंने उन्हें विश्वास दिलाया कि “आप बहुत अच्छे चित्र बनाती हैं”और बताया कि, “जिन युवा कलाकारों ने  उनकी कला शैली  की   आलोचना  की है वे  खुद अभी नौसिखिया हैं”। फिर तो कुमुद  जी से बहुत सी बातें हुई।उन्होंने मुझे  अपने यहाँ खाने पर आमंत्रित किया । मैं  उनके  घर गई । वो बेटे और   बहु वाली होने के बावजूद अकेले रह रहीं   थीं  । उन्होंने मुझे बताया कि वे बीमार पड़ती थीं  तो चिकित्सक फीस के बदले उनकी पेंटिंग  ले जाते थे।   उसी दिन  वे मेरे पिता और मां से भी मिलीं । बाद में मुझे उनके मृत्यु की अप्रत्याशित  दुखद सूचना मिली । 

कुमुद शर्मा  बिहार की प्रथम महिला चित्रकार थीं । जिन्होने आधुनिक कला शैली में बहुत सारे चित्र बनाए । उन्हें कई पुरस्कार मिले।उनका साहस और संघर्ष प्रेरक है। उनपर बहुत कम लिखा गया है। बहुत कोशिशों के बावजूद मैं उनकी छवि या उनके चित्रों की छवि (तस्वीर)  नहीं प्राप्त कर  सकी। कुछ लोगों के पास थी परन्तु वे उपलब्ध नहीं करा सके । 

(लेखिका डॉ. मंजु प्रसाद एक चित्रकार हैं। आप इन दिनों लखनऊ में रहकर पेंटिंग के अलावा ‘हिन्दी में कला लेखन’ क्षेत्र में सक्रिय हैं।)

कला विशेष में इन्हें भी पढ़ें :

कला विशेष: प्राचीन चीन से आधुनिक युग तक सतत बहती कला धारा

कला प्रेमी समाज के लिए चाहिए स्तरीय कला शिक्षा: आनंदी प्रसाद बादल

कला विशेष : चित्रकार उमेश कुमार की कला अभिव्यक्ति

कला विशेष: हितकारी मानवतावाद से प्रेरित चित्रकार अर्पणा कौर के चित्र

चित्रकार बी.सी. सान्याल की‌ कलासाधना : ध्येय, लोक रूचि और जन संवेदना

सतीश गुजराल : एक संवेदनशील चित्रकार-मूर्तिकार

कला विशेष: शक्ति और दृष्टि से युक्त अमृता शेरगिल के चित्र

कला विशेष : शबीह सृजक राधामोहन

कला विशेष: चित्र में प्रकृति और पर्यावरण

Kumud Sharma
Indian painter
art
artist
Indian painting
Indian Folk Life
Art and Artists
Folk Art
Folk Artist
Indian art
Modern Art
Traditional Art

Related Stories

'द इम्मोर्टल': भगत सिंह के जीवन और रूढ़ियों से परे उनके विचारों को सामने लाती कला

राम कथा से ईद मुबारक तक : मिथिला कला ने फैलाए पंख

पर्यावरण, समाज और परिवार: रंग और आकार से रचती महिला कलाकार

सार्थक चित्रण : सार्थक कला अभिव्यक्ति 

आर्ट गैलरी: प्रगतिशील कला समूह (पैग) के अभूतपूर्व कलासृजक

आर्ट गैलरी : देश की प्रमुख महिला छापा चित्रकार अनुपम सूद

छापा चित्रों में मणिपुर की स्मृतियां: चित्रकार आरके सरोज कुमार सिंह

जया अप्पा स्वामी : अग्रणी भारतीय कला समीक्षक और संवेदनशील चित्रकार

कला गुरु उमानाथ झा : परंपरागत चित्र शैली के प्रणेता और आचार्य विज्ञ

चित्रकार सैयद हैदर रज़ा : चित्रों में रची-बसी जन्मभूमि


बाकी खबरें

  • aaj ki baat
    न्यूज़क्लिक टीम
    धर्म के नाम पर काशी-मथुरा का शुद्ध सियासी-प्रपंच और कानून का कोण
    19 May 2022
    ज्ञानवापी विवाद के बाद मथुरा को भी गरमाने की कोशिश शुरू हो गयी है. क्या यह धर्म भावना है? क्या यह धार्मिक मांग है या शुद्ध राजनीतिक अभियान है? सन् 1991 के धर्मस्थल विशेष प्रोविजन कानून के रहते क्या…
  • hemant soren
    अनिल अंशुमन
    झारखंड: भाजपा काल में हुए भवन निर्माण घोटालों की ‘न्यायिक जांच’ कराएगी हेमंत सोरेन सरकार
    18 May 2022
    एक ओर, राज्यपाल द्वारा हेमंत सोरेन सरकार के कई अहम फैसलों पर मुहर नहीं लगाई गई है, वहीं दूसरी ओर, हेमंत सोरेन सरकार ने पिछली भाजपा सरकार में हुए कथित भ्रष्टाचार-घोटाला मामलों की न्यायिक जांच के आदेश…
  • सोनिया यादव
    असम में बाढ़ का कहर जारी, नियति बनती आपदा की क्या है वजह?
    18 May 2022
    असम में हर साल बाढ़ के कारण भारी तबाही होती है। प्रशासन बाढ़ की रोकथाम के लिए मौजूद सरकारी योजनाओं को समय पर लागू तक नहीं कर पाता, जिससे आम जन को ख़ासी दिक़्क़तों का सामना करना पड़ता है।
  • mundka
    न्यूज़क्लिक टीम
    मुंडका अग्निकांड : क्या मज़दूरों की जान की कोई क़ीमत नहीं?
    18 May 2022
    मुंडका, अनाज मंडी, करोल बाग़ और दिल्ली के तमाम इलाकों में बनी ग़ैरकानूनी फ़ैक्टरियों में काम कर रहे मज़दूर एक दिन अचानक लगी आग का शिकार हो जाते हैं और उनकी जान चली जाती है। न्यूज़क्लिक के इस वीडियो में…
  • inflation
    न्यूज़क्लिक टीम
    जब 'ज्ञानवापी' पर हो चर्चा, तब महंगाई की किसको परवाह?
    18 May 2022
    बोल के लब आज़ाद हैं तेरे के इस एपिसोड में अभिसार शर्मा सवाल उठा रहे हैं कि क्या सरकार के पास महंगाई रोकने का कोई ज़रिया नहीं है जो देश को धार्मिक बटवारे की तरफ धकेला जा रहा है?
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License