NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
साहित्य-संस्कृति
भारत
मुफ़्त में राहत नहीं देगी हवा चालाक है...
‘इतवार की कविता’ में पढ़ते हैं मशहूर शायर ओम प्रकाश नदीम की कुछ शानदार ग़ज़लें।
न्यूज़क्लिक डेस्क
28 Jun 2020
poverty
प्रतीकात्मक तस्वीर

ग़ज़लें

 

1.

अगर दौलत भी शामिल हो तो दौलत भी कमाती है

वगर्ना सिर्फ़ मेहनत, सिर्फ़ मेहनत ही कराती है

 

सवेरे दस बजे से रात के बारह बजाते हो

हमें भी भूख लगती है, हमें भी नींद आती है

 

अक़ीदे के कुएं से उसको बाहर खींचता हूं जब

न जाने क्यूं मेरे हाथों से रस्सी छूट जाती है

 

अगरचे डर है लेकिन आज़माते हैं ये नुस्ख़ा भी

ज़रा देखें हमारी बेरुख़ी क्या रंग लाती है

 

वो अज़्मत है कि चाहें तो क़दमबोसी करे दुनिया

मगर इक भूख के आगे वो अज़्मत हार जाती है

 

हवा हो जाता है लगता है ममता से भरा दरिया

किसी की मां किसी बेटी को जब ज़िंदा जलाती है

 

2.

सामने से कुछ सवालों के उजाले पड़ गए

बोलने वालों के चेहरे जैसे काले पड़ गए

 

वो तो टुल्लू की मदद से अपनी छत धोते रहे

और हमारी प्यास को पानी के लाले पड़ गए

 

जाने क्या जादू किया उस मज़हबी तक़रीर ने

सुनने वाले लोगों के ज़हनों पे ताले पड़ गए

 

भूख से मतलब नहीं, उनको मगर ये फ़िक़्र है

कब कहां किस पेट में कितने निवाले पड़ गए

 

जब हमारे क़हक़हों की गूंज सुनते होंगे ग़म

सोचते होंगे कि हम भी किसके पाले पड़ गए

 

रहनुमाई की नुमाइश भी न कर पाए ‘नदीम’

दस क़दम पैदल चले, पैरों में छाले पड़ गए

 

3.

चुप रहा तो घुटके रह जाएगा जीने का मज़ा

रोया तो बह जाएगा सब अश्क पीने का मज़ा

 

मुफ़्त में राहत नहीं देगी हवा चालाक है

लूटकर ले जाएगी मेरे पसीने का मज़ा

 

एक मंज़िल और हर मंज़िल के बाद आई नज़र

रफ़्ता-रफ़्ता हो गया काफ़ूर ज़ीने का मज़ा

 

साल भर तक एक ही मौसम न रास आएगा अब

अब ज़रूरत बन चुका है हर महीने का मज़ा

 

वो न हो तो प्यास का आलम ही होता है कुछ और

वो न हो तो रूठ सा जाता है पीने का मज़ा

 

लुत्फ़ मंज़िल तक पहुंचने की ललक में है ‘नदीम’

ख़त्म हो जाता है साहिल पर सफ़ीने का मज़ा

 

4.

ये सब ग़रीबों के दायरे हैं, फ़लां की मिल्लत, फ़लां का मज़हब

अमीर सारे हैं एक जैसे, कहां की मिल्लत, कहां का मज़हब

 

नमाज़, पूजा तो ज़ाहिरी हैं, अयां करेंगे अयां का मज़हब

कभी मुख़ातिब ख़ुलूस हो तो, बयां करेगा निहां का मज़हब

 

वो रोशनी हो कि तीरगी हो, जमाल हो या जलाल उसका

ज़मी पे सबकुछ निसार कर दे, यही तो है आस्मां का मज़हब

 

किसी पे दाढ़ी उगा रहे हैं, किसी पे चोटी लगा रहे हैं

वो गढ़ रहे हैं तवारीख़ के हर इक पुराने निशां का मज़हब

 

जो इससे बोले ये उसकी मां सी, जो इसको बरते उसी की मां है

यही है उर्दू की पासदारी, यही है उर्दू ज़बां का मज़हब

 

कोई ये कैसे यक़ीन कर ले कि दीन दुनिया से मुख़्तलिफ़ है

नदीम सूरज ने आंख फेरी, बदल गया सायबां का मज़हब

 

-    ओम प्रकाश नदीम
(ग़ज़ल संग्रह “सामना सूरज से है” से साभार) 

 

इसे भी पढ़े : तुम ज़िंदा हो पापा... : फ़ादर्स डे विशेष

इसे भी पढ़े : वचन देते हैं, हम विजयी होंगे या मौत का सामना करेंगे

इसे भी पढ़े :  चलो ख़ुद से मुठभेड़ करते हैं...

Sunday Poem
Hindi poem
hindi poetry
poem
ghazal
ग़ज़ल
कविता
हिन्दी कविता
इतवार की कविता
Om Prakash Nadim

Related Stories

वे डरते हैं...तमाम गोला-बारूद पुलिस-फ़ौज और बुलडोज़र के बावजूद!

इतवार की कविता: भीमा कोरेगाँव

सारे सुख़न हमारे : भूख, ग़रीबी, बेरोज़गारी की शायरी

इतवार की कविता: वक़्त है फ़ैसलाकुन होने का 

कविता का प्रतिरोध: ...ग़ौर से देखिये हिंदुत्व फ़ासीवादी बुलडोज़र

...हर एक दिल में है इस ईद की ख़ुशी

जुलूस, लाउडस्पीकर और बुलडोज़र: एक कवि का बयान

फ़ासीवादी व्यवस्था से टक्कर लेतीं  अजय सिंह की कविताएं

सर जोड़ के बैठो कोई तदबीर निकालो

देवी शंकर अवस्थी सम्मान समारोह: ‘लेखक, पाठक और प्रकाशक आज तीनों उपभोक्ता हो गए हैं’


बाकी खबरें

  • भाषा
    अदालत ने सिद्धार्थ वरदराजन के ख़िलाफ़ दर्ज प्राथमिकी रद्द की 
    25 May 2022
    अदालत ने कहा, “चूंकि प्राथमिकी में लगाए गए आरोप, भारतीय दंड संहिता की धारा 153-बी और 505 (2) के तहत अपराधों के कारित होने का खुलासा नहीं करते, इसलिए कानून की नजर में यह टिकाऊ नहीं हैं और रद्द किये…
  • UP
    न्यूज़क्लिक टीम
    उत्तर प्रदेश विधानसभा में भारी बवाल
    25 May 2022
    बोल के लब आज़ाद हैं तेरे के इस एपिसोड में वरिष्ठ पत्रकार अभिसार शर्मा चर्चा कर रहे हैं उत्तर प्रदेश विधानसभा सत्र के दौरान डिप्टी सीएम केशव मौर्या और अखिलेश यादव के बीच हुई बहस की।
  • सत्यम् तिवारी
    मनोज मुंतशिर ने फिर उगला मुसलमानों के ख़िलाफ़ ज़हर, ट्विटर पर पोस्ट किया 'भाषण'
    25 May 2022
    मनोज मुंतशिर ने अपने ट्विटर प्रोफ़ाइल कविता जैसा लगता हुआ ज़हरीला भाषण पोस्ट किया है जिसमें मुसलमानों से मुख़ातिब होकर वे कह रहे हैं, 'क़ब्रों से खींच कर हम लाएँगे सच तुम्हारे...'
  • DILEVERY
    पॉल क्रांत्ज़
    ऐप-आधारित डिलीवरी के काम के जोखिम…
    25 May 2022
    अगरचे नए डिलीवरी स्टार्टअप के द्वारा रिकॉर्ड निवेश आय का दावा किया जा रहा है, वहीं दूसरी तरफ बड़ी तादाद में उनके कर्मचारी थका देने वाली मेहनत, कम पारिश्रमिक और कंपनी के भीतर के मुद्दों के बारे में…
  • RAJYASABHA
    रवि शंकर दुबे
    15 राज्यों की 57 सीटों पर राज्यसभा चुनाव; कैसे चुने जाते हैं सांसद, यहां समझिए...
    25 May 2022
    देश में अगले महीने राज्यसभा चुनाव होने हैं, ऐसे में सभी राजनीतिक पार्टियां विधायकों को साधने में जुट गई हैं।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License