NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
राजनीति
अंतरराष्ट्रीय
पेगासस विवाद: केंद्र ने कोर्ट में कही समिति बनाने की बात, कांग्रेस ने कहा- ‘बिल्ली दूध की रखवाली कैसे कर सकती है’
सुप्रीम कोर्ट में अधिवक्ता सिब्बल ने कहा कि केंद्र का हलफनामा यह नहीं बताता कि क्या सरकार या उसकी एजेंसियों ने जासूसी सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल किया? उन्होंने कहा, “हम नहीं चाहते कि सरकार, जिसने पेगासस का इस्तेमाल किया हो या उसकी एजेंसी जिसने हो सकता है इसका इस्तेमाल किया हो, अपने आप एक समिति गठित करें।”
भाषा
16 Aug 2021
SC

नयी दिल्ली: केंद्र सरकार ने सोमवार को उच्चतम न्यायालय को बताया कि पेगासस जासूसी के आरोपों में “छिपाने के लिये कुछ भी नहीं” है और वह इस मामले के सभी पहलुओं के निरीक्षण के लिये प्रमुख विशेषज्ञों की एक विशेषज्ञ समिति बनाएगी।

प्रधान न्यायाधीश एन वी रमण, न्यायमूर्ति सूर्य कांत और न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस की तीन सदस्यीय पीठ ने इस बात पर चर्चा की कि क्या इस मामले में सोमवार को संक्षिप्त सीमित हलफनामा दाखिल करने वाली केंद्र सरकार को विस्तृत हलफनामा भी देना चाहिए। इस मामले में मंगलवार को भी सुनवाई जारी रहेगी।

न्यायालय इजराइल के जासूसी सॉफ्टवेयर पेगासस से कथित तौर पर जासूसी कराए जाने के मामले की स्वतंत्र जांच कराने के अनुरोध वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा है।

जासूसी के आरोपों की जांच को लेकर याचिका दायर करने वाले वरिष्ठ पत्रकार एन राम और शशि कुमार की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा कि सरकार का हलफनामा यह नहीं बताता कि सरकार या उसकी एजेंसियों ने जासूसी सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल किया या नहीं।

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पीठ को बताया कि पेगासस मामले में राष्ट्रीय सुरक्षा का पहलू शामिल होगा और यह “संवेदनशील” मामला है। मेहता ने पीठ को बताया, “हम एक संवेदनशील मामले को देख रहे हैं और ऐसा लगता है कि इसे सनसनीखेज बनाने के प्रयास हो रहे हैं।” उन्होंने कहा, “यह राष्ट्रीय सुरक्षा का मुद्दा होगा।”

सुनवाई की शुरुआत में मेहता ने पीठ को बताया कि यह मामला “बेहद तकनीकी” है और इसके पहलुओं को देखने के लिये विशेषज्ञता की जरूरत है।

उन्होंने कहा, “छिपाने के लिये कुछ भी नहीं है। विशेषज्ञों की समिति से इसकी जांच की जरूरत है। यह बेहत तकनीकी मुद्दा है। हम इस क्षेत्र के प्रमुख तटस्थ विशेषज्ञों की नियुक्ति करेंगे।”

सरकार की ओर से दो पन्नों के संक्षिप्त हलफनामे में कहा गया, “यह हालांकि प्रतिवेदित किया जाता है कि निहित स्वार्थों द्वारा फैलाए जाने वाले किसी भी गलत विमर्श को खारिज करने और उठाए गए मुद्दों के निरीक्षण के उद्देश्य से केंद्र सरकार उस क्षेत्र के विशेषज्ञों की एक समिति बनाएगी जो इस मुद्दे से जुड़े सभी पहलुओं को देखेगी।”

इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के अतिरिक्त सचिव के इस हलफनामे में कहा गया है, “शुरुआत में यह प्रतिवेदित किया जाता है कि मैं एतत द्वारा उपरोक्त याचिका और अन्य संबंधित याचिकाओं में प्रतिवादियों के खिलाफ लगाए गए किसी भी और सभी आरोपों से स्पष्ट रूप से इनकार करता हूं।”

पीठ ने कहा, ‘‘"आप देखिए, जब सरकार अनिच्छुक है, तो क्या आप उसे एक विस्तृत हलफनामा दाखिल करने के लिए मजबूर कर सकते हैं?" पीठ ने कहा, ‘‘हम कल सुनवाई जारी रखेंगे... अगर श्री मेहता (सॉलिसिटर जनरल) हलफनामा दाखिल करने का फैसला कर सकते हैं, तो हमारे पास कहने के लिए कुछ नहीं है, या हम आप सभी को सुनेंगे।’’

