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भारत
राजनीति
गुजरात नहीं, अब यूपी मॉडल! हिंदुत्व की सबसे बड़ी प्रयोग भूमि 
ऐसा लगता है कि उत्तर प्रदेश सरकार वोट बैंक के शिकार पर निकली हुई है, round the clock! और उसके सामने सिर्फ एक एजेंडा है, ध्रुवीकरण, ध्रुवीकरण और ध्रुवीकरण!
लाल बहादुर सिंह
07 Nov 2020
Yogi Adityanath
फाइल फोटो

गुजरात भले ही हिंदुत्व की फासीवादी राजनीति की प्रयोगशाला थी, अब राजनैतिक तौर पर देश का सबसे महत्वपूर्ण राज्य उत्तर प्रदेश उसकी सबसे बड़ी प्रयोगस्थली बन गया है।

गुजरात मॉडल अब अतीत है, उसकी जगह UP मॉडल चर्चा में है और उसके मुखिया योगी जी हिंदुत्व के नए पोस्टर-ब्वाय और मोदी जी के बाद दूसरे सबसे बड़े स्टार प्रचारक !

ऐसा लगता है कि उत्तर प्रदेश सरकार वोट बैंक के शिकार पर निकली हुई है, round the clock! और उसके सामने सिर्फ एक एजेंडा है, ध्रुवीकरण, ध्रुवीकरण और ध्रुवीकरण !

राजनीतिक नेतृत्व के अधीन पूरी राज्य मशीनरी विभाजनकारी मुद्दों, अवसरों की खोज (discovery) और आविष्कार (invention ) में लगातार जुटी रहती है, पहला मौका मिलते ही उस opportunity को  grab करती है, उसे तराश कर, जरूरी spin देकर  एक potential नफ़रती माल में तब्दील करती है, इसे लपकने को तैयार बैठे गोदी मीडिया के माध्यम से social-political discourse के बाजार में उन्मादी आक्रामकता के साथ उतार दिया जाता है और इस तरह नफरत का कारोबार परवान चढ़ता है। हिंदुत्व के सामाजिक आधार के विस्तार, उसके consolidation और उसे लगातार, नित-नए स्फुरण से charge करते रहने के लिए अब यह एक pet औजार बन चुका है।

ऐसे लोग जिन्हें नफरत का प्रतीक बना दिया जाता है, वे राज्य मशीनरी के बर्बर दमन, उत्पीड़न का तो शिकार होते ही हैं, वे साम्प्रदायिक गिरोहों के मॉब लिंचिंग जैसे vigilante हमलों के  भी शिकार होने के लिए अभिशप्त होते हैं।

हाल ही में कथित "लव जिहाद" को लेकर मुख्यमंत्री  ने मल्हनी (जौनपुर) में उपचुनाव की रैली को सम्बोधित करते हुए एक बेहद आपत्तिजनक बयान दिया जो खुलेआम कानून के राज का मजाक है और एक संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति के लिए तो और भी अशोभनीय और आपराधिक कृत्य है। उन्होंने कहा "चोरी छुपे, नाम छिपाकर के जो लोग बहन बेटियों की इज्जत के साथ खिलवाड़ करते हैं, उनको पहले से मेरी चेतावनी-अगर वे सुधरे नहीं तो राम नाम सत्य है कि यात्रा निकलने वाली है।"

इसे पढ़ें :  ‘लव जिहाद’ को लेकर सीएम योगी के ‘राम नाम सत्य’ के मायने क्या हैं?

विडम्बना यह है कि बहू-बेटियों की इज्जत की, लव जिहाद की चिंता योगी जी को सबसे ज्यादा उसी समय सताती है जब वे किसी चुनाव- प्रचार में होते हैं, पिछले दिनों केरल के चुनाव अभियान में और अब यूपी के उपचुनाव तथा बिहार के चुनाव में उन्हें इसकी जोरशोर से याद आयी है।

या तो फिर तब जब उनके राज में हाल ही में महिलाओं पर, विशेषकर गरीब, दलित, नाबालिग बच्चियों पर यौन हमलों व हत्याओं की बाढ़ आ गई, सरकार बुरी तरह घिरने लगी, तब diversion के लिए उनके एक आला अधिकारी ने मीडिया में बयान दिया कि प्रदेश में लव जिहाद की घटनायें बढ़ रही हैं, मुख्यमंत्री जी इन्हें लेकर बहुत गम्भीर हैं, इनसे कड़ाई से निपटा जाएगा!

