NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
पर्यावरण
स्वास्थ्य
भारत
प्रदूषित नदियां: 'प्रदूषण मुक्त जल मौलिक अधिकार, राज्य इसे सुनिश्चित करने के लिये बाध्य हैं'
न्यायालय ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 21 में जीने के अधिकार और मानवीय गरिमा के साथ जीने के अधिकार का प्रावधान है। अनुच्छेद 21 में प्रदत्त मौलिक अधिकारों के व्यापक दायरे में शुद्ध पर्यावरण और प्रदूषण रहित पानी को भी संरक्षण प्रदान किया गया है।
भाषा
14 Jan 2021
प्रदूषित नदियां
प्रतीकात्मक तस्वीर

नयी दिल्ली: विषाक्त कचरा प्रवाहित होने की वजह से नदियों के प्रदूषित होने का संज्ञान लेते हुये उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को कहा कि प्रदूषण मुक्त जल नागरिकों का मौलिक अधिकार है और शासन यह सुनिश्चित करने के लिये बाध्य है। इसके साथ ही न्यायालय ने केन्द्र, केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और दिल्ली तथा हरियाणा सहित पांच राज्यों को नोटिस जारी किये।

प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी रामासुब्रमणियन की पीठ ने ‘रेमेडिएशन ऑफ पॉल्यूटेड रिवर्स’ शीर्षक से इस मामले को स्वत: संज्ञान लिये गये प्रकरण के रूप में पंजीकृत करने का निर्देश न्यायालय की रजिस्ट्री को दिया। पीठ ने कहा कि वह सबसे पहले यमुना नदी के प्रदूषण के मामले पर विचार करेगी।

न्यायालय ने इस मामले में वरिष्ठ अधिवक्ता मीनाक्षी अरोड़ा को न्याय मित्र नियुक्त करने के साथ ही इसे 19 जनवरी के लिये सूचीबद्ध किया है।

न्यायालय ने केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को इस नदी के किनारे स्थित उन नगरपालिकाओं की पहचान कर उनके बारे में रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया है, जिन्होंने मल शोधन संयंत्र नहीं लगाये हैं।

न्यायालय ने दिल्ली जल बोर्ड की एक याचिका पर सुनवाई के दौरान देश भर की नदियों के प्रदूषण की न्यायिक समीक्षा का दायरा बढ़ा दिया। दिल्ली जल बोर्ड का आरोप था कि हरियाणा से यमुना नदी में खतरनाक दूषित तत्वों वाला जल छोड़ा जा रहा है।

जल बोर्ड का आरोप था कि पड़ोसी राज्य हरियाणा द्वारा छोड़े जा रहे दूषित जल में अमोनिया की मात्रा बहुत ज्यादा और यह क्लोरीन के साथ मिलने के बाद कार्सिनोजेनिक बन जाता है।

पीठ ने अपने आदेश में कहा, ‘‘पेश याचिका में उठाये गये मुद्दे के अलावा भी उचित होगा कि सीवेज के दूषित कचरे से नदियों के प्रदूषित होने का स्वत: संज्ञान लिया जाये और यह सुनिश्चित किया जाये कि नदियों में सीवर का दूषित जल छोडने के मामले में नगरपालिकायें इस संबंध में अनिवार्य प्रावधान लागू करें।’’

न्यायालय ने कहा कि दिल्ली जल बोर्ड की याचिका दूषित जल छोड़े जाने के कारण यमुना नदी में अमोनिया का स्तर बढ़ने के बारे में है लेकिन इसमें आम जनता के लिये ही नहीं बल्कि सतही जल पर निर्भर रहने वाले सभी लोगों से संबंधित महत्वपूर्ण विषय उठाया गया है।’’

पीठ ने आदेश में कहा, ‘‘उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, दिल्ली और उत्तर प्रदेश को नोटिस जारी किये जायें। पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय और आवास एवं शहरी मामलों के मंत्रालयों के सचिवों और केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को भी नोटिस जारी किये जायें।’’

न्यायालय ने केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को यमुना नदी के साथ स्थित उन नगरपालिकाओं की पहचान करके रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया जिन्होंने अभी तक मल शोधन संयंत्र स्थापित नहीं किये हैं या जिनमें शोधन रहित जल प्रवाहित करने में अंतर व्याप्त है।

न्यायालय ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 21 में जीने के अधिकार और मानवीय गरिमा के साथ जीने के अधिकार का प्रावधान है। अनुच्छेद 21 में प्रदत्त मौलिक अधिकारों के व्यापक दायरे में शुद्ध पर्यावरण और प्रदूषण रहित पानी को भी संरक्षण प्रदान किया गया है।

न्यायालय ने अपने सात पेज के आदेश में 2017 के शीर्ष अदालत के फैसले का भी हवाला दिया और कहा है कि इसमें निर्देश दिया गया था कि इसमें ‘कॉमन कचरा शोधन संयत्र’ लगाने और ‘मलशोधन संयंत्र’ स्थापित करने के धन की व्यवस्था की योजना को 31 जनवरी, 2017 तक अंतिम रूप दिया जाये ताकि अगले वित्त वर्ष में इस पर अमल किया जा सके।

पीठ ने संविधान की योजनाओं का जिक्र करते हुये कहा कि प्रत्येक नागरिक का यह कर्तव्य है कि वह वनों, झीलों, नदियों और वन्यजीवों सहित प्राकृतिक वातावरण का संरक्षण करे और इसमें सुधार करे।

यमुना के जल में अमोनिया का स्तर बढ़ने पर दिल्ली जल बोर्ड आमतौर पर जलापूर्ति रोक देता है।

जल बोर्ड ने हाल ही में शीर्ष अदालत में याचिका दायर कर यह आरोप लगाया और हरियाणा को यह सुनिश्चित करने का निर्देश देने का अनुरोध किया कि नदी में प्रदूषण रहित जल छोड़ा जाये।

Polluted rivers
Pollution-free water
Fundamental right
water crises

Related Stories

ग्राउंड रिपोर्ट: जल के अभाव में खुद प्यासे दिखे- ‘आदर्श तालाब’

संकट: गंगा का पानी न पीने लायक़ बचा न नहाने लायक़!


बाकी खबरें

  • blast
    न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    हापुड़ अग्निकांड: कम से कम 13 लोगों की मौत, किसान-मजदूर संघ ने किया प्रदर्शन
    05 Jun 2022
    हापुड़ में एक ब्लायलर फैक्ट्री में ब्लास्ट के कारण करीब 13 मज़दूरों की मौत हो गई, जिसके बाद से लगातार किसान और मज़दूर संघ ग़ैर कानूनी फैक्ट्रियों को बंद कराने के लिए सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर रही…
  • Adhar
    अनिल जैन
    ख़बरों के आगे-पीछे: आधार पर अब खुली सरकार की नींद
    05 Jun 2022
    हर हफ़्ते की तरह इस सप्ताह की जरूरी ख़बरों को लेकर फिर हाज़िर हैं लेखक अनिल जैन
  • डॉ. द्रोण कुमार शर्मा
    तिरछी नज़र: सरकार जी के आठ वर्ष
    05 Jun 2022
    हमारे वर्तमान सरकार जी पिछले आठ वर्षों से हमारे सरकार जी हैं। ऐसा नहीं है कि सरकार जी भविष्य में सिर्फ अपने पहनावे और खान-पान को लेकर ही जाने जाएंगे। वे तो अपने कथनों (quotes) के लिए भी याद किए…
  • न्यूज़क्लिक डेस्क
    इतवार की कविता : एरिन हेंसन की कविता 'नॉट' का तर्जुमा
    05 Jun 2022
    इतवार की कविता में आज पढ़िये ऑस्ट्रेलियाई कवयित्री एरिन हेंसन की कविता 'नॉट' जिसका हिंदी तर्जुमा किया है योगेंद्र दत्त त्यागी ने।
  • राजेंद्र शर्मा
    कटाक्ष: मोदी जी का राज और कश्मीरी पंडित
    04 Jun 2022
    देशभक्तों ने कहां सोचा था कि कश्मीरी पंडित इतने स्वार्थी हो जाएंगे। मोदी जी के डाइरेक्ट राज में भी कश्मीर में असुरक्षा का शोर मचाएंगे।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License