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राजस्थान: एक सप्ताह के भीतर दुष्कर्म के आधा दर्जन से अधिक मामले दर्ज, गहलोत सरकार की क़ानून व्यवस्था फेल!
विधानसभा चुनाव में कानून व्यवस्था के मुद्दे पर जीत दर्ज करने वाली कांग्रेस की गहलोत सरकार अब इस मामले में खुद भी विफल ही नज़र आ रही है। राजस्थान में एक के बाद एक सामने आ रही बलात्कार और हत्या की घटनाएं प्रदेश की कानून व्यवस्था की पोल-पट्टी खोल ही रही हैं।
सोनिया यादव
14 Aug 2021
राजस्थान: एक सप्ताह के भीतर दुष्कर्म के आधा दर्जन से अधिक मामले दर्ज, गहलोत सरकार की क़ानून व्यवस्था फेल!
Image courtesy : Feminism in India

जयपुर के नरेला इलाके में एक 4 साल की मासूम के साथ रेप और हत्या का मामला सामने आया है। एक दिन पहले रात 9 बजे बच्ची घर से गायब हो गई और फिर अगली सुबह उसका तैरता हुआ शव तालाब से बरामद किया गया। बच्ची के पोस्टमार्टम रिपोर्ट में दुष्कर्म की पुष्टि हुई है। इससे पहले प्रदेश भी प्रदेश के कई जिलों से कुछ ऐसी खबरें ही सामने आईं थी। राजस्थान में एक के बाद एक सामने आ रही बलात्कार और हत्या की घटनाएं कांग्रेस की अशोक गहलोत सरकार की कानून व्यवस्था की पोल-पट्टी तो खोल ही रही हैं साथ ही सीएम साहब के महिला सुरक्षा के वादे और इरादे दोनों पर गंभीर सवाल भी खड़े कर रही हैं।

आपको बता दें कि राज्य में पिछले एक हफ्ते में सात से ज्यादा रेप के मामले दर्ज किए जा चुके हैं। बीते शनिवार, 7 अगस्त को नागौर मेड़ता में 14 साल की नाबालिग के साथ गैंगरेप की घटना सामने आई थी। खबरों के मुताबिक14 साल की एक बच्ची अपने खेत पर जाने के लिए पैदल चल रही थी कि तभी कार सवार दो युवक पीछे से आए और उसे जबरदस्ती अपनी कार में खींचकर बैठा लिया। आरोपियों ने पास के एक गांव से अपने एक और साथी को कार में बैठा लिया और नाबालिग बच्ची के साथ अश्लील हरकतें करते हुए उसे NH 89 पर 20 किलोमीटर आगे बबूल कि झाड़ियों में ले गए और वहां तीनों आरोपियों ने उससे बारी-बारी दुष्कर्म किया। इसके बाद आरोपी देर शाम नाबलिग को एक तालाब के पास फेंककर भाग गए।

सप्ताह भर में आधा दर्जन से अधिक मामले हुए रिपोर्ट

इसके अलावा इस हफ्ते बाड़मेर के सरनू गांव में फिर एक महिला के साथ रेप का मामला दर्ज किया गया। अलवर में एक16 वर्षीय दलित नाबालिग से गैंगरेप किया गया। उसका अश्लील वीडियो भी बनाया गया। उसी वीडियो को वायरल करने की धमकी दी गई। ऐसा नहीं करने की धमकी देते हुए तीन बार गैंगरेप किया।

झुंझुनू के चिड़ावा थाना इलाके में भी एक 14 साल की बच्ची को जबरन बंधक बनाकर दुष्कर्म करने का मामला सामने आया। यही नहीं, आरोपी ने पीड़िता के भाई की मिन्नतों के बावजूद भी दो घंटे तक कमरे का दरवाजा नहीं खोला और नाबालिग से दुष्कर्म करता रहा। अजमेर में भी महिला से गैंगरेप की पुष्टि हुई। दौसा में एक चाचा और पिता पर नाबालिग से रेप का आरोप लगा, वहीं जयपुर के सोडाला थाने में भी एक गैंगरेप का मामला दर्ज कराया गया।

आपको बता दें कि विधानसभा चुनाव में कानून व्यवस्था के मुद्दे पर जीत दर्ज करने वाली कांग्रेस की गहलोत सरकार इस मामले में खुद भी विफल ही नज़र आती है। कई बार बीजेपी शासित राज्यों में हो रहे अपराधों पर उंगली उठाने में तेज़ कांग्रेस अपने घर में झांकना भूल जाती है। सरकारी जानकारी के मुताबिक साल 2015 से 2019 के बीच राजस्थान में 20,937 बलात्कार के मामले दर्ज हुए लेकिन सरकार लगातार अच्छी कानून व्यवस्था का ढ़ोल पीटती रही।

विपक्ष का आरोप- बलात्कार की घटनाओं में 25 प्रतिशत की वृद्धि

वैसे बीजेपी कई बार प्रदेश में महिला सुरक्षा के मुद्दे पर गहलोत सरकार को घेर चुकी है। बीते महीने ही बीजेपी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर ना सिर्फ इस मुद्दे को उठाया बल्कि राज्य की कांग्रेस सरकार पर जमकर बरसे भी। राजस्थान विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष गुलाब चंद कटारिया ने कहा कि राज्य में पिछले सात माह में जुलाई 2021 तक बलात्कार की घटना में 25 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।

कटारिया ने संवाददाताओं से कहा, "राजस्थान में जुलाई 2020 में बलात्कार के 2972 मामले दर्ज किये गये थे वहीं जुलाई 2021 में 3717 मामले दर्ज किये गये। इसका मतलब राजस्थान में इन सात महीनों में दो सालों की तुलना में बलात्कार की घटना में 25 प्रतिशत बढ़ोतरी हुई है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘इसी तरह से अपहरण में 31.62 प्रतिशत की वृद्धि हुई हैं और महिला अपराधों में अनुसूचित जाति/जनजाति अपराध की दृष्टि से 28 प्रतिशत बढ़े हैं।’’

कटारिया ने कहा कि राहुल गांधी सहित कांग्रेस नेता अन्य राज्यों में बलात्कार की घटनाओं की बात करते हैं लेकिन जब राजस्थान की बात आती है तो कोई नेता बात करने को तैयार नहीं है। राज्य में आपराधिक मामलों में बेतहाशा वृद्धि हुई है और कानून व्यवस्था पर कोई निगरानी नहीं हो रही है।

पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने भी ट्वीट कर राज्य सरकार को घेरा। उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरकार भले ही बंद एसी कमरों में बैठकर महिला सुरक्षा के वादे कर रही हो, लेकिन यहां तो दुष्कर्म की वारदातें रुक नहीं रही हैं।

इससे पहले कानून व्यवस्था और महिला सुरक्षा को लेकर राज्यवर्धन सिंह राठौर और नुपूर शर्मा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर राज्य में महिलाओं के खिलाफ बढ़ते अपराध को कांग्रेस कल्चर करार दिया था। बीजेपी यहां कांग्रेस को बार-बार उसी की भाषा में जवाब दे रही है, हालांकि गहलोत सरकार इसके बावजूद सिर्फ योजनाओं के नाम पर पूरे मामले को टालने की कोशिश में लगी है।

राजस्थान में रोज़ाना 16 दुष्कर्म की घटनाएं

राष्‍ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्‍यूरो यानी एनसीआरबी को आंकड़ों के मुताबिक राजस्थान में रोजाना 16 दुष्कर्म की घटनाएं हो रही हैं। जिसमें 4 नाबालिग लड़कियों के साथ हो रहे अपराध भी शामिल हैं। राजस्थान में साल 2019 में 5997 दुष्कर्म के मामले दर्ज हुए है, जिसमें 1313 नाबालिग बच्चियों के खिलाफ हुए अपराध दर्ज हुए हैं। हालांकि स्थानीय कार्यकर्ताओं के मुताबिक ये वो मामले हैं जहां महिलाएं बड़ी मुश्किल से घर से बाहर निकलकर पुलिस के पास शिकायत देने पहुंचती हैं, लेकिन कई बार पुलिस की ओर से मामले दर्ज ही नहीं किये जाते। जिसके बाद महिला को परेशान होकर कोर्ट के चक्कर लगाने पड़ते हैं। कोर्ट की दखल के बाद थानों में मुकदमे दर्ज होते हैं।

स्थानीय पत्रकार और सामाजिक कार्यकर्ता अजय जाखड़ इस पूरे मामले को सरकारों की राजनीति का नाम देते हुए बताते हैं कि राज्य में कानून व्यवस्था बीते कई सालों से चरमराई हुई है। फिर पिछली बीजेपी की वसुंधरा राजे सरकार हो या अब की गहलोत सरकार सबके चुनावी वादे खोखले ही साबित होते हैं।

सरकार और पुलिस का रवैया चिंताजनक

अजय के मुताबिक अपराध रोकने के लिए स्थानीय स्तर पर व्यवस्था मजबूत करनी होगी। लोगों का पुलिस प्रशासन में विश्वास जगाना होगा, ताकि वो आगे आकर अपने खिलाफ हो रहे अत्याचार की जानकारी दे सकें और पुलिस भी मामले में सही एक्शन ले। ज्यादातर मामलों में पुलिस का रवैया परेशान करने वाला ही रहता है।

वूमन प्रोटेक्शन संस्था से जुड़ी सुप्रिया सारड़ा मानती हैं कि राज्य में कानून व्यवस्था को ठीक करने के लिए नई स्कीम से ज्यादा जरूरी पुरानी योजनाओं को सही तरीके से क्रियान्वयन में लाना है।

श्वेता के मुताबिक सरकार नई योजनाओँ के नाम पर अपने नंबर बना लेती है लेकिन वास्तव में बदलता कुछ भी नहीं है। महिला सुरक्षा को लेकर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने #SpeakUpForWomenSafety मुहिम की शुरुआत तो की लेकिन सरकार इसे ठीक से अमल में नहीं ला पा रही है। इससे पहले महिलाओँ के सम्मान में वसुंधरा राजे सरकार ने भी बहुत कुछ शुरू किया लेकिन महिलाओं के लिए तब भी कुछ नहीं बदला और अब भी कुछ नहीं बदल पा रहा।

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