NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
एक बार फिर बाढ़ की चपेट में उत्तर बिहार, जनजीवन बुरी तरह प्रभावित
'लोगों के सामने खाने पीने की वस्तुओं की कमी है। बीमार बच्चे और वृद्ध लोगों के इलाज में समस्याएं हो रही हैं। मवेशियों के लिए चारा मिलना मुश्किल है, ग्रामीण क्षेत्र पूरी तरह प्रभावित है।'
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
22 Oct 2021
bihar

बिहार में बारिश के मौसम में बाढ़ और बारिश ने तो तबाही मचाई ही है लेकिन लौटते बरसात के मौसम में हुई बारिश ने एक बार फिर जनजीवन को बुरी तरह प्रभावित किया है। उत्तर बिहार एक बार फिर बाढ़ और बारिश के पानी से तबाही के कगार पर पहुंच गया है। इस साल खेती पूरी तरह चौपट हो गई है, वहीं मवेशियों की भी मौत हुई है। यहां लोगों की जिंदगी दांव पर है।

घर टूट गया

मधेपुरा के सामाजिक कार्यकर्ता मनोरंजन सिंह बताते हैं, “इस साल कई बार आई बाढ़ ने लोगों को काफी नुकसान पहुंचाया है। बड़ी संख्या में लोगों का घर टूट गया, सड़कें टूट गईं हैं। निचले इलाके से लोग ऊंचे स्थान पर तो चले गए हैं लेकिन उनके सामने रोजमर्रा की जरुरतों के लिए काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। लोगों के सामने खाने पीने की वस्तुओं की कमी है। बीमार बच्चे और वृद्ध लोगों के इलाज में समस्याएं हो रही हैं। मवेशियों के लिए चारा मिलना मुश्किल है, ग्रामीण क्षेत्र पूरी तरह प्रभावित है। धान का फसल बर्बाद हो गया, पका हुआ धान सड़ गया। धान का पूरा खेत ही पानी में डूब गया। ऐसे में किसान भारी संकट में पड़ गया है। अभी तक सरकार और प्रशासन से लोगों को राहत पहुंचाने की कोई सूचना नहीं है। सरकार हाथ पर हाथ धरे बैठी हुई है।”

निचला हिस्सा पूरी तरह प्रभावित

अररिया जिले का किसान नेता राम विनय कहते हैं, “बाढ़ से पूरा इलाका प्रभावित है। इससे कई प्रखंड जूझ रहा है। इसमें फारबिसगंज, नरपतगंज, सिकटी, पलासी, रानीगंज, जोकीहाट व अन्य क्षेत्र शामिल है। निचला हिस्सा पूरी तरह प्रभावित है। इन इलाकों में फसल पूरी तरह समाप्ति के कगार पर है। अभी तक प्रशासन की ओर से कोई राहत कार्य शुरू नहीं हो पाया है। जोगबनी शहर का आधा हिस्सा बाढ़ से बुरी तरह प्रभावित है। कल हमलोग जिलाधिकारी से मिलकर एक ज्ञापन सौंपेंगे।”

आने जाने के लिए नावों की भारी कमी

कोसी नदी की बाढ़ से एक बार फिर बड़ी संख्या में मधेपुर प्रखंड के लोग प्रभावित हैं। यहां करीब 50 हजार की आबादी इस बाढ़ से घिर चुकी है। सैकड़ों हेक्टेयर में लगी धान की फसलें बर्बाद हो गई हैं। कोसी दियारा क्षेत्र के ग्रामीण हिस्से को जोड़ने वाली सड़कें टूट गई है। इन इलाकों में लोगों के आने जाने का एकमात्र साधन नाव ही है जिसकी भारी कमी है। निजी नाव तो न के बराबर है वहीं बाढ़ के चलते लोगों के आने जाने की सुविधा के लिए सरकारी नावों की भी भारी कमी है।

बाढ़ के चलते लोग ऊंचे स्थानों पर तो चले गए हैं लेकिन उन्हें अब तक सरकारी मदद नहीं पहुंच पाई है। करीब 47 साल बाद अक्टूबर महीने में कोसी नदी में साल का सबसे ज्यादा पानी छोड़ गया। इसमें करीब 2 लाख 69 हजार 150 क्यूसेक पानी बीरपुर कोसी बराज से गत बुधवार को सुबह आठ बजे छोड़ा गया था जिससे इस नदी के इलाकों में पानी तेजी से बढ़ गया।

लोग पलायन को मजबूर

लगातार हुई बारिश से पूर्णिया जिले के अमौर प्रखंड के 20 गांव और बैसा के 10 से अधिक गांव में बाढ़ जैसे हालात बने हुए हैं। पिछले कुछ दिनों से जिले में हुई 165 एमएम बारिश के बाद कनकई नदी का जलस्तर बढ़ गया जिससे सबसे ज्यादा प्रभाव अमौर के विभिन्न इलाकों में पड़ा है। जिले के अमौर, बायसी, बैसा जैसे प्रखंडों में नदियां उफान पर हैं। लोग पलायन करने के लिए मजबूर हैं।

ट्रेनों का परिचालन हुआ प्रभावित

खगड़ि‍या में कोसी नदी के जलस्तर में वृद्धि से कटिहार-जोगबनी रेलखंड पर ट्रेनों का परिचालन बुधवार को प्रभावित रहा। नदी के स्तर में वृद्धि से इटवा फाटक को बंद कर दिया गया। उधर बांका में चांदन नदी के जलस्तर वृद्धि से इसपर बनाया गया डायवर्जन मार्ग को कई स्थानों पर नुकसान पहुंचा है जिससे आने जाने में परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। वहीं लखीसराय जिले के बड़हिया टाल क्षेत्र में पानी पांच फीट ऊपर से बह रहा है। खगडिय़ा में बागमती और कोसी एक बार फिर उफना गया है। अधिकारियों के अनुसार इन दोनों नदियों के जलस्तर में वृद्धि होने की संभावना है।

