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कानून
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राजनीति
रमी ऑनलाइन पर रार 
वरिष्ठ अधिवक्ता और कांग्रेस सांसद अभिषेक सिंघवी ऑनलाइन कार्ड गेम की वैधता को लेकर विवाद में उलझ गये हैं, यहां तक कि भारत सरकार इंटरनेट पर खेले जा रहे इस "जुआ" पर अपनी नीति को लेकर अपनी ज़िम्मेदारी से बच रही है। न्यूज़क्लिक की एक विशेष रिपोर्ट।
अयसकांत दास , परंजॉय गुहा ठाकुरता
18 Dec 2021
rumy
'प्रतीकात्मक फ़ोटो'

कर्नाटक हाईकोर्ट में एक निजी फर्म के एक क़ानूनी वकील की नुमाइंदगी कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता और राज्यसभा के सदस्य अभिषेक मनु सिंघवी ने उस फ़र्म की ओर से कथित तौर पर संसद में एक प्रश्न उठाने के सिलसिले में ख़ुद को एक विवाद में फंसा लिया है। ऑनलाइन "जुआ" खेलों को लेकर सरकारी नियमों और विनियमों पर सिंघवी के उस सवाल को जवाब के लिए 16 दिसंबर को सूचीबद्ध किया गया था। लेकिन, विवाद के बाद उन्होंने वह सवाल वापस ले लिया था।

कांग्रेस सांसद कथित कर चोरी और बौद्धिक संपदा चोरी के मुद्दों के सिलसिले में जांच के तहत बेंगलुरु स्थित इस ऑनलाइन गेमिंग पोर्टल गेम्सक्राफ्ट टेक्नोलॉजी की ओर से पेश हुए थे।

यह आरोप लगाया गया है कि भारत की सबसे तेज़ी से बढ़ती वेब और मोबाइल गेमिंग कंपनी होने का दावा करने वाली एक स्टार्ट-अप कंपनी गेम्सक्राफ्ट टेक्नोलॉजी के शीर्ष अधिकारियों ने एक संस्करण विकसित करने को लेकर उस प्रतिद्वंद्वी फ़र्म प्ले गेम्स 24X7 के प्रमुख ऑनलाइन गेम, रमी कल्चर का डेटा चुरा लिया था, जहां वे पहले काम करते थे।

वस्तु और सेवा कर (GST) विभाग के अधिकारियों की ओर से 11 नवंबर को गेम्स क्राफ्ट टेक्नोलॉजी से जुड़े कम से कम 10 अलग-अलग जगहों पर छापे मारे गये। उसी दिन सिंघवी किसी एक मामले में फ़र्म के वकील के रूप में पेश हुए थे, जिसमें ऑनलाइन गेमिंग पोर्टल्स, ऑल इंडिया गेमिंग फेडरेशन की नुमाइंदगी करने वाले एक संघ ने कर्नाटक की भारतीय जनता पार्टी (BJP) सरकार की ओर से ऑनलाइन जुए और सट्टेबाजी के सभी रूपों पर लगाये गये प्रतिबंध को चुनौती दी थी।

फ़र्म प्ले गेम्स 24X7 के जिन वरिष्ठ अधिकारियों ने गेमक्राफ़्ट स्थापित करने के लिए कंपनी छोड़ दी थी, उनमें विकास तनेजा और दीपक सिंह थे।

एसोसिएशन की और से दायर रिट याचिका इस समय कर्नाटक हाई कोर्ट की प्रमुख पीठ के सामने लंबित है। एक लिखित जवाब के लिए "तारांकित" के रूप में चिह्नित किये गये। अपने उस प्रश्न में सिंघवी ने "संयोग के खेल" बनाम "कौशल के खेल" पर केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्रालय के रुख़ और नीतियों को जानने की मांग की थी। ऑनलाइन गेमिंग पोर्टल्स ने बार-बार दावा किया है कि ताश के खेल, जिसमें रमी और पोकर शामिल हैं, कौशल के खेल हैं और इसलिए उन्हें जुए की क्षेणी में नहीं रखा जा सकता है।

