NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
अंतरराष्ट्रीय
जनता के एजेंडे को अंतरराष्ट्रीय मंच मिलेगा पीपुल्स ब्रिक्स से
दुनिया के पांच प्रमुख देशों ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका की जनता की आवाजें 11-12 नवंबर को ब्राजील की राजधानी ब्राजीलिया में जुट रही हैं। यहां वे जनता की मांगपत्र को तैयार करेंगी जिन्हें आधिकारिक ब्रिक्स सम्मेलन में भेजा जाएगा।
भाषा सिंह
11 Nov 2019
brics

ब्राजीलिया: दुनिया के पांच प्रमुख देशों की जनता की आवाजें जमा हो गईं हैं लातिन अमेरिकी देश ब्राजील की राजधानी ब्राजीलिया में। यहां पीपुल्स ब्रिक्स (ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका) के राजनीतिक नेता, जनआंदोलनों के नेता, ट्रेड यूनियन के नेता, सांसद, बुद्धिजीवी आदि बड़ी संख्या में जुट रहे हैं और पांचों देशों की जनता का मांगपत्र तैयार करेंगे। साथ ही संयुक्त रणनीति बनाएंगे। पीपुल्स ब्रिक्स 11 और 12 नवंबर को ब्राजील की संसद के भीतर चैम्बर ऑफ ड्यूपिटीस में शुरू हो रहा है। इसे फिर सरकारों के आधिकारिक ब्रिक्स यानी 13 और 14 नवंबर को हो रहे 11वें ब्रिक्स राष्ट्राध्यक्षों का सम्मेलन में भेजा जाएगा।

पीपुल्स ब्रिक्स एक वैकल्पिक दस्तावेज तैयार करेगा, अपने-अपने देशों के शीर्ष राजनीतिक नेतृत्व पर जो ब्राजीलिया में मुख्य ब्रिक्स में शिरकत करने आएंगे। पीपुल्स ब्रिक्स में तमाम देशों की स्थिति को अंतरराष्ट्रीय चुनौतियों के संदर्भ में समझा जाएगा और जनता के एजेंडे को मुख्य एजेंडे में प्रवेश कराने के लिए राजनीतिक रणनीति तैयार की जाएगी। इसमें शिरकत करने के लिए इन पांच देशों से चुने हुए प्रतिनिधि आ चुके हैं। पीपुल्स ब्रिक्स को आयोजित करने का जिम्मा इंटरनेशनल पीपुलिस असेंबली, एएलबीए मूवमेंस –ब्राजील चैप्टर, ट्राईकॉनटिनेंटल: इंस्टीट्यूट फॉर सोशल रिसर्च, ब्राजील पीपुल्स फ्रंट और फीयरलेस पीपुल्स फ्रंट के ऊपर है।
IMG-20191111-WA0009.jpg
इस सम्मेलन में शिरकत करने आईं ब्राजील के भूमिहीन श्रमिकों आंदोलन की प्रतिनिधित्व करने वाली ग्रासिया ने बताया कि तकरीबन इन पांचों देशों की सरकारें दक्षिण पंथी हैं और जनता के बुनियादी अधिकारों की अनदेखी कर रही हैं। ऐसे में आधिकारिक ब्रिक्स में इन देशों की सही मांग और इच्छाएं सामने नहीं आ पाती है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हमारे देशों के बारे में एक झूठी छवि गठित की जाती है, बताया जाता है कि इन देशों में शासन बहुत अच्छे से चल रहा है। इसे चुनौती देने के लिए ही हम यहाँ जमा हुए हैं। हम असल जनता की आवाज है।

यहां हम खुलकर चर्चा करेंगे कि कैसे इन पांचों देशों की जनता को साथ आना है और अपने मुद्दे सामने रखने हैं। यह हमारे लिए बेहद जरूरी है। वरना तमाम मंचों से असली मुद्दे गायब हो रहे हैं। यहां से हमारा मांगपत्र आधिकारिक ब्रिक्स सम्मेलन में जाना बेहद अहम है क्योंकि इससे यह पता चलेगा कि इन देशों की जनता जागी हुई है और परिवर्तन की मांग तेज है।

दो दिन तक चलने वाले पीपुल्स ब्रिक्स में चार सत्रों में चर्चा होगी। इसकी शुरुआत होगी साम्राज्यवाद और अंतरराष्ट्रीय राजनीति में ब्रिक्स की भूमिका से। दूसरा सत्र है अर्थव्यवस्था और पर्यावरण के विभिन्न आयामों पर बातचीत होगी, रणनीति बनाई जाएगी। तीसरे सत्र में अंतरराष्ट्रीय राजनीतिक संकट और जनता के आंदोलनों पर चर्चा होगी और आखिरी सत्र अंतर्राष्ट्रवाद की चुनौतियों, गठबंधन और लोगों की एकजुटता पर केंद्रित होगा। इन सत्रों में पांच देशों के 17 विशेषज्ञ अपनी बात रखेंगें और फिर उस पर बहस होगी।

एक अलग दुनिया संभव है और जनता के सवालों के बिना सुने बिना, उन्हें बराबरी का स्थान दिए बिना कोई भी देश सही विकास नहीं कर सकता, इसका एक जीवंत प्लेटफार्म बन सकता है पीपुल्स ब्रिक्स।

BRICS
Brazil
Brasilia
Russia
China
India
South Africa
Leader of mass movements
leader of trade union

Related Stories

भारत में धार्मिक असहिष्णुता और पूजा-स्थलों पर हमले को लेकर अमेरिकी रिपोर्ट में फिर उठे सवाल

भारत में तंबाकू से जुड़ी बीमारियों से हर साल 1.3 मिलियन लोगों की मौत

हिंद-प्रशांत क्षेत्र में आईपीईएफ़ पर दूसरे देशों को साथ लाना कठिन कार्य होगा

UN में भारत: देश में 30 करोड़ लोग आजीविका के लिए जंगलों पर निर्भर, सरकार उनके अधिकारों की रक्षा को प्रतिबद्ध

वर्ष 2030 तक हार्ट अटैक से सबसे ज़्यादा मौत भारत में होगी

लू का कहर: विशेषज्ञों ने कहा झुलसाती गर्मी से निबटने की योजनाओं पर अमल करे सरकार

वित्त मंत्री जी आप बिल्कुल गलत हैं! महंगाई की मार ग़रीबों पर पड़ती है, अमीरों पर नहीं

रूस की नए बाज़ारों की तलाश, भारत और चीन को दे सकती  है सबसे अधिक लाभ

प्रेस फ्रीडम सूचकांक में भारत 150वे स्थान पर क्यों पहुंचा

गुटनिरपेक्षता आर्थिक रूप से कम विकसित देशों की एक फ़ौरी ज़रूरत


बाकी खबरें

  • भाषा
    ज्ञानवापी मामला : अधूरी रही मुस्लिम पक्ष की जिरह, अगली सुनवाई 4 जुलाई को
    30 May 2022
    अदालत में मामले की सुनवाई करने के औचित्य संबंधी याचिका पर मुस्लिम पक्ष की जिरह आज भी जारी रही और उसके मुकम्मल होने से पहले ही अदालत का समय समाप्त हो गया, जिसके बाद अदालत ने कहा कि वह अब इस मामले को…
  • चमन लाल
    एक किताब जो फिदेल कास्त्रो की ज़ुबानी उनकी शानदार कहानी बयां करती है
    30 May 2022
    यद्यपि यह पुस्तक धर्म के मुद्दे पर केंद्रित है, पर वास्तव में यह कास्त्रो के जीवन और क्यूबा-क्रांति की कहानी बयां करती है।
  • भाषा
    श्रीकृष्ण जन्मभूमि-शाही मस्जिद ईदगाह प्रकरण में दो अलग-अलग याचिकाएं दाखिल
    30 May 2022
    पेश की गईं याचिकाओं में विवादित परिसर में मौजूद कथित साक्ष्यों के साथ छेड़छाड़ की संभावना को समाप्त करने के लिए अदालत द्वारा कमिश्नर नियुक्त किए जाने तथा जिलाधिकारी एवं वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक की उपस्थिति…
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    बेंगलुरु में किसान नेता राकेश टिकैत पर काली स्याही फेंकी गयी
    30 May 2022
    टिकैत ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘स्थानीय पुलिस इसके लिये जिम्मेदार है और राज्य सरकार की मिलीभगत से यह हुआ है।’’
  • समृद्धि साकुनिया
    कश्मीरी पंडितों के लिए पीएम जॉब पैकेज में कोई सुरक्षित आवास, पदोन्नति नहीं 
    30 May 2022
    पिछले सात वर्षों में कश्मीरी पंडितों के लिए प्रस्तावित आवास में से केवल 17% का ही निर्माण पूरा किया जा सका है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License