NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
आंदोलन
उत्पीड़न
कृषि
मज़दूर-किसान
भारत
राजनीति
बंगाल: बीरभूम के किसानों की ज़मीन हड़पने के ख़िलाफ़ साथ आया SKM, कहा- आजीविका छोड़ने के लिए मजबूर न किया जाए
एसकेएम ने पश्चिम बंगाल से आ रही रिपोर्टों को गम्भीरता से नोट किया है कि बीरभूम जिले के देवचा-पंचमी-हरिनसिंह-दीवानगंज क्षेत्र के किसानों को राज्य सरकार द्वारा घोषित "मुआवजे पैकेज" को ही स्वीकार करने के लिए मजबूर किया जा रहा है।
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
23 Feb 2022
SKM
प्रतीकात्मक तस्वीर-

पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले के देवचा-पंचमी-हरिनसिंह-दीवानगंज क्षेत्र में खदान परियोजना के लिए सरकार किसानों की जमीन का अधिग्रहण कर रही है। जिससे वहां के किसानो में सरकार के खिलाफ नारज़गी है। इस परियोजना को प्रभावित क्षेत्र में रहने वाले स्थानीय लोगों के कड़े विरोध का सामना करना पड़ रहा है। अब इस मामले पर संयुक्त किसान मोर्चा(एसकेएम) ने भी हस्तक्षेप किया है, एसकेएम ने पश्चिम बंगाल से आ रही रिपोर्टों को गम्भीरता से नोट किया है कि बीरभूम जिले के देवचा-पंचमी-हरिनसिंह-दीवानगंज क्षेत्र के किसानों को राज्य सरकार द्वारा घोषित "मुआवजे पैकेज" को स्वीकार करने के लिए मजबूर किया जा रहा है। साथ ही अपने खेत और चारागाहों को छोड़ने के लिए (जिस पर राज्य सरकार ग्रीनफील्ड कोयला खनन परियोजना स्थापित करना चाहती है) मजबूर किया जा रहा है।   

आपको बता दे कि एसकेएम के ही नेतृत्व में देशभर के किसानो ने तीन कृषि कानूनों की वापसी के लिए सालभर आंदोलन लड़ा और जीता भी है।

जानकारी मुताबिक ऐसे किसानों में से लगभग एक तिहाई संथाल आदिवासी हैं, और अल्पसंख्यक समुदाय और वंचित वर्गों की एक बड़ी आबादी भी है। बताया जा रहा है कि राज्य सरकार ने ग्राम सभा आयोजित करने, खनन परियोजना का विवरण और पुनर्वास पैकेज प्रस्तुत करने, और ऐसी सभाओं में ग्रामीणों से सहमति प्राप्त करने की कानूनी प्रक्रिया का पालन नहीं किया है। इसके बजाय, प्रशासन ने व्यक्तियों से कथित सहमति प्राप्त करने की एक गुप्त प्रक्रिया का पालन किया है, जो कि अवैध है। मीडिया रिपोर्टों से यह भी पता चलता है कि स्थानीय पुलिस और प्रशासन द्वारा किसानों के लोकतांत्रिक और शांतिपूर्ण विरोधों का बेरहमी से दमन किया जा रहा है और आदिवासी ग्रामीणों पर आतंक का राज कायम है। इनमें से कई ग्रामीणों को, उनके समर्थन करने वाले कार्यकर्ताओं के साथ गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया ।

एसकेएम  ने अपने बयाना में यह स्पष्ट करते हुए कहा कि किसानों को खनन और उद्योग के लिए अपने खेत, चारागाह, आवासभूमि और कृषि आजीविका को छोड़ने के लिए मजबूर नहीं किया जाना चाहिए, जब तक कि वे अधिग्रहण, पुनर्वास और पुनर्वास अधिनियम, 2013 में भूमि के उचित मुआवजे और पारदर्शिता के अधिकार के स्पष्ट रूप से निर्धारित प्रक्रिया के माध्यम से अपनी सहमति नहीं देते। संयुक्त किसान मोर्चा हमेशा किसानों के अधिकारों और हितों की रक्षा के लिए संघर्ष करेगा और किसी भी संकट में भारत के कृषि समाज के साथ खड़ा होगा।

यह परियोजना दुनिया की सबसे बड़ी खदान परियोजनाओं में से एक मानी जा रही है। ऐसा भी माना जा रहा है ये परियोजना सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस की मुखिया और राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की महत्वाकांक्षी परियोजना है

इसमें लगभग 2,102 मिलियन टन का अनुमानित कोयला भंडार है। बीरभूम जिले में स्थित लगभग 12.31 वर्ग किलोमीटर का यह कोल ब्लॉक क्षेत्र दिसंबर 2019 में पश्चिम बंगाल को आवंटित किया गया था जिसमें अनगिनत पत्थर की खदानें हैं। जहां ममता बनर्जी दावा करती हैं कि इस खदान से एक लाख से अधिक नौकरियां सृजित होंगी, जबकि क्षेत्र में रहने वाले छोटे किसानों को इस परियोजना से आजीविका का संकट आता दिखाई दे रहा है।

इस परियोजना से प्रभावित लोगो के लिए लड़ने वाले संगठनों की मानें तो इस परियोजना के कारण लगभग 70,000 लोगों को बेदखल होना पड़ सकता है। यही नहीं, अगर यह परियोजना आरंभ हुई तो लोगों को अपनी पारंपरिक जोतों से भी हाथ धोना पड़ सकता है।  

