NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
आंदोलन
शिक्षा
भारत
राजनीति
बिहार : शिक्षा मंत्री के कोरे आश्वासनों से उकताए चयनित शिक्षक अभ्यर्थी फिर उतरे राजधानी की सड़कों पर  
शिक्षा मंत्री के कोरे आश्वासनों से उकताए चयनित शिक्षक अभ्यर्थी फिर राजधानी की सड़कों पर प्रदर्शन करने के लिए मजबूर हुए हैं। इनकी एक सूत्री मांग है कि सरकार नियुक्ति की तिथि बताए, वरना जारी रहेगा अनिश्चितकालीन महाआन्दोलन।
अनिल अंशुमन
02 Dec 2021
bihar protest

एक बार फिर से बिहार के चयनित शिक्षक अभ्यर्थी राजधानी में सड़कों पर आंदोलनरत हैं। जो बिहार सरकार और शिक्षा मंत्री द्वारा उनकी नियुक्ति को लेकर निरंतर किये जा रहे टाल मटोल और आश्वासनों से क्षुब्ध हो कर माहान्दोलन में उतरे हुए हैं। राजधानी के गर्दनीबाग़ धरना स्थल पर अनिश्चित कालीन धरना दे रहे इन अभ्यर्थियों का बस एक सूत्री मांग है- सरकार उनकी नियुक्ति की तिथि बताये, वरना जारी रहेगा अनिश्चितकालीन महाआन्दोलन।

 29 नवम्बर से शुरू हुए बिहार विधान सभा के शीतकालीन सत्र के पहले ही दिन से ही राज्य के 34 हज़ार चयनित शिक्षक अभ्यर्थियों की नियुक्ति की मांग को लेकर सैकड़ों महिला-पुरुष शिक्षक अभ्यर्थी आन्दोलनरत हैं । जो इस ठंड के मौसम में भी खुले आसमान के नीचे प्रदेश के विभिन्न इलाकों से पहुंचकर धरना पर बैठे हुए हैं और इस बार किसी भी सूरत में टलने के मूड में नहीं दीख रहें हैं। 

शीतकालीन सत्र के पहले ही दिन से विपक्षी दल राजद, भाकपा माले,सीपीआई तथा सीपीएम के सभी विधायकों ने सदन के बाहर इकठ्ठे होकर आन्दोलनकारी शिक्षक अभ्यर्थियों की मांगों के साथ हर साल 19 लाख रोज़गार देने के वायदे को पूरा करने की मांग को लेकर पोस्टर प्रदर्शन किये। राज्य के सभी विश्वविद्यालयों में चौपट हो चुकी उच्च शिक्षा व्यवस्था के सवालों  के भी पोस्टर लहराए लेकिन सरकार पर कोई असर नहीं होता दीखता है। 

विधान सभा की पिछले कई सत्रों में प्रदेश की चौपट हो चुकी शिक्षा व्यवस्था और राज्य के युवाओं के रोज़गार के सवाल को लगातार उठाने वाले इनौस के राष्ट्रिय अध्यक्ष व माले विधायक मनोज मंजिल ने इस बार भी शून्य काल में सरकार व सदन का ध्यान आकृष्ट कराया। 

 प्रदेश में लाखों पद खाली रहने के बावजूद नियुक्तियां नहीं होने और बेरोज़गारी के चरम पर होने का सवाल उठाते हुए कहा- नीति आयोग की हाल ही में जारी हुई रिपोर्ट ने एनडीए की डबल इंजन वाली नितीश कुमार सरकार के 15 साल के कुशासन की पोल खोलकर रख दी है। जिसमें आंकड़ों के साथ दिखलाया गया है कि किस तरह से स्कूली शिक्षा व्यवस्था मामले में बिहार सबसे निचले स्तर पर है। जो यह साबित कर रहा है कि पूरे देश में बिहार सबसे पिछड़ा प्रदेश है, जहाँ कि स्कूली शिक्षा व्यवस्था पूरी तरह से गर्त में जा चुकी है। लेकिन तब भी सरकार हजारों हज़ार चयनित शिक्षकों की मांगों को नहीं मानकर उनकी नियुक्ति नहीं कर रही है।    

आन्दोलनकारी शिक्षक अभ्यर्थियों के सवालों के साथ साथ सदन में रोज़गार के सवालों पर सरकार व मंत्री द्वारा संतोषजनक उत्तर नहीं दिए जाने के कारण विपक्षी विधायकों द्वारा कई बार हंगामा किया चुका है।

मीडिया और सदन में बिहार सरकार के शिक्षा मंत्री द्वारा शिक्षकों की नियुक्ति में देरी का कारण राज्य में पंचायत चुनाव आदर्श अचार संहिता लागू रहने का कारण बताये जाने पर भी आन्दोलनकारी शिक्षकों में काफी क्षोभ है। हर दिन वे अपने आन्दोलन स्थल से मीडिया को दिए वक्तव्यों में वे मंत्री जी के हर बयान को खारिज कर सरकार की मंशा पर ही सवाल उठाते हुए आरोप लगा रहें हैं कि वह लम्बी अवधी तक टालना चाहती है।  

कई महिला शिक्षक अभ्यर्थी जो अपने छोटे बच्चों के साथ आन्दोलन में शामिल हैं, स्थानीय चैनलों को दिए उनके भावुक वक्तव्य भी खूब वायरल हो रहें हैं, जिनमें वे कह रहीं हैं कि-पिछले कई महीनों से हम सब प्रदेश के शिक्षा मंत्री और विभाग के चक्कर लगा लगाकर थक चुके है। सर्टिफिकेट जांच के नाम पर हमारे सारे ओरिजिनल सर्टिफिकेट भी ले लिए गए हैं। इस कारण जीवकोपार्जन के लिए हम किसी निजी स्कूल में भी नौकरी के लिए नहीं जा पा रहें हैं।   

ये सही है कि चंद दिनों पहले ही जब इसी गठबंधन वाली केंद्र की सरकार द्वारा गठित नीति आयोग ने देश के सभी राज्य की स्थितियों की रिपोर्ट जारी करते हुए बिहार को शिक्षा-स्वास्थय समेत कई अन्य महत्वपूर्ण मामलों में सबसे फिसड्डी राज्य बताया है। जिसे लेकर अभी के शीतकालीन सत्र में सदन के अन्दर और बाहर तक पूरा विपक्ष सरकार को सवालों के कठघरे में खड़ा किये हुए है। जिसका कोई संतोषजनक उत्तर देने व अपनी नाकामी स्वीकारने की बजाय सरकार के मंत्रियों और सत्ता पक्ष के नेताओं प्रवक्ताओं द्वारा निति आयोग की रिपोर्ट को ही खारिज करते हुए कहा जा रहा है – निति आयोग की रिपोर्ट हम नहीं जानते लेकिन बिहार का विकास हुआ है, विपक्ष को दीखता नहीं हम क्या करें।  

 उस पर से ये भी सरकार का दुर्योग ही कहा जाएगा कि जब मौजूदा शीतकालीन सत्र के दौरान खुद मुख्यमंत्री राज्य में पूर्ण शराबबंदी कराने का ढोल पिटते हुए गर्व के साथ बताते है कि कैसे उन्होंने सारे अमले अफसर और कर्मचारियों को शराब ना पीने की शपथ दिलाकर शराब बंदी अभियान को प्रदेश का सर्वप्रमुख मुद्दा बना दिया है। लेकिन इसी चालू सत्र के दौरान जब विधान सभा परिसर में ही बिखरी शराब की खाली बोतलें पाए जाने का वायरल वीडियो उनके दावों पोल की पोल खोल देता है तो उनके नेता विपक्ष की साजिश करार देते हैं। बाद में मुख्यमंत्री के आनन फानन निर्देश पर राज्य के पुलिस आईजी जाकर उन शराब की खाली बोतलों का सूक्ष्म मुआयना भी कर आते हैं। 

बहरहाल, बिहार के 34 हज़ार चयनित शिक्षक अभ्यर्थियों का महाआन्दोलन जारी है। सैकड़ों आन्दोलनकारी शिक्षक रात दिन धरना स्थल पर डटे हुए है। वहीँ ज़मीन पर खाना खा रहें हैं और खुले आसमान के नीचे रात गुजार रहें हैं। इस गहरी पीड़ा के साथ कि जिन प्रतिभाशाली शिक्षकों को आज स्कूलों में छात्रों को पढ़ाते हुए नज़र आना चाहिए था, आज वे नौकरी की हर अहर्ता में सफल चयनित होने के बावजूद नियुक्ति के लिए धरना दे रहें हैं। 

एक ताज़ा खबर यह भी है कि बिहार सरकार द्वारा दरोगा बहाली की प्रारम्भिक, मुख्य और शारीरिक परीक्षा में सफल हुए 286 उम्मीदवारों को मेरिट लिस्ट से बाहर किये जाने पर हाई कोर्ट ने तत्काल रोक लगाते हुए सरकार से जवाब माँगा है। 

वहीँ बीपीएससी द्वारा 2017 में निकाली गयी असिस्टेंट इंजीनियरों की वेकेंसी प्रतियोगिता के सफल अभ्यर्थी भी अभी तक नियुक्ति नहीं होने के खिलाफ आन्दोलन की तैयारी में हैं। 

देखने की बात है कि बिहार में विकास को लेकर निति आयोग की रिपोर्टों को सरकार आखिरकार कब स्वीकार करती है ।

Bihar
Bihar Protests
teachers protest
Nitish Kumar
Nitish Kumar Government
unemployment

Related Stories

बिहार : जीएनएम छात्राएं हॉस्टल और पढ़ाई की मांग को लेकर अनिश्चितकालीन धरने पर

उत्तर प्रदेश: "सरकार हमें नियुक्ति दे या मुक्ति दे"  इच्छामृत्यु की माँग करते हजारों बेरोजगार युवा

बिहार : नीतीश सरकार के ‘बुलडोज़र राज’ के खिलाफ गरीबों ने खोला मोर्चा!   

UPSI भर्ती: 15-15 लाख में दरोगा बनने की स्कीम का ऐसे हो गया पर्दाफ़ाश

जन-संगठनों और नागरिक समाज का उभरता प्रतिरोध लोकतन्त्र के लिये शुभ है

वाम दलों का महंगाई और बेरोज़गारी के ख़िलाफ़ कल से 31 मई तक देशव्यापी आंदोलन का आह्वान

दिल्ली : पांच महीने से वेतन न मिलने से नाराज़ EDMC के शिक्षकों का प्रदर्शन

दिल्ली : पांच महीने से वेतन व पेंशन न मिलने से आर्थिक तंगी से जूझ रहे शिक्षकों ने किया प्रदर्शन

पटना : जीएनएम विरोध को लेकर दो नर्सों का तबादला, हॉस्टल ख़ाली करने के आदेश

एमपी : ओबीसी चयनित शिक्षक कोटे के आधार पर नियुक्ति पत्र की मांग को लेकर आमरण अनशन पर बैठे


बाकी खबरें

  • नीलांजन मुखोपाध्याय
    यूपी: योगी 2.0 में उच्च-जाति के मंत्रियों का दबदबा, दलितों-पिछड़ों और महिलाओं की जगह ख़ानापूर्ति..
    02 Apr 2022
    52 मंत्रियों में से 21 सवर्ण मंत्री हैं, जिनमें से 13 ब्राह्मण या राजपूत हैं।
  • अजय तोमर
    कर्नाटक: मलूर में दो-तरफा पलायन बन रही है मज़दूरों की बेबसी की वजह
    02 Apr 2022
    भारी संख्या में दिहाड़ी मज़दूरों का पलायन देश भर में श्रम के अवसरों की स्थिति को दर्शाता है।
  • प्रेम कुमार
    सीबीआई पर खड़े होते सवालों के लिए कौन ज़िम्मेदार? कैसे बचेगी CBI की साख? 
    02 Apr 2022
    सवाल यह है कि क्या खुद सीबीआई अपनी साख बचा सकती है? क्या सीबीआई की गिरती साख के लिए केवल सीबीआई ही जिम्मेदार है? संवैधानिक संस्था का कवच नहीं होने की वजह से सीबीआई काम नहीं कर पाती।
  • पीपल्स डिस्पैच
    लैंड डे पर फ़िलिस्तीनियों ने रिफ़्यूजियों के वापसी के अधिकार के संघर्ष को तेज़ किया
    02 Apr 2022
    इज़रायल के क़ब्ज़े वाले क्षेत्रों में और विदेशों में रिफ़्यूजियों की तरह रहने वाले फ़िलिस्तीनी लोग लैंड डे मनाते हैं। यह दिन इज़रायली क़ब्ज़े के ख़िलाफ़ साझे संघर्ष और वापसी के अधिकार की ओर प्रतिबद्धता का…
  • मोहम्मद सज्जाद, मोहम्मद ज़ीशान अहमद
    भारत को अपने पहले मुस्लिम न्यायविद को क्यों याद करना चाहिए 
    02 Apr 2022
    औपनिवेशिक काल में एक उच्च न्यायालय के पहले मुस्लिम न्यायाधीश, सैयद महमूद का पेशेवराना सलूक आज की भारतीय न्यायपालिका में गिरते मानकों के लिए एक काउंटरपॉइंट देता है। 
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License