उधर किशनगंज जिले में मेची, महानंदा तथा डोक नदियों का जलस्तर बढऩे से कई गांव बाढ़ की चपेट में आ गए हैं। इन नदियों में जलस्तर के बढ़ने के कारण नदी किनारे बसे लोग भयभीत हैं। कटिहार में भी महानंदा व कोसी नदी के जलस्तर में वृद्धि हुई है। आजमनगर के पास महानंदा के जलस्तर में करीब 65सेमी की वृद्धि हुई है। बारिश के कारण और नदियों के जलस्तर में वृद्धि से जोगबनी स्टेशन और रेल ट्रैक पर पानी भर गया है। इसके चलते कटिहार-जोगबनी रेलखंड पर रेल सेवाएं प्रभावित हुईं हैं।

वहीं पश्चिम चंपारण से गुजरने वाली गंडक नदी में भी जलस्तर में वृद्धि हुई है । इससे बाढ़ का खतरा बढ़ गया है। हालात को देखते हुए गंडक बराज के सभी फाटक को थोड़ा ऊपर उठा दिया गया है। मधुबनी जिले के बेनीपट्टी प्रखंड में बछराजा नदी के जलस्तर में वृद्धि से डायवर्जन टूट गया है। नदी का पानी डायवर्जन पर चढ़ गया है और तेजी से बह रहा है। इससे बेनीपट्टी और बिस्फी प्रखंड के दर्जनभर गांवों का यातायात प्रभावित हो गया है।

Bihar
heavy rains
Heavy rain and storm
North-Bihar
Weather Report

Related Stories

बिहार: पांच लोगों की हत्या या आत्महत्या? क़र्ज़ में डूबा था परिवार

बिहार : जीएनएम छात्राएं हॉस्टल और पढ़ाई की मांग को लेकर अनिश्चितकालीन धरने पर

मंडल राजनीति का तीसरा अवतार जाति आधारित गणना, कमंडल की राजनीति पर लग सकती है लगाम 

बिहारः नदी के कटाव के डर से मानसून से पहले ही घर तोड़कर भागने लगे गांव के लोग

मिड डे मिल रसोईया सिर्फ़ 1650 रुपये महीने में काम करने को मजबूर! 

बिहार : दृष्टिबाधित ग़रीब विधवा महिला का भी राशन कार्ड रद्द किया गया

बिहार : नीतीश सरकार के ‘बुलडोज़र राज’ के खिलाफ गरीबों ने खोला मोर्चा!   

बिहार : जन संघर्षों से जुड़े कलाकार राकेश दिवाकर की आकस्मिक मौत से सांस्कृतिक धारा को बड़ा झटका

बिहार पीयूसीएल: ‘मस्जिद के ऊपर भगवा झंडा फहराने के लिए हिंदुत्व की ताकतें ज़िम्मेदार’

बिहार में ज़िला व अनुमंडलीय अस्पतालों में डॉक्टरों की भारी कमी


बाकी खबरें

  • संदीपन तालुकदार
    वैज्ञानिकों ने कहा- धरती के 44% हिस्से को बायोडायवर्सिटी और इकोसिस्टम के की सुरक्षा के लिए संरक्षण की आवश्यकता है
    04 Jun 2022
    यह अध्ययन अत्यंत महत्वपूर्ण है क्योंकि दुनिया भर की सरकारें जैव विविधता संरक्षण के लिए अपने  लक्ष्य निर्धारित करना शुरू कर चुकी हैं, जो विशेषज्ञों को लगता है कि अगले दशक के लिए एजेंडा बनाएगा।
  • सोनिया यादव
    हैदराबाद : मर्सिडीज़ गैंगरेप को क्या राजनीतिक कारणों से दबाया जा रहा है?
    04 Jun 2022
    17 साल की नाबालिग़ से कथित गैंगरेप का मामला हाई-प्रोफ़ाइल होने की वजह से प्रदेश में एक राजनीतिक विवाद का कारण बन गया है।
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    छत्तीसगढ़ : दो सूत्रीय मांगों को लेकर बड़ी संख्या में मनरेगा कर्मियों ने इस्तीफ़ा दिया
    04 Jun 2022
    राज्य में बड़ी संख्या में मनरेगा कर्मियों ने इस्तीफ़ा दे दिया है। दो दिन पहले इन कर्मियों के महासंघ की ओर से मांग न मानने पर सामूहिक इस्तीफ़े का ऐलान किया गया था।
  • bulldozer politics
    न्यूज़क्लिक टीम
    वे डरते हैं...तमाम गोला-बारूद पुलिस-फ़ौज और बुलडोज़र के बावजूद!
    04 Jun 2022
    बुलडोज़र क्या है? सत्ता का यंत्र… ताक़त का नशा, जो कुचल देता है ग़रीबों के आशियाने... और यह कोई यह ऐरा-गैरा बुलडोज़र नहीं यह हिंदुत्व फ़ासीवादी बुलडोज़र है, इस्लामोफ़ोबिया के मंत्र से यह चलता है……
  • आज का कार्टून
    कार्टून क्लिक: उनकी ‘शाखा’, उनके ‘पौधे’
    04 Jun 2022
    यूं तो आरएसएस पौधे नहीं ‘शाखा’ लगाता है, लेकिन उसके छात्र संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) ने एक करोड़ पौधे लगाने का ऐलान किया है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License