NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
सोशल मीडिया
भारत
राजनीति
नए आईटी कानून: सरकार की नीयत और नीति में फ़र्क़ क्यों लगता है?
नए आईटी नियम सोशल मीडिया कंपनियों के लिए जवाबदेही के नाम पर दोधारी तलवार हैं और इस तलवार का इस्तेमाल कहां कंपनियों के ख़िलाफ़ किया जायेगा ये कहा नहीं जा सकता। लोकहित के नाम पर लाए जा रहे ये कानून, कब सरकारहित में काम करने लग जाएं, ये कहना मुश्किल है।
सोनिया यादव
29 May 2021
 सोशल मीडिया

कुछ दिन पहले ही दिल्ली पुलिस ट्विटर के दो दफ्तरों पर एक नोटिस लेकर पहुंची। ये नोटिस भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के प्रवक्ता संबित पात्रा के एक ट्वीट पर "मैनिपुलेटेड मीडिया" का लेबल लगाने से जुड़ा हुआ था। कुछ लोगों ने इसे सरकार द्वारा ट्विटर को धमकाने की कोशिश बताया, तो कुछ लोग इसे नए आईटी कानून की पूरी कहानी बताने लगे। कहानी ये कि अब सोशल मीडिया कंपनियां अपनी कमर कस लें क्योंकि अगर उन्होंने अपनी मनमानी की या सरकार के द्वारा माँगी हुई जानकारी नहीं दी, उनके राजनीतिक निर्देश को नहीं माना तो उनपर कार्रवाई होगी। कई विशेषज्ञ पहले ही नए आईटी कानूनों को लेकर चिंता जाहिर कर चुके हैं। उनका मानना है कि ये असहमति की आवाज़ कुचलने के लिए केंद्र का बनाया नया हथियार हैं।

ताज़ा जानकारी के मुताबिक भारत के नए डिजिटल नियमों को लगभग सभी सोशल मीडिया कंपनियों ने मान लिया है। इस संबंध में सभी सोशल मीडिया ने केंद्रीय आईटी मंत्रालय को जवाब भी दे दिया है। हालांकि माइक्रो-ब्लॉगिंग वेबसाइट ट्विटर ने अब तक सरकार के डिजिटल नियमों को मानने की दिशा में कोई प्रतिक्रिया या जवाब नहीं दिया है। ट्विटर और सरकार पहले भी कई मुद्दों पर आमने-सामने रही हैं। निजता के अधिकार को लेकर मैसेजिंग ऐप व्हाट्सऐप ने भी सरकार के नियमों के खिलाफ कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।

क्या अभिव्यक्ति की आज़ादी ख़तरे में है?

आपको बता दें कि इन नियमों को लाने से ठीक कुछ दिन पहले ट्विटर के साथ भारत सरकार का विवाद करीब हजार अकाउंट्स को सस्पेंड करने को लेकर सामने आया था। तब ट्विटर ने ब्लॉग पोस्ट कर सरकार को जवाब देते हुए कहा था कि कंपनी अभिव्यक्ति की आजादी के पक्ष में है और हाल ही में केंद्र सरकार ने जिस आधार पर ट्विटर अकाउंट्स बंद करने को कहा है वो भारतीय कानून के अनुरूप नहीं है। ट्विटर ने इस दौरान कुछ अकाउंट्स को प्रतिबंधित भी किया था लेकिन पत्रकारों, समाजिक कार्यकर्ताओं और नेताओं के अकाउंट पर रोक लगाने से इंकार कर दिया था।

हाल ही में ट्विटर के ऑफिस पर हुई कार्रवाई को ट्विटर ने डराने-धमकाने वाला बताया है। ट्विटर ने अपने बयान को पोस्ट करते हुए लिखा है कि हम भारत और दुनिया भर में नागरिक समाज में कई लोगों की तरह हमारी वैश्विक सेवा की शर्तों को लागू करने के जवाब में पुलिस द्वारा धमकाने की रणनीति के उपयोग और नए आईटी नियमों के मूल तत्वों के संबंध में चिंतित हैं।

नए आईटी नियम में कोई नियंत्रण और संतुलन नहीं है!

