NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
150 से अधिक प्रतिष्ठित नागरिक जावेद अख़्तर और नसीरुद्दीन शाह के समर्थन में उतरे
प्रख्यात नागरिकों के एक समूह को इन दो जानी-मानी हस्तियों के प्रति अपने समर्थन को व्यक्त करने के लिए एक बयान जारी करना पड़ा है जब दोनों के द्वारा हिन्दू और मुस्लिम दक्षिणपंथियों के खिलाफ की गई टिप्पणियों से एक हलचल सी मच गई है।
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
09 Sep 2021
150 से अधिक प्रतिष्ठित नागरिक जावेद अख़्तर और नसीरुद्दीन शाह के समर्थन में उतरे

समाज के सभी क्षेत्रों से 150 से अधिक की संख्या में प्रख्यात नागरिकों ने कवि-गीतकार जावेद अख्तर और अभिनेता नसीरुद्दीन शाह को “डराने-धमकाने की राजनीति” का विरोध किया है। अख्तर और शाह दोनों को ही तालिबान के संबंध में अपनी हालिया टिप्पणियों के लिए विभिन्न हलकों से आलोचना का सामना करना पड़ रहा है।

मंगलवार को नागरिकों के एक समूह द्वारा अख्तर के प्रति अपने पूर्ण समर्थन को व्यक्त करते हुए एक बयान जारी किया गया है, जिन्होंने हाल ही में एनडीटीवी को दिए एक साक्षात्कार में कहा था कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) भी तालिबान से पूरी तरह से भिन्न नहीं है। इसके बाद से उन्हें दक्षिणपंथी हिन्दू समूहों के कोप का भाजन बनना पड़ रहा है।

बयान में कहा गया है “हम उन्हें डराने-धमकाने के प्रयासों की कड़ी निंदा करते हैं और अपने विचारों को व्यक्त करने के उनके अधिकार का समर्थन करते हैं। हम संघ परिवार में उन लोगों से पूरी तरह से असहमत हैं, जिसका नेतृत्व एक भाजपा विधायक और उसी वृहद परिवार से आने वाले अन्य तत्वों द्वारा किया जा रहा है, और जिन्होंने दक्षिणपंथी वर्चस्ववादियों को लेकर बनी इस समझ पर आपत्ति जताई है, भले ही वे मुस्लिम हों या हिन्दू।”

अफगानिस्तान पर तालिबान द्वारा कब्जा कर लिए जाने पर इसकी निंदा करते हुए अख्तर ने साक्षात्कार में कहा था, “जो लोग आरएसएस और बजरंग दल जैसे संगठनों का समर्थन करते हैं, उन्हें भी कुछ आत्मचिंतन करने की आवश्यकता है। आखिर वे उनसे (तालिबान) किस मामले में अलग हैं?”

इस पर, भारतीय जनता पार्टी (आरएसएस की राजनीतिक ईकाई) और शिवसेना के नेताओं ने अख्तर पर निशाना साधना शुरू कर दिया है। जहाँ बाद वाले ने उन पर हिंदुओं का अनादर करने का आरोप लगाया है, वहीँ भाजपा नेता राम कदम ने एक कदम आगे बढ़कर अख्तर को चेतावनी दे डाली कि जब तक गीतकार अपने बयान के लिए आरएसएस से माफ़ी नहीं मांग लेते, तब तक उनकी फिल्मों को सिनेमाघरों में प्रदर्शित करने की इजाजत नहीं दी जायेगी।

अख्तर के बयान का समर्थन करते हुए हस्ताक्षरकर्ताओं के समूह का कहना है “हम उनके इस बयान से सहमति व्यक्त करते हैं कि दक्षिणपंथियों द्वारा जिस किसी भी धर्म के नाम पर बोलने का दावा किया जाता है, वो चाहे हिन्दू, मुस्लिम, सिख या ईसाई ही क्यों न हों – वे एक जैसी वर्चस्ववादी विश्व-दृष्टिकोण साझा करते हैं। यह विशेष तौर पर तब जाहिर हो जाता है जब उनके परिवार और समाज में मौजूद महिलाओं की स्थिति पर उनके दृष्टिकोणों की बात आती है। तालिबान भी उसी आम कट्टरपंथी मानसिकता का चरम एवं हिंसक संस्करण है। यह अनायास ही नहीं है कि हाल के वर्षों में कई लोगों ने संघ परिवार के हिंसक तत्वों को ‘हिन्दू तालिबान’ के तौर पर संदर्भित किया है।”

इस बयान पर 152 लोगों ने हस्ताक्षर किये हैं, जिनमें प्रभात पटनायक और जोया हसन जैसे प्रख्यात शिक्षाविदों, तीस्ता सीतलवाड़ और शबनम हाशमी जैसी सामाजिक कार्यकर्ताओं और अनेकों कलाकारों, वकीलों, पत्रकारों, प्रगतिशील संगठनों और बुद्धिजीवियों सहित अन्य लोग शामिल हैं।

उन्होंने अभिनेता नसीरुद्दीन शाह द्वारा जारी एक वीडियो पर भारतीय मुस्लिम समुदाय के एक वर्ग से आ रही प्रतिक्रिया की भी भर्त्सना की है।

नागरिकों के समूह के बयान में कहा गया है “यह भी कम गौरतलब नहीं है कि तकरीबन उसी दौरान जब जावेद अख्तर द्वारा दिए गए साक्षात्कार पर भद्दी प्रतिक्रियाएं आ रही थीं, मुस्लिम समुदाय के कुछ वर्गों ने भी अभिनेता नसीरुद्दीन शाह की हालिया टिप्पणियों पर इसी तरह की आपत्तियां उठाई हैं। यह टिप्पणियाँ उनके वीडियो क्लिप को लेकर की जा रही हैं, जो वायरल हो चुकी है।”

सोशल मीडिया पर जारी इस वीडियो में, दिग्गज अभिनेता ने भारतीय मुसलमानों के कुछ वर्गों द्वारा अफगानिस्तान में तालिबान की सत्ता में वापसी का “जश्न” मनाये जाने की भर्त्सना करते हुए इसे “खतरनाक” बताया था।

सोशल मीडिया पर साझा किये गये इस वीडियो में शाह ने कहा था, “जबकि अफगानिस्तान में तालिबान की सत्ता में वापसी विश्व भर में चिंता का सबब बनी हुई है, वहीँ भारतीय मुसलमानों के कुछ वर्गों द्वारा इन बर्बर लोगों की जीत पर जश्न मनाना भी खतरनाक है।”

उनके इस वीडियो की कुछ भारतीय मुसलमानों के द्वारा आलोचना की गई है जो इस तरह के रुख से संतुष्ट नहीं हैं। वहीँ दूसरी तरफ, पत्रकार सबा नक़वी समेत कुछ लोगों का प्रश्न है कि क्या शाह उस जाल में तो नहीं फंस रहे हैं जो तालिबान को खारिज करने की जिम्मेदारी विशेष रूप से भारतीय मुसलमानों पर डालता है, जबकि इसमें उनका सीधे तौर पर कोई अख्तियार नहीं है।

अभिनेता का समर्थन करते हुए नागरिक समूह का कहना था “शाह विशेष तौर पर भारतीय मुस्लिम समुदाय को संबोधित कर रहे थे, जहाँ वे मुस्लिम देशवासियों को इस्लाम के रूढ़ स्वरूपों के खिलाफ चेता रहे हैं, और उन्हें आधुनिकता को अपनाने की सलाह दे रहे हैं।” इसमें आगे कहा गया है, “शाह ने इसमें सिर्फ भारतीय इस्लाम की दीर्घ, जीवंत एवं सहिष्णु परंपरा को ही दोहराया है जो हाल के दशकों सऊदी-निर्यातित वहाबी इस्लाम से पीड़ित है, एक ऐसी प्रवृत्ति जिसे भारतीय मुसलमानों के बड़े हिस्से ने पहचाना है और इसकी भर्त्सना भी करता है।”

इससे पूर्व, इंडियन मुस्लिम्स फॉर सेक्युलर डेमोक्रेसी (आइएमएसडी) के एक हिस्से के बतौर शाह और अख्तर ने सौ से अधिक अन्य व्यक्तियों के साथ एक बयान पर दस्तखत किये थे, जिसमें तालिबान की भर्त्सना की गई थी और भारतीय मुसलमानों से अपील की गई थी कि वे अफगानिस्तान में “इस्लामी अमीरात” को खारिज करें। 