विधि अधिकारी ने कहा, "सरकार बिल्कुल भी अनिच्छुक नहीं है... मैं खुद से एक सवाल पूछता हूं कि अगर एक पृष्ठ का हलफनामा यह कहते हुए दाखिल किया जाता है कि पेगासस का इस्तेमाल नहीं किया गया तो क्या वे याचिकाएं वापस ले लेंगे। जवाब नहीं है।"

सिब्बल ने कहा कि केंद्र का हलफनामा यह नहीं बताता कि क्या सरकार या उसकी एजेंसियों ने जासूसी सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल किया? उन्होंने कहा, “हम नहीं चाहते कि सरकार, जिसने पेगासस का इस्तेमाल किया हो या उसकी एजेंसी जिसने हो सकता है इसका इस्तेमाल किया हो, अपने आप एक समिति गठित करें।”

याचिकाकर्ताओं के एक वेब पोर्टल द्वारा प्रकाशित समाचार पर भरोसा करने की दलील देते हुए मेहता ने कहा, “हमारे मुताबिक, एक गलत विमर्श गढ़ा गया।”

इससे पहले, दिन में केंद्र ने हलफनामे में न्यायालय को बताया कि पेगासस जासूसी के आरोपों को लेकर स्वतंत्र जांच की मांग करने वाली याचिकाएं “अटकलों, अनुमानों” और मीडिया में आई अपुष्ट खबरों पर आधारित हैं।

हलफनामे में सरकार ने कहा है कि केंद्रीय सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव पहले ही कथित पेगासस जासूसी मुद्दे पर संसद में उसका रुख स्पष्ट कर चुके हैं।

हलफनामे में कहा गया, “उपर्युक्त याचिका और संबंधित याचिकाओं के अवलोकन भर से यह स्पष्ट हो जाता है कि वे अटकलों, अनुमानों तथा अन्य अपुष्ट मीडिया खबरों तथा अपूर्ण या अप्रमाणिक सामग्री पर आधारित हैं।” इसमें कहा गया कि कुछ निहित स्वार्थों द्वारा दिए गए किसी भी गलत विमर्श को दूर करने और उठाए गए मुद्दों की जांच करने के उद्देश्य से विशेषज्ञों की एक समिति का गठन किया जाएगा।

शीर्ष अदालत ने 10 अगस्त को कुछ याचिकाकर्ताओं द्वारा सोशल मीडिया पर जासूसी मुद्दे पर “समानांतर कार्यवाही और बहस” को अपवादस्वरूप लेते हुए कहा था कि अनुशासन कायम रखा जाना चाहिए और याचिकाकर्ताओं को “व्यवस्था में थोड़ा भरोसा होना चाहिए।”

इजराइल के जासूसी सॉफ्टवेयर पेगासस से कथित तौर पर जासूसी कराए जाने के मामले की स्वतंत्र जांच कराने के लिए उच्चतम न्यायालय में कई याचिकाएं दायर की गयी हैं। इनमें से एक याचिका ‘एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया’ की भी है। ये याचिकाएं इजराइली फर्म एनएसओ के स्पाइवेयर पेगासस का उपयोग करके प्रतिष्ठित नागरिकों, राजनीतिज्ञों और पत्रकारों पर सरकारी एजेंसियों द्वारा कथित तौर पर जासूसी की खबरों से संबंधित हैं।

एक अंतरराष्ट्रीय मीडिया संघ ने बताया है कि 300 से अधिक सत्यापित भारतीय मोबाइल फोन नंबर पेगासस स्पाइवेयर का उपयोग करके निगरानी के लिए संभावित लक्ष्यों की सूची में थे।

गौरतलब है कि पांच अगस्त को मामले की सुनवाई के दौरान शीर्ष अदालत ने कहा था कि पेगासस से जासूसी कराए जाने संबंधी खबरें अगर सही हैं तो यह आरोप ‘‘गंभीर प्रकृति” के हैं।’’ न्यायालय ने याचिकाकर्ताओं से यह भी जानना चाहा था कि क्या उन्होंने इस मामले में कोई आपराधिक शिकायत दर्ज कराने का प्रयास किया।

एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने पत्रकारों और दूसरों की कथित जासूसी के मामले की जांच के लिए विशेष जांच दल गठित करने का अनुरोध किया है।

पेगासस मामले पर समिति को लेकर कांग्रेस ने कहा: ‘बिल्ली दूध की रखवाली कैसे कर सकती है’

कांग्रेस ने पेगासस मामले के विभिन्न पहलुओं की जांच के लिए समिति गठित करने संबंधी केंद्र सरकार के हलफनामे को लेकर सोमवार को उस पर निशाना साधा और सवाल किया कि ‘बिल्ली दूध की रखवाली कैसे कर सकती है।’

कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को यह बताना चाहिए कि क्या उनकी सरकार ने पेगासस स्पाईवेयर को खरीदा था या नहीं?