साइबर विशेषज्ञ अमित श्रीवास्तव नए आईटी नियमों को संदिग्ध मानते हुए कहते हैं कि सरकार की नीयत और नीति में बड़ा फर्क नज़र आता है। एक ओर सरकार चाहती है कि ये प्लेटफ़ॉर्म भ्रामक सामग्री को चिह्नित कर उसे अधिक सक्रिय रूप से लेबल करें। लेकिन संबित पात्रा के केस में मामला ठीक इससे उल्टा बैठता है।

अमित श्रीवास्तव न्यूज़क्लिक को बताते हैं कि नए आईटी नियम में कोई नियंत्रण और संतुलन समझ में नहीं आता है। ये ऐसा लगता है मानो सर्विस प्रोवाइडर के हाथ में अब कुछ रह ही नहीं जाएगा। उससे जो जानकारी सरकारी एजेंसियां मांगेंगी उसे देनी होगी और अगर ऐसा नहीं होता तो उन पर और उनके शीर्ष प्रबंधन पर आपराधिक मुक़दमा हो सकता है। यानी ये सरकार और कंपनियों में समन्वय को कम करते हुए कंट्रोल बढ़ाने वाला कदम है। ये इस सेक्टर को डराने और मारने की कोशिश लगती है।

इसे भी पढ़ें: सोशल/डिजिटल मीडिया दिशा-निर्देशों के बारे में 6 ज़रूरी सवाल

नए नियम जवाबदेही के नाम पर दोधारी तलवार हैं!

इंटरनेट फ्रीडम फ़ाउंडेशन से जुड़े समाजिक कार्यकर्ता आलोक गुप्ता बताते हैं कि इन नियमों का असर सिर्फ फेसबुक, ट्विटर जैसे प्लेफार्म्स पर ही नहीं पड़ेगा बल्कि सभी मध्यस्थों पर असर होगा, जो आईटी एक्ट की परिभाषा में आते हैं। इसलिए सरकार के नियम को व्यापक तौर पर जोड़कर और अलग से दोनों नज़रिए से देखने का जरूरत है। क्योंकि ये नियम कंपनियों के लिए जवाबदेही के नाम पर दोधारी तलवार हैं और इस तलवार का इस्तेमाल कहां कंपनियों के ख़िलाफ़ किया जायेगा ये कहा नहीं जा सकता।

क्या है नए नियमों में खास?, इस पर आलोक गुप्ता कहते हैं कि नए नियमों के मुताबिक इन कंपनियों को ड्यू डिलिजेंस यानी उचित सावधानी का पालन करना होगा। जिसके अंतर्गत शिकायत निवारण तंत्र, उपयोगकर्ताओं की ऑनलाइन सुरक्षा सुनिश्चित करना, ग़ैर-क़ानूनी जानकारी को हटाना, उपयोगकर्ताओं को सुनने का अवसर देना, स्वैच्छिक उपयोगकर्ता सत्यापन तंत्र की स्थापना आदि शामिल है। इसके अलावा क़ानून प्रवर्तन एजेंसियों के साथ चौबीसों घंटे समन्वय के लिए एक नोडल संपर्क अधिकारी और एक शिकायत अधिकारी की नियुक्ति और प्राप्त शिकायतों की जानकारी और उन पर की गई कार्रवाई के साथ-साथ इन सोशल मीडिया मध्यस्थों द्वारा सक्रिय रूप से हटाई गई सामग्री के विवरण का उल्लेख करते हुए एक मासिक अनुपालन रिपोर्ट भी प्रकाशित करनी होगी। जो पूरी जिम्मेदारी एक तरीके से सर्विस प्रोवाइडर पर डालने वाली बात लगती है।

सरकार कंपनियों पर अपना कंट्रोल रखना चाहती है!