दरअसल, यह लव जिहाद का पूरा शिगूफ़ा संघी प्रयोगशाला की कपोल कल्पना है, जिसके अनुसार मुसलमान साजिश के तहत हिन्दू लड़कियों को अपने जाल में फंसा कर शादी कर रहे हैं और उन्हें मुसलमान बना रहे हैं। इसे हिन्दू बहन-बेटियों की इज्जत पर हमला बताकर मामले को हिन्दू समाज के सम्मान से जोड़कर भावनात्मक तो बनाया ही जाता है, हिंदुओं को यह भी डर दिखाया जाता है कि इसके फलस्वरूप मुसलमानों की आबादी हिंदुओं से ज्यादा हो जायेगी और वे देश पर कब्जा कर लेंगे।

मजेदार यह है कि इसी साल 4 फरवरी, 2020 को केंद्रीय गृह राज्यमंत्री जी किशन रेड्डी ने लिखित जवाब में संसद को बताया कि, " कानून में लव जेहाद जैसा कोई Term नहीं है ! ' लव जेहाद ' जैसा कोई मामला किसी भी Central Agency ने रिपोर्ट नहीं किया है"।

लेकिन योगी जी इसे लेकर केरल से किशनगंज तक माहौल में नफरत घोल रहे हैं ! 

यह ठीक वैसे ही है कि गृहमंत्री अमित शाह टुकड़े टुकड़े गैंग के नाम पर संसद के अंदर से लेकर बाहर तक विरोधियों के खिलाफ नफरत और उन्माद भड़काते रहते हैं, जबकि उन्हीं के मंत्रालय ने एक RTI के जवाब में कहा है कि मंत्रालय को टुकड़े टुकड़े गैंग की कोई जानकारी नहीं है !

लव जिहाद पर जो ताजा बयानबाजी योगी जी ने की है, उसके लिए इलाहाबाद उच्च न्यायालय के एक फैसले की आड़ ली है जिसमें कहा गया है कि शादी के लिए धर्मपरिवर्तन आवश्यक नहीं है और महज शादी के लिए धर्मपरिवर्तन उचित और स्वीकार्य नहीं है।

उच्च न्यायालय में अंतर्धार्मिक विवाह करने वाले युगल ने अपनी सुरक्षा की गुहार लगाई थी, जिस पर गौर नहीं किया गया, यह अफसोसनाक है।

बहरहाल, इस फैसले में ऐसा कुछ भी नहीं है जो अंतर्धार्मिक विवाह पर रोक लगाता है और लव जिहाद की शिगूफेबाज़ी को justify करता हो। गौरतलब है कि यह शिगूफेबाज़ी तो इस फैसले के बहुत पहले से जारी है।

जहाँ तक पहचान छुपाकर या धोखाधड़ी से शादी करने जैसे मामले हैं, तो उन पर तो पहले से दंडात्मक कानून मौजूद हैं और संवैधानिक, कानूनी प्रावधानों का जो उल्लंघन करेगा, वह स्वतः ही दंड का भागी होगा, चाहे वह जिस भी धर्म या समुदाय का हो।

केरल के चर्चित हादिया-शफीन जहाँ  शादी मामले में केरल उच्च न्यायालय के फैसले को खारिज करते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने  सुस्पष्ट, सर्वसम्मत फैसला दिया था कि, " अपनी पसंद के व्यक्ति से विवाह का अधिकार संविधान की धारा 21 ( जीवन और स्वतंत्रता का अधिकार ) का अभिन्न अंग है।"

इस पूरे मुद्दे पर सर्वोच्च न्यायालय का यह सर्वसम्मत आदेश और उसमें जस्टिस चंद्रचूड़ का यह observation नजीर और मार्गदर्शक होना चाहिए : " अपने जीवन-साथी का चुनाव, शादी के अंदर अथवा बाहर (within or outside marriage) प्रत्येक व्यक्ति का पूर्णतः अपना खुद का अधिकार है। विवाह की अंतरंगता निजता के केंद्रीय दायरे (core zone of privacy) का विषय है, और यह अनुल्लंघनीय है। अपने जीवन साथी को चुनने का प्रत्येक व्यक्ति के पास Absolute Right है और धर्म के मामले इसे प्रभावित नहीं कर सकते। संविधान प्रत्येक व्यक्ति के स्वतंत्रतापूर्वक अपने धर्म का पालन करने, उसे प्रकट करने तथा प्रचारित करने के अधिकार की गारंटी करता है। धर्म और आस्था का चुनाव, और बेशक इसी तरह विवाह का फैसला ऐसे दायरे में आते हैं जहां व्यक्ति की स्वायत्तता सर्वोच्च (Supreme ) है।

......न तो राज्य, न ही कानून जीवन साथी के चुनाव को किसी के ऊपर थोप सकता है, न ही वह ऐसे मामलों में फैसला लेने की व्यक्ति की स्वतंत्र सामर्थ्य को सीमित कर सकता है।.....यह संविधान के तहत व्यक्तिगत स्वतंत्रता का सार है। "

सर्वोच्च न्यायालय के इस बिल्कुल categorical फैसले की रोशनी में देखें तो योगी जी का लव जेहाद को लेकर अभियान पूरी तरह सर्वोच्च न्यायालय के फैसले की अवमानना है।

यह साफ है कि मुख्यमंत्री की यह बयानबाजी नफरत फैलाने की विभाजनकारी राजनीति से तो प्रेरित है ही, सर्वोपरि यह निर्भय, बिना किसी दबाव के अपना जीवन-साथी चुनने, प्रेम-संबंध बनाने के नैसर्गिक, नागरिक, संवैधानिक अधिकार पर हमला है। यह अंतर्धार्मिक प्रेम व वैवाहिक सम्बन्धों को न सिर्फ हतोत्साहित  करेगी वरन ऐसे प्रेमी-युगलों की सुरक्षा को भी गंभीर खतरे में डाल देगी। साथ ही यह धर्म की संवैधानिक आज़ादी को भी बाधित करेगी। 

