NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
कोविड-19
स्वास्थ्य
विज्ञान
निष्प्रभावित कर देने वाली एंटीबॉडीज़ कोविड-19 टीके की प्रभावकारिता के लिए मार्कर हो सकती हैं 
एक नए शोध से पता चला है कि निष्प्रभावित कर देने वाली  एंटीबॉडीज़ की थोड़ी मात्रा भी टीके की मजबूत प्रभावकारिता दिखाती है।
संदीपन तालुकदार
28 May 2021
निष्प्रभावित कर देने वाली एंटीबॉडीज़ कोविड-19 टीके की प्रभावकारिता के लिए मार्कर हो सकती हैं 

कोरोनावायरस के खिलाफ टीकों के साथ एक मुद्दा उनकी प्रभावकारिता को मापने की प्रक्रिया भी है। वैज्ञानिकों ने एक ऐसे  मार्कर का पता लगाने की कोशिश की है, जिसका आसानी से पता लग सकता है और जो दर्शा सकता है कि टीके ने किस स्तर की प्रभावकारिता प्रदान की है। ऐसा ही एक मार्कर निष्प्रभावित करने वाले एंटीबॉडीज़ का हो सकता है, जो वैक्सीन की खुराक दिए जाने के बाद रक्त में पाए जाते हैं।

17 मई को नेचर में प्रकाशित एक हालिया अध्ययन में कहा गया है कि किसी टीका लगा चुके व्यक्ति के रक्त में एंटीबॉडीज़ का स्तर इस बात का मजबूत संकेत है कि कोविड-19 के खिलाफ टीके से पर्याप्त सुरक्षा हासिल कर ली गई है। शोध में यह भी कहा गया है कि निष्प्रभावित करने वाली एंटीबॉडीज़  की थोड़ी सी मात्रा भी टीके की मजबूत प्रभावकारिता का संकेत देती है।

एंटीबॉडीज़  एक प्रोटीन अणु हैं जो किसी वायरस, जीवाणु या किसी भी अन्य रोगजनकों से लड़ते हैं। जब कभी भी शरीर इस प्रकार के रोगजनक का सामना करता है, तो हमारे शरीर की प्रतिरक्षात्मक प्रणाली या प्रतिरक्षा तंत्र इन प्रोटीन अणुओं को उत्पन्न करता है, जो रोगजनक को खत्म करने में सक्षम होता है। टीकाकरण के दौरान निष्क्रिय रोगजनक के संपूर्ण या एक हिस्से को डाला जाता है। टीके को प्राप्त करने पर हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली इसकी पहचान एक बाहरी वस्तु के रूप में करती है, और इसे खत्म करने के लिए काम करना शुरू कर देती है। इसी प्रक्रिया में एंटीबॉडीज़  उत्पन्न होने लगते हैं।

नेचर  पत्रिका के हाल के अध्ययन में, सिडनी विश्वविद्यालय, ऑस्ट्रेलिया के जेम्स ट्रीकास और उनकी टीम ने सात परीक्षणों से प्राप्त निष्प्रभावित करने वाली एंटीबाडी के आंकड़ों पर शोध किया, जहाँ पर व्यापक स्तर पर टीकाकरण किया गया था। शोधकर्ताओं ने पाया कि इसमें हिस्सा लेने वाले व्यक्ति के शुरूआती चरण के परीक्षण में दर्ज एंटीबाडी स्तरों और बाद के चरण में किये गए परीक्षणों में टीके के नतीजों की प्रभावकारिता के बीच एक मजबूत अंतर्संबंध है। शोधकर्ताओं के आकलन के अनुसार किसी टीके की प्रभावकारिता का स्तर 50% तक हो सकता है, यहाँ तक कि जहाँ यह एंटीबाडी स्तर कोरोना से ठीक हुए व्यक्ति में पाए गए स्तर से 80% कम पाई गई हो उस स्थिति में भी 50% प्रभावकारिता बनी रहती है। यह एक औसत आकलन है।

टीके जो मजबूत बेअसर करने वाली एंटीबाडी प्रतिक्रिया पैदा कर सकते हैं, उदहारण के लिए फाइजर और मोडेरना के एम-आरएनए टीके, इसमें सबसे ज्यादा सुरक्षात्मक पाए गए। शोधकर्ताओं का यह भी कहना था कि जैसे-जैसे समय के साथ एंटीबाडी का स्तर कम होने लगता है, साल में एक बार बूस्टर खुराक की जरूरत पड़ सकती है। हालाँकि बूस्टर खुराक के बिना भी गंभीर स्तर की बीमारी से बचाव कुछ वर्षों तक बना रह सकता है।

इम्पीरियल कॉलेज ऑफ़ लंदन के एक रोगक्षमताविज्ञानी, डेनियल ऑल्टमैंन ने अध्ययन पर टिप्पणी करते हुए कहा कि यह अध्ययन प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया की विशिष्टताओं को परिभाषित करने का एक बेहतरीन प्रयास है, जो कोविड-19 के खिलाफ एक छद्म के तौर पर बचाव का कार्य कर सकता है, जिसे ‘बचाव के सह-संबंधी’ के तौर पर जाना जाता है।

उन्होंने आगे कहा “बचाव के सह-संबंध की खोज दरअसल इस बीमारी और अन्य के लिए भी के लिए वाकई में एक पवित्र प्याले के समान रहा है। ऐसा कर पाना आश्चर्यजनक रूप से कठिन कार्य है।”

