NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
साहित्य-संस्कृति
भारत
हवाओं सी बन रही हैं लड़कियां… उन्हें मंज़ूर नहीं बेवजह रोका जाना
इतवार की कविता: अंतर्राष्ट्रीय बेटी दिवस...कमला भसीन और उमड़ती लड़कियां।
न्यूज़क्लिक डेस्क
26 Sep 2021
Kamla Bhasin
कमला भसीन (24 अप्रैल, 1946-25 सितंबर, 2021) 

महिला अधिकारों के लिए काम करने वालीं सामाजिक कार्यकर्ता कमला भसीन नहीं रहीं। वे एक कवि, लेखक भी थीं। उन्होंने लड़कियों-महिलाओं, बच्चों सबके लिए शिक्षाप्रद कविताएं लिखीं। उनकी कविताएं भी उनके मिशन, उनके अभियान का हिस्सा थीं। आज अंतर्राष्ट्रीय बेटी दिवस भी है। इस मौके पर उन्हें याद करते हुए ‘इतवार की कविता’ में पढ़ते हैं उनकी दो ख़ास कविताएं-

उमड़ती लड़कियां

 

हवाओं सी बन रही हैं लड़कियां

उन्हें बेहिचक चलने में मज़ा आता है

उन्हें मंज़ूर नहीं बेवजह रोका जाना

 

फूलों सी बन रही हैं लड़कियां

उन्हें महकने में मज़ा आता है

उन्हें मंज़ूर नहीं बेदर्दी से कुचला जाना

 

परिंदों सी बन रही हैं लड़कियां

उन्हें बेख़ौफ़ उड़ने में मज़ा आता है

उन्हें मंज़ूर नहीं उनके परों का काटा जाना

 

पहाड़ों सी बन रही हैं लड़कियां

उन्हें सर उठा कर जीने में मज़ा आता है

उन्हें मंज़ूर नहीं सर को झुका कर जीना

 

सूरज सी बन रही हैं लड़कियां

उन्हें चमकने में मज़ा आता है

उन्हें मंज़ूर नहीं पर्दों से ढका जाना

हां जी हां जी ना जी ना

 

तुम खाना खाते हो?

हां जी हां जी हां जी हां

तुम खाना पकाते भी हो

ना जी ना जी ना जी ना

खाने की हां, पकाने की ना

ऐसे कैसे चले जहां?

 

तुम गंदा करतो हो?

हां जी हां जी हां जी हां

तुम सफ़ाई भी करते हो?

ना जी ना जी ना जी ना

गंदे की हां, सफ़ाई की ना

ऐसे कैसे चले जहां

 

तुम कपड़े पहनते हो?

हां जी हां जी हां जी हां

तुम कपड़े धोते भी होगे?

ना जी ना जी ना जी ना

कपड़ों की हां, धोने की ना

ऐसे कैसे चलेगा जहां?

 

-         कमला भसीन

(24 अप्रैल, 1946-25 सितंबर, 2021) 

इसे भी पढ़ें: नहीं रहीं ‘आज़ाद देश’ में महिलाओं की आज़ादी मांगने वालीं कमला भसीन

Sunday Poem
Hindi poem
poem
Kamla Bhasin
Kamla Bhasin Passes Away
International Daughter's Day

Related Stories

वे डरते हैं...तमाम गोला-बारूद पुलिस-फ़ौज और बुलडोज़र के बावजूद!

इतवार की कविता: भीमा कोरेगाँव

सारे सुख़न हमारे : भूख, ग़रीबी, बेरोज़गारी की शायरी

इतवार की कविता: वक़्त है फ़ैसलाकुन होने का 

कविता का प्रतिरोध: ...ग़ौर से देखिये हिंदुत्व फ़ासीवादी बुलडोज़र

...हर एक दिल में है इस ईद की ख़ुशी

जुलूस, लाउडस्पीकर और बुलडोज़र: एक कवि का बयान

फ़ासीवादी व्यवस्था से टक्कर लेतीं  अजय सिंह की कविताएं

सर जोड़ के बैठो कोई तदबीर निकालो

लॉकडाउन-2020: यही तो दिन थे, जब राजा ने अचानक कह दिया था— स्टैचू!


बाकी खबरें

  • blast
    न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    हापुड़ अग्निकांड: कम से कम 13 लोगों की मौत, किसान-मजदूर संघ ने किया प्रदर्शन
    05 Jun 2022
    हापुड़ में एक ब्लायलर फैक्ट्री में ब्लास्ट के कारण करीब 13 मज़दूरों की मौत हो गई, जिसके बाद से लगातार किसान और मज़दूर संघ ग़ैर कानूनी फैक्ट्रियों को बंद कराने के लिए सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर रही…
  • Adhar
    अनिल जैन
    ख़बरों के आगे-पीछे: आधार पर अब खुली सरकार की नींद
    05 Jun 2022
    हर हफ़्ते की तरह इस सप्ताह की जरूरी ख़बरों को लेकर फिर हाज़िर हैं लेखक अनिल जैन
  • डॉ. द्रोण कुमार शर्मा
    तिरछी नज़र: सरकार जी के आठ वर्ष
    05 Jun 2022
    हमारे वर्तमान सरकार जी पिछले आठ वर्षों से हमारे सरकार जी हैं। ऐसा नहीं है कि सरकार जी भविष्य में सिर्फ अपने पहनावे और खान-पान को लेकर ही जाने जाएंगे। वे तो अपने कथनों (quotes) के लिए भी याद किए…
  • न्यूज़क्लिक डेस्क
    इतवार की कविता : एरिन हेंसन की कविता 'नॉट' का तर्जुमा
    05 Jun 2022
    इतवार की कविता में आज पढ़िये ऑस्ट्रेलियाई कवयित्री एरिन हेंसन की कविता 'नॉट' जिसका हिंदी तर्जुमा किया है योगेंद्र दत्त त्यागी ने।
  • राजेंद्र शर्मा
    कटाक्ष: मोदी जी का राज और कश्मीरी पंडित
    04 Jun 2022
    देशभक्तों ने कहां सोचा था कि कश्मीरी पंडित इतने स्वार्थी हो जाएंगे। मोदी जी के डाइरेक्ट राज में भी कश्मीर में असुरक्षा का शोर मचाएंगे।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License