राज्यसभा के नियम इस बात को अनिवार्य बनाते हैं कि सदस्य यह सुनिश्चित करें कि अपने वित्तीय या आर्थिक हितों और अपने परिवार के नज़दीगी सदस्यों के बीच सदन में उठाये गये उन मुद्दों से एक निश्चित दूरी बनाये रखें, जो कि सार्वजनिक हित से जुड़े हुए हों। सिंघवी के आचरण से एक वकील के रूप में उनके पेशे और राज्यसभा सदस्य के रूप में उनके प्राप्त विशेषाधिकारों के बीच कथित तौर पर हितों के टकराव की बू आ रही थी।

सिंघवी ने अपने सवाल में सूचना और प्रसारण मंत्रालय से निम्नलिखित जानकारी मांगी थी "(ए) फैंटेसी स्पोर्ट्स पर विज्ञापनों के सिलसिले में मंत्रालय की ओर से जारी एडवाइजरी का विवरण; (बी) इसमें कौशल के खेल और संयोग के खेल के बीच कोई फ़र्क़ नहीं करने की वजह (सी) इन श्रेणियों पर मंत्रालय का नीतिगत रुख़।

न्यूज़क्लिक की तरफ़ से संपर्क किये जाने पर सिंघवी ने हितों के टकराव के सिद्धांतों का उल्लंघन करने के अपने इरादे से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा, "किसी न किसी तरह इस सवाल को मतपत्र से हटा दिया गया है, क्योंकि दूर-दूर तक इरादा किसी भी तरह से हितों के टकराव के उल्लंघन का नहीं था। मैं ऑनलाइन रमी ऑपरेटरों को छोड़कर आमतौर पर फैंटेसी स्पोर्ट्स से जुड़ी किसी भी कंपनी के लिए पेश नहीं हुआ हूं। मैं 'गेम्स ऑफ़ स्किल' बनाम 'गेम्स ऑफ़ चांस' के कानूनी बिंदु पर और सिर्फ़ ऑनलाइन रमी ऑपरेटरों को लेकर पेश हुआ हूं। दूसरी बात कि इसी सिलसिले में पहली बार मैं सुप्रीम कोर्ट में आठ साल से भी पहले पेश हुआ था।”

“इसके बाद, मैं इस कर्नाटक मामले से भी बहुत पहले आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और मद्रास जैसे अलग-अलग हाई कोर्टों में अलग-अलग मौक़ों पर पेश हो चुका हूं। तीसरी बात कि ये सभी पेशियां ऑनलाइन रमी के मुद्दे पर एक या दो कंपनियों के लिए ही थीं। चौथी बात कि एक वरिष्ठ वकील के रूप में मैं अलग-अलग वकीलों से जुड़ा हुआ हूं, और हर बार मैं न तो क्लाइंट से मेरा लेना-देना होता हूं और न ही क्लाइंट्स के बारे में जानता हूं। पांचवां, यह सवाल (ए) विज्ञापन से सम्बन्धित था, (बी) 70 से ज़्यादा सालों के स्थापित इस क़ानून पर एक पूरी तरह से यह एक ऐसा वैध प्रश्न था, जिसे पहली बार 'कौशल के खेल' और 'संयोग के खेल' के बीच मूलभूत अंतर करते हुए 1950 के दशक में भारत के सुप्रीम की ओर से चामरबागवाला (मामले) में निर्धारित किया गया था और (सी) यह प्रश्न अनुवर्ती था। इसलिए, इसमें कुछ भी अनुचित नहीं था। छठी बात कि वह प्रश्न महज़ 'कौशल के खेल' को लेकर एक वैचारिक प्रश्न था, और मुझे किसी भी ऑपरेटर में दूर-दूर तक कोई रुचि नहीं है।