इस मुद्दे की विस्फोटक सम्भावनाओं के मद्देनजर, योगी जी से प्रेरणा लेते हुए, अनेक भाजपा शासित राज्यों में इस पर कोरस तेज होता जा रहा है ।

लगता है कि फासीवाद के नफ़रती, उन्मादी अभियान का यह नया मोर्चा है।

हरियाणा सरकार के मंत्री अनिल विज ने कहा है कि उनकी सरकार जब से हरियाणा बना है, अर्थात 1966 से आज तक के यानी पिछली आधी सदी से अधिक के,  सभी लव जेहाद के मामलों को खुलवायेगी और उनकी जांच होगी! पिछले 54 साल के अंतर्धार्मिक विवाह के सभी मामले, जिनमें से अनेक लोग अब इस दुनिया में भी नहीं होंगे! मध्य प्रदेश की शिवराज सरकार और कर्नाटक की यदुरप्पा सरकार कहाँ पीछे रहने वाली, उन्होंने भी कुछ ऐसी ही मंशा जाहिर की है। 

जाहिर है, अगर ऐसा कोई कानून बनाने में योगी जी और अन्य भाजपा सरकारें सफल होती हैं तो यह अंधेरे की ओर एक लंबी छलाँग होगी।

सच्चाई यह है कि उप्र. में आज कानून के राज की धज्जियां उड़ रही हैं। यह सब इतने खौफनाक ढंग से हो रहा है कि इसने देश की तमाम संवेदनशील शख़्सियतों तथा संस्थाओं का ध्यान खींचा है।

हाल ही में देश के पूर्व सुरक्षा सलाहकार शिव शंकर मेनन समेत लगभग 100 पूर्व नौकरशाहों ने मुख्यमंत्री के नाम खुला पत्र लिखकर इस बात पर गहरी पीड़ा व्यक्त किया कि, " प्रदेश में शासन अनैतिकता, गिरावट और संवेदनहीनता के सबसे निचले मुकाम पर पहुंच गया है।"

हाथरस,  उन्नाव जैसे मामलों में कानून के राज के घोर उल्लंघन (Brazen violations of rule of law) पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए, पत्र में इस के लिए राज्य के Chief Executive के बतौर मुख्यमंत्री को सीधे तौर पर कठघरे में खड़ा किया गया है।

इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने भी हाथरस मामले को लेकर  शासन-प्रशासन के ऊपर गम्भीर टिप्पणियां कीं। 

इसके पहले उच्च न्यायालय सरकार द्वारा CAA-NRC विरोधी आंदोलनकारियो के पोस्टर चौराहों पर लगाने के गैर-कानूनी फैसले की कड़ी आलोचना कर चुका है। फिर भी खुले आम उसका उल्लंघन करते हुए लोगों के पोस्टर लगना जारी है। हाल ही में उच्च न्यायालय ने प्रदेश में  गोहत्या कानून के दुरुपयोग पर चिंता जताई।

इसे पढ़ें :  यूपी में सीएए विरोधियों के ख़िलाफ़ एक बार फिर प्रशासन ने जारी किए पोस्टर

" देश के सबसे बड़े पत्रकारों में से एक" "वरिष्ठ पत्रकार" अर्नब गोस्वामी की आत्महत्या मामले में गिरफ्तारी योगी जी को अभिव्यक्ति की आज़ादी और लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ पर हमला लगती है, पर खुद उनके राज में प्रशांत कन्नौजिया जैसे न जाने कितने पत्रकार आये दिन उत्पीड़न के शिकार हो रहे हैं।

यह अनायास नहीं है कि Public Affairs System, जिसके अध्यक्ष ISRO के पूर्व प्रमुख डॉ. कस्तूरीरंगन हैं, के अनुसार Equity, Growth और Sustainability के बुनियादी पैमाने पर 50 सूचकांकों के आधार पर (-1.462 ) अंक के साथ उत्तर प्रदेश देश का सबसे कुशासित राज्य है, बिहार, उड़ीसा, झारखंड से भी नीचे, जबकि केरल (1.389 ) अंक के साथ सबसे सुशासित राज्य है।

जाहिर है लोकतंत्र और विकास एक ही सिक्के के दो पहलू हैं।  सुशासन के बिना समतामूलक, sustained,  विकास सम्भव नहीं है।

आज जब प्रदेश सरकार सारी लोकतांत्रिक मर्यादा, को तार-तार कर देने, न्यायपालिका जैसी संवैधानिक संस्थाओं की भी अवहेलना करके अपनी तानाशाही थोपने पर आमादा है, तब जनता के न्यायालय में ही इसको जवाब मिलेगा और वह दिन दूर नहीं है।

(लेखक, इलाहाबाद विश्वविद्यालय छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष हैं। विचार व्यक्तिगत हैं।)

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