NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
आंदोलन
शिक्षा
भारत
राजनीति
नई शिक्षा नीति, सीयूसीईटी के ख़िलाफ़ छात्र-शिक्षकों ने खोला मोर्चा 
बीते शुक्रवार को नई शिक्षा नीति (एनईपी ), हायर एजुकेशन फंडिंग एजेंसी (हेफ़ा), फोर ईयर अंडरग्रेजुएट प्रोग्राम (FYUP),  सेंट्रल यूनिवर्सिटी कॉमन एंट्रेंस टेस्ट (सीयूसीईटी) आदि के खिलाफ दिल्ली विश्वविद्यालय के आर्ट्स फैकल्टी में छात्र-शिक्षकों के द्वारा एक सार्वजनिक चर्चा का आयोजन किया गया।  
जगन्नाथ कुमार यादव
04 Apr 2022
 CUCET

शिकाशविदों का हमेशा से ही मानना रहा है कि भारत को अपने सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 6% शिक्षा पर खर्च करने की आवश्यकता है, वर्ष 1968 और उसके बाद की हर राष्ट्रीय शिक्षा नीति में यह अनुशंसा की गई है, लेकिन इसके 52 वर्ष बाद भी देश में सार्वजनिक शिक्षा पर महज 3.1% खर्च किया जा रहा है।  

हालांकि, शिक्षा के कई जानकारों का यह मानना है कि नई शिक्षा नीति शिक्षा में निजीकरण को प्रोत्साहित कर रहा है।

बीते शुक्रवार को नई शिक्षा नीति (एनईपी ), हायर एजुकेशन फंडिंग एजेंसी (हेफ़ा), फोर ईयर अंडरग्रेजुएट प्रोग्राम (FYUP),  सेंट्रल यूनिवर्सिटी कॉमन एंट्रेंस टेस्ट (सीयूसीईटी) आदि के खिलाफ दिल्ली विश्वविद्यालय के आर्ट्स फैकल्टी में छात्र-शिक्षकों के द्वारा एक सार्वजनिक चर्चा का आयोजन किया गया था।  

इस चर्चा में गोपाल प्रधान, आभा देव हबीब, नंदिता नारायण, माया जॉन और लक्ष्मण यादव सहित कई अकादमिक जगत से जुड़े लोग शामिल हुए। ‘आइसा’, ‘एसएफआई’, ‘डीएसयू’ सहित कई प्रगतिशील छात्र संगठन और शिक्षक संगठन ‘डीटीएफ’ के संयुक्त पहल पर ‘सेव डीयू’ कैम्पन के बैनर तले इस प्रतिरोध रूपी चर्चा का आयोजन किया गया था।

हाल ही में, दिल्ली विश्वविद्यालय के एग्जीक्यूटिव काउंसिल ने उच्च शिक्षा अनुदान एजेंसी (हेफ़ा) से एक हज़ार करोड़ रूपये से अधिक के ऋण लेने की मांग को मंजूरी दी है। यह ऋण मुख्य रूप से बुनियादी ढांचे के विकास और पूंजीगत संपत्ति के निर्माण के लिए लिया जा रहा है।

इस फंडिंग एजेंसी के अस्तित्व पर सवाल करते हुए अम्बेडकर यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर गोपाल प्रधान सभा को संबोधित करते हुए कहते हैं कि, “नीचे तबक़े के लोगों के भीतर ऊँची शिक्षा की आकांक्षा पैदा हुई है, इसी आकांक्षा का फायदा उठाकर सरकार यह कहते हुए कि जो पुराने शैक्षिणक संस्थान हैं, वह एलिटिज्म को बढ़ावा देते थे इसलिए हम इसे ख़त्म करना चाहते हैं। लेकिन असल में वह यह कर रहे हैं कि नीचे के तबक़े को और अधिक पीछे धकेल रहे हैं; मसलन- सीटों की कटौती कर रहे हैं।”

प्रधान आगे कहते हैं, “हेफ़ा के मार्फ़त लोन देना आदि। हेफ़ा को लाने का मकसद है- यूजीसी को ख़त्म करना। हायर एजुकेशन में नीचे तबक़े के लोग जब आते थे तो उन्हें यूजीसी द्वारा प्राप्त फ़ेलोशिप के माध्यम से चार-पांच साल तक अपनी पढाई जारी रखना आसान हो जाता था। लेकिन यूजीसी को खत्म कर अब फंडिंग हेफ़ा से की जाएगी, जो असल में लोन के नाम पर आर्थिक मदद करेगी। इसका सीधा मतलब है कि छात्र-छात्राओं को नौकरी पाने से पहले ही कर्ज़दार बना दिया जाएगा। और इस तरह हायर एजुकेशन को डिफण्ड कर देने से नाश सिर्फ अपने देश का नहीं, बल्कि अपने देश के कद का भी विनाश होगा।”