“हितों के टकराव का ज़रा सा भी विचार मेरे दिमाग़ में कभी नहीं आया। सातवीं बात कि पिछले कुछ दिनों में सुशील मोदी, संजय जायसवाल और दक्षिण भारत के कई दूसरे नेताओं सहित कई नेताओं ने भी नीति समुदाय के बीच इस मुद्दे पर चल रही बहस को रेखांकित करते हुए इस मुद्दे पर सवाल पूछे हैं।”

भाजपा नेता और बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी, एक दूसरे राज्यसभा सदस्य ने 3 दिसंबर को एक सवाल उठाया था कि यह इंटरनेट यूज़र्स के बीच तेजी से एक "लत" में बदल रहा है, इस तथ्य को देखते हुए क्या भारत सरकार ऑनलाइन गेमिंग को विनियमित करने की योजना बना रही है।

मोदी ने कहा था कि ऑनलाइन गेमिंग पर बिताया गया औसत समय महामारी से पहले प्रतिदिन 2.5 घंटे था, जबकि महामारी के बाद का यह औसत समय चार घंटे तक चला गया है। उन्होंने कहा था कि ऑनलाइन गेम यूजर्स की संख्या साल 2025 तक 6.57 मिलियन के आंकड़े को छू लेगी, जबकि इस समय यह आंकड़ा 43 लाख यूजर्स की है। इस क्षेत्र का राजस्व भी अगले पांच सालों में दोगुने से भी ज़्यादा हो जाने का का अनुमान है। इस समय यह राजस्व 13,600 करोड़ रुपये का है, जबकि अनुमान है कि 2025 में यह बढ़कर 29,000 करोड़ रुपये हो जायेगा।

नवंबर में गेम्सक्राफ़्ट टेक्नोलॉजीज पर जीएसटी की छापे के बाद एक जांच-पड़ताल की गयी, उस जांच में इस बात का संदेह जताया गया था कि जून 2017 में तक़रीबन 30 करोड़ रुपये की अपेक्षाकृत कम चुकता पूंजी के साथ शुरू होने वाली इस कंपनी ने चार साल से भी कम समय में तेज़ी से विकास किया है। जबकि छापे के दौरान कई लैपटॉप और हार्ड ड्राइव जब्त किये गये थे, उस समय कंपनी के मालिकों और प्रमोटरों के ठिकाने को कथित तौर पर कोई जानता तक नहीं था।

इस लेख के लेखकों को मिली इस जीएसटी जांच रिपोर्ट का एक हिस्सा बताता है "6 महीने से भी कम समय में गेम्सक्राफ़्ट इंडिया प्राइवेट लिमिटेड ने रमी कल्चर (यही नाम दिया गया है), डोमेन, वेब एप्लिकेशन और एंड्रॉइड एप्लिकेशन लॉन्च कर लिया था। एक छोटी कंपनी के लिए इतना कम समय में इतना कुछ कर लेना संदेह पैदा करता है।"

यह आरोप लगाया गया है कि गेम्सक्राफ़्ट ने अपने प्रमुख उत्पाद,रमीकल्चर, उस वेब और मोबाइल गेमिंग एप्लिकेशन को डिजाइन करते हुए बौद्धिक संपदा की चोरी की थी, जो दुनिया भर के इंटरनेट यूज़र्स को लोकप्रिय कार्ड गेम के ऑनलाइन संस्करण में भाग लेने की अनुमति देता है। कंपनी अपनी वेबसाइट पर दावा करती है कि रमीकल्चर "भारत का सबसे भरोसेमंद और आरएनजी प्रमाणित रम्मी समूह है, जो व्यवसायों को एक अनुकूलित रम्मी गेम बनाने में मदद करता है।”

(आरएनजी का पूर्ण रूप रैंडम नम्बर जेनरेशन है, जो संख्याओं और प्रतीकों के उस सेक्वेंस को बनाने की एक प्रक्रिया है, जिसकी सटीक रूप से भविष्यवाणी नहीं की जा सकती या, दूसरे शब्दों में, या विशेष नतीजा देने वाले सेक्वेंस में कुछ ऐसे पैटर्न शामिल होंगे, जिसके बारे में नुक़सान के बाद ही चल पाता है, पहले से इसका पता लगाना संभव नहीं होता।)

यह आरोप भी लगाया गया है कि रमीकल्चर उस रमीसर्कल के खुले तौर पर चोरी किये गये संस्करण के अलावा और कुछ भी नहीं है, जो कि प्ले गेम्स 24x7 प्राइवेट लिमिटेड नाम की एक अलग कंपनी के स्वामित्व वाला एक अन्य ऑनलाइन गेमिंग है। इस फ़र्म को तक़रीबन 23.56 करोड़ रुपये की चुकता पूंजी के साथ 15 साल पहले जून 2006 में मुंबई में निगमित किया गया था। यह दावा किया गया है कि प्ले गेम्स 24x7 के साथ काम करने वाले विशेष वरिष्ठ अधिकारियों ने प्रतिद्वंद्वी गेमक्राफ़्ट की स्थापना के लिए उस कंपनी को छोड़ दिया था और ऑनलाइन कार्ड गेम के अपने ख़ुद के संस्करण को विकसित करने के लिए प्ले गेम्स 24x7 की बौद्धिक संपदा का इस्तेमाल किया था। रमी सर्किल और रमीकल्चर दोनों अपने-अपने ऐप पर रजिस्टर करने वाले इंटरनेट यूज़र्स को रिवार्ड,ऩकद पुरस्कार और ऑनलाइन मनोरंजन मुहैया कराते हैं।

दोनों ऐप्स के बीच की जो समानता है, वह यहीं ख़त्म नहीं हो जाती है। जीएसटी जांच रिपोर्ट में कहा गया है कि रमीकल्चर और रमी सर्कल के बीच "काफ़ी समानतायें" हैं और जांच में जो "सबसे बड़ी समानतायें  पायी गयीं, वह है- क्लाइंट और सर्वर के बीच संचार संदेशों के आदान-प्रदान की समानतायें।"

उस जांच में संचार प्रक्रिया और दोनों के वेब एप्लिकेशंस के साथ-साथ एंड्रॉइड एप्लिकेशन में भी समानतायें पायी गयीं, जो कि मोबाइल फोन पर इस्तेमाल के लिए है। इस रिपोर्ट में दावा किया गया है, "क्लाइंट ब्राउज़र और वेब एप्लिकेशन के बीच इंटरचेंज किये गये संदेशों का की-वैल्यू पेयर नामकरण... रमी कल्चर (यही शब्द है) ने संदेशों के बेस 64 एन्कोडिंग को जोड़ दिया है, इसलिए उन्हें डीकोड करने की ज़रूरत है।" इस रिपोर्ट में आगे दावा किया गया है, "आख़िरी में इसी तरह के शब्द भी इस्तेमाल किये गये हैं, जहां रमी कल्चर m-plartform.rummybattle.in का इस्तेमाल करता है, वहीं रमी सर्कल m-platform.rummycircle.com का उपयोग करता है।"

खिलाड़ियों, विरोधियों, कार्डों की स्थिति, स्कोर विंडो का कंटेंट, गेमिंग शुरू होने से पहले डिस्प्ले होने वाले मैसेज़, डिस्कनेक्शन सेटिंग्स का कंटेंट और गेम इन्फ़ॉर्मेशन विंडो का कंटेट सहित दोनों वेब एप्लिकेशन के यूज़र इंटरफ़ेस डिज़ाइन में भी समानतायें थीं।  