अंग्रेज़ी में प्रकाशित मूल आलेख को पढ़ने के लिए नीचे दिये गये लिंक पर क्लिक करें

Over 150 Eminent Citizens Back Javed Akhtar, Naseeruddin Shah; Condemn Their ‘Hounding’

Javed Akhtar
naseeruddin shah
TALIBAN
Rashtriya Swayamsevak Sangh
Indian Muslims
Afghanistan

Related Stories

भारत में धार्मिक असहिष्णुता और पूजा-स्थलों पर हमले को लेकर अमेरिकी रिपोर्ट में फिर उठे सवाल

एनआईए स्टेन स्वामी की प्रतिष्ठा या लोगों के दिलों में उनकी जगह को धूमिल नहीं कर सकती

निचले तबकों को समर्थन देने वाली वामपंथी एकजुटता ही भारत के मुस्लिमों की मदद कर सकती है

दंगे भड़काने के लिए धार्मिक जुलूसों के इस्तेमाल का संघ का इतिहास

रूस पर बाइडेन के युद्ध की एशियाई दोष रेखाएं

विशेष: एक हमारी और एक उनकी मुल्क में हैं आवाज़ें दो

घर वापसी से नरसंहार तक भारत का सफ़र

सीमांत गांधी की पुण्यतिथि पर विशेष: सभी रूढ़िवादिता को तोड़ती उनकी दिलेरी की याद में 

राजनीतिक धर्मनिरपेक्षता के बारे में ओवैसी के विचार मुसलमानों के सशक्तिकरण के ख़िलाफ़ है

संघ से जुड़े संगठन अपने प्रमुख मोहन भागवत की ही बातों को क्यों नहीं मानते?


बाकी खबरें

  • संदीपन तालुकदार
    वैज्ञानिकों ने कहा- धरती के 44% हिस्से को बायोडायवर्सिटी और इकोसिस्टम के की सुरक्षा के लिए संरक्षण की आवश्यकता है
    04 Jun 2022
    यह अध्ययन अत्यंत महत्वपूर्ण है क्योंकि दुनिया भर की सरकारें जैव विविधता संरक्षण के लिए अपने  लक्ष्य निर्धारित करना शुरू कर चुकी हैं, जो विशेषज्ञों को लगता है कि अगले दशक के लिए एजेंडा बनाएगा।
  • सोनिया यादव
    हैदराबाद : मर्सिडीज़ गैंगरेप को क्या राजनीतिक कारणों से दबाया जा रहा है?
    04 Jun 2022
    17 साल की नाबालिग़ से कथित गैंगरेप का मामला हाई-प्रोफ़ाइल होने की वजह से प्रदेश में एक राजनीतिक विवाद का कारण बन गया है।
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    छत्तीसगढ़ : दो सूत्रीय मांगों को लेकर बड़ी संख्या में मनरेगा कर्मियों ने इस्तीफ़ा दिया
    04 Jun 2022
    राज्य में बड़ी संख्या में मनरेगा कर्मियों ने इस्तीफ़ा दे दिया है। दो दिन पहले इन कर्मियों के महासंघ की ओर से मांग न मानने पर सामूहिक इस्तीफ़े का ऐलान किया गया था।
  • bulldozer politics
    न्यूज़क्लिक टीम
    वे डरते हैं...तमाम गोला-बारूद पुलिस-फ़ौज और बुलडोज़र के बावजूद!
    04 Jun 2022
    बुलडोज़र क्या है? सत्ता का यंत्र… ताक़त का नशा, जो कुचल देता है ग़रीबों के आशियाने... और यह कोई यह ऐरा-गैरा बुलडोज़र नहीं यह हिंदुत्व फ़ासीवादी बुलडोज़र है, इस्लामोफ़ोबिया के मंत्र से यह चलता है……
  • आज का कार्टून
    कार्टून क्लिक: उनकी ‘शाखा’, उनके ‘पौधे’
    04 Jun 2022
    यूं तो आरएसएस पौधे नहीं ‘शाखा’ लगाता है, लेकिन उसके छात्र संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) ने एक करोड़ पौधे लगाने का ऐलान किया है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License