मीडिया रिपोर्ट में स्थानीय लोगों का कहना है कि जमीन लेते समय हमारी सहमति नहीं ली गई और अब हमारी जमीन सूख रही है। हालांकि खनन गतिविधि अभी आरंभ भी नहीं हुई है, पर मौजूदा स्टोन माइन तथा क्रशर के कारण पहले ही बहुत अधिक प्रदूषण दिखने लगा है जिससे सब्जियों की खेती करने वाले छोटे किसानों के खेतों को नुकसान हो चुका है। यहां रहने वाले अधिकांश लोग आर्थिक और सामजिक रूप से बेहद कमज़ोर तबके से हैं। हम आदिवासी समुदाय के हैं, कई लोग धार्मिक अल्पसंख्यक वर्ग के हैं, यही वजह है कि सरकार हमारे जीवन को कोई महत्व नहीं दे रही है। ‘        

कई जानकारों का मानना है कि कोयला ब्लॉकों के आवंटन में कानूनी प्रक्रिया का पालन नहीं हुआ है।

एसकेएम ने पश्चिम बंगाल सरकार से देवचा-पंचमी-हरिनसिंह- दीवानगंज क्षेत्र के किसानों की आवाज को पारदर्शी, सार्वजनिक और कानूनी रूप से अनिवार्य तरीके से सुनने का आग्रह किया है। एसकेएम ने पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री से स्थानीय पुलिस और प्रशासन को ग्रामीणों और कार्यकर्ताओं के दमन और गिरफ्तारी को तुरंत रोकने और शांतिपूर्ण और लोकतांत्रिक जुड़ाव का माहौल शुरू करने का निर्देश देने का भी आग्रह किया है।

ये भी पढ़ें: जेवर एयरपोर्टः दूसरे फेज के लिए भूमि अधिग्रहण नहीं होगा आसान, किसानों की चार गुना मुआवज़े की मांग

SKM
Sanyukt Kisan Morcha
Bengal farmers
West Bengal
West Bengal Farmers
Birbhum

Related Stories

पश्चिम बंगालः वेतन वृद्धि की मांग को लेकर चाय बागान के कर्मचारी-श्रमिक तीन दिन करेंगे हड़ताल

क्यों मिला मजदूरों की हड़ताल को संयुक्त किसान मोर्चा का समर्थन

पूर्वांचल में ट्रेड यूनियनों की राष्ट्रव्यापी हड़ताल के बीच सड़कों पर उतरे मज़दूर

देशव्यापी हड़ताल के पहले दिन दिल्ली-एनसीआर में दिखा व्यापक असर

बिहार में आम हड़ताल का दिखा असर, किसान-मज़दूर-कर्मचारियों ने दिखाई एकजुटता

"जनता और देश को बचाने" के संकल्प के साथ मज़दूर-वर्ग का यह लड़ाकू तेवर हमारे लोकतंत्र के लिए शुभ है

बंगाल हिंसा मामला : न्याय की मांग करते हुए वाम मोर्चा ने निकाली रैली

मोदी सरकार की वादाख़िलाफ़ी पर आंदोलन को नए सिरे से धार देने में जुटे पूर्वांचल के किसान

ग़ौरतलब: किसानों को आंदोलन और परिवर्तनकामी राजनीति दोनों को ही साधना होगा

एमएसपी पर फिर से राष्ट्रव्यापी आंदोलन करेगा संयुक्त किसान मोर्चा


बाकी खबरें

  • संदीपन तालुकदार
    वैज्ञानिकों ने कहा- धरती के 44% हिस्से को बायोडायवर्सिटी और इकोसिस्टम के की सुरक्षा के लिए संरक्षण की आवश्यकता है
    04 Jun 2022
    यह अध्ययन अत्यंत महत्वपूर्ण है क्योंकि दुनिया भर की सरकारें जैव विविधता संरक्षण के लिए अपने  लक्ष्य निर्धारित करना शुरू कर चुकी हैं, जो विशेषज्ञों को लगता है कि अगले दशक के लिए एजेंडा बनाएगा।
  • सोनिया यादव
    हैदराबाद : मर्सिडीज़ गैंगरेप को क्या राजनीतिक कारणों से दबाया जा रहा है?
    04 Jun 2022
    17 साल की नाबालिग़ से कथित गैंगरेप का मामला हाई-प्रोफ़ाइल होने की वजह से प्रदेश में एक राजनीतिक विवाद का कारण बन गया है।
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    छत्तीसगढ़ : दो सूत्रीय मांगों को लेकर बड़ी संख्या में मनरेगा कर्मियों ने इस्तीफ़ा दिया
    04 Jun 2022
    राज्य में बड़ी संख्या में मनरेगा कर्मियों ने इस्तीफ़ा दे दिया है। दो दिन पहले इन कर्मियों के महासंघ की ओर से मांग न मानने पर सामूहिक इस्तीफ़े का ऐलान किया गया था।
  • bulldozer politics
    न्यूज़क्लिक टीम
    वे डरते हैं...तमाम गोला-बारूद पुलिस-फ़ौज और बुलडोज़र के बावजूद!
    04 Jun 2022
    बुलडोज़र क्या है? सत्ता का यंत्र… ताक़त का नशा, जो कुचल देता है ग़रीबों के आशियाने... और यह कोई यह ऐरा-गैरा बुलडोज़र नहीं यह हिंदुत्व फ़ासीवादी बुलडोज़र है, इस्लामोफ़ोबिया के मंत्र से यह चलता है……
  • आज का कार्टून
    कार्टून क्लिक: उनकी ‘शाखा’, उनके ‘पौधे’
    04 Jun 2022
    यूं तो आरएसएस पौधे नहीं ‘शाखा’ लगाता है, लेकिन उसके छात्र संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) ने एक करोड़ पौधे लगाने का ऐलान किया है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License