डीयू के जीसस एंड मैरी कॉलेज में पढ़ा रही माया जॉन भी एनईपी के सम्बन्ध में इसी ओर इशारा करती हैं। वह कहती हैं कि नई शिक्षा नीति के बहुत सारे प्रावधान है, जो एक्सक्लूजन को बढ़ावा देगा। इससे शिक्षा के क्षेत्र में जो नौकरियां हैं, उसकी भी कटौती होने वाली है। एनईपी डिफार्म को ही कंसोलिडेट कर रहा है, रिफार्म की बात नहीं करता। 

उन्होंने आगे कहा कि, “सरकारी स्कूल के बच्चे सरकारी कॉलेज-यूनिवर्सिटी तक पहुँच नहीं सकते, हमारे कट ऑफ़ सिस्टम और प्रीमियम एलिट इंस्टीट्यूट्स के दायरे में यह बात इंश्योर होती है। प्रीमियम एलिट इंस्टीट्यूट्स कम सीटों पर टिका होता है इसलिए सीट बढ़ोतरी की बात कभी नहीं होती है। हाँ, सीयूसीईटी की बात जरूर होती है। सीट बढ़ेंगे तो जाहिर-सी बात है कि कॉम्पीटिशन कम होगा और ज्यादा बच्चे, जिसको अच्छे शिक्षक और क्लासरूम की जरूरत है, उनकी एंट्री होगी। लेकिन यह लोग छंटनी और नए तरीकों से कैसे कर सकते हैं, इसके बारे में जरूर सोचते हैं। अच्छे दिन का सपना दिखाकर, एनईपी को बार-बार आगे दिखा कर यह व्यवस्था हमें हर रोज मूर्ख बना रही है।”     

नई शिक्षा नीति के खिलाफ ज़ाकिर हुसैन कॉलेज में हिंदी पढ़ा रहें लक्ष्मण यादव कहते हैं, “आप तार्किक ढंग से सोचिये मत। आपके सोचने-समझने की क्षमता को खत्म कर देने का नाम है ‘नई शिक्षा नीति’। एनईपी को कोई ‘नई शिक्षा नीति’ कहते हैं। कोई इसे ‘राष्ट्रवादी शिक्षा नीति’ करते हैं। तो हम कहते हैं एनईपी का मतलब ‘नई शिक्षा नीति’ नहीं है, बल्कि ‘नहीं एजुकेशन पॉलिसी है यानी कि अब किसी को शिक्षा नहीं मिलेगी। इसी की रणनीति है यह शिक्षा नीति।”

आगे उन्होंने कहा कि, “यह सच है कि तमाम सेंट्रल यूनिवर्सिटीज के अच्छे कॉलेज में एडमिशन नहीं मिलता है। तो बीमारी तो सही पकड़ी आपने कि एडमिशन नहीं मिलता है। सही बात है। अब उसका इलाज क्या ढूंढा कि हम एक कॉमन एंट्रेंस टेस्ट देंगे। इसका सिलेबस किसका होगा, स्टेट बोर्ड का या सेंट्रल बोर्ड- सीबीएसई का! दूसरा सवाल कि अगर कॉमन एंट्रेंस टेस्ट होगा तो कोचिंग का एम्पायर खड़ा होगा। तो यह कोचिंग कहाँ खुलेगी, दिल्ली, लखनऊ, पटना जैसे शहरों में। गाँवों में कोई कोचिंग सेंटर नहीं खुला होगा। वहां कोई पढाई नहीं है। कंप्यूटर पर बैठकर मल्टीप्ल चॉइस क्वेश्चन का आंसर कौन दे सकता है! जिनकी पीढ़ियों में लोगों ने हाथ से कलम तक नहीं पकड़ी, उनके बच्चों की अंगुलियाँ कंप्यूटर पर जाने पर थरथराती हैं। आज हमारे विश्वविद्यालय में 50 लोगों की क्लास ऑनलाइन चली, तो 25-30 बच्चे गायब हो गए। जो 20-25 बच्चे नहीं आएं, उनमें 99 प्रतिशत प्रथम पीढ़ी के पढ़ाने वाले बच्चे थे। इस नई शिक्षा नीति और सीयूसीईटी के आने से सबसे पहले पढाई से दूर वह लोग होंगे, जो हजारों सालों से पढाई से दूर थे।”

