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राजनीति
अब सीएए का विरोध करने पर डॉ. कफ़ील गिरफ़्तार
डॉ. कफ़ील ने गोरखपुर बीआरडी अस्पताल में ऑक्सीजन की कमी से हुई बच्चों की मौत को लेकर आदित्यनाथ सरकार के खिलाफ अभी भी मोर्चा खोल रखा है।  
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
30 Jan 2020
Dr. Kafeel Khan
Deccan Herald

मुंबई: उत्तर प्रदेश की आदित्यनाथ सरकार सीएए के विरोध को किसी भी तरह कुचलना चाहती है। सीएए विरोधी आंदोलन के दौरान सबसे ज़्यादा मौतें इसी प्रदेश में हुईं और अब सीएए का विरोध करने पर डॉक्टर कफ़ील खान को गिरफ़्तार कर लिया गया है। 

आपको मालूम हो कि डॉ. कफ़ील ने गोरखपुर बीआरडी अस्पताल में ऑक्सीजन की कमी से हुई बच्चों की मौत को लेकर आदित्यनाथ सरकार के खिलाफ अभी भी मोर्चा खोल रखा है। हालांकि इस मामले में आदित्यनाथ सरकार ने डॉ. कफ़ील को ही दोषी ठहराने की कोशिश की थी और उन्हें उनके पद से बर्खास्त भी कर दिया था।  

समाचार एजेंसी 'भाषा' के अनुसार उत्तर प्रदेश के विशेष कार्य बल (एसटीएफ) ने संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के ख़िलाफ़ अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) में पिछले महीने भाषण देने के मामले में डॉक्टर कफ़ील खान को मुंबई हवाई अड्डे से गिरफ्तार किया है।

अधिकारियों ने बताया कि खान को बुधवार रात मुंबई पुलिस की सहायता से हवाई अड्डे से गिरफ्तार किया गया। वह यहां सीएए विरोधी रैली में हिस्सा लेने आए थे।

मुंबई पुलिस के एक अधिकारी ने कहा, ‘‘ उत्तर प्रदेश एसटीएफ के अधिकारियों ने डॉक्टर कफ़ील खान को भारतीय दंड संहिता की धारा 153 ए (समूहों के बीच शत्रुता को बढ़ावा देने) के प्रावधानों के तहत सिविल लाइन में दर्ज मामले में गिरफ्तार किया। हमारी पुलिस टीम ने उत्तर प्रदेश पुलिस के अनुरोध पर अपने समकक्षों की मदद की।’’

उन्होंने दावा किया कि खान ने पिछले साल 12 दिसंबर को अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के बाहर बाब-ए-सैयद द्वार पर विरोध प्रदर्शन के दौरान 600 से ज्यादा छात्रों के सामने कथित भड़काऊ बयान दिए थे।

अधिकारी ने दावा किया कि गोरखपुर के डॉक्टर ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी की। खान के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी में स्वराज इंडिया के अध्यक्ष योगेंद्र यादव का भी नाम है और कहा गया है कि वह भी भाषण स्थल पर मौजूद थे।

गिरफ्तारी के बाद खान को सहर पुलिस थाने ले जाया गया और औपचारिकताएं पूरी होने के बाद उन्हें ट्रांजिट रिमांड पर उत्तर प्रदेश ले जाया जाएगा।

कफ़ील खान 2017 में उस समय सुर्खियों में आए थे जब बीआरडी मेडिकल कॉलेज, गोरखपुर में 60 से ज्यादा बच्चों की मौत एक सप्ताह के भीतर हो गई थी। इस मामले में आदित्यनाथ सरकार ने उन्हीं को जिम्मेदार ठहराने की कोशिश की थी। हालांकि पिछले दिनों आई एक सरकारी जांच रिपोर्ट में उन्हें इस मामले में लगभग क्लीन चिट दे दी गई थी। 

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