आलोक गुप्ता के अनुसार, इन नियमों के जरिए सरकार इन कंपनियों पर अपना कंट्रोल रखना चाहती है। ये नियम-कानून बताए तो नागरिकों के हित में जा रहे हैं लेकिन ये कब सरकार हित में काम करने लग जाएं, ये कहना मुश्किल है। जैसे जिन सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के पास 50 लाख से अधिक उपयोगकर्ता हैं, उन्हें सरकार ने शिकायत अधिकारी नियुक्त करने के लिए तीन महीने का समय दिया था। इसके बाद आपराधिक कार्रवाई की बात भी कही गई है। सुनने में ये प्रावधान सही लगता है लेकिन वो लागू कैसे होता है ये राजनीतिक इच्छाशक्ति पर निर्भर करेगा।

ऋचा सिंह पत्रकार हैं और इंटरनेट की दुनिया में फ्री स्पेस को लेकर कई सालों से काम कर रही हैं। ऋचा सरकार की मंशा पर सवाल उठाते हुए कहती हैं, “इस सरकार की कथनी और करनी में बहुत फर्क है। जैसे इन कानूनों के पक्ष में सरकार ने कहा कि इसे जनता और हितधारकों के साथ व्यापक परामर्श के बाद लाया गया है। ये एक तरह से कोरा झूठ लगता है, क्योंकि आपके कई स्टेकहोल्डर्स इन कानूनों के खिलाफ कोर्ट जा चुके हैं। अगर आपने सही तरीके से विमर्श किया होता तो इतने विरोध की गुजांइश ही नहीं होती।”

कार्यकता-नेता जो गलत ख़बरें चलाते हैं, उन पर भी कार्रवाई क्यों नहीं होती?

ऋचा के मुताबिक सरकार कहती है कि वो अभिव्यक्ति की आजादी का सम्मान करती है और सिर्फ आपराधिक और देशद्रोही ताकतों के गलत इस्तेमाल को रोकने के लिए ये कानून हैं, जो एक तरफ से देखा जाए तो सही लगता है लेकिन इसकी क्या गारंटी है कि ये सामाजिक कार्यकर्ताओं, सवाल उठाने वालों, सरकार के खिलाफ धरने-प्रदर्शन करने वालों और सरकार की नीतियों से असहमति रखने वालों के खिलाफ नहीं इस्तेमाल होगा, क्योंकि बीते समय राजद्रोह के केस ऐसे लोगों के खिलाफ बहुत हुए हैं। 

सरकार इन कानूनों को फ़र्ज़ी ख़बरें और भ्रामक सूचनाओं को खत्म करने वाला बताती है। ओरिजनल सोर्स को ट्रैक करना इसलिए जरूरी भी बताया गया है। लेकिन ये सब राजनीतिक प्रोपगेंडा से ज्यादा प्रभावित नज़र आता है। क्योंकि कार्रवाई सिर्फ विपक्षियों पर होती नज़र आती है। अगर ऐसा नहीं होता तो संबित पात्रा के ट्वीट पर सरकार का हस्तक्षेप नहीं दिखता। तमाम पार्टी के कार्यकर्ता-नेता जो गलत खबरें चलाते हैं, उन पर भी कार्रवाई होती।

इसे भी पढ़ें: क्या है ट्विटर, फेसबुक आदि बैन होने का मामला और संदर्भ?

गौरतलब है कि अगर सरकार के दिशानिर्देशों को कंपनियां नहीं मानती तो आईटी एक्ट के तहत कंपनियों की क़ानूनी दायित्व से मिली वैधानिक छूट चली जाएगी, जिसके बाद कंपनियों पर फ़ौजदारी मुक़दमे तक हो सकते हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि कानून इंटरनेट स्पेस सुरक्षित और विकसित करने के लिए ज़रूरी हैं लेकिन इसके साथ ही इन पर चैक्स और बैलेंसिस भी लगाना जरूरी है जिससे इनके दुरूपयोग सम्भावना कम हो सके और लोग खुले माहौल में संवाद कर सकें।

New IT Laws
Social Media
twitter
WhatsApp
instagram
Facebook
Modi government
Narendra modi
BJP
Sambit Patra
digital platforms

