NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
विज्ञान
भारत
अंतरराष्ट्रीय
वैज्ञानिकों ने पश्चिमी अंटार्कटिका के ग्लेशियर में सफलतापूर्वक खुदाई की
इस खुदाई की सफलता से आशा है कि थ्वाइट्स ग्लेशियर पिघलने की प्रक्रिया को समझा जा सकेगा। थ्वाइट्स ग्लेशियर मौसम परिवर्तन से प्रभावित होने वाले सबसे संवेदनशील जगहों मे से एक है।
संदीपन तालुकदार
31 Jan 2020
Antarctica glacier
Image Courtesy: Interesting Engineering

थ्वाइट्स ग्लेशियर अंटार्कटिक में सबसे दूरदराज की जगहों में से एक है। अंटार्कटिक के पश्चिमी हिस्से में स्थित इस ग्लेशियर को मौसम परिवर्तन से सबसे ज्यादा खतरा है। दुनिया में महासागरों के जल स्तर को ऊंचा उठने में चार फ़ीसदी हिस्सा इसी ग्लेशियर का है। लेकिन अब भी यह ग्लेशियोलॉजिस्ट और मौसम विज्ञानियों के लिेए एक पहेली बना हुआ है। उनके लिए अबूझ सवाल है कि यह ग्लेशियर कितनी तेजी से पिघल रहा है और इसके पीछे की वजह क्या है?

पिछले दो महीनों में भयानक तूफानों और न्यूनतम तापमान वाली स्थितियों से जूझते हुए वैज्ञानिकों की टीम, थ्वाइट्स की गहरी बर्फ की खुदाई करने में कामयाब रही है। यहां टॉरपीडो के आकार वाला आईसफिन नाम का एक रोबोट भी काम में लगाया गया है। आईसफिन का लक्ष्य ग्लेशियर के भीतरी हिस्सों से जानकारी जुटाना है, ताकि बर्फ के पिघलने की गति और दूसरी जानकारियों का विश्लेषण किया जा सके।

थ्वाइट्स ग्लेशियर का क्षेत्रफल 1,92,000 वर्ग किलोमीटर है। यह ब्रिटेन या फ्लोरिडा के बराबर है। पिछले तीस सालों में थ्वाइट्स से बहने वाली बर्फ दोगुनी हो गई है। यह बर्फ एमुंडसेन सागर में गिरती है और महासागरों के सालाना जलीय स्तर के चढ़ाव में चार फ़ीसदी का इजाफा करती है। अगर यह ग्लेशियर पिघल जाता है, तो समुद्र का भराव स्तर एक मीटर तक ऊंचा हो जाएगा। यह बेहद चिंताजनक है। भविष्य के लिए यह भयावह आपदा हो सकती है। वैज्ञानिक इसके पिघलने की गति का पता लगाना चाहते हैं।

थ्वाइट्स ग्लेशियर क्यों अहम है?

दुनिया के ताजे पानी में अंटार्कटिक की बर्फ की हिस्सेदारी नब्बे फ़ीसदी है। कुल बर्फ का अस्सी फ़ीसदी हिस्सा महाद्वीप के पूर्वी भाग में है। पूर्वी अंटार्कटिक की बर्फ मोटी है, जो ऊंचे मैदान पर जमा है। इसकी औसत मोटाई एक मील से भी ज्यादा है।

दूसरी तरफ पश्चिमी अंटार्कटिक का भूगोल पूरी तरह अलग है। यह बदलावों को भी आसानी से आमंत्रित करता है। यहां की बर्फ ऊंचे मैदानों पर टिकी नहीं है। बल्कि ज्यादातर बर्फ समुद्र स्तर से नीचे है।

समुद्र का गर्म पानी लगातार इस बर्फ की परत को छूता है। परिणामस्वरूप वक्त के साथ-साथ बर्फ का पिघलना भी तेज हो गया है।

नीचे दिए आंकड़ों में इस प्रक्रिया को परिभाषित किया गया है

science.png
ग्लेशियर में भेदन

पिछले कुछ महीनों से अमेरिका-ब्रिटेन के वैज्ञानिकों के पांच संयुक्त दल थ्वाइट्स ग्लेशियर पर काम कर रहे हैं। इनमें से दो दलों ने इस बर्फ को भेदने में कामयाबी पाई है। MELT टीम ने 300 मीटर और TARSAN टीम ने 700 मीटर का भेदन किया है। दोनों टीमों ने इस खुदाई के लिए गर्म पानी का इस्तेमाल किया। यह सभी दल अमेरिका और ब्रिटेन के संयुक्त प्रोजेक्ट ITGC (इंटरनेशनल थ्वाइट्स ग्लेशियर कोलेबोरेशन) का हिस्सा हैं। यह प्रोजेक्ट थ्वाइट्स ग्लेशियर के अध्ययन के लिए चालू किया गया है।