गेम्सक्राफ़्ट के ख़िलाफ़ पहली बार शिकायत मिलने के लगभग दो महीने बाद 22 जनवरी, 2019 को मुंबई पुलिस की ओर से प्राथमिकी दर्ज करने के बाद जांच शुरू की गयी थी। भारतीय दंड संहिता की धारा 379 (चोरी के लिए सज़ा) और सूचना प्रौद्योगिकी (IT) अधिनियम, 2000 की धाराओं के तहत प्राथमिकी दर्ज की गयी थी। इस सिलसिले में आपराधिक मामला अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट, मुंबई की अदालत में लंबित है। 

गेम्सक्राफ़्ट के प्रतिनिधियों को एक प्रश्नावली ईमेल कर दी गयी थी। प्रश्नावली में पूछे गये सवालों में यह भी था कि कंपनी ने अपनी प्रतिद्वंद्वी कंपनी के ऑनलाइन रमी गेम के एंडपॉइंट को मिलता-जुलता नाम देने का फ़ैसला क्यों किया, उसने अपने गेमिंग ऐप को लेकर उसी तरह के यूज़र इंटरफेस डिज़ाइन तय करने का फ़ैसला क्यों किया, जो कि इस कंपनी के प्रतिस्पर्धी कंपनी प्ले गेम्स 24x7 इस्तेमाल करती है। इस सिलसिले में प्ले गेम्स 24X7 के प्रतिनिधियों को एक अलग प्रश्नावली ईमेल कर दी गयी थी। दूसरे सवालों के अलावा, कंपनी को ठोस साक्ष्य मुहैया कराने के लिए कहा गया था, जो कि गेमक्राफ़्ट की ओर से की गयी उसकी बौद्धिक संपदा की चोरी को स्थापित करे।

इस लेख के प्रकाशित होने तक ईमेल की गयी उस प्रश्नावली का कोई जवाब नहीं मिला था। प्रतिक्रिया आने पर इस लेख को अपडेट कर दिया जायेगा।

आरोपी फर्म़ गेम्सक्राफ़्ट ने अपनी ओर से दावा किया है कि जिन कंपनियों के पास ऑनलाइन रमी गेम के वेब-आधारित और एंड्रॉइड-आधारित एप्लिकेशन हैं, उन सभी कंपनियां में समान सिक्वेंस और कार्य करने के तरीक़े का होना तय है। "रमी गेम में चरणों के सिक्वेंस होते हैं, जो बिल्कुल समान होते हैं और इस तरह खेल को सिर्फ़ पूर्व-निर्धारित तरीके से चरणों के समान सिक्वेंस के साथ खेला जा सकता है। इसलिए, ग्राफिकल यूजर इंटरफेस (जीयूआई), एनीमेशन, स्क्रीन डिस्प्ले इत्यादि में फ़र्क़ को छोड़कर सिक्वेंस, कार्य करने के तरीक़े और ऑप्शन्स में समानता की संभावना होती है।

कंपनी की अगली दलील है, "इस तरह की समानतायें तब होती हैं, जब दो वेबसाइटें एक ऐसी गतिविधि मुहैया करा रही होती हैं, जो सिर्फ़ एक ही तरीक़े से की जा सकती है। मसलन, सभी एंटीवायरस प्रोग्राम वायरस को स्कैन करने और हटाने के सिलसिले में एक ही तरह की कार्यक्षमता मुहैया कराते हैं और ठीक है कि उनके काम  करने के तरीक़े समान होते हैं,मगर इससे उनके सोर्स कोड समान नहीं हो जाते हैं और महज़ काम करने के तरीक़े के सामन हो जाने से ही सोर्स कोड समान नहीं हो जाते हैं।”

इसने यह भी दलील दी है कि इसके प्रतिस्पर्धियों के मुक़ाबले विशेषज्ञों का एक ऐसा बेहतर समूह है, जिसने स्वतंत्र रूप से अपने ख़ुद का सॉफ़्टवेयर विकसित किया है, जो न सिर्फ़ क्लांट के अनुकूल है, बल्कि अन्य कंपनियों के गेमिंग एप्लिकेशन्स से भी बेहतर है। गेम्सक्राफ़्ट का कहना है कि अपने प्रतिद्वंद्वियों की तरफ़ से इसके ख़िलाफ़ की गयी आपराधिक शिकायत सही मायने में अपने सोर्स कोड और क्लाइंट डेटाबेस को निकालने वाली महज़ एक चाल है,ताकि बढ़ते ऑनलाइन गेमिंग व्यवसाय में ज़्यादा से ज़्यादा बाज़ार हिस्सेदारी हासिल की जा सके।

मामले की जांच में पुलिस की मनमानी का आरोप लगाते हुएगेम्सक्राफ़्ट ने अप्रैल 2019 में इस मामले को निष्पक्ष और पारदर्शी जांच के लिए मुंबई पुलिस के साइबर सेल को स्थानांतरित करने की भी मांग की थी। इस सिलसिले में गेम्सक्राफ़्ट ने मुंबई के तत्कालीन पुलिस आयुक्त संजय बर्वे को आवेदन दिया था। इस लेख के लेखकों की ओर से इस बात का पता नहीं लगाया जा सका कि आख़िर उस आवेदन का क्या हुआ।

गेम्सक्राफ़्ट का आरोप है, "स्थानीय पुलिस (विभाग) के पास इस तरह के जटिल तकनीकी मुद्दों को समझने का ज़रूरी कौशल नहीं है, जो शिकायतकर्ता के कार्यों के विनाशकारी नतीजों का मूल्यांकन और शिकायतकर्ता के फ़ायदे को लेकर सबूतों में किसी तरह के हेरफेर किये बिना ग़ैर-क़ानूनी रूप से शिकायतकर्ता की सनक और पसंद से जारी हो।”

रमीकल्चर के अलावा, इस आरोपी कंपनी गेम्सक्राफ़्ट के पास अन्य गेमिंग प्लेटफ़ॉर्म हैं, जो नोस्ट्रागैमस, रमीटाइम, गेमज़ी और पॉकेट 52 जैसे नामों से हैं। कंपनी का यह भी कहना है कि उसका नाम दुनिया का सबसे बड़ा रमी टूर्नामेंट आयोजित करने वाली कंपनी के रूप में गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज है।

प्रतिद्वंद्वी एप्लिकेशन रम्मी सर्कल का संचालन प्ले गेम्स24x7 की ओर से गेम्स 24X7 डॉट कॉम ब्रांड नाम के तहत किया गया था। कंपनी की वेबसाइट बताती है कि भारत में ऑनलाइन कार्ड गेम की अपार लोकप्रियता के बाद अगस्त 2012 में रमी सर्कल में इस ऐप की रीब्रांडिंग की गयी थी।

इन दो प्रतिद्वंद्वी ऑनलाइन गेमिंग कंपनियों के बीच ब्रांड की यह लड़ाई ऐसे समय में हो रही है, जब देश में रमी की वैधता को लेकर बहस छिड़ी हुई है। केरल उच्च न्यायालय की एकल न्यायाधीश पीठ ने सितंबर 2021 में राज्य में ऑनलाइन रमी पर प्रतिबंध लगाने की मांग वाली एक याचिका को खारिज कर दिया था, जबकि कर्नाटक सरकार सट्टेबाजी और दांव लगाने वाले ऑनलाइन गेम पर प्रतिबंध लगाने के लिए कथित तौर पर क़ानून तैयार कर रही है। इससे पहलेअगस्त 2021 में मद्रास हाई कोर्ट ने रम्मी और पोकर जैसे ऑनलाइन गेम पर प्रतिबंध लगाने के लिए तमिलनाडु सरकार के बनाये क़ानून को अमान्य घोषित कर दिया था। लड़ाई अभी खत्म नहीं हुई है।

(लेखक स्वतंत्र पत्रकार हैं।)

अंग्रेज़ी में प्रकाशित मूल आलेख को पढ़ने के लिए नीचे दिये गये लिंक पर क्लिक करें

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