NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
विडंबना: ओडिशा में हड़ताल करने पर कर्मचारियों को जेल भेजने के प्रावधान वाला विधेयक पारित
देशभर के मज़दूरों की तरह ही ओडिशा के मज़दूर भी केंद्र द्वारा पारित चार श्रम संहिताओं के खिलाफ 26 नवंबर को सड़क पर उतरने की तैयारी कर रहे हैं। ओडिशा सरकार के नए संशोधन विधेयक पास होने से मज़दूरों में और भी गुस्सा है और मज़दूर संगठनों ने दावा किया कि इसका प्रतिकार करने के लिए मज़दूरों और भी बड़ी संख्या में सड़कों पर उतरेगा।
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
24 Nov 2020
ओडिशा

देशभर के मज़दूर और अन्य कामगार वर्ग 26 नवंबर को देशव्यापी हड़ताल की तैयारी कर रहे हैं। इस कड़ी में संघ समर्थित मज़दूर संगठन भारतीय मज़दूर संघ को छोड़कर सभी दस सेंट्रल ट्रेड यूनियन इस हड़ताल के समर्थन में हैं। ओडिशा में भी सभी सेंट्रल ट्रेड यूनियन, स्वतंत्र फेडरेशन और कर्मचारी यूनियन इस हड़ताल की तैयारी में लगे हुए थे। इस बीच 23 नवंबर सोमवार को विपक्ष के कड़े विरोध के बीच, ओडिशा सरकार ने आवश्यक सेवा (रख-रखाव) अधिनियम (एस्मा ) संशोधन विधेयक विधानसभा में पारित कर दिया, जिसमें हड़ताल करने वाले सरकारी कर्मचारियों के लिए कारावास की सजा का प्रावधान किया गया है।

मुख्यमंत्री नवीन पटनायक की ओर से गृह राज्य मंत्री डीएस मिश्रा द्वारा सदन में पेश किए गए विधेयक को ग़लत बताते हुए कांग्रेस सहित पूरे विपक्ष ने उसके दंडात्मक प्रावधानों के लिए विरोध किया।

विधेयक में कहा गया है कि किसी भी व्यक्ति को अवैध हड़तालों के लिए उकसाने और उसे फंडिंग करते हुए पाया जाता है, तो उसे कारावास की सजा होगी, जो एक वर्ष तक की हो सकती है और/या 5,000 रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है।

इसके अलावा, नए कानून में दमकल सेवा विभाग, आबकारी विभाग, वन विभाग, कारागार, सुधार और इलेक्ट्रॉनिक्स समेत कई आवश्यक सेवा वाले विभागों में कार्यरत किसी भी व्यक्ति के हड़ताल पर रोक लगाने का भी प्रावधान है।

विधेयक के प्रावधानों के अनुसार, विधेयक के पारित होने के बाद कर्मचारियों द्वारा बुलाई गई किसी भी हड़ताल को अवैध माना जाएगा।

विपक्ष और मज़दूर नेताओं ने आरोप लगाया कि यह मज़दूरों और कर्मचारियों की आवाज को दबाने की कोशिश है। अब वे लोकतांत्रिक तरीके से भी अपनी मांगों को नहीं उठा सकते है।

कांग्रेस विधायक तारा प्रसाद ने सरकार की आलोचना की और कहा कि विधेयक का उद्देश्य लोगों की आवाज को दबाना है।

उन्होंने कहा, "हालांकि बीजेडी 21 वर्षों तक सत्ता में रही, लेकिन वह स्कूलों में शिक्षकों से लेकर अस्पतालों तक में डॉक्टर उपलब्ध कराने में विफल रही है। इसलिए अब लोग विरोध में सड़कों पर उतर रहे हैं और इसे दबाने के लिए इस तरह का कानून लाया जा रहा है।"

आगे उन्होंने कहा " ओडिशा की स्थिति पाकिस्तान में देखी जा रही घटनाओं से भी बदतर है। लोग हड़ताल नहीं कर सकते हैं, वे सड़क पर विरोध नहीं कर सकते हैं, किसी भी जिले में कोई बंद नहीं होगा। यह विधेयक ओडिशा के नागरिकों को डराने और धमकाने के लिए लाया गया है।"

आपको बता दें कि देशभर के मज़दूरों की तरह ही ओडिशा के मज़दूर भी केंद्र द्वारा पारित चार श्रम संहिताओं के खिलाफ 26 नवंबर को सड़क पर उतरने की तैयारी कर रहे हैं। इसके लिए लगतार वो छोटी छोटी मीटिंग कर रहे हैं। सोशल मीडिया के माध्यम से भी मज़दूरों को इस हड़ताल से जुड़ने की अपील कर रहे है। अब ओडिशा सरकार के नए संशोधन विधेयक पास होने से मज़दूरों में और भी गुस्सा है और मज़दूर संगठनों ने दावा किया कि इसका प्रतिकार करने के लिए मज़दूर और भी बड़ी संख्या में सड़कों पर उतरेगा।

(समाचार एजेंसी भाषा के इनपुट के साथ)

Odisha
Odisha Bill
Nov 26-27 Strike
Central trade union
naveen patnayak

Related Stories

लाखपदर से पलंगपदर तक, बॉक्साइड के पहाड़ों पर 5 दिन

ओडिशा के क्योंझर जिले में रामनवमी रैली को लेकर झड़प के बाद इंटरनेट सेवाएं निलंबित

विज्ञापन में फ़ायदा पहुंचाने का एल्गोरिदम : फ़ेसबुक ने विपक्षियों की तुलना में "बीजेपी से लिए कम पैसे"  

स्पेशल रिपोर्ट: पहाड़ी बोंडा; ज़िंदगी और पहचान का द्वंद्व

आरटीआई अधिनियम का 16वां साल: निष्क्रिय आयोग, नहीं निपटाया जा रहा बकाया काम

ओडिशा माली पर्वत खनन: हिंडाल्को कंपनी का विरोध करने वाले आदिवासी एक्टिविस्टों को मिल रहीं धमकियां

माली पर्वत बचाओ: अपनी जमीन बचाने के लिए एक और संघर्ष की तैयारी में ओडिशा के आदिवासी

स्टील से भी सख्त: ओडिशा के ग्रामीण दशकों से अपनी जमीन का रक्षा के लिए संघर्ष कर रहे हैं

ओडिसा: जबरन जमीन अधिग्रहण का विरोध कर रही आदिवासी महिला नेता को किया नज़रबंद

निजी स्कूलों की तुलना में सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की संख्या काफी कम : रिपोर्ट


बाकी खबरें

  • aaj ki baat
    न्यूज़क्लिक टीम
    धर्म के नाम पर काशी-मथुरा का शुद्ध सियासी-प्रपंच और कानून का कोण
    19 May 2022
    ज्ञानवापी विवाद के बाद मथुरा को भी गरमाने की कोशिश शुरू हो गयी है. क्या यह धर्म भावना है? क्या यह धार्मिक मांग है या शुद्ध राजनीतिक अभियान है? सन् 1991 के धर्मस्थल विशेष प्रोविजन कानून के रहते क्या…
  • hemant soren
    अनिल अंशुमन
    झारखंड: भाजपा काल में हुए भवन निर्माण घोटालों की ‘न्यायिक जांच’ कराएगी हेमंत सोरेन सरकार
    18 May 2022
    एक ओर, राज्यपाल द्वारा हेमंत सोरेन सरकार के कई अहम फैसलों पर मुहर नहीं लगाई गई है, वहीं दूसरी ओर, हेमंत सोरेन सरकार ने पिछली भाजपा सरकार में हुए कथित भ्रष्टाचार-घोटाला मामलों की न्यायिक जांच के आदेश…
  • सोनिया यादव
    असम में बाढ़ का कहर जारी, नियति बनती आपदा की क्या है वजह?
    18 May 2022
    असम में हर साल बाढ़ के कारण भारी तबाही होती है। प्रशासन बाढ़ की रोकथाम के लिए मौजूद सरकारी योजनाओं को समय पर लागू तक नहीं कर पाता, जिससे आम जन को ख़ासी दिक़्क़तों का सामना करना पड़ता है।
  • mundka
    न्यूज़क्लिक टीम
    मुंडका अग्निकांड : क्या मज़दूरों की जान की कोई क़ीमत नहीं?
    18 May 2022
    मुंडका, अनाज मंडी, करोल बाग़ और दिल्ली के तमाम इलाकों में बनी ग़ैरकानूनी फ़ैक्टरियों में काम कर रहे मज़दूर एक दिन अचानक लगी आग का शिकार हो जाते हैं और उनकी जान चली जाती है। न्यूज़क्लिक के इस वीडियो में…
  • inflation
    न्यूज़क्लिक टीम
    जब 'ज्ञानवापी' पर हो चर्चा, तब महंगाई की किसको परवाह?
    18 May 2022
    बोल के लब आज़ाद हैं तेरे के इस एपिसोड में अभिसार शर्मा सवाल उठा रहे हैं कि क्या सरकार के पास महंगाई रोकने का कोई ज़रिया नहीं है जो देश को धार्मिक बटवारे की तरफ धकेला जा रहा है?
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License