ज्ञात हो कि शैक्षणिक जगत में नित नए प्रयोग किए जा रहे हैं। मसलन नई शिक्षा नीति के हवाले से अंडरग्रेजुएशन का कोर्स चार साल का होने जा रहा है। अब तक जो कॉलेज-यूनिवर्सिटी को संरचनात्मक विकास सहित अन्य शैक्षणिक कार्यों के लिए वित्तीय सहायता विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) से मिलता था, अब वह लोन (ऋण) के रूप में हेफ़ा से मिलेगा।

new education policy
CUCET
NEP
Higher Education Funding Agency
Gross Domestic Product
FYUP

Related Stories

गैर-लोकतांत्रिक शिक्षानीति का बढ़ता विरोध: कर्नाटक के बुद्धिजीवियों ने रास्ता दिखाया

छात्र संसद: "नई शिक्षा नीति आधुनिक युग में एकलव्य बनाने वाला दस्तावेज़"

NEP भारत में सार्वजनिक शिक्षा को नष्ट करने के लिए भाजपा का बुलडोजर: वृंदा करात

डीयू कैंपस खोलने की मांग और राष्ट्रीय शिक्षा नीति के विरोध में छात्र-शिक्षकों का प्रदर्शन

भारत बंद की तैयारी ज़ोरों पर, बीजेपी परेशान

डीयू: एनईपी लागू करने के ख़िलाफ़ शिक्षक, छात्रों का विरोध


बाकी खबरें

  • सोनिया यादव
    समलैंगिक साथ रहने के लिए 'आज़ाद’, केरल हाई कोर्ट का फैसला एक मिसाल
    02 Jun 2022
    साल 2018 में सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले के बाद भी एलजीबीटी कम्युनिटी के लोग देश में भेदभाव का सामना करते हैं, उन्हें एॉब्नार्मल माना जाता है। ऐसे में एक लेस्बियन कपल को एक साथ रहने की अनुमति…
  • समृद्धि साकुनिया
    कैसे चक्रवात 'असानी' ने बरपाया कहर और सालाना बाढ़ ने क्यों तबाह किया असम को
    02 Jun 2022
    'असानी' चक्रवात आने की संभावना आगामी मानसून में बतायी जा रही थी। लेकिन चक्रवात की वजह से खतरनाक किस्म की बाढ़ मानसून से पहले ही आ गयी। तकरीबन पांच लाख इस बाढ़ के शिकार बने। इनमें हरेक पांचवां पीड़ित एक…
  • बिजयानी मिश्रा
    2019 में हुआ हैदराबाद का एनकाउंटर और पुलिसिया ताक़त की मनमानी
    02 Jun 2022
    पुलिस एनकाउंटरों को रोकने के लिए हमें पुलिस द्वारा किए जाने वाले व्यवहार में बदलाव लाना होगा। इस तरह की हत्याएं न्याय और समता के अधिकार को ख़त्म कर सकती हैं और इनसे आपात ढंग से निपटने की ज़रूरत है।
  • रवि शंकर दुबे
    गुजरात: भाजपा के हुए हार्दिक पटेल… पाटीदार किसके होंगे?
    02 Jun 2022
    गुजरात में पाटीदार समाज के बड़े नेता हार्दिक पटेल ने भाजपा का दामन थाम लिया है। अब देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले चुनावों में पाटीदार किसका साथ देते हैं।
  • सरोजिनी बिष्ट
    उत्तर प्रदेश: "सरकार हमें नियुक्ति दे या मुक्ति दे"  इच्छामृत्यु की माँग करते हजारों बेरोजगार युवा
    02 Jun 2022
    "अब हमें नियुक्ति दो या मुक्ति दो " ऐसा कहने वाले ये आरक्षित वर्ग के वे 6800 अभ्यर्थी हैं जिनका नाम शिक्षक चयन सूची में आ चुका है, बस अब जरूरी है तो इतना कि इन्हे जिला अवंटित कर इनकी नियुक्ति कर दी…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License