Related Stories

बीजेपी के चुनावी अभियान में नियमों को अनदेखा कर जमकर हुआ फेसबुक का इस्तेमाल

फ़ेसबुक पर 23 अज्ञात विज्ञापनदाताओं ने बीजेपी को प्रोत्साहित करने के लिए जमा किये 5 करोड़ रुपये

चुनाव के रंग: कहीं विधायक ने दी धमकी तो कहीं लगाई उठक-बैठक, कई जगह मतदान का बहिष्कार

पंजाब विधानसभा चुनाव: प्रचार का नया हथियार बना सोशल मीडिया, अख़बार हुए पीछे

कैसे भाजपा की डबल इंजन सरकार में बार-बार छले गए नौजवान!

अफ़्रीका : तानाशाह सोशल मीडिया का इस्तेमाल अपनी सत्ता बनाए रखने के लिए कर रहे हैं

‘बुल्ली बाई’: महिलाओं ने ‘ट्रोल’ करने के ख़िलाफ़ खोला मोर्चा

मुख्यमंत्री पर टिप्पणी पड़ी शहीद ब्रिगेडियर की बेटी को भारी, भक्तों ने किया ट्रोल

मृतक को अपमानित करने वालों का गिरोह!

सांप्रदायिक घटनाओं में हालिया उछाल के पीछे कौन?


बाकी खबरें

  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    दिल्ली उच्च न्यायालय ने क़ुतुब मीनार परिसर के पास मस्जिद में नमाज़ रोकने के ख़िलाफ़ याचिका को तत्काल सूचीबद्ध करने से इनकार किया
    06 Jun 2022
    वक्फ की ओर से प्रस्तुत अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि यह एक जीवंत मस्जिद है, जो कि एक राजपत्रित वक्फ संपत्ति भी है, जहां लोग नियमित रूप से नमाज अदा कर रहे थे। हालांकि, अचानक 15 मई को भारतीय पुरातत्व…
  • भाषा
    उत्तरकाशी हादसा: मध्य प्रदेश के 26 श्रद्धालुओं की मौत,  वायुसेना के विमान से पहुंचाए जाएंगे मृतकों के शव
    06 Jun 2022
    घटनास्थल का निरीक्षण करने के बाद शिवराज ने कहा कि मृतकों के शव जल्दी उनके घर पहुंचाने के लिए उन्होंने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से वायुसेना का विमान उपलब्ध कराने का अनुरोध किया था, जो स्वीकार कर लिया…
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    आजमगढ़ उप-चुनाव: भाजपा के निरहुआ के सामने होंगे धर्मेंद्र यादव
    06 Jun 2022
    23 जून को उपचुनाव होने हैं, ऐसे में तमाम नामों की अटकलों के बाद समाजवादी पार्टी ने धर्मेंद्र यादव पर फाइनल मुहर लगा दी है। वहीं धर्मेंद्र के सामने भोजपुरी सुपरस्टार भाजपा के टिकट पर मैदान में हैं।
  • भाषा
    ब्रिटेन के प्रधानमंत्री जॉनसन ‘पार्टीगेट’ मामले को लेकर अविश्वास प्रस्ताव का करेंगे सामना
    06 Jun 2022
    समिति द्वारा प्राप्त अविश्वास संबंधी पत्रों के प्रभारी सर ग्राहम ब्रैडी ने बताया कि ‘टोरी’ संसदीय दल के 54 सांसद (15 प्रतिशत) इसकी मांग कर रहे हैं और सोमवार शाम ‘हाउस ऑफ कॉमन्स’ में इसे रखा जाएगा।
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    कोरोना अपडेट: देश में कोरोना ने फिर पकड़ी रफ़्तार, 24 घंटों में 4,518 दर्ज़ किए गए 
    06 Jun 2022
    देश में कोरोना के मामलों में आज क़रीब 6 फ़ीसदी की बढ़ोतरी हुई है और क़रीब ढाई महीने बाद एक्टिव मामलों की संख्या बढ़कर 25 हज़ार से ज़्यादा 25,782 हो गयी है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License