इस अध्ययन के सहलेखक जेम्स ट्रीकास का कहना था “यदि शोधकर्ताओं के पास बचाव का एक अच्छी तरह से परिभाषित सहसंबंध है, तो शुरूआती परीक्षण आंकड़ों से भविष्यवाणी कर सकते हैं कि टीका कितना प्रभावकारी हो सकता है। इससे बड़े, ज्यादा खर्चीले और समय-खर्च करने वाले III चरण के परीक्षणों की आवश्कता नहीं रह जाती है।”

यहाँ पर यह उल्लेख करना आवश्यक है कि कोरोनावायरस के नए प्रारूपों के खिलाफ टीकों की प्रभावकारिता को लेकर चिंता व्यक्त की गई है, जिनमें से कुछ ज्यादा संक्रामकता लिए हुए हैं और प्रतिरक्षा प्रणाली से बचने के लिए अधिक अनुकूलित हैं। अध्ययन के निष्कर्षों पर टिप्पणी करते हुए ऑल्टमैंन का कहना था कि यह अध्ययन यह समझने में सहायक सिद्ध हुआ है कि जिन लोगों का टीकाकरण हो चुका है, भले ही उन्हें टीके की एक ही खुराक मिली हो, अगर वे नए प्रारूपों से संक्रमित हो भी  गए हों तो वे ख़राब प्रतिक्रिया नहीं दे सकते हैं। उन्हें यह कहते हुए उधृत किया गया कि “यहाँ तक कि हमारे आकलन से भी कम स्तर पर एंटीबाडीज़ होने के बावजूद, शायद आप इससे पार पा सकते हैं।”

अंग्रेज़ी में प्रकाशित मूल आलेख को पढ़ने के लिए नीचे दिये गये लिंक पर क्लिक करें।

Neutralising Antibodies Can be Marker of COVID-19 Vaccine Efficacy

Vaccine efficacy
Moderna
Pfizer
Covishield
Neutralizing Antibodies
COVID19 Vaccine

Related Stories

पेटेंट्स, मुनाफे और हिस्सेदारी की लड़ाई – मोडेरना की महामारी की कहानी

क्या कोविड के पुराने वेरिएंट से बने टीके अब भी कारगर हैं?

फाइज़र का 2021 का राजस्व भारत के स्वास्थ्य बजट से सात गुना ज़्यादा है

नहीं पूरा हुआ वयस्कों के पूर्ण टीकाकरण का लक्ष्य, केवल 63% को लगा कोरोना टीका

"क्यूबा की सोबराना वैक्सीन कोई चमत्कार नहीं, बल्कि राजनीतिक निर्णयों का नतीजा है"

कोविड: प्रोटीन आधारित वैक्सीन से पैदा हुई नई उम्मीद

डेल्टा वेरिएंट के ट्रांसमिशन को टीके कब तक रोक सकते हैं? नए अध्ययन मिले-जुले परिणाम दिखाते हैं

वैक्सीन को मान्यता देने में हो रही उलझन से वैश्विक हवाई यात्रा पर पड़ रहा असर

क्या ग़रीब देश अपनी आबादी के टीकाकरण में सफल हो सकते हैं?

कोविशील्ड, कोवैक्सीन की एक-एक खुराक से बेहतर रोग प्रतिरोधक क्षमता हो सकती है विकसित: अध्ययन


बाकी खबरें

  • विजय विनीत
    ग्राउंड रिपोर्ट: चंदौली पुलिस की बर्बरता की शिकार निशा यादव की मौत का हिसाब मांग रहे जनवादी संगठन
    30 May 2022
    "हमें तो पुलिस के किसी भी जांच पर भरोसा नहीं है। जब पुलिस वाले ही क़ातिल हैं तो पुलिसिया न्याय पर हम कैसे यकीन कर लें? सीबीआई जांच होती तो बेटी के क़ातिल जेल में होते। हमें डरे हुए हैं। "
  • एम.ओबैद
    मिड डे मिल रसोईया सिर्फ़ 1650 रुपये महीने में काम करने को मजबूर! 
    30 May 2022
    "हम लोगों को स्कूल में जितना काम करना पड़ता है। उस हिसाब से वेतन नहीं मिलता है। इतने पैसे में परिवार नहीं चलता है।"
  • अरुण कुमार
    गतिरोध से जूझ रही अर्थव्यवस्था: आपूर्ति में सुधार और मांग को बनाये रखने की ज़रूरत
    30 May 2022
    इस समय अर्थव्यवस्था गतिरोध का सामना कर रही है। सरकार की ओर से उठाये जाने वाले जिन क़दमों का ऐलान किया गया है, वह बस एक शुरुआत है।
  • न्यूजक्लिक रिपोर्ट
    जौनपुर: कालेज प्रबंधक पर प्रोफ़ेसर को जूते से पीटने का आरोप, लीपापोती में जुटी पुलिस
    30 May 2022
    स्टूडेंट्स से प्रयोगात्मक परीक्षा में अवैध वसूली करने का कोई आदेश नहीं है। यह सुनते ही वह बिफर पड़े। नाराज होकर प्रबंधक ने पहले गाली-गलौच किया और बाद में जूते निकालकर मेरी पिटाई शुरू कर दी। उन्होंने…
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    कोरोना अपडेट: देश में 24 घंटों में कोरोना के 2,706 नए मामले, 25 लोगों की मौत
    30 May 2022
    देश में एक्टिव मामलों की संख्या बढ़कर 0.04 फ़ीसदी यानी 17 हज़ार 698 हो गयी है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License