NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
कानून
भारत
राजनीति
आरटीआई के 15 साल: 31% सूचना आयोगों में कोई प्रमुख नहीं, 2 लाख से अधिक मामले लंबित
अपील और शिकायतों की भारी संख्या के कारण मामलों के निपटान में देरी हुई है जिसने "इस क़ानून को निष्प्रभावी बना दिया है।"
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
13 Oct 2020
आरटीआई

सोमवार को सूचना के अधिकार क़ानून के 15 साल पूरे होने पर एक फैक्टशीट से पता चला है कि वर्तमान में लगभग एक तिहाई सूचना आयोगों में उसके प्रमुख नहीं है और 2 लाख से अधिक अपील और शिकायतें लंबित हैं।

केंद्रीय स्तर (केंद्रीय सूचना आयोग) और राज्य स्तर (राज्य सूचना आयोग) में सूचना आयोगों (आईसीएस) को स्थापित किए जाते हैं। इन्हें लोगों के मौलिक सूचना के अधिकार और अपीलीय निकायों के रूप में कार्य करने के लिए सुविधा प्रदान करने और सुरक्षित रखने का काम सौंपा गया है। आयोगों के पास व्यापक अधिकार हैं - यह सरकारी अधिकारियों को सूचना प्रदान करने, पब्लिक इनफॉर्मेशन ऑफिसर (पीआईओ) को नियुक्त करने, जांच का आदेश देने और अधिकारियों को दंडित करने के लिए दबाव डाल सकता है।

सतर्क नागरिक संगठन द्वारा प्रकाशित ‘रिपोर्ट कार्ड’के अनुसार विभिन्न राष्ट्रीय आकलन से आरटीआई का अनुभव बताता है कि आईसीएस का कामकाज आरटीआई क़ानून के प्रभावी कार्यान्वयन में एक बड़ी अड़चन है। "

रिपोर्ट में पाया गया है कि 29 में से 9 आईसी वर्तमान में किसी प्रमुख के बिना काम कर रहे हैं। ये केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) और उत्तर प्रदेश, राजस्थान, गोवा, मणिपुर, तेलंगाना, झारखंड, त्रिपुरा और नागालैंड के राज्य सूचना आयोग (एसआईसी) हैं।

ये सीआईसी 27 अगस्त 2020 से बिना किसी प्रमुख के काम कर रहे हैं। इसके अलावा, झारखंड और त्रिपुरा के एसआईसी पूरी तरह से निष्क्रिय हैं, क्योंकि पिछले आयुक्तों द्वारा कार्यालय छोड़ने के बाद नए आयुक्तों की नियुक्ति नहीं की गई है।

इसके अलावा, बड़ी संख्या में अपील और शिकायतों के कारण मामलों के निपटान में अनुचित देरी हुई है, जिसको लेकर ये रिपोर्ट कहती है कि "क़ानून को अप्रभावी बना दिया है।" सीआईसी और एसआईसी में सूचना आयुक्तों की नियुक्ति के लिए समय पर कार्रवाई करने में केंद्र और राज्य सरकारों की विफलता को शिकायतों की भारी संख्या होने के प्राथमिक कारणों में से एक के रूप में बताया गया है।

आरटीआई अधिनियम के अनुसार, सूचना आयोगों में एक मुख्य सूचना आयुक्त और 10 सूचना आयुक्त होते हैं। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि आईसीएस के कामकाज के क्रमिक आकलन से पता चला है कि "कमीशन के लिए नियुक्तियां समय पर नहीं की जाती हैं, जिसके परिणामस्वरूप बड़ी संख्या में पद रिक्त होते हैं।"

इन रिपोर्ट के निष्कर्षों के अनुसार, इस साल 21 सूचना आयोगों द्वारा 1 अप्रैल 2019 और 31 जुलाई के बीच 1,78,749 अपीलें और शिकायतें दर्ज की गईं जिनके लिए प्रासंगिक जानकारी उपलब्ध थी। इसी अवधि में, 22 आयोगों द्वारा लगभग दो लाख मामलों का निपटारा किया गया।

20 आईसी में 31 जुलाई, 2020 तक लंबित अपीलों और शिकायतों की संख्या, जिनसे डेटा प्राप्त किया गया था, वे 2,21,568 थे। रिपोर्ट में कहा गया है, "पिछले साल के निष्कर्षों की तुलना में ये बैकलॉग लगातार बढ़ रहा है।"

आयोगों में लंबित मामलों और औसत मासिक निपटान दर का उपयोग करते हुए, इस रिपोर्ट ने आंकलन किया कि क़रीब नौ आईसी को ये अपील या शिकायत के निपटान के लिए एक वर्ष से अधिक समय लगेगा। निचले स्तर पर ओडिशा एसआईसी है, जिसे मामले को निपटाने में 7 साल और 8 महीने लगेंगे। झारखंड एसआईसी में इसे 4 साल और 1 महीने का समय लगेगा, जबकि महाराष्ट्र, राजस्थान और नागालैंड में 2 साल या उससे अधिक समय लगेगा।

इस रिपोर्ट में आगे कहा गया है, "इस क़ानून के उचित कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने के लिए अपनी शक्तियों का प्रयोग करने के मामले में सूचना आयोगों का प्रदर्शन आरटीआई समुदाय के लिए बहुत बड़ी चिंता का कारण है।

