NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
कश्मीर से बेचैन कर देने वाली रिपोर्ट
कश्मीर घाटी की जनता—कितनी विकट, ख़ौफ़नाक व जानलेवा स्थितियों में रहती है, इसका अंदाज़ा लगा पाना ग़ैर-कश्मीरियों के लिए लगभग असंभव है।
अजय सिंह
22 Dec 2020
कश्मीर

केंद्र-शासित राज्य जम्मू-कश्मीर की जनता—ख़ासकर कश्मीर घाटी की जनता—कितनी विकट, ख़ौफ़नाक व जानलेवा स्थितियों में रहती है, इसका अंदाज़ा लगा पाना ग़ैर-कश्मीरियों के लिए लगभग असंभव है। कश्मीरी जनता के साथ भारतीय सेना के सलूक के बारे में ख़बरें बीच-बीच में आती रहती हैं। लेकिन तथाकथित मुख्यधारा समाचार माध्यम (मीडिया) में भारत के शासक वर्ग के लिए ऐसी ‘असुविधाजनक’ ख़बरों के लिए जगह लगातार कम होती चली गयी है।

नवंबर 2020 के आख़िरी हफ़्ते में जम्मू-कश्मीर की राजधानी श्रीनगर के कुछ इलाक़ों के बाशिंदों के साथ भारतीय सेना ने कथित तौर पर जो उत्पीड़क व बर्बर सलूक किया, उसे सभ्य समाज के लिए शर्मनाक कहा जायेगा। इसकी ख़बर कश्मीर के बाहर के अख़बारों में शायद ही आयी हो। इस घटना से एक बार फिर पता चलता है कि कश्मीर में चरमपंथ (मिलिटेंसी) से निपटने के नाम पर सेना ने किस तरह आतंक का राज क़ायम कर रखा है। इसके बारे में ख़ासकर हिंदी पाठकों को बताना ज़रूरी है।

अख़बारी लिहाज से यह खबर कुछ पुरानी ज़रूर है, पर इसे बताना ज़रूरी है। कश्मीर घाटी की जनता के साथ भारतीय सेना का लगभग वही सलूक है, जो ज़बरन कब्ज़ा किये गये इलाक़े की जनता के साथ आधिपत्यकारी सेना का होता है। अगर आपने फ़िल्मकार संजय काक की बेहतरीन, महत्वपूर्ण डॉक्युमेंटरी फ़िल्म ‘जश्न-ए-आज़ादी’ (2007) देखी हो, जो कश्मीर की यातना पर केंद्रित है, तो इस बात को बख़ूबी समझ सकते हैं।

श्रीनगर से अंगरेज़ी में एक अख़बार निकलता है, ‘द कश्मीरवाला’। इसके 29 नवंबर 2020 के अंक में पत्रकार यशराज शर्मा की समाचार रिपोर्ट छपी है। इसमें बताया गया है कि श्रीनगर के कुछ मुहल्लों में भारतीय सेना ने लोगों को देर रात उनके घरों से बाहर निकालकर सड़कों पर बर्फ़ीली ठंड में बर्बरतापूर्वक सामूहिक पिटाई की, और उन्हें ‘जय श्रीराम’ का नारा लगाने के लिए मजबूर किया।

श्रीनगर में 26 नवंबर 2020 को सेना की एक गश्ती टुकड़ी पर चरमपंथियों ने हमला कर दिया, जिसमें दो फ़ौजी मारे गये। इसका बदला लेने के लिए सेना ने यह कार्रवाई की। आधी रात के बाद एक डिग्री सेल्सियस तापमान में 60 से ज़्यादा लोगों को, उनके घरों-बिस्तरों से बाहर निकालकर, सड़कों पर राइफ़लों के कुंदों, बूटों और हंटरों से बड़ी निर्ममता से पीटा गया। जिन्हें पीटा जा रहा था, उनसे सेना के लोग कह रहे थे कि तुम लोग यह रात कभी नहीं भूलोगे। लोगों को सड़कों पर मुंह के बल लिटा दिया गया। उन्हें हुक्म दिया गया कि गले से चीख नहीं निकलनी है।

यशराज शर्मा ‘द कश्मीरवाला’ में फ़ीचर लेखक हैं। उन्होंने सेना द्वारा की गयी सामूहिक पिटाई के बारे में सेना व पुलिस के अधिकारियों से जानना चाहा, तो अधिकारियों ने साफ़ इनकार कर दिया कि ऐसी कोई घटना हुई है। य़शराज शर्मा ने सेना की यातना के शिकार लोगों से बातचीत कर के यह समाचार रिपोर्ट लिखी।

इस घटना के बारे में शिकायत करने के लिए लोग न सेना के पास जाना चाहते हैं, न पुलिस के पास। लोगों का कहना है कि सेना के पास शिकायत करने के लिए जाने का मतलब है, मौत के जबड़े में जाना। पुलिस के पास जाओ, तो वह कहती है, यह हमारा मामला नहीं, सेना के अधिकारियों से मिलो। पुलिस से शिकायत करने में एक ख़तरा यह भी है कि शिकायत करनेवाले की पहचान सेना तक पहुंच जाती है, और फिर वह व्यक्ति सेना के लिए आसान शिकार बन जाता है। कश्मीरी जनता के लिए भारतीय सेना की यही छवि है!

(लेखक वरिष्ठ कवि व राजनीतिक विश्लेषक हैं। विचार व्यक्तिगत हैं।)

Jammu and Kashmir
Kashmir Valley
Indian army
BJP
Modi government
Narendra modi

Related Stories

भाजपा के इस्लामोफ़ोबिया ने भारत को कहां पहुंचा दिया?

कश्मीर में हिंसा का दौर: कुछ ज़रूरी सवाल

सम्राट पृथ्वीराज: संघ द्वारा इतिहास के साथ खिलवाड़ की एक और कोशिश

तिरछी नज़र: सरकार जी के आठ वर्ष

कश्मीर में हिंसा का नया दौर, शासकीय नीति की विफलता

कटाक्ष: मोदी जी का राज और कश्मीरी पंडित

हैदराबाद : मर्सिडीज़ गैंगरेप को क्या राजनीतिक कारणों से दबाया जा रहा है?

ग्राउंड रिपोर्टः पीएम मोदी का ‘क्योटो’, जहां कब्रिस्तान में सिसक रहीं कई फटेहाल ज़िंदगियां

धारा 370 को हटाना : केंद्र की रणनीति हर बार उल्टी पड़ती रहती है

मोहन भागवत का बयान, कश्मीर में जारी हमले और आर्यन खान को क्लीनचिट


बाकी खबरें

  • aaj ki baat
    न्यूज़क्लिक टीम
    धर्म के नाम पर काशी-मथुरा का शुद्ध सियासी-प्रपंच और कानून का कोण
    19 May 2022
    ज्ञानवापी विवाद के बाद मथुरा को भी गरमाने की कोशिश शुरू हो गयी है. क्या यह धर्म भावना है? क्या यह धार्मिक मांग है या शुद्ध राजनीतिक अभियान है? सन् 1991 के धर्मस्थल विशेष प्रोविजन कानून के रहते क्या…
  • hemant soren
    अनिल अंशुमन
    झारखंड: भाजपा काल में हुए भवन निर्माण घोटालों की ‘न्यायिक जांच’ कराएगी हेमंत सोरेन सरकार
    18 May 2022
    एक ओर, राज्यपाल द्वारा हेमंत सोरेन सरकार के कई अहम फैसलों पर मुहर नहीं लगाई गई है, वहीं दूसरी ओर, हेमंत सोरेन सरकार ने पिछली भाजपा सरकार में हुए कथित भ्रष्टाचार-घोटाला मामलों की न्यायिक जांच के आदेश…
  • सोनिया यादव
    असम में बाढ़ का कहर जारी, नियति बनती आपदा की क्या है वजह?
    18 May 2022
    असम में हर साल बाढ़ के कारण भारी तबाही होती है। प्रशासन बाढ़ की रोकथाम के लिए मौजूद सरकारी योजनाओं को समय पर लागू तक नहीं कर पाता, जिससे आम जन को ख़ासी दिक़्क़तों का सामना करना पड़ता है।
  • mundka
    न्यूज़क्लिक टीम
    मुंडका अग्निकांड : क्या मज़दूरों की जान की कोई क़ीमत नहीं?
    18 May 2022
    मुंडका, अनाज मंडी, करोल बाग़ और दिल्ली के तमाम इलाकों में बनी ग़ैरकानूनी फ़ैक्टरियों में काम कर रहे मज़दूर एक दिन अचानक लगी आग का शिकार हो जाते हैं और उनकी जान चली जाती है। न्यूज़क्लिक के इस वीडियो में…
  • inflation
    न्यूज़क्लिक टीम
    जब 'ज्ञानवापी' पर हो चर्चा, तब महंगाई की किसको परवाह?
    18 May 2022
    बोल के लब आज़ाद हैं तेरे के इस एपिसोड में अभिसार शर्मा सवाल उठा रहे हैं कि क्या सरकार के पास महंगाई रोकने का कोई ज़रिया नहीं है जो देश को धार्मिक बटवारे की तरफ धकेला जा रहा है?
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License