राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के स्थापना दिवस पर देश के शीर्ष नेताओं और पदाधिकारियों ने लोगों को मानवाधिकार पर काफी 'ज्ञान' बांटा. कहना न होगा कि स्वयं ऐसे नेताओं और पदाधिकारियों का मानवाधिकार-ज्ञान संकीर्ण-राष्ट्रवाद और निरंकुशतावाद से ग्रस्त है. ऐसे लोगों को सिर्फ अमीरों और सत्ताधीशो के असीमित अधिकारों और सुविधाओं से मतलब होता है, बिहार के भागलपुर के वीरेंद्र पासवान के परिजनों के मामूली मानवाधिकारों की तनिक भी फ़िक्र नहीं होती. श्री पासवान पिछले दिनों कश्मीर में आतंकी हमले में मारे गये थे. क्या हुआ उनके साथ और उनके मारे जाने के बाद उनके परिवार के साथ क्या हुआ? इसके अलावा सुनिये सावरकर-कथा भी. सरकार के वरिष्ठ मंत्री क्यों नहीं सुनना चाहते सावरकर की आलोचना? #AajKiBaat के नये एपिसोड में सुनिये वरिष्ठ पत्रकार Urmilesh को: