NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
साहित्य-संस्कृति
राजनीति
...कोई ठहरा हो जो लोगों के मुक़ाबिल तो बताओ
‘इतवार की कविता’ में आज पढ़ते हैं मशहूर शायर हबीब जालिब की वो मशहूर ग़ज़ल जो हर राजनीतिक और सामाजिक जलसे में सबसे ज़्यादा दोहराई जाती है। ख़ासकर मतला जो यूं है- “तुम से पहले वो जो इक शख़्स यहाँ तख़्त-नशीं था/ उसको भी अपने ख़ुदा होने पे इतना ही यक़ीं था”।
न्यूज़क्लिक डेस्क
08 Nov 2020
इतवार की कविता
प्रतीकात्मक तस्वीर। साभार : news18

ग़ज़ल

 

तुम से पहले वो जो इक शख़्स यहां तख़्त-नशीं था

उसको भी अपने ख़ुदा होने पे इतना ही यक़ीं था

 

कोई ठहरा हो जो लोगों के मुक़ाबिल तो बताओ

वो कहां हैं कि जिन्हें नाज़ बहुत अपने तईं था

 

आज सोए हैं तह-ए-ख़ाक न जाने यहां कितने

कोई शोला कोई शबनम कोई महताब-जबीं था

 

अब वो फिरते हैं इसी शहर में तनहा लिए दिल को

इक ज़माने में मिज़ाज उन का सर-ए-अर्श-ए-बरीं था

 

छोड़ना घर का हमें याद है 'जालिब' नहीं भूले

था वतन ज़ेहन में अपने कोई ज़िंदाँ तो नहीं था

 

-         हबीब जालिब

साभार: प्रतिनिधि शायरी

इसे भी पढ़ें : कुर्सीनामा : कुर्सी ख़तरे में है तो देश ख़तरे में है… कुर्सी न बचे तो...

इसे भी पढ़ें : वो राजा हैं रियासत के, नफ़ा नुकसान देखेंगे/ नियम क़ानून तो उनके बड़े दीवान देखेंगे

इसे भी पढ़ें : अवधी में ग़ज़ल: ...मंदिर मस्जिद पेट हमार न भरिहैं साहेब

इसे भी पढ़ें : हर सभ्यता के मुहाने पर एक औरत की जली हुई लाश और...

इसे भी पढ़ें : हमें ये शौक़ है देखें सितम की इंतिहा क्या है

poem
Sunday Poem
Hindi poem
ghazal
इतवार की कविता
हिन्दी कविता
कविता

Related Stories

वे डरते हैं...तमाम गोला-बारूद पुलिस-फ़ौज और बुलडोज़र के बावजूद!

इतवार की कविता: भीमा कोरेगाँव

सारे सुख़न हमारे : भूख, ग़रीबी, बेरोज़गारी की शायरी

इतवार की कविता: वक़्त है फ़ैसलाकुन होने का 

कविता का प्रतिरोध: ...ग़ौर से देखिये हिंदुत्व फ़ासीवादी बुलडोज़र

...हर एक दिल में है इस ईद की ख़ुशी

जुलूस, लाउडस्पीकर और बुलडोज़र: एक कवि का बयान

फ़ासीवादी व्यवस्था से टक्कर लेतीं  अजय सिंह की कविताएं

सर जोड़ के बैठो कोई तदबीर निकालो

लॉकडाउन-2020: यही तो दिन थे, जब राजा ने अचानक कह दिया था— स्टैचू!


बाकी खबरें

  • अनिल जैन
    भाजपा-विरोध की राजनीति पर राहुल गांधी ने गहरी चोट पहुंचाई है
    19 May 2022
    भाजपा के ख़िलाफ़ एक व्यापक और मज़बूत विपक्षी मोर्चा बने, इसके लिए विपक्ष में सबसे बड़ी और अखिल भारतीय पार्टी होने के नाते कांग्रेस ही नेतृत्वकारी पहल कर सकती है। लेकिन राहुल के बयान से लगता है कि वे ऐसे…
  • भाषा
    भाजपा में शामिल हुए पंजाब कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष सुनील जाखड़
    19 May 2022
    भाजपा मुख्यालय में आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन के दौरान पार्टी अध्यक्ष जे पी नड्डा और अन्य वरिष्ठ नेताओं की मौजूदगी में जाखड़ ने केंद्र की सत्ताधारी पार्टी की प्राथमिक सदस्यता ग्रहण की।
  • श्रुति एमडी
    तमिलनाडु : विकलांग मज़दूरों ने मनरेगा कार्ड वितरण में 'भेदभाव' के ख़िलाफ़ प्रदर्शन किया
    19 May 2022
    विकलांग मज़दूरों को तय 4 घंटों की जगह 8 घंटे तक काम करने पर मजबूर किया जाता है।
  • संदीप चक्रवर्ती
    डीवाईएफ़आई ने भारत में धर्मनिरपेक्षता को बचाने के लिए संयुक्त संघर्ष का आह्वान किया
    19 May 2022
    कोलकाता में हुई डीवाईएफ़आई की राष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस में 26 राज्यों के 450 डेलीगेट शामिल हुए।
  • न्यूजक्लिक रिपोर्ट
    ज्ञानवापी अपडेट : ज्ञानवापी सर्वे की रिपोर्ट वाराणसी अदालत को सौंपी गयी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने उसे कल तक कार्यवाही रोकने को कहा
    19 May 2022
    सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि स्थानीय अदालत को इस मामले में कोई भी आदेश पारित करने से बचना चाहिए। वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद सर्वे मामले पर शुक्रवार की दोपहर तीन बजे सुनवाई होगी।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License