NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
आंदोलन
शिक्षा
भारत
राजनीति
डीयू कैंपस खोलने की मांग और राष्ट्रीय शिक्षा नीति के विरोध में छात्र-शिक्षकों का प्रदर्शन
इस विरोध प्रदर्शन का आह्वान शिक्षक, छात्र, नौजवान और अन्य सामजिक संगठनों के संयुक्त मंच- ऑल इण्डिया फोरम फॉर राइट टू एजुकेशन (AIFRTE) ने किया।
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
08 Dec 2021
DU
(File photo)

दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति कार्यालय पर विश्वविद्यालय को तुरंत खोलने और राष्ट्रीय शिक्षा नीति और एफ़वाईयूपी को रद्द करने की मांग को लेकर छात्र शिक्षकों ने प्रदर्शन किया। इस विरोध प्रदर्शन का आह्वान शिक्षक, छात्र, नौजवान और अन्य सामजिक संगठनों के संयुक्त मंच ऑल इण्डिया फोरम फॉर राइट टू एजुकेशन (AIFRTE) ने की थी।

इस मंच में ऑल इण्डिया पेरेंट्स एसोसिशन(AIPA), ऑल इण्डिया स्टूडेंट एसोसिशन(आइसा), डेमोक्रटिक टीचर फ्रंट (डीटीएफ), क्रांतिकारी युवा संगठन (केवाईएस), स्टूडेंट फेडरेशन ऑफ़ इण्डिया (एसएफआई) सहित तामाम प्रगतिशील छात्र और नौजवान संगठन इस संयुक्त मंच का हिस्सा है।

कल यानी 7 दिसंबर 2021 मंगलवार को दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) कुलपति कार्यालय पर आयोजित प्रदर्शन में बड़ी संख्या में छात्रों ने भाग लिया। यह प्रदर्शन डीयू खोलने को लेकर और राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 और एफ़वाईयूपी के खिलाफ आयोजित किया गया था। विरोध प्रदर्शन में डीयू कुलपति का पुतला भी फूंका गया। साथ ही, कार्यकर्ताओं के एक प्रतिनिधिमंडल ने डीयू प्रशासनिक अधिकारियों से मुलाक़ात कर उन्हें अपनी मांगों का एक ज्ञापन भी सौंपा।

ज्ञात हो कि एनईपी 2020 पिछले साल मोदी सरकार द्वारा महामारी के दौरान लाया गया था। पिछले कई सालों से इसके विरोध के बावजूद पिछले साल लायी गयी।

केवाईएस ने इस नीति पर हमला बोलते हुए कहा कि यह नीति  आरएसएस, उद्योगों और कॉरपोरेट क्षेत्रों की अनुशंसाओं को खुले तौर पर शामिल किया गया है। नई शिक्षा नीति देश में शिक्षा की बिलकुल खस्ता हालत को बद-से-बदतर बनाएगी। मौजूदा दोहरी शिक्षा नीति के तहत प्राइवेट और सरकारी स्कूलों द्वारा समाज में गैरबराबरी बनी हुई है। एनईपी 2020 द्वारा भाजपा सरकार व्यवसायिक शिक्षा (वोकेशनल एजुकेशन) और अनौपचारिक शिक्षा के माध्यम से गैरबराबरी को बढ़ावा दे रही है, और गरीब और हाशिये के समुदायों के छात्रों को अनौपचारिक श्रम बाज़ार में धकेल रही है। उच्च शिक्षा के क्षेत्र में, शिक्षा के अनौपचारीकरण, फण्ड में कटौती, सीटों की संख्या घटाना, फीस बढ़ोतरी, आदि से बहुसंख्यक छात्र अच्छी और औपचारिक उच्च शिक्षा प्रणाली से वंचित होंगे।