सुरजेवाला ने केंद्र के हलफनामे को लेकर संवाददाताओं से कहा, ‘‘बिल्ली दूध की रखवाली कैसे कर सकती है? क्या अपराधी खुद की जांच करेगा? मोदी जी सीधा जवाब दें कि आपने पेगासस स्पाईवेयर खरीदा या नहीं?’’

इससे पहले उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘जासूसीजीवी जी, केवल इतना बता दीजिए….पेगासस जासूसी स्वाईवेयर ख़रीदा या नहीं। इसमें “राष्ट्रीय सुरक्षा” कहां से आ गई ?’’

कांग्रेस नेता ने सवाल किया, ‘‘न्यायाधीशों की जासूसी, विपक्ष की जासूसी, सीबीआई प्रमुख की जासूसी, पत्रकारों की जासूसी, केंद्रीय मंत्रियों की जासूसी, वकीलों की जासूसी…. ये सब “राष्ट्रीय सुरक्षा” कैसे है? कितना और बरगलाएंगे?’’

Supreme Court
Pegasus
Pegasus spyware
BJP
Congress

Related Stories

भाजपा के इस्लामोफ़ोबिया ने भारत को कहां पहुंचा दिया?

कश्मीर में हिंसा का दौर: कुछ ज़रूरी सवाल

ज्ञानवापी मस्जिद के ख़िलाफ़ दाख़िल सभी याचिकाएं एक दूसरे की कॉपी-पेस्ट!

सम्राट पृथ्वीराज: संघ द्वारा इतिहास के साथ खिलवाड़ की एक और कोशिश

हैदराबाद : मर्सिडीज़ गैंगरेप को क्या राजनीतिक कारणों से दबाया जा रहा है?

ग्राउंड रिपोर्टः पीएम मोदी का ‘क्योटो’, जहां कब्रिस्तान में सिसक रहीं कई फटेहाल ज़िंदगियां

धारा 370 को हटाना : केंद्र की रणनीति हर बार उल्टी पड़ती रहती है

मोहन भागवत का बयान, कश्मीर में जारी हमले और आर्यन खान को क्लीनचिट

आर्य समाज द्वारा जारी विवाह प्रमाणपत्र क़ानूनी मान्य नहीं: सुप्रीम कोर्ट

मंडल राजनीति का तीसरा अवतार जाति आधारित गणना, कमंडल की राजनीति पर लग सकती है लगाम 


बाकी खबरें

  • सोनिया यादव
    समलैंगिक साथ रहने के लिए 'आज़ाद’, केरल हाई कोर्ट का फैसला एक मिसाल
    02 Jun 2022
    साल 2018 में सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले के बाद भी एलजीबीटी कम्युनिटी के लोग देश में भेदभाव का सामना करते हैं, उन्हें एॉब्नार्मल माना जाता है। ऐसे में एक लेस्बियन कपल को एक साथ रहने की अनुमति…
  • समृद्धि साकुनिया
    कैसे चक्रवात 'असानी' ने बरपाया कहर और सालाना बाढ़ ने क्यों तबाह किया असम को
    02 Jun 2022
    'असानी' चक्रवात आने की संभावना आगामी मानसून में बतायी जा रही थी। लेकिन चक्रवात की वजह से खतरनाक किस्म की बाढ़ मानसून से पहले ही आ गयी। तकरीबन पांच लाख इस बाढ़ के शिकार बने। इनमें हरेक पांचवां पीड़ित एक…
  • बिजयानी मिश्रा
    2019 में हुआ हैदराबाद का एनकाउंटर और पुलिसिया ताक़त की मनमानी
    02 Jun 2022
    पुलिस एनकाउंटरों को रोकने के लिए हमें पुलिस द्वारा किए जाने वाले व्यवहार में बदलाव लाना होगा। इस तरह की हत्याएं न्याय और समता के अधिकार को ख़त्म कर सकती हैं और इनसे आपात ढंग से निपटने की ज़रूरत है।
  • रवि शंकर दुबे
    गुजरात: भाजपा के हुए हार्दिक पटेल… पाटीदार किसके होंगे?
    02 Jun 2022
    गुजरात में पाटीदार समाज के बड़े नेता हार्दिक पटेल ने भाजपा का दामन थाम लिया है। अब देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले चुनावों में पाटीदार किसका साथ देते हैं।
  • सरोजिनी बिष्ट
    उत्तर प्रदेश: "सरकार हमें नियुक्ति दे या मुक्ति दे"  इच्छामृत्यु की माँग करते हजारों बेरोजगार युवा
    02 Jun 2022
    "अब हमें नियुक्ति दो या मुक्ति दो " ऐसा कहने वाले ये आरक्षित वर्ग के वे 6800 अभ्यर्थी हैं जिनका नाम शिक्षक चयन सूची में आ चुका है, बस अब जरूरी है तो इतना कि इन्हे जिला अवंटित कर इनकी नियुक्ति कर दी…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License