इस क़ानून के उल्लंघन के लिए दोषी अधिकारियों पर जुर्माना लगाने के मामले में आयोगों को बेहद अनिच्छुक पाया गया है।

आरटीआई अधिनियम लोक सूचना अधिकारियों को गलत करने पर आईसीएस को 25,000 रुपये तक का जुर्माना लगाने और इस क़ानून के उल्लंघन के ख़िलाफ़ एक प्रमुख निवारक के रूप में कार्य करने का अधिकार देता है।

जिन 18 आयोगों ने प्रासंगिक जानकारी प्रदान की उसने 1 अप्रैल 2019 से 31 जुलाई 2020 के बीच कुल 1,995 मामलों में जुर्माना लगाया गया।

आईसीएस के आदेशों के रैंडम सैंपल पर किए गए पिछले आंकलन में पाया गया था कि आरटीआई अधिनियम की धारा 20 में सूचीबद्ध औसतन 59% आदेशों में एक या अधिक उल्लंघन दर्ज किए गए हैं, जिसे जुर्माना लगाने की प्रक्रिया में आगे बढ़ना चाहिए था। रिपोर्ट कार्ड में कहा गया है, "अगर 59% के इस अनुमान का उपयोग किया जाता है, तो 16 आईसी द्वारा निपटाए गए 89,560 मामलों में से 52,840 मामलों में जुर्माना लगाया जाए।" इसमें आगे कहा गया है कि आईसीएस ने इसलिए 96% से अधिक मामलों में जुर्माना नहीं लगाया गया था जहां जुर्माना लगाए जाने योग्य था।

इसके अलावा, 29 में से 25 आईसीएस ने 2019 के लिए अपनी वार्षिक रिपोर्ट प्रकाशित नहीं की थी। इस रिपोर्ट के अनुसार, "दुर्भाग्य से, पारदर्शिता का पहरेदार खुद देश के लोगों के लिए पारदर्शी और जवाबदेह होने के मामले में एक बेहतर ट्रैक रिकॉर्ड नहीं रखता है।"  

अंग्रेज़ी में प्रकाशित मूल लेख को यहां क्लिक कर पढ़ा जा सकता है।

RTI after 15 Years: No Head in 31% Information Commissions, Over 2 Lakh Matters Pending

Satark Nagarik Sangathan
RTI
CIC
UPA
NDA

Related Stories

आरटीआई अधिनियम का 16वां साल: निष्क्रिय आयोग, नहीं निपटाया जा रहा बकाया काम

मोदी राज में सूचना-पारदर्शिता पर तीखा हमला ः अंजलि भारद्वाज

क्या खान मंत्रालय ने खनन सुधारों पर अहम सुझावों की अनदेखी की?


बाकी खबरें

  • संदीपन तालुकदार
    वैज्ञानिकों ने कहा- धरती के 44% हिस्से को बायोडायवर्सिटी और इकोसिस्टम के की सुरक्षा के लिए संरक्षण की आवश्यकता है
    04 Jun 2022
    यह अध्ययन अत्यंत महत्वपूर्ण है क्योंकि दुनिया भर की सरकारें जैव विविधता संरक्षण के लिए अपने  लक्ष्य निर्धारित करना शुरू कर चुकी हैं, जो विशेषज्ञों को लगता है कि अगले दशक के लिए एजेंडा बनाएगा।
  • सोनिया यादव
    हैदराबाद : मर्सिडीज़ गैंगरेप को क्या राजनीतिक कारणों से दबाया जा रहा है?
    04 Jun 2022
    17 साल की नाबालिग़ से कथित गैंगरेप का मामला हाई-प्रोफ़ाइल होने की वजह से प्रदेश में एक राजनीतिक विवाद का कारण बन गया है।
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    छत्तीसगढ़ : दो सूत्रीय मांगों को लेकर बड़ी संख्या में मनरेगा कर्मियों ने इस्तीफ़ा दिया
    04 Jun 2022
    राज्य में बड़ी संख्या में मनरेगा कर्मियों ने इस्तीफ़ा दे दिया है। दो दिन पहले इन कर्मियों के महासंघ की ओर से मांग न मानने पर सामूहिक इस्तीफ़े का ऐलान किया गया था।
  • bulldozer politics
    न्यूज़क्लिक टीम
    वे डरते हैं...तमाम गोला-बारूद पुलिस-फ़ौज और बुलडोज़र के बावजूद!
    04 Jun 2022
    बुलडोज़र क्या है? सत्ता का यंत्र… ताक़त का नशा, जो कुचल देता है ग़रीबों के आशियाने... और यह कोई यह ऐरा-गैरा बुलडोज़र नहीं यह हिंदुत्व फ़ासीवादी बुलडोज़र है, इस्लामोफ़ोबिया के मंत्र से यह चलता है……
  • आज का कार्टून
    कार्टून क्लिक: उनकी ‘शाखा’, उनके ‘पौधे’
    04 Jun 2022
    यूं तो आरएसएस पौधे नहीं ‘शाखा’ लगाता है, लेकिन उसके छात्र संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) ने एक करोड़ पौधे लगाने का ऐलान किया है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License