उन्होंने दावा किया कि इस नीति के आने के एक साल बाद इसके द्वारा लाए प्रतिगामी बदलाव साफ देखे जा सकते हैं। अभी से इस नीति द्वारा कई प्रतिगामी बदलाव लाए गए हैं, उनका एक उदाहरण है यूनिवर्सिटी ग्रांट्स कमीशन (यूजीसी) द्वारा लाया गया ब्लेंडेड लर्निंग, जिसके तहत उच्च शिक्षण संस्थान सभी (स्वयं कोर्स के अलावा) कोर्स में 40% पाठ्यक्रम ऑनलाइन और 60% पाठ्यक्रम ऑफलाइन पढ़ा सकते हैं। प्रशासन द्वारा विश्वविद्यालय खोलने को लेकर विचार ही नहीं किया जा रहा है, जिसका कारण ऑनलाइन और अनौपचारिक शिक्षा को ही स्थापित करने की मंशा है।

छात्र संगठनों ने आशंका जताई कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत ही उच्च शिक्षण सनथनों में चार वर्षीय स्नातक कार्यक्रम (एफ़वाईयूपी) लाने की तैयारी है। एफ़वाईयूपी में मल्टिपल एक्ज़िट पॉइंट्स द्वारा वंचित छात्रों के ड्रॉपआउट का पूरी तरह से औपचारीकरण किया जा रहा है।  

छात्र संगठन एसएफआई ने कहा कि विश्वविद्यालय को बंद हुए  लगभग दो साल हो चुके हैं। पूरे कैंपस के छात्रों ने बार-बार प्रशासन को बताया है कि शिक्षा का ऑनलाइन तरीका कितना कठिन और भेदभाव पूर्ण है।

एसएफआई राज्य अध्यक्ष सुमित कटारिया ने अपने बयान में कहा कि आज एसएफआई और अन्य छात्र संगठनों द्वारा अनिश्चितकालीन धरना का एक महीना है, जिसमें वे वास्तविक कक्षाओं को फिर से शुरू करने और एफवाईयूपी और एनईपी जैसी छात्र विरोधी नीतियों को वापस लेने की मांग उठा रहे हैं। उनका कहना है सरकार कि इन नीतियों ने शिक्षा के व्यावसायीकरण और सांप्रदायिकरण का मार्ग प्रशस्त किया है। कैंपस को न खोलने को लेकर विश्वविद्यालय के अधिकारियों ने हमारी किसी भी चिंता का संतोषजनक समाधान नहीं किया है। जब बाजार, महानगर, सिनेमा हॉल और कार्यालय सामान्य स्थिति में वापस आ गए हैं और अपनी पूरी क्षमता से खुल रहे हैं, तो उच्च शिक्षा संस्थानों को क्यों बंद रखा है?  

एसएफआई दिल्ली के उपाध्यक्ष महफूज आलम ने कहा की, "डीयू को फिर से न खोलने के फैसले से छात्र  बुरी तरह प्रभावित हुआ है। ड्रॉपआउट रेट (पढाई छोड़ने वाले छात्रों की संख्या) में भारी वृद्धि हुई है। महिला छात्र और हाशिए के वर्गों से संबंधित लोग सबसे बुरी तरह प्रभावित हुए हैं।

उन्होंने आगे कहा विश्वविद्यालय को छात्रों के सामने आने वाली कठिनाइयों और उठाई जा रही मांगों का संज्ञान लेना चाहिए। कैंपसों को फिर से खोलना चाहिए और एनईपी, एफवाईयूपी जैसी सभी छात्र विरोधी नीतियों को तुरंत वापस लेना चाहिए।" 

सभी प्रगतिशील संगठनों ने एक साथ कहा कि आने वाले समय में भेदभावपूर्ण शिक्षा नीति के खिलाफ आंदोलन तेज करेंगे।

ये भी पढ़ें: लेडी श्रीराम कॉलेजः छात्रा को दी गई श्रद्धांजलि, आत्महत्या के एक साल बाद भी नहीं जागा प्रशासन

du
Delhi University (2919
Delhi University Students Protest
Delhi University Teachers Protest
Delhi University Teachers Association
NEP
National Education Policy

Related Stories

गैर-लोकतांत्रिक शिक्षानीति का बढ़ता विरोध: कर्नाटक के बुद्धिजीवियों ने रास्ता दिखाया

छात्र संसद: "नई शिक्षा नीति आधुनिक युग में एकलव्य बनाने वाला दस्तावेज़"

NEP भारत में सार्वजनिक शिक्षा को नष्ट करने के लिए भाजपा का बुलडोजर: वृंदा करात

नई शिक्षा नीति, सीयूसीईटी के ख़िलाफ़ छात्र-शिक्षकों ने खोला मोर्चा 

डीयू: एनईपी लागू करने के ख़िलाफ़ शिक्षक, छात्रों का विरोध

प्रत्यक्ष कक्षाओं की बहाली को लेकर छात्र संगठनों का रोष प्रदर्शन, जेएनयू, डीयू और जामिया करेंगे  बैठक में जल्द निर्णय

दिल्ली: डीयू के शिक्षकों का हल्ला बोल, मुख्यमंत्री आवास तक मार्च

दिल्ली विश्वविद्यालय: आर्ट्स फैकल्टी में शांतिपूर्ण प्रदर्शन करने वाले छात्रों पर एफआईआर

सहकर्मियों के वेतन भुगतान की मांग को लेकर डूटा ने की एक दिन की भूख हड़ताल

डीयू : हॉस्टल कर्फ़्यू, शोषण और वॉर्डन की मॉरल पुलिसिंग के ख़िलाफ़ छात्राओं का प्रदर्शन


बाकी खबरें

  • hafte ki baat
    न्यूज़क्लिक टीम
    मोदी सरकार के 8 साल: सत्ता के अच्छे दिन, लोगोें के बुरे दिन!
    29 May 2022
    देश के सत्ताधारी अपने शासन के आठ सालो को 'गौरवशाली 8 साल' बताकर उत्सव कर रहे हैं. पर आम लोग हर मोर्चे पर बेहाल हैं. हर हलके में तबाही का आलम है. #HafteKiBaat के नये एपिसोड में वरिष्ठ पत्रकार…
  • Kejriwal
    अनिल जैन
    ख़बरों के आगे-पीछे: MCD के बाद क्या ख़त्म हो सकती है दिल्ली विधानसभा?
    29 May 2022
    हर हफ़्ते की तरह इस बार भी सप्ताह की महत्वपूर्ण ख़बरों को लेकर हाज़िर हैं लेखक अनिल जैन…
  • राजेंद्र शर्मा
    कटाक्ष:  …गोडसे जी का नंबर कब आएगा!
    29 May 2022
    गोडसे जी के साथ न्याय नहीं हुआ। हम पूछते हैं, अब भी नहीं तो कब। गोडसे जी के अच्छे दिन कब आएंगे! गोडसे जी का नंबर कब आएगा!
  • Raja Ram Mohan Roy
    न्यूज़क्लिक टीम
    क्या राजा राममोहन राय की सीख आज के ध्रुवीकरण की काट है ?
    29 May 2022
    इस साल राजा राममोहन रॉय की 250वी वर्षगांठ है। राजा राम मोहन राय ने ही देश में अंतर धर्म सौहार्द और शान्ति की नींव रखी थी जिसे आज बर्बाद किया जा रहा है। क्या अब वक्त आ गया है उनकी दी हुई सीख को अमल…
  • अरविंद दास
    ओटीटी से जगी थी आशा, लेकिन यह छोटे फिल्मकारों की उम्मीदों पर खरा नहीं उतरा: गिरीश कसारावल्ली
    29 May 2022
    प्रख्यात निर्देशक का कहना है कि फिल्मी अवसंरचना, जिसमें प्राथमिक तौर पर थिएटर और वितरण तंत्र शामिल है, वह मुख्यधारा से हटकर बनने वाली समानांतर फिल्मों या गैर फिल्मों की जरूरतों के लिए मुफ़ीद नहीं है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License