रोटी...
रोटी
हर किसी की ज़रूरत है
और हर ज़रूरत के पीछे होती है
रोटी
लेकिन
रोटी खाना और
रोटी कमाना
दो अलग-अलग प्रक्रियाएं हैं
यही वजह है कि मालिक, मज़दूर की व्यथा समझ नहीं पाता है
क्योंकि मालिक रोटी खाता है
और मज़दूर रोटी कमाता है
...
रोटी कमाने का मर्म
सिर्फ़ रोटी उगाने वाला ही जान सकता है
इसलिए कहा जाता है कि
किसान और मज़दूर सहोदर हैं
...
बिना रोटी उगाए
या
बिना रोटी कमाए
रोटी खाना
अपराध है
(सिवाय बच्चों, बुजुर्गों और अक्षम लोगों के)
...
वाकई!, रोटी बहुत स्वादिष्ट होती है
अगर उसे सांझी मेहनत की आंच पर पकाया जाए
और मिल-बांटकर खाया जाए
- मुकुल सरल
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