NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
साबरमती आश्रम के रीडेवलपमेंट प्लान को जानी-मानी हस्तियों ने बताया ‘गांधी की दूसरी हत्या जैसा'!
खुला पत्र लिखने वालों में महात्मा गांधी के परपोते राजमोहन गांधी, लेखक जीएन देवी, फिल्ममेकर आनंद पटवर्धन, स्वाधीनता सेनानी जीजी पारीख, लेखक और जवाहरलाल नेहरू की भतीजी नयनतारा सहगल, इतिहासकार रामचंद्र गुहा, हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज एपी शाह, पत्रकार पी साईनाथ, कर्नाटक संगीत से जुड़े टीएम कृष्णा जैसे बड़े नाम शामिल हैं।
सोनिया यादव
06 Aug 2021
साबरमती आश्रम के रीडेवलपमेंट प्लान को जानी-मानी हस्तियों ने बताया ‘गांधी की दूसरी हत्या जैसा'!

"साबरमती आश्रम और गांधी अहमदाबाद के नहीं, गुजरात के नहीं, यहां तक कि भारत के भी नहीं, बल्कि जन्म लेने वाले या अजन्मे हर इंसान के हैं। एक राजनेता, जिसका पूरा जीवन गांधी के खिलाफ रहा है, और एक वास्तुकार, जिसकी प्रमुख योग्यता उस राजनेता से निकटता है, उसे महात्मा से जुड़े सबसे पवित्र स्थानों के साथ खिलवाड़ करने का कोई अधिकार नहीं है।”

ये शब्द प्रसिद्ध इतिहासकार रामचंद्र गुहा के हैं। उन्होंने बीते महीने जुलाई में अंग्रेजी अखबार 'द टेलीग्राफ' में सेंकेंड असेसिनेशन नाम से एक लेख लिखा था। इस लेख में उन्होंने साबरमती आश्रम में बिताए अपने अनुभवों को साझा करते हुए गुजरात 2002 में हुए दंगों का जिक्र किया था, साथ ही गांधी आश्रम मेमोरियल डेवलपमेंट प्रोजेक्ट पर कई सवाल भी उठाए थे। अब गुहा के साथ-साथ देश में अलग-अलग क्षेत्रों की 130 हस्तियों ने एक खुला पत्र लिखकर इस प्रोजेक्ट का विरोध किया है। पत्र में कहा है कि साबरमती आश्रम जैसी ऐतिहासिक जगह से नवीनीकरण के नाम पर छेड़छाड़ करना इसकी पवित्रता को नुकसान पहुंचाने जैसा होगा।

100 से अधिक जानी-मानी हस्तियों ने विरोध में लिखा खुला पत्र

आपको बता दें कि बापू की अमूल्य धरोहर और स्वाधीनता संग्राम का साक्षी रहा साबरमती आश्रम एक बार फिर सुर्खियों में है। केंद्र की नरेंद्र मोदी और गुजरात की विजय रूपाणी सरकार साबरमती आश्रम का रीडेवलपमेंट करना चाहती हैं यानी इसे नए सिरे से संवारना चाहती है। इसके लिए 1200 करोड़ रुपये का बजट भी रखा जा रहा है। लेकिन इतिहासकार और कई अन्य जानकार इस रीडेवलपमेंट प्रोजेक्ट से खुश नहीं हैं। सरकार की नीति और नीयत में फर्क देख रहे हैं, सो इस प्रोजेक्ट का विरोध भी शुरू हो गया है।

इस प्रोजेक्ट के विरोध में खुला पत्र लिखने वालों में महात्मा गांधी के परपोते राजमोहन गांधी, लेखक जीएन देवी, फिल्ममेकर आनंद पटवर्धन, स्वाधीनता सेनानी जीजी पारीख, लेखक और जवाहरलाल नेहरू की भतीजी नयनतारा सहगल, इतिहासकार रामचंद्र गुहा, हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज एपी शाह, पत्रकार पी साईनाथ, कर्नाटक संगीत से जुड़े टीएम कृष्णा, वरिष्ठ पत्रकार प्रकाश शाह, अनुराधा भसीन, लेखिका गीता हरिहरन, रिटायर्ड आईएएस और शांति कार्यकर्ता हर्ष मंदर, पूर्व मुख्य सूचना आयुक्त वजाहत हबीबुल्लाह जैसे बड़े नाम शामिल हैं।

पत्र में क्या लिखा है?

पत्र में साबरमती आश्रम का ये रीडेवलपमेंट प्लान महात्मा गांधी की दूसरी हत्या जैसा बताया गया है। साथ ही लिखा गया है कि ये महात्मा गांधी और स्वाधीनता संग्राम की विरासत है, स्मारक है। सुंदरीकरण और वाणिज्यीकरण में ये कहीं खोकर रह जाएगा।

लाखों पर्यटकों का उल्लेख करते हुए पत्र में कहा गया है कि हर साल लाखों भारतीयों के अलावा विदेश से भी लोग साबरमती आश्रम आते हैं। लोगों को आकर्षित करने के लिए इस जगह को कभी वर्ल्ड क्लास मेकओवर की ज़रूरत नहीं पड़ी। इस जगह का आकर्षण इसकी वास्तविकता और सादगी में है, जो इसे गांधी से जोड़ता है, 1200 करोड़ रुपये के प्रोजेक्ट में ये सादगी गुम हो जाएगी।

स्मृतियों को व्यवसायीकरण से जोड़ते हुए तमाम हस्तियों ने लिखा है कि ये कहा जा रहा है कि प्रोजेक्ट प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री की सीधी निगरानी में पूरा होगा। लेकिन ये प्रोजेक्ट मौजूदा सरकार के उस प्रयास का हिस्सा लगता है, जिसके तहत वे गांधी से जुड़ी सभी स्मृतियों का व्यवसायीकरण कर देना चाहते हैं।

पत्र में ये भी कहा गया है कि चूंकि महात्मा गांधी की हत्या करने वालों की जो विचारधारा थी, उससे सहमति रखने वाले कई लोग इस सरकार में भी हैं, इसलिए इन तमाम बातों को नज़रअंदाज नहीं किया जा सकता।

‘एक देश, एक आर्किटेक्ट’ पर सवाल

इतिहासकारों और तमाम अन्य हस्तियों ने जो पत्र लिखा है, उसमें इस बात पर भी सवाल उठाए गए हैं कि गुजरात सरकार से लेकर केंद्र सरकार तक की तमाम योजनाएं एचसीपी डिज़ाइन्स को ही क्यों दी जाती हैं। पत्र में सवाल उठाया गया है कि क्या अब हम ‘एक देश, एक आर्किटेक्ट’ की दिशा में भी आगे बढ़ रहे हैं।

मालूम हो कि एचसीपी डिज़ाइन्स गुजरात के आर्किटेक्ट बिमल पटेल की कंपनी है। वाराणसी के काशी विश्वनाथ कॉरिडोर से लेकर दिल्ली के सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट तक के काम इस कंपनी के पास आ चुके हैं। जिसे लेकर पत्र में लिखा गया है, “संभव है कि इस कंपनी का काम बहुत अच्छा हो लेकिन फिर भी एक ही कंपनी को बार-बार काम मिलना सवाल खड़े करता है। बिमल पटेल की खड़ी की कोई भी कंक्रीट बिल्डिंग खादी के उस कपड़े से बेहतर नहीं होगी।”

गौरतलब है कि गांधी आश्रम को वर्ल्ड क्लास मेमोरियल बनाने का ये प्रोजेक्ट गुजरात सरकार का है। इसी साल मार्च में मुख्यमंत्री विजय रूपाणी की अध्यक्षता वाली समिति ने इस प्रोजेक्ट को मंजूरी दी थी। साबरमती रिवरफ्रंट डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन लिमिटेड और अहमदाबाद म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन को ये प्रोजेक्ट पूरा कराने की ज़िम्मेदारी दी गई है, जिसकी प्रस्तावित लागत 1200 करोड़ रुपये बताई जा रही है। इस प्रोजेक्ट के तहत साबरमती आश्रम रोड के दोनों तरफ निर्माण कार्य होने हैं।

आश्रम अभी करीब 18 एकड़ भूमि में फैला है, जिसे साबरमती आश्रम प्रिवेंशन एंड मेमोरियल ट्रस्ट (SAPMT) मैनेज करता है। नए प्लान के मुताबिक इसका करीब 5 एकड़ की भूमि में विस्तार किया जाएगा, जहां पर गांधी आश्रम मेमोरियल के रूप में इसे डेवलेप किया जाएगा। गांधी आश्रम के अलावा इसमें कथित तौर पर फूड प्लाजा से लेकर अन्य बिल्डिंग बनाए जाने और टूरिस्ट स्पॉट की तरह विकसित किए जाने की योजना है।

ठंडी, कंकरीट की संरचनाएं गांधी के साबरमती से मेल नहीं खातीं

इस पूरे प्रोजेक्ट को लेकर रामचंद्र गुहा का कहना है कि एक ऐसी सत्ता जो अपनी सौंदर्यवादी बर्बरता और स्मारकवाद के लिए जानी जाती हो, वह यदि साबरमती आश्रम के संदर्भ में विश्व स्तरीय शब्द का इस्तेमाल करे, तो रीढ़ में कंपकपी होने लगती है। इसके लिए जिस आर्किटेक्ट बिमल पटेल को चुना गया है, उनका काम कुछ खास नहीं है। उनकी ठंडी, कंकरीट की संरचनाएं गांधी के साबरमती और सेवाग्राम आश्रमों के घरों और आवासों से मेल नहीं खातीं।

इतिहारकार गुहा की बातों से ही मेल खाती कई और बातें इस पत्र में लिखी गई हैं, जो जाहिर तौर पर सरकार को परेशान कर सकती हैं। हालांकि इससे पूर्व भी सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट को लेकर कई आपत्तियां सामने आईं थी लेकिन सरकार ने बिना किसी चिंता के कोरोना काल में भी प्रोजेक्ट को चालू रखा, जो ये दिखाता है कि सरकार के लिए ये विरोध कोई खास मायने नहीं रखते, अगर कुछ मायने रखता है तो वो है सरकार का अपना नज़रिया, फिर वो लोकहित में हो या केवल सरकार हित में।

Gujarat
Sabarmati Ashram
Mahatma Gandhi
Hriday Kunj
Modern history
Gandhi RSS
gujrat government
Rajmohan Gandhi
World class memorial

Related Stories

गुजरात: भाजपा के हुए हार्दिक पटेल… पाटीदार किसके होंगे?

गुजरात: पार-नर्मदा-तापी लिंक प्रोजेक्ट के नाम पर आदिवासियों को उजाड़ने की तैयारी!

हार्दिक पटेल ने कांग्रेस से इस्तीफ़ा दिया

वैष्णव जन: गांधी जी के मनपसंद भजन के मायने

कांग्रेस चिंता शिविर में सोनिया गांधी ने कहा : गांधीजी के हत्यारों का महिमामंडन हो रहा है!

खंभात दंगों की निष्पक्ष जाँच की मांग करते हुए मुस्लिमों ने गुजरात उच्च न्यायालय का किया रुख

गुजरात: मेहसाणा कोर्ट ने विधायक जिग्नेश मेवानी और 11 अन्य लोगों को 2017 में ग़ैर-क़ानूनी सभा करने का दोषी ठहराया

ज़मानत मिलने के बाद विधायक जिग्नेश मेवानी एक अन्य मामले में फिर गिरफ़्तार

कौन हैं ग़दरी बाबा मांगू राम, जिनके अद-धर्म आंदोलन ने अछूतों को दिखाई थी अलग राह

गाँधी पर देशद्रोह का मामला चलने के सौ साल, क़ानून का ग़लत इस्तेमाल जारी


बाकी खबरें

  • मनोलो डी लॉस सैंटॉस
    क्यूबाई गुटनिरपेक्षता: शांति और समाजवाद की विदेश नीति
    03 Jun 2022
    क्यूबा में ‘गुट-निरपेक्षता’ का अर्थ कभी भी तटस्थता का नहीं रहा है और हमेशा से इसका आशय मानवता को विभाजित करने की कुचेष्टाओं के विरोध में खड़े होने को माना गया है।
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    आर्य समाज द्वारा जारी विवाह प्रमाणपत्र क़ानूनी मान्य नहीं: सुप्रीम कोर्ट
    03 Jun 2022
    जस्टिस अजय रस्तोगी और बीवी नागरत्ना की पीठ ने फैसला सुनाते हुए कहा कि आर्यसमाज का काम और अधिकार क्षेत्र विवाह प्रमाणपत्र जारी करना नहीं है।
  • सोनिया यादव
    भारत में धार्मिक असहिष्णुता और पूजा-स्थलों पर हमले को लेकर अमेरिकी रिपोर्ट में फिर उठे सवाल
    03 Jun 2022
    दुनिया भर में धार्मिक स्वतंत्रता पर जारी अमेरिकी विदेश मंत्रालय की रिपोर्ट भारत के संदर्भ में चिंताजनक है। इसमें देश में हाल के दिनों में त्रिपुरा, राजस्थान और जम्मू-कश्मीर में मुस्लिमों के साथ हुई…
  • बी. सिवरामन
    भारत के निर्यात प्रतिबंध को लेकर चल रही राजनीति
    03 Jun 2022
    गेहूं और चीनी के निर्यात पर रोक ने अटकलों को जन्म दिया है कि चावल के निर्यात पर भी अंकुश लगाया जा सकता है।
  • अनीस ज़रगर
    कश्मीर: एक और लक्षित हत्या से बढ़ा पलायन, बदतर हुई स्थिति
    03 Jun 2022
    मई के बाद से कश्मीरी पंडितों को राहत पहुंचाने और उनके पुनर्वास के लिए  प्रधानमंत्री विशेष पैकेज के तहत घाटी में काम करने वाले कम से कम 165 कर्मचारी अपने परिवारों के साथ जा चुके हैं।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License