आईसफिन के मुख्य वैज्ञानिक, अटलांटा में जॉर्जिया इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी की डॉ ब्रिटनी स्किमडिट् के मुताबिक, 'ग्लेशियर जिन मैदानी आधारों पर जमे हुए हैं, हमने वहां पहुंचने के लिए आईसफिन को बनाया है। यह वह जगह हैं, जहां परीक्षण करना लगभग नामुमकिन है। वहां लगातार बदलाव हो रहे हैं। थ्वाइट्स ग्लेशियर में यह काम करना हमारी टीम के सपने का पूरा होना है। पश्चिमी अंटार्कटिक में स्थित यह ग्लेशियर बेहद खतरनाक बिंदु पर पहुंच चुका है। परीक्षण से जो आंकड़ें मिलेंगे, वे बेहद उत्साहित करने वाले होंगे।'

एक ओसिएनोग्राफर (समुद्र का अध्ययन करने वाले) और ब्रिटेन की MELT टीम के प्रमुख डॉ कीथ निकोलस के मुताबिक, 'हम जानते हैं कि समुद्र का गर्म पानी पश्चिमी अंटार्कटिक के कई ग्लेशियर को पिघला रहा है। लेकिन हम थ्वाइट्स के बारे में खासतौर पर चिंतित हैं। जो नए आंकड़ें और जानकारी सामने आएगी, उनसे हम भविष्य को ज्यादा निश्चित्ता के साथ समझ सकेंगे।'

प्रक्रिया की सफलता के साथ थ्वाइट्स ग्लेशियर के पिघलने की प्रक्रिया के समझ आने की आशा लगाई जा रही है। थ्वाइट्स ग्लेशियर मौसम परिवर्तन से प्रभावित होने वाले सबसे संवेदनशील जगहों मे से एक है। आईसफिन द्वारा दिया गया विजुअल और दूसरी तरह के डेटा से थ्वाइट्स के पिघलने की गति की बेहतर समझ बनाई जा सकेगी।

अंग्रेजी में लिखा मूल आलेख आप नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक कर पढ़ सकते हैं।

Scientists Successfully Drill into Remote West Antarctica Glacier

Thwaite Glacier
Icefin
MELT
ITGC
TARSAN

Related Stories

अगले पांच वर्षों में पिघल सकती हैं अंटार्कटिक बर्फ की चट्टानें, समुद्री जल स्तर को गंभीर ख़तरा


बाकी खबरें

  • abhisar
    न्यूज़क्लिक टीम
    जहांगीरपुरी : दिल्ली पुलिस की निष्पक्षता पर ही सवाल उठा दिए अदालत ने!
    09 May 2022
    न्यूज़चक्र में आज अभिसार बात कर रहे हैं दिल्ली के जहांगीरपुरी में हुई हिंसा की जिसमे रोहिणी कोर्ट ने सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस को फटकार लगाई है।
  • edmc
    न्यूज़क्लिक टीम
    दिल्ली : पांच महीने से वेतन न मिलने से नाराज़ EDMC के शिक्षकों का प्रदर्शन
    09 May 2022
    दिल्ली नगर निगम में कर्मचारियों की वेतन की समस्याएं आम बात हो गई है। इसी बीच सोमवार 9 मई को पूर्वी दिल्ली नगर निगम के पांच हजार शिक्षकों ने अपने अर्जित वेतन जारी करने के लिए निगम मुख्यालय पर धरना…
  • मुकुंद झा
    दिल्ली : पांच महीने से वेतन व पेंशन न मिलने से आर्थिक तंगी से जूझ रहे शिक्षकों ने किया प्रदर्शन
    09 May 2022
    “हमारे एक साथी शिक्षक संजय हैं, जिन्होंने लोन लिया था, परन्तु वेतन नहीं मिलने के कारण उसकी ईएमआई नहीं चुका पाए, तो उनका 35 लाख का मकान नीलाम कर दिया गया। यही नहीं, शनिवार को पुलिस ने भी उन्हें…
  • covid
    न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    कोरोना अपडेट: देश में 24 घंटों में 2,897 नए मामले, 54 मरीज़ों की मौत
    09 May 2022
    कोरोना के साथ-साथ दुनियाभर में एक ओर ख़तरनाक वायरस की एंट्री बताई जा रही है। हालांकि स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि यह वायरस लोगों के बीच आसानी से नहीं फैलता है और आम जनता को इसका ख़तरा बहुत कम…
  • विजय विनीत
    चंदौली पहुंचे अखिलेश, बोले- निशा यादव का क़त्ल करने वाले ख़ाकी वालों पर कब चलेगा बुलडोज़र?
    09 May 2022
    “मनराजपुर में लड़की की जान गई है और जान पुलिस ने ली है। यह हाथरस जैसी घटना का दुहराव है। लड़की की जघन्य तरीके से हत्या करने वाले पुलिसकर्मियों पर आखिर बुलडोज़र कब चलेगा? हमें तो इनकी जांच पर